< مَتَّى 27 >
وَلَمَّا كَانَ ٱلصَّبَاحُ تَشَاوَرَ جَمِيعُ رُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ وَشُيُوخُ ٱلشَّعْبِ عَلَى يَسُوعَ حَتَّى يَقْتُلُوهُ، | ١ 1 |
प्रातःकाल सभी प्रधान पुरोहितों तथा पुरनियों ने आपस में येशु को मृत्यु दंड देने की सहमति की.
فَأَوْثَقُوهُ وَمَضَوْا بِهِ وَدَفَعُوهُ إِلَى بِيلَاطُسَ ٱلْبُنْطِيِّ ٱلْوَالِي. | ٢ 2 |
येशु को बेड़ियों से बांधकर वे उन्हें राज्यपाल पिलातॉस के यहां ले गए.
حِينَئِذٍ لَمَّا رَأَى يَهُوذَا ٱلَّذِي أَسْلَمَهُ أَنَّهُ قَدْ دِينَ، نَدِمَ وَرَدَّ ٱلثَّلَاثِينَ مِنَ ٱلْفِضَّةِ إِلَى رُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلشُّيُوخِ | ٣ 3 |
इसी समय, जब येशु पर दंड की आज्ञा सुनाई गई, यहूदाह, जिसने येशु के साथ धोखा किया था, दुःख और पश्चाताप से भर उठा. उसने प्रधान पुरोहितों और पुरनियों के पास जाकर चांदी के वे तीस सिक्के यह कहते हुए लौटा दिए,
قَائِلًا: «قَدْ أَخْطَأْتُ إِذْ سَلَّمْتُ دَمًا بَرِيئًا». فَقَالُوا: «مَاذَا عَلَيْنَا؟ أَنْتَ أَبْصِرْ!». | ٤ 4 |
“एक निर्दोष के साथ धोखा करके मैंने पाप किया है.” “हमें इससे क्या?” वे बोले, “यह तुम्हारी समस्या है!”
فَطَرَحَ ٱلْفِضَّةَ فِي ٱلْهَيْكَلِ وَٱنْصَرَفَ، ثُمَّ مَضَى وَخَنَقَ نَفْسَهُ. | ٥ 5 |
वे सिक्के मंदिर में फेंक यहूदाह चला गया और जाकर फांसी लगा ली.
فَأَخَذَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ ٱلْفِضَّةَ وَقَالُوا: «لَا يَحِلُّ أَنْ نُلْقِيَهَا فِي ٱلْخِزَانَةِ لِأَنَّهَا ثَمَنُ دَمٍ». | ٦ 6 |
उन सिक्कों को इकट्ठा करते हुए प्रधान पुरोहितों ने विचार किया, “इस राशि को मंदिर के कोष में डालना उचित नहीं है क्योंकि यह लहू का दाम है.”
فَتَشَاوَرُوا وَٱشْتَرَوْا بِهَا حَقْلَ ٱلْفَخَّارِيِّ مَقْبَرَةً لِلْغُرَبَاءِ. | ٧ 7 |
तब उन्होंने इस विषय में विचार-विमर्श कर उस राशि से परदेशियों के अंतिम संस्कार के लिए कुम्हार का एक खेत मोल लिया.
لِهَذَا سُمِّيَ ذَلِكَ ٱلْحَقْلُ «حَقْلَ ٱلدَّمِ» إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ. | ٨ 8 |
यही कारण है कि आज तक उस खेत को “लहू का खेत” नाम से जाना जाता है.
حِينَئِذٍ تَمَّ مَا قِيلَ بِإِرْمِيَا ٱلنَّبِيِّ ٱلْقَائِلِ: «وَأَخَذُوا ٱلثَّلَاثِينَ مِنَ ٱلْفِضَّةِ، ثَمَنَ ٱلْمُثَمَّنِ ٱلَّذِي ثَمَّنُوهُ مِنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ، | ٩ 9 |
इससे भविष्यवक्ता येरेमियाह द्वारा की गई यह भविष्यवाणी पूरी हो गई: “उन्होंने चांदी के तीस सिक्के लिए—यह उसका दाम है, जिसका दाम इस्राएल वंश के द्वारा निर्धारित किया गया था
وَأَعْطَوْهَا عَنْ حَقْلِ ٱلْفَخَّارِيِّ، كَمَا أَمَرَنِي ٱلرَّبُّ». | ١٠ 10 |
और उन्होंने वे सिक्के कुम्हार के खेत के लिए दे दिए, जैसा निर्देश प्रभु ने मुझे दिया था.”
فَوَقَفَ يَسُوعُ أَمَامَ ٱلْوَالِي. فَسَأَلَهُ ٱلْوَالِي قَائِلًا: «أَأَنْتَ مَلِكُ ٱلْيَهُودِ؟». فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «أَنْتَ تَقُولُ». | ١١ 11 |
येशु राज्यपाल के सामने लाए गए और राज्यपाल ने उनसे प्रश्न करने प्रारंभ किए, “क्या तुम यहूदियों के राजा हो?” येशु ने उसे उत्तर दिया, “यह आप स्वयं ही कह रहे हैं.”
وَبَيْنَمَا كَانَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلشُّيُوخُ يَشْتَكُونَ عَلَيْهِ لَمْ يُجِبْ بِشَيْءٍ. | ١٢ 12 |
जब येशु पर प्रधान पुरोहितों और पुरनियों द्वारा आरोप पर आरोप लगाए जा रहे थे, येशु मौन बने रहे.
فَقَالَ لَهُ بِيلَاطُسُ: «أَمَا تَسْمَعُ كَمْ يَشْهَدُونَ عَلَيْكَ؟». | ١٣ 13 |
इस पर पिलातॉस ने येशु से कहा, “क्या तुम सुन नहीं रहे ये लोग तुम पर कितने आरोप लगा रहे हैं?”
فَلَمْ يُجِبْهُ وَلَا عَنْ كَلِمَةٍ وَاحِدَةٍ، حَتَّى تَعَجَّبَ ٱلْوَالِي جِدًّا. | ١٤ 14 |
येशु ने पिलातॉस को किसी भी आरोप का कोई उत्तर न दिया. राज्यपाल के लिए यह अत्यंत आश्चर्यजनक था.
وَكَانَ ٱلْوَالِي مُعْتَادًا فِي ٱلْعِيدِ أَنْ يُطْلِقَ لِلْجَمْعِ أَسِيرًا وَاحِدًا، مَنْ أَرَادُوهُ. | ١٥ 15 |
उत्सव पर परंपरा के अनुसार राज्यपाल की ओर से उस बंदी को, जिसे लोग चाहते थे, छोड़ दिया जाता था.
وَكَانَ لَهُمْ حِينَئِذٍ أَسِيرٌ مَشْهُورٌ يُسَمَّى بَارَابَاسَ. | ١٦ 16 |
उस समय बंदीगृह में बार-अब्बास नामक एक कुख्यात अपराधी बंदी था.
فَفِيمَا هُمْ مُجْتَمِعُونَ قَالَ لَهُمْ بِيلَاطُسُ: «مَنْ تُرِيدُونَ أَنْ أُطْلِقَ لَكُمْ؟ بَارَابَاسَ أَمْ يَسُوعَ ٱلَّذِي يُدْعَى ٱلْمَسِيحَ؟». | ١٧ 17 |
इसलिये जब लोग इकट्ठा हुए पिलातॉस ने उनसे प्रश्न किया, “मैं तुम्हारे लिए किसे छोड़ दूं, बार-अब्बास को या येशु को, जो मसीह कहलाता है? क्या चाहते हो तुम?”
لِأَنَّهُ عَلِمَ أَنَّهُمْ أَسْلَمُوهُ حَسَدًا. | ١٨ 18 |
पिलातॉस को यह मालूम हो चुका था कि मात्र जलन के कारण ही उन्होंने येशु को उनके हाथों में सौंपा था.
وَإِذْ كَانَ جَالِسًا عَلَى كُرْسِيِّ ٱلْوِلَايَةِ أَرْسَلَتْ إِلَيْهِ ٱمْرَأَتُهُ قَائِلَةً: «إِيَّاكَ وَذَلِكَ ٱلْبَارَّ، لِأَنِّي تَأَلَّمْتُ ٱلْيَوْمَ كَثِيرًا فِي حُلْمٍ مِنْ أَجْلِهِ». | ١٩ 19 |
जब पिलातॉस न्यायासन पर बैठा था, उसकी पत्नी ने उसे यह संदेश भेजा, “उस धर्मी व्यक्ति को कुछ न करना क्योंकि पिछली रात मुझे स्वप्न में उसके कारण घोर पीड़ा हुई है.”
وَلَكِنَّ رُؤَسَاءَ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلشُّيُوخَ حَرَّضُوا ٱلْجُمُوعَ عَلَى أَنْ يَطْلُبُوا بَارَابَاسَ وَيُهْلِكُوا يَسُوعَ. | ٢٠ 20 |
इस पर प्रधान पुरोहितों और पुरनियों ने भीड़ को उकसाया कि वे बार-अब्बास की मुक्ति की और येशु के मृत्यु दंड की मांग करें.
فَأجَابَ ٱلْوَالِي وَقَالَ لَهُمْ: «مَنْ مِنْ ٱلِٱثْنَيْنِ تُرِيدُونَ أَنْ أُطْلِقَ لَكُمْ؟». فَقَالُوا: «بَارَابَاسَ!». | ٢١ 21 |
राज्यपाल ने उनसे पूछा, “क्या चाहते हो, दोनों में से मैं किसे छोड़ दूं?” भीड़ का उत्तर था: “बार-अब्बास को.”
قَالَ لَهُمْ بِيلَاطُسُ: «فَمَاذَا أَفْعَلُ بِيَسُوعَ ٱلَّذِي يُدْعَى ٱلْمَسِيحَ؟». قَالَ لَهُ ٱلْجَمِيعُ: «لِيُصْلَبْ!». | ٢٢ 22 |
इस पर पिलातॉस ने उनसे पूछा, “तब मैं येशु का, जो मसीह कहलाता है, क्या करूं?” उन सभी ने एक साथ कहा, “उसे क्रूस पर चढ़ाया जाए!”
فَقَالَ ٱلْوَالِي: «وَأَيَّ شَرٍّ عَمِلَ؟». فَكَانُوا يَزْدَادُونَ صُرَاخًا قَائِلِينَ: «لِيُصْلَبْ!». | ٢٣ 23 |
पिलातॉस ने पूछा, “क्यों? क्या अपराध है उसका?” किंतु वे और अधिक चिल्लाने लगे, “क्रूस पर चढ़ाया जाए उसे!”
فَلَمَّا رَأَى بِيلَاطُسُ أَنَّهُ لَا يَنْفَعُ شَيْئًا، بَلْ بِٱلْحَرِيِّ يَحْدُثُ شَغَبٌ، أَخَذَ مَاءً وَغَسَلَ يَدَيْهِ قُدَّامَ ٱلْجَمْعِ قَائِلًا: «إِنِّي بَرِيءٌ مِنْ دَمِ هَذَا ٱلْبَارِّ! أَبْصِرُوا أَنْتُمْ!». | ٢٤ 24 |
जब पिलातॉस ने देखा कि वह कुछ भी नहीं कर पा रहा परंतु हुल्लड़ की संभावना है तो उसने भीड़ के सामने अपने हाथ धोते हुए यह घोषणा कर दी, “मैं इस व्यक्ति के लहू का दोषी नहीं हूं. तुम ही इसके लिए उत्तरदायी हो.”
فَأَجَابَ جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ وَقَالُوا: «دَمُهُ عَلَيْنَا وَعَلَى أَوْلَادِنَا». | ٢٥ 25 |
लोगों ने उत्तर दिया, “इसके लहू का दोष हम पर तथा हमारी संतान पर हो!”
حِينَئِذٍ أَطْلَقَ لَهُمْ بَارَابَاسَ، وَأَمَّا يَسُوعُ فَجَلَدَهُ وَأَسْلَمَهُ لِيُصْلَبَ. | ٢٦ 26 |
तब पिलातॉस ने उनके लिए बार-अब्बास को मुक्त कर दिया किंतु येशु को कोड़े लगवाकर क्रूसित करने के लिए भीड़ के हाथों में सौंप दिया.
فَأَخَذَ عَسْكَرُ ٱلْوَالِي يَسُوعَ إِلَى دَارِ ٱلْوِلَايَةِ وَجَمَعُوا عَلَيْهِ كُلَّ ٱلْكَتِيبَةِ، | ٢٧ 27 |
तब पिलातॉस के सैनिक मसीह येशु को प्राइतोरियम अर्थात् किले के भीतर, महल के आंगन में ले गए और वहां उन्होंने सारी रोमी सैनिक टुकड़ी इकट्ठा कर ली.
فَعَرَّوْهُ وَأَلْبَسُوهُ رِدَاءً قِرْمِزِيًّا، | ٢٨ 28 |
जो वस्त्र येशु पहने हुए थे, उतारकर उन्होंने उन्हें एक चमकीला लाल वस्त्र पहना दिया.
وَضَفَرُوا إِكْلِيلًا مِنْ شَوْكٍ وَوَضَعُوهُ عَلَى رَأْسِهِ، وَقَصَبَةً فِي يَمِينِهِ. وَكَانُوا يَجْثُونَ قُدَّامَهُ وَيَسْتَهْزِئُونَ بِهِ قَائِلِينَ: «ٱلسَّلَامُ يا مَلِكَ ٱلْيَهُودِ!». | ٢٩ 29 |
उन्होंने एक कंटीली लता को गूंधकर उसका मुकुट बना उनके सिर पर रख दिया और उनके दायें हाथ में एक नरकुल की एक छड़ी थमा दी. तब वे उनके सामने घुटने टेककर यह कहते हुए उनका मज़ाक करने लगे, “यहूदियों के राजा की जय!”
وَبَصَقُوا عَلَيْهِ، وَأَخَذُوا ٱلْقَصَبَةَ وَضَرَبُوهُ عَلَى رَأْسِهِ. | ٣٠ 30 |
उन्होंने येशु पर थूका भी और फिर उनके हाथ से उस नरकुल छड़ी को लेकर उसी से उनके सिर पर प्रहार करने लगे.
وَبَعْدَ مَا ٱسْتَهْزَأُوا بِهِ، نَزَعُوا عَنْهُ ٱلرِّدَاءَ وَأَلْبَسُوهُ ثِيَابَهُ، وَمَضَوْا بِهِ لِلصَّلْبِ. | ٣١ 31 |
इस प्रकार जब वे येशु का उपहास कर चुके, उन्होंने वह लाल वस्त्र उतारकर उन्हीं के वस्त्र उन्हें पहना दिए और उन्हें उस स्थल पर ले जाने लगे जहां उन्हें क्रूस पर चढ़ाया जाना था.
وَفِيمَا هُمْ خَارِجُونَ وَجَدُوا إِنْسَانًا قَيْرَوَانِيًّا ٱسْمُهُ سِمْعَانُ، فَسَخَّرُوهُ لِيَحْمِلَ صَلِيبَهُ. | ٣٢ 32 |
जब वे बाहर निकले, उन्हें शिमओन नामक एक व्यक्ति, जो कुरेनावासी था, दिखाई दिया. उन्होंने उसे येशु का क्रूस उठाकर चलने के लिए मजबूर किया.
وَلَمَّا أَتَوْا إِلَى مَوْضِعٍ يُقَالُ لَهُ جُلْجُثَةُ، وَهُوَ ٱلْمُسَمَّى «مَوْضِعَ ٱلْجُمْجُمَةِ» | ٣٣ 33 |
जब वे सब गोलगोथा नामक स्थल पर पहुंचे, जिसका अर्थ है (खोपड़ी का स्थान).
أَعْطَوْهُ خَلًّا مَمْزُوجًا بِمَرَارَةٍ لِيَشْرَبَ. وَلَمَّا ذَاقَ لَمْ يُرِدْ أَنْ يَشْرَبَ. | ٣٤ 34 |
उन्होंने येशु को पीने के लिए दाखरस तथा कड़वे रस का मिश्रण दिया किंतु उन्होंने मात्र चखकर उसे पीना अस्वीकार कर दिया.
وَلَمَّا صَلَبُوهُ ٱقْتَسَمُوا ثِيَابَهُ مُقْتَرِعِينَ عَلَيْهَا، لِكَيْ يَتِمَّ مَا قِيلَ بِٱلنَّبِيِّ: «ٱقْتَسَمُوا ثِيَابِي بَيْنَهُمْ، وَعَلَى لِبَاسِي أَلْقَوْا قُرْعَةً». | ٣٥ 35 |
येशु को क्रूसित करने के बाद उन्होंने उनके वस्त्रों को आपस में बांट लेने के लिए पासा फेंका
ثُمَّ جَلَسُوا يَحْرُسُونَهُ هُنَاكَ. | ٣٦ 36 |
और वहीं बैठकर उनकी चौकसी करने लगे.
وَجَعَلُوا فَوْقَ رَأْسِهِ عِلَّتَهُ مَكْتُوبَةً: «هَذَا هُوَ يَسُوعُ مَلِكُ ٱلْيَهُودِ». | ٣٧ 37 |
उन्होंने उनके सिर के ऊपर दोषपत्र लगा दिया था, जिस पर लिखा था: “यह येशु है—यहूदियों का राजा.”
حِينَئِذٍ صُلِبَ مَعَهُ لِصَّانِ، وَاحِدٌ عَنِ ٱلْيَمِينِ وَوَاحِدٌ عَنِ ٱلْيَسَارِ. | ٣٨ 38 |
उसी समय दो अपराधियों को भी उनके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया था, एक को उनकी दायीं ओर, दूसरे को उनकी बायीं ओर.
وَكَانَ ٱلْمُجْتَازُونَ يُجَدِّفُونَ عَلَيْهِ وَهُمْ يَهُزُّونَ رُؤُوسَهُمْ | ٣٩ 39 |
आते जाते यात्री उपहास-मुद्रा में सिर हिला-हिला कर मज़ाक उड़ा रहे थे,
قَائِلِينَ: «يَا نَاقِضَ ٱلْهَيْكَلِ وَبَانِيَهُ فِي ثَلَاثَةِ أَيَّامٍ، خَلِّصْ نَفْسَكَ! إِنْ كُنْتَ ٱبْنَ ٱللهِ فَٱنْزِلْ عَنِ ٱلصَّلِيبِ!». | ٤٠ 40 |
“अरे ओ मंदिर को नाश कर, तीन दिन में उसको दुबारा बनानेवाले! बचा ले अपने आपको—यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो उतर आ क्रूस से!”
وَكَذَلِكَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ أَيْضًا وَهُمْ يَسْتَهْزِئُونَ مَعَ ٱلْكَتَبَةِ وَٱلشُّيُوخِ قَالُوا: | ٤١ 41 |
इसी प्रकार प्रधान पुरोहित भी शास्त्रियों और पुरनियों के साथ मिलकर उनका उपहास करते हुए कह रहे थे,
«خَلَّصَ آخَرِينَ وَأَمَّا نَفْسُهُ فَمَا يَقْدِرُ أَنْ يُخَلِّصَهَا! إِنْ كَانَ هُوَ مَلِكَ إِسْرَائِيلَ فَلْيَنْزِلِ ٱلْآنَ عَنِ ٱلصَّلِيبِ فَنُؤْمِنَ بِهِ! | ٤٢ 42 |
“दूसरों को तो बचाता फिरा है, स्वयं को नहीं बचा सकता! इस्राएल का राजा है! क्रूस से नीचे आकर दिखाए तो हम इसका विश्वास कर लेंगे.
قَدِ ٱتَّكَلَ عَلَى ٱللهِ، فَلْيُنْقِذْهُ ٱلْآنَ إِنْ أَرَادَهُ! لِأَنَّهُ قَالَ: أَنَا ٱبْنُ ٱللهِ!». | ٤٣ 43 |
यह परमेश्वर में विश्वास करता है क्योंकि इसने दावा किया था, ‘मैं ही परमेश्वर-पुत्र हूं,’ तब परमेश्वर इसे अभी छुड़ा दें—यदि वह इससे प्रेम करते हैं.”
وَبِذَلِكَ أَيْضًا كَانَ ٱللِّصَّانِ ٱللَّذَانِ صُلِبَا مَعَهُ يُعَيِّرَانِهِ. | ٤٤ 44 |
उनके साथ क्रूस पर चढ़ाये गए राजद्रोही भी इसी प्रकार उनकी उल्लाहना कर रहे थे.
وَمِنَ ٱلسَّاعَةِ ٱلسَّادِسَةِ كَانَتْ ظُلْمَةٌ عَلَى كُلِّ ٱلْأَرْضِ إِلَى ٱلسَّاعَةِ ٱلتَّاسِعَةِ. | ٤٥ 45 |
मध्याह्न से लेकर तीन बजे तक उस सारे प्रदेश पर अंधकार छाया रहा.
وَنَحْوَ ٱلسَّاعَةِ ٱلتَّاسِعَةِ صَرَخَ يَسُوعُ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ قَائِلًا: «إِيلِي، إِيلِي، لَمَا شَبَقْتَنِي؟» أَيْ: إِلَهِي، إِلَهِي، لِمَاذَا تَرَكْتَنِي؟ | ٤٦ 46 |
तीन बजे के लगभग येशु ने ऊंची आवाज में पुकारकर कहा, “एली, एली, लमा सबख़थानी?” जिसका अर्थ है, “मेरे परमेश्वर! मेरे परमेश्वर! आपने मुझे क्यों छोड़ दिया?”
فَقَوْمٌ مِنَ ٱلْوَاقِفِينَ هُنَاكَ لَمَّا سَمِعُوا قَالُوا: «إِنَّهُ يُنَادِي إِيلِيَّا». | ٤٧ 47 |
उधर खड़े हुए व्यक्तियों में से कुछ ने कहा, “अरे! सुनो-सुनो! एलियाह को पुकार रहा है!”
وَلِلْوَقْتِ رَكَضَ وَاحِدٌ مِنْهُمْ وَأَخَذَ إِسْفِنْجَةً وَمَلَأَهَا خَلًّا وَجَعَلَهَا عَلَى قَصَبَةٍ وَسَقَاهُ. | ٤٨ 48 |
उनमें से एक ने तुरंत दौड़कर एक स्पंज सिरके में भिगोया और एक नरकुल की एक छड़ी पर रखकर येशु के होंठों तक बढ़ा दिया.
وَأَمَّا ٱلْبَاقُونَ فَقَالُوا: «ٱتْرُكْ. لِنَرَى هَلْ يَأْتِي إِيلِيَّا يُخَلِّصُهُ!». | ٤٩ 49 |
किंतु औरों ने कहा, “ठहरो, ठहरो, देखें एलियाह उसे बचाने आते भी हैं या नहीं.”
فَصَرَخَ يَسُوعُ أَيْضًا بِصَوْتٍ عَظِيمٍ، وَأَسْلَمَ ٱلرُّوحَ. | ٥٠ 50 |
येशु ने एक बार फिर ऊंची आवाज में पुकारा और अपने प्राण त्याग दिए.
وَإِذَا حِجَابُ ٱلْهَيْكَلِ قَدِ ٱنْشَقَّ إِلَى ٱثْنَيْنِ، مِنْ فَوْقُ إِلَى أَسْفَلُ. وَٱلْأَرْضُ تَزَلْزَلَتْ، وَٱلصُّخُورُ تَشَقَّقَتْ، | ٥١ 51 |
उसी क्षण मंदिर का पर्दा ऊपर से नीचे तक दो भागों में विभाजित कर दिया गया, पृथ्वी कांप उठी, चट्टानें फट गईं
وَٱلْقُبُورُ تَفَتَّحَتْ، وَقَامَ كَثِيرٌ مِنْ أَجْسَادِ ٱلْقِدِّيسِينَ ٱلرَّاقِدِينَ | ٥٢ 52 |
और कब्रें खुल गईं. येशु के पुनरुत्थान के बाद उन अनेक पवित्र लोगों के शरीर जीवित कर दिए गये, जो बड़ी नींद में सो चुके थे.
وَخَرَجُوا مِنَ ٱلْقُبُورِ بَعْدَ قِيَامَتِهِ، وَدَخَلُوا ٱلْمَدِينَةَ ٱلْمُقَدَّسَةَ، وَظَهَرُوا لِكَثِيرِينَ. | ٥٣ 53 |
कब्रों से बाहर आकर उन्होंने पवित्र नगर में प्रवेश किया तथा अनेकों को दिखाई दिए.
وَأَمَّا قَائِدُ ٱلْمِئَةِ وَٱلَّذِينَ مَعَهُ يَحْرُسُونَ يَسُوعَ فَلَمَّا رَأَوْا ٱلزَّلْزَلَةَ وَمَا كَانَ، خَافُوا جِدًّا وَقَالُوا: «حَقًّا كَانَ هَذَا ٱبْنَ ٱللهِ!». | ٥٤ 54 |
शताधिपति और वे, जो उसके साथ येशु की पहरा दे रहे थे, उस भूकंप तथा अन्य घटनाओं को देखकर अत्यंत भयभीत हो गए और कहने लगे, “सचमुच यह परमेश्वर के पुत्र थे!”
وَكَانَتْ هُنَاكَ نِسَاءٌ كَثِيرَاتٌ يَنْظُرْنَ مِنْ بَعِيدٍ، وَهُنَّ كُنَّ قَدْ تَبِعْنَ يَسُوعَ مِنَ ٱلْجَلِيلِ يَخْدِمْنَهُ، | ٥٥ 55 |
अनेक स्त्रियां दूर खड़ी हुई यह सब देख रही थी. वे गलील प्रदेश से येशु की सेवा करती हुई उनके पीछे-पीछे आ गई थी.
وَبَيْنَهُنَّ مَرْيَمُ ٱلْمَجْدَلِيَّةُ، وَمَرْيَمُ أُمُّ يَعْقُوبَ وَيُوسِي، وَأُمُّ ٱبْنَيْ زَبْدِي. | ٥٦ 56 |
उनमें थी मगदालावासी मरियम, याकोब और योसेफ़ की माता मरियम तथा ज़ेबेदियॉस की पत्नी.
وَلَمَّا كَانَ ٱلْمَسَاءُ، جَاءَ رَجُلٌ غَنِيٌّ مِنَ ٱلرَّامَةِ ٱسْمُهُ يُوسُفُ، وَكَانَ هُوَ أَيْضًا تِلْمِيذًا لِيَسُوعَ. | ٥٧ 57 |
जब संध्या हुई तब अरिमथिया नामक नगर के एक धनी व्यक्ति, जिनका नाम योसेफ़ था, वहां आए. वह स्वयं येशु के चेले बन गए थे.
فَهَذَا تَقَدَّمَ إِلَى بِيلَاطُسَ وَطَلَبَ جَسَدَ يَسُوعَ. فَأَمَرَ بِيلَاطُسُ حِينَئِذٍ أَنْ يُعْطَى ٱلْجَسَدُ. | ٥٨ 58 |
उन्होंने पिलातॉस के पास जाकर येशु के शव को ले जाने की आज्ञा मांगी. पिलातॉस ने उन्हें शव ले जाने की आज्ञा दे दी.
فَأَخَذَ يُوسُفُ ٱلْجَسَدَ وَلَفَّهُ بِكَتَّانٍ نَقِيٍّ، | ٥٩ 59 |
योसेफ़ ने शव को एक स्वच्छ चादर में लपेटा
وَوَضَعَهُ فِي قَبْرِهِ ٱلْجَدِيدِ ٱلَّذِي كَانَ قَدْ نَحَتَهُ فِي ٱلصَّخْرَةِ، ثُمَّ دَحْرَجَ حَجَرًا كَبِيرًا عَلَى بَابِ ٱلْقَبْرِ وَمَضَى. | ٦٠ 60 |
और उसे नई कंदरा-क़ब्र में रख दिया, जो योसेफ़ ने स्वयं अपने लिए चट्टान में खुदवाई थी. उन्होंने कब्र के द्वार पर एक विशाल पत्थर लुढ़का दिया और तब वह अपने घर चले गए.
وَكَانَتْ هُنَاكَ مَرْيَمُ ٱلْمَجْدَلِيَّةُ وَمَرْيَمُ ٱلْأُخْرَى جَالِسَتَيْنِ تُجَاهَ ٱلْقَبْرِ. | ٦١ 61 |
मगदालावासी मरियम तथा अन्य मरियम, दोनों ही कंदरा-क़ब्र के सामने बैठी रहीं.
وَفِي ٱلْغَدِ ٱلَّذِي بَعْدَ ٱلِٱسْتِعْدَادِ ٱجْتَمَعَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْفَرِّيسِيُّونَ إِلَى بِيلَاطُسَ | ٦٢ 62 |
दूसरे दिन, जो तैयारी के दिन के बाद का दिन था, प्रधान पुरोहित तथा फ़रीसी पिलातॉस के यहां इकट्ठा हुए और पिलातॉस को सूचित किया,
قَائِلِينَ: «يَا سَيِّدُ، قَدْ تَذَكَّرْنَا أَنَّ ذَلِكَ ٱلْمُضِلَّ قَالَ وَهُوَ حَيٌّ: إِنِّي بَعْدَ ثَلَاثَةِ أَيَّامٍ أَقُومُ. | ٦٣ 63 |
“महोदय, हमको यह याद है कि जब यह छली जीवित था, उसने कहा था, ‘तीन दिन बाद मैं जीवित हो जाऊंगा’;
فَمُرْ بِضَبْطِ ٱلْقَبْرِ إِلَى ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ، لِئَلَّا يَأْتِيَ تَلَامِيذُهُ لَيْلًا وَيَسْرِقُوهُ، وَيَقُولُوا لِلشَّعْبِ: إِنَّهُ قَامَ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ، فَتَكُونَ ٱلضَّلَالَةُ ٱلْأَخِيرَةُ أَشَرَّ مِنَ ٱلْأُولَى!». | ٦٤ 64 |
इसलिये तीसरे दिन तक के लिए कंदरा-क़ब्र पर कड़ी सुरक्षा की आज्ञा दे दीजिए, अन्यथा संभव है उसके शिष्य आकर शव चुरा ले जाएं और लोगों में यह प्रचार कर दें, ‘वह मरे हुओं में से जीवित हो गया है’ तब तो यह छल पहले से कहीं अधिक हानिकर सिद्ध होगा.”
فَقَالَ لَهُمْ بِيلَاطُسُ: «عِنْدَكُمْ حُرَّاسٌ. اِذْهَبُوا وَٱضْبُطُوهُ كَمَا تَعْلَمُونَ». | ٦٥ 65 |
पिलातॉस ने उनसे कहा, “प्रहरी तो आपके पास हैं न! आप जैसा उचित समझें करें.”
فَمَضَوْا وَضَبَطُوا ٱلْقَبْرَ بِٱلْحُرَّاسِ وَخَتَمُوا ٱلْحَجَرَ. | ٦٦ 66 |
अतः उन्होंने जाकर प्रहरी नियुक्त कर तथा पत्थर पर मोहर लगाकर कब्र को पूरी तरह सुरक्षित बना दिया.