< مَرْقُس 6 >

وَخَرَجَ مِنْ هُنَاكَ وَجَاءَ إِلَى وَطَنِهِ وَتَبِعَهُ تَلَامِيذُهُ. ١ 1
वहाँ से निकलकर वह अपने देश में आया, और उसके चेले उसके पीछे हो लिए।
وَلَمَّا كَانَ ٱلسَّبْتُ، ٱبْتَدَأَ يُعَلِّمُ فِي ٱلْمَجْمَعِ. وَكَثِيرُونَ إِذْ سَمِعُوا بُهِتُوا قَائِلِينَ: «مِنْ أَيْنَ لِهَذَا هَذِهِ؟ وَمَا هَذِهِ ٱلْحِكْمَةُ ٱلَّتِي أُعْطِيَتْ لَهُ حَتَّى تَجْرِيَ عَلَى يَدَيْهِ قُوَّاتٌ مِثْلُ هَذِهِ؟ ٢ 2
सब्त के दिन वह आराधनालय में उपदेश करने लगा; और बहुत लोग सुनकर चकित हुए और कहने लगे, “इसको ये बातें कहाँ से आ गई? और यह कौन सा ज्ञान है जो उसको दिया गया है? और कैसे सामर्थ्य के काम इसके हाथों से प्रगट होते हैं?
أَلَيْسَ هَذَا هُوَ ٱلنَّجَّارَ ٱبْنَ مَرْيَمَ، وَأَخُو يَعْقُوبَ وَيُوسِي وَيَهُوذَا وَسِمْعَانَ؟ أَوَلَيْسَتْ أَخَوَاتُهُ هَهُنَا عِنْدَنَا؟». فَكَانُوا يَعْثُرُونَ بِهِ. ٣ 3
क्या यह वही बढ़ई नहीं, जो मरियम का पुत्र, और याकूब और योसेस और यहूदा और शमौन का भाई है? और क्या उसकी बहनें यहाँ हमारे बीच में नहीं रहतीं?” इसलिए उन्होंने उसके विषय में ठोकर खाई।
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «لَيْسَ نَبِيٌّ بِلَا كَرَامَةٍ إِلَّا فِي وَطَنِهِ وَبَيْنَ أَقْرِبَائِهِ وَفِي بَيْتِهِ». ٤ 4
यीशु ने उनसे कहा, “भविष्यद्वक्ता का अपने देश और अपने कुटुम्ब और अपने घर को छोड़ और कहीं भी निरादर नहीं होता।”
وَلَمْ يَقْدِرْ أَنْ يَصْنَعَ هُنَاكَ وَلَا قُوَّةً وَاحِدَةً، غَيْرَ أَنَّهُ وَضَعَ يَدَيْهِ عَلَى مَرْضَى قَلِيلِينَ فَشَفَاهُمْ. ٥ 5
और वह वहाँ कोई सामर्थ्य का काम न कर सका, केवल थोड़े बीमारों पर हाथ रखकर उन्हें चंगा किया।
وَتَعَجَّبَ مِنْ عَدَمِ إِيمَانِهِمْ. وَصَارَ يَطُوفُ ٱلْقُرَى ٱلْمُحِيطَةَ يُعَلِّمُ. ٦ 6
और उसने उनके अविश्वास पर आश्चर्य किया और चारों ओर से गाँवों में उपदेश करता फिरा।
وَدَعَا ٱلِٱثْنَيْ عَشَرَ وَٱبْتَدَأَ يُرْسِلُهُمُ ٱثْنَيْنِ ٱثْنَيْنِ، وَأَعْطَاهُمْ سُلْطَانًا عَلَى ٱلْأَرْوَاحِ ٱلنَّجِسَةِ، ٧ 7
और वह बारहों को अपने पास बुलाकर उन्हें दो-दो करके भेजने लगा; और उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया।
وَأَوْصَاهُمْ أَنْ لَا يَحْمِلُوا شَيْئًا لِلطَّرِيقِ غَيْرَ عَصًا فَقَطْ، لَا مِزْوَدًا وَلَا خُبْزًا وَلَا نُحَاسًا فِي ٱلْمِنْطَقَةِ. ٨ 8
और उसने उन्हें आज्ञा दी, कि “मार्ग के लिये लाठी छोड़ और कुछ न लो; न तो रोटी, न झोली, न पटुके में पैसे।
بَلْ يَكُونُوا مَشْدُودِينَ بِنِعَالٍ، وَلَا يَلْبَسُوا ثَوْبَيْنِ. ٩ 9
परन्तु जूतियाँ पहनो और दो-दो कुर्ते न पहनो।”
وَقَالَ لَهُمْ: «حَيْثُمَا دَخَلْتُمْ بَيْتًا فَأَقِيمُوا فِيهِ حَتَّى تَخْرُجُوا مِنْ هُنَاكَ. ١٠ 10
१०और उसने उनसे कहा, “जहाँ कहीं तुम किसी घर में उतरो, तो जब तक वहाँ से विदा न हो, तब तक उसी घर में ठहरे रहो।
وَكُلُّ مَنْ لَا يَقْبَلُكُمْ وَلَا يَسْمَعُ لَكُمْ، فَٱخْرُجُوا مِنْ هُنَاكَ وَٱنْفُضُوا ٱلتُّرَابَ ٱلَّذِي تَحْتَ أَرْجُلِكُمْ شَهَادَةً عَلَيْهِمْ. اَلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: سَتَكُونُ لِأَرْضِ سَدُومَ وَعَمُورَةَ يَوْمَ ٱلدِّينِ حَالَةٌ أَكْثَرُ ٱحْتِمَالًا مِمَّا لِتِلْكَ ٱلْمَدِينَةِ». ١١ 11
११जिस स्थान के लोग तुम्हें ग्रहण न करें, और तुम्हारी न सुनें, वहाँ से चलते ही अपने तलवों की धूल झाड़ डालो, कि उन पर गवाही हो।”
فَخَرَجُوا وَصَارُوا يَكْرِزُونَ أَنْ يَتُوبُوا. ١٢ 12
१२और उन्होंने जाकर प्रचार किया, कि मन फिराओ,
وَأَخْرَجُوا شَيَاطِينَ كَثِيرَةً، وَدَهَنُوا بِزَيْتٍ مَرْضَى كَثِيرِينَ فَشَفَوْهُمْ. ١٣ 13
१३और बहुत सी दुष्टात्माओं को निकाला, और बहुत बीमारों पर तेल मलकर उन्हें चंगा किया।
فَسَمِعَ هِيرُودُسُ ٱلْمَلِكُ، لِأَنَّ ٱسْمَهُ صَارَ مَشْهُورًا. وَقَالَ: «إِنَّ يُوحَنَّا ٱلْمَعْمَدَانَ قَامَ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ وَلِذَلِكَ تُعْمَلُ بِهِ ٱلْقُوَّاتُ». ١٤ 14
१४और हेरोदेस राजा ने उसकी चर्चा सुनी, क्योंकि उसका नाम फैल गया था, और उसने कहा, कि “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला मरे हुओं में से जी उठा है, इसलिए उससे ये सामर्थ्य के काम प्रगट होते हैं।”
قَالَ آخَرُونَ: «إِنَّهُ إِيلِيَّا». وَقَالَ آخَرُونَ: «إِنَّهُ نَبِيٌّ أَوْ كَأَحَدِ ٱلْأَنْبِيَاءِ». ١٥ 15
१५और औरों ने कहा, “यह एलिय्याह है”, परन्तु औरों ने कहा, “भविष्यद्वक्ता या भविष्यद्वक्ताओं में से किसी एक के समान है।”
وَلَكِنْ لَمَّا سَمِعَ هِيرُودُسُ قَالَ: «هَذَا هُوَ يُوحَنَّا ٱلَّذِي قَطَعْتُ أَنَا رَأْسَهُ. إِنَّهُ قَامَ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ!». ١٦ 16
१६हेरोदेस ने यह सुनकर कहा, “जिस यूहन्ना का सिर मैंने कटवाया था, वही जी उठा है।”
لِأَنَّ هِيرُودُسَ نَفْسَهُ كَانَ قَدْ أَرْسَلَ وَأَمْسَكَ يُوحَنَّا وَأَوْثَقَهُ فِي ٱلسِّجْنِ مِنْ أَجْلِ هِيرُودِيَّا ٱمْرَأَةِ فِيلُبُّسَ أَخِيهِ، إِذْ كَانَ قَدْ تَزَوَّجَ بِهَا. ١٧ 17
१७क्योंकि हेरोदेस ने आप अपने भाई फिलिप्पुस की पत्नी हेरोदियास के कारण, जिससे उसने विवाह किया था, लोगों को भेजकर यूहन्ना को पकड़वाकर बन्दीगृह में डाल दिया था।
لِأَنَّ يُوحَنَّا كَانَ يَقُولُ لِهِيرُودُسَ: «لَا يَحِلُّ أَنْ تَكُونَ لَكَ ٱمْرَأَةُ أَخِيكَ». ١٨ 18
१८क्योंकि यूहन्ना ने हेरोदेस से कहा था, “अपने भाई की पत्नी को रखना तुझे उचित नहीं।”
فَحَنِقَتْ هِيرُودِيَّا عَلَيْهِ، وَأَرَادَتْ أَنْ تَقْتُلَهُ وَلَمْ تَقْدِرْ، ١٩ 19
१९इसलिए हेरोदियास उससे बैर रखती थी और यह चाहती थी, कि उसे मरवा डाले, परन्तु ऐसा न हो सका,
لِأَنَّ هِيرُودُسَ كَانَ يَهَابُ يُوحَنَّا عَالِمًا أَنَّهُ رَجُلٌ بَارٌّ وَقِدِّيسٌ، وَكَانَ يَحْفَظُهُ. وَإِذْ سَمِعَهُ، فَعَلَ كَثِيرًا، وَسَمِعَهُ بِسُرُورٍ. ٢٠ 20
२०क्योंकि हेरोदेस यूहन्ना को धर्मी और पवित्र पुरुष जानकर उससे डरता था, और उसे बचाए रखता था, और उसकी सुनकर बहुत घबराता था, पर आनन्द से सुनता था।
وَإِذْ كَانَ يَوْمٌ مُوافِقٌ، لَمَّا صَنَعَ هِيرُودُسُ فِي مَوْلِدِهِ عَشَاءً لِعُظَمَائِهِ وَقُوَّادِ ٱلْأُلُوفِ وَوُجُوهِ ٱلْجَلِيلِ، ٢١ 21
२१और ठीक अवसर पर जब हेरोदेस ने अपने जन्मदिन में अपने प्रधानों और सेनापतियों, और गलील के बड़े लोगों के लिये भोज किया।
دَخَلَتِ ٱبْنَةُ هِيرُودِيَّا وَرَقَصَتْ، فَسَرَّتْ هِيرُودُسَ وَٱلْمُتَّكِئِينَ مَعَهُ. فَقَالَ ٱلْمَلِكُ لِلصَّبِيَّةِ: «مَهْمَا أَرَدْتِ ٱطْلُبِي مِنِّي فَأُعْطِيَكِ». ٢٢ 22
२२और उसी हेरोदियास की बेटी भीतर आई, और नाचकर हेरोदेस को और उसके साथ बैठनेवालों को प्रसन्न किया; तब राजा ने लड़की से कहा, “तू जो चाहे मुझसे माँग मैं तुझे दूँगा।”
وَأَقْسَمَ لَهَا أَنْ: «مَهْمَا طَلَبْتِ مِنِّي لَأُعْطِيَنَّكِ حَتَّى نِصْفَ مَمْلَكَتِي». ٢٣ 23
२३और उसने शपथ खाई, “मैं अपने आधे राज्य तक जो कुछ तू मुझसे माँगेगी मैं तुझे दूँगा।”
فَخَرَجَتْ وَقَالَتْ لِأُمِّهَا: «مَاذَا أَطْلُبُ؟». فَقَالَتْ: «رَأْسَ يُوحَنَّا ٱلْمَعْمَدَانِ». ٢٤ 24
२४उसने बाहर जाकर अपनी माता से पूछा, “मैं क्या माँगू?” वह बोली, “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर।”
فَدَخَلَتْ لِلْوَقْتِ بِسُرْعَةٍ إِلَى ٱلْمَلِكِ وَطَلَبَتْ قَائِلَةً: «أُرِيدُ أَنْ تُعْطِيَنِي حَالًا رَأْسَ يُوحَنَّا ٱلْمَعْمَدَانِ عَلَى طَبَقٍ». ٢٥ 25
२५वह तुरन्त राजा के पास भीतर आई, और उससे विनती की, “मैं चाहती हूँ, कि तू अभी यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर एक थाल में मुझे मँगवा दे।”
فَحَزِنَ ٱلْمَلِكُ جِدًّا. وَلِأَجْلِ ٱلْأَقْسَامِ وَٱلْمُتَّكِئِينَ لَمْ يُرِدْ أَنْ يَرُدَّهَا. ٢٦ 26
२६तब राजा बहुत उदास हुआ, परन्तु अपनी शपथ के कारण और साथ बैठनेवालों के कारण उसे टालना न चाहा।
فَلِلْوَقْتِ أَرْسَلَ ٱلْمَلِكُ سَيَّافًا وَأَمَرَ أَنْ يُؤْتَى بِرَأْسِهِ. ٢٧ 27
२७और राजा ने तुरन्त एक सिपाही को आज्ञा देकर भेजा, कि उसका सिर काट लाए।
فَمَضَى وَقَطَعَ رَأْسَهُ فِي ٱلسِّجْنِ. وَأَتَى بِرَأْسِهِ عَلَى طَبَقٍ وَأَعْطَاهُ لِلصَّبِيَّةِ، وَٱلصَّبِيَّةُ أَعْطَتْهُ لِأُمِّهَا. ٢٨ 28
२८उसने जेलखाने में जाकर उसका सिर काटा, और एक थाल में रखकर लाया और लड़की को दिया, और लड़की ने अपनी माँ को दिया।
وَلَمَّا سَمِعَ تَلَامِيذُهُ، جَاءُوا وَرَفَعُوا جُثَّتَهُ وَوَضَعُوهَا فِي قَبْرٍ. ٢٩ 29
२९यह सुनकर उसके चेले आए, और उसके शव को उठाकर कब्र में रखा।
وَٱجْتَمَعَ ٱلرُّسُلُ إِلَى يَسُوعَ وَأَخْبَرُوهُ بِكُلِّ شَيْءٍ، كُلِّ مَا فَعَلُوا وَكُلِّ مَا عَلَّمُوا. ٣٠ 30
३०प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे होकर, जो कुछ उन्होंने किया, और सिखाया था, सब उसको बता दिया।
فَقَالَ لَهُمْ: «تَعَالَوْا أَنْتُمْ مُنْفَرِدِينَ إِلَى مَوْضِعٍ خَلَاءٍ وَٱسْتَرِيحُوا قَلِيلًا». لِأَنَّ ٱلْقَادِمِينَ وَٱلذَّاهِبِينَ كَانُوا كَثِيرِينَ، وَلَمْ تَتَيَسَّرْ لَهُمْ فُرْصَةٌ لِلْأَكْلِ. ٣١ 31
३१उसने उनसे कहा, “तुम आप अलग किसी एकान्त स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो।” क्योंकि बहुत लोग आते-जाते थे, और उन्हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था।
فَمَضَوْا فِي ٱلسَّفِينَةِ إِلَى مَوْضِعٍ خَلَاءٍ مُنْفَرِدِينَ. ٣٢ 32
३२इसलिए वे नाव पर चढ़कर, सुनसान जगह में अलग चले गए।
فَرَآهُمُ ٱلْجُمُوعُ مُنْطَلِقِينَ، وَعَرَفَهُ كَثِيرُونَ. فَتَرَاكَضُوا إِلَى هُنَاكَ مِنْ جَمِيعِ ٱلْمُدُنِ مُشَاةً، وَسَبَقُوهُمْ وَٱجْتَمَعُوا إِلَيْهِ. ٣٣ 33
३३और बहुतों ने उन्हें जाते देखकर पहचान लिया, और सब नगरों से इकट्ठे होकर वहाँ पैदल दौड़े और उनसे पहले जा पहुँचे।
فَلَمَّا خَرَجَ يَسُوعُ رَأَى جَمْعًا كَثِيرًا، فَتَحَنَّنَ عَلَيْهِمْ إِذْ كَانُوا كَخِرَافٍ لَا رَاعِيَ لَهَا، فَٱبْتَدَأَ يُعَلِّمُهُمْ كَثِيرًا. ٣٤ 34
३४उसने उतरकर बड़ी भीड़ देखी, और उन पर तरस खाया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान थे, जिनका कोई रखवाला न हो; और वह उन्हें बहुत सी बातें सिखाने लगा।
وَبَعْدَ سَاعَاتٍ كَثِيرَةٍ تَقَدَّمَ إِلَيْهِ تَلَامِيذُهُ قَائِلِينَ: «ٱلْمَوْضِعُ خَلَاءٌ وَٱلْوَقْتُ مَضَى. ٣٥ 35
३५जब दिन बहुत ढल गया, तो उसके चेले उसके पास आकर कहने लगे, “यह सुनसान जगह है, और दिन बहुत ढल गया है।
اِصْرِفْهُمْ لِكَيْ يَمْضُوا إِلَى ٱلضِّيَاعِ وَٱلْقُرَى حَوَالَيْنَا وَيَبْتَاعُوا لَهُمْ خُبْزًا، لِأَنْ لَيْسَ عِنْدَهُمْ مَا يَأْكُلُونَ». ٣٦ 36
३६उन्हें विदा कर, कि चारों ओर के गाँवों और बस्तियों में जाकर, अपने लिये कुछ खाने को मोल लें।”
فَأَجَابَ وَقَالَ لَهُمْ: «أَعْطُوهُمْ أَنْتُمْ لِيَأْكُلُوا». فَقَالُوا لَهُ: «أَنَمْضِي وَنَبْتَاعُ خُبْزًا بِمِئَتَيْ دِينَارٍ وَنُعْطِيَهُمْ لِيَأْكُلُوا؟». ٣٧ 37
३७उसने उन्हें उत्तर दिया, “तुम ही उन्हें खाने को दो।” उन्होंने उससे कहा, “क्या हम दो सौ दीनार की रोटियाँ मोल लें, और उन्हें खिलाएँ?”
فَقَالَ لَهُمْ: «كَمْ رَغِيفًا عِنْدَكُمُ؟ ٱذْهَبُوا وَٱنْظُرُوا». وَلَمَّا عَلِمُوا قَالُوا: «خَمْسَةٌ وَسَمَكَتَانِ». ٣٨ 38
३८उसने उनसे कहा, “जाकर देखो तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?” उन्होंने मालूम करके कहा, “पाँच रोटी और दो मछली भी।”
فَأَمَرَهُمْ أَنْ يَجْعَلُوا ٱلْجَمِيعَ يَتَّكِئُونَ رِفَاقًا رِفَاقًا عَلَى ٱلْعُشْبِ ٱلْأَخْضَرِ. ٣٩ 39
३९तब उसने उन्हें आज्ञा दी, कि सब को हरी घास पर समूह में बैठा दो।
فَاتَّكَأُوا صُفُوفًا صُفُوفًا: مِئَةً مِئَةً وَخَمْسِينَ خَمْسِينَ. ٤٠ 40
४०वे सौ-सौ और पचास-पचास करके समूह में बैठ गए।
فَأَخَذَ ٱلْأَرْغِفَةَ ٱلْخَمْسَةَ وَٱلسَّمَكَتَيْنِ، وَرَفَعَ نَظَرَهُ نَحْوَ ٱلسَّمَاءِ، وَبَارَكَ ثُمَّ كَسَّرَ ٱلْأَرْغِفَةَ، وَأَعْطَى تَلَامِيذَهُ لِيُقَدِّمُوا إِلَيْهِمْ، وَقَسَّمَ ٱلسَّمَكَتَيْنِ لِلْجَمِيعِ، ٤١ 41
४१और उसने उन पाँच रोटियों को और दो मछलियों को लिया, और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियाँ तोड़-तोड़कर चेलों को देता गया, कि वे लोगों को परोसें, और वे दो मछलियाँ भी उन सब में बाँट दीं।
فَأَكَلَ ٱلْجَمِيعُ وَشَبِعُوا. ٤٢ 42
४२और सब खाकर तृप्त हो गए,
ثُمَّ رَفَعُوا مِنَ ٱلْكِسَرِ ٱثْنَتَيْ عَشْرَةَ قُفَّةً مَمْلُوَّةً، وَمِنَ ٱلسَّمَكِ. ٤٣ 43
४३और उन्होंने टुकड़ों से बारह टोकरियाँ भरकर उठाई, और कुछ मछलियों से भी।
وَكَانَ ٱلَّذِينَ أَكَلُوا مِنَ ٱلْأَرْغِفَةِ نَحْوَ خَمْسَةِ آلَافِ رَجُلٍ. ٤٤ 44
४४जिन्होंने रोटियाँ खाई, वे पाँच हजार पुरुष थे।
وَلِلْوَقْتِ أَلْزَمَ تَلَامِيذَهُ أَنْ يَدْخُلُوا ٱلسَّفِينَةَ وَيَسْبِقُوا إِلَى ٱلْعَبْرِ، إِلَى بَيْتِ صَيْدَا، حَتَّى يَكُونَ قَدْ صَرَفَ ٱلْجَمْعَ. ٤٥ 45
४५तब उसने तुरन्त अपने चेलों को विवश किया कि वे नाव पर चढ़कर उससे पहले उस पार बैतसैदा को चले जाएँ, जब तक कि वह लोगों को विदा करे।
وَبَعْدَمَا وَدَّعَهُمْ مَضَى إِلَى ٱلْجَبَلِ لِيُصَلِّيَ. ٤٦ 46
४६और उन्हें विदा करके पहाड़ पर प्रार्थना करने को गया।
وَلَمَّا صَارَ ٱلْمَسَاءُ كَانَتِ ٱلسَّفِينَةُ فِي وَسْطِ ٱلْبَحْرِ، وَهُوَ عَلَى ٱلْبَرِّ وَحْدَهُ. ٤٧ 47
४७और जब साँझ हुई, तो नाव झील के बीच में थी, और वह अकेला भूमि पर था।
وَرَآهُمْ مُعَذَّبِينَ فِي ٱلْجَذْفِ، لِأَنَّ ٱلرِّيحَ كَانَتْ ضِدَّهُمْ. وَنَحْوَ ٱلْهَزِيعِ ٱلرَّابِعِ مِنَ ٱللَّيْلِ أَتَاهُمْ مَاشِيًا عَلَى ٱلْبَحْرِ، وَأَرَادَ أَنْ يَتَجَاوَزَهُمْ. ٤٨ 48
४८और जब उसने देखा, कि वे खेते-खेते घबरा गए हैं, क्योंकि हवा उनके विरुद्ध थी, तो रात के चौथे पहर के निकट वह झील पर चलते हुए उनके पास आया; और उनसे आगे निकल जाना चाहता था।
فَلَمَّا رَأَوْهُ مَاشِيًا عَلَى ٱلْبَحْرِ ظَنُّوهُ خَيَالًا، فَصَرَخُوا. ٤٩ 49
४९परन्तु उन्होंने उसे झील पर चलते देखकर समझा, कि भूत है, और चिल्ला उठे,
لِأَنَّ ٱلْجَمِيعَ رَأَوْهُ وَٱضْطَرَبُوا. فَلِلْوَقْتِ كَلَّمَهُمْ وَقَالَ لَهُمْ: «ثِقُوا! أَنَا هُوَ. لَا تَخَافُوا». ٥٠ 50
५०क्योंकि सब उसे देखकर घबरा गए थे। पर उसने तुरन्त उनसे बातें की और कहा, “धैर्य रखो: मैं हूँ; डरो मत।”
فَصَعِدَ إِلَيْهِمْ إِلَى ٱلسَّفِينَةِ فَسَكَنَتِ ٱلرِّيحُ، فَبُهِتُوا وَتَعَجَّبُوا فِي أَنْفُسِهِمْ جِدًّا إِلَى ٱلْغَايَةِ، ٥١ 51
५१तब वह उनके पास नाव पर आया, और हवा थम गई: वे बहुत ही आश्चर्य करने लगे।
لِأَنَّهُمْ لَمْ يَفْهَمُوا بِٱلْأَرْغِفَةِ إِذْ كَانَتْ قُلُوبُهُمْ غَلِيظَةً. ٥٢ 52
५२क्योंकि वे उन रोटियों के विषय में न समझे थे परन्तु उनके मन कठोर हो गए थे।
فَلَمَّا عَبَرُوا جَاءُوا إِلَى أَرْضِ جَنِّيسَارَتَ وَأَرْسَوْا. ٥٣ 53
५३और वे पार उतरकर गन्नेसरत में पहुँचे, और नाव घाट पर लगाई।
وَلَمَّا خَرَجُوا مِنَ ٱلسَّفِينَةِ لِلْوَقْتِ عَرَفُوهُ. ٥٤ 54
५४और जब वे नाव पर से उतरे, तो लोग तुरन्त उसको पहचानकर,
فَطَافُوا جَمِيعَ تِلْكَ ٱلْكُورَةِ ٱلْمُحِيطَةِ، وَٱبْتَدَأُوا يَحْمِلُونَ ٱلْمَرْضَى عَلَى أَسِرَّةٍ إِلَى حَيْثُ سَمِعُوا أَنَّهُ هُنَاكَ. ٥٥ 55
५५आस-पास के सारे देश में दौड़े, और बीमारों को खाटों पर डालकर, जहाँ-जहाँ समाचार पाया कि वह है, वहाँ-वहाँ लिए फिरे।
وَحَيْثُمَا دَخَلَ إِلَى قُرىً أَوْ مُدُنٍ أَوْ ضِيَاعٍ، وَضَعُوا ٱلْمَرْضَى فِي ٱلْأَسْوَاقِ، وَطَلَبُوا إِلَيْهِ أَنْ يَلْمِسُوا وَلَوْ هُدْبَ ثَوْبِهِ. وَكُلُّ مَنْ لَمَسَهُ شُفِيَ. ٥٦ 56
५६और जहाँ कहीं वह गाँवों, नगरों, या बस्तियों में जाता था, तो लोग बीमारों को बाजारों में रखकर उससे विनती करते थे, कि वह उन्हें अपने वस्त्र के आँचल ही को छू लेने दे: और जितने उसे छूते थे, सब चंगे हो जाते थे।

< مَرْقُس 6 >