< مَرْقُس 10 >
وَقَامَ مِنْ هُنَاكَ وَجَاءَ إِلَى تُخُومِ ٱلْيَهُودِيَّةِ مِنْ عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ. فَٱجْتَمَعَ إِلَيْهِ جُمُوعٌ أَيْضًا، وَكَعَادَتِهِ كَانَ أَيْضًا يُعَلِّمُهُمْ. | ١ 1 |
फिर वो वहाँ से उठ कर यहूदिया की सरहदों में और यरदन के पार आया और भीड़ उसके पास फिर जमा हो गई और वो अपने दस्तूर के मुवाफ़िक़ फिर उनको ता'लीम देने लगा।
فَتَقَدَّمَ ٱلْفَرِّيسِيُّونَ وَسَأَلُوهُ: «هَلْ يَحِلُّ لِلرَّجُلِ أَنْ يُطَلِّقَ ٱمْرَأَتَهُ؟». لِيُجَرِّبُوهُ. | ٢ 2 |
और फ़रीसियों ने पास आकर उसे आज़माने के लिए उससे पूछा, “क्या ये जायज़ है कि मर्द अपनी बीवी को छोड़ दे?”
فَأَجَابَ وَقَالَ لَهُمْ: «بِمَاذَا أَوْصَاكُمْ مُوسَى؟». | ٣ 3 |
उसने जवाब में कहा, “मूसा ने तुम को क्या हुक्म दिया है?”
فَقَالُوا: «مُوسَى أَذِنَ أَنْ يُكْتَبَ كِتَابُ طَلَاقٍ، فَتُطَلَّقُ». | ٤ 4 |
उन्हों ने कहा, “मूसा ने तो इजाज़त दी है कि तलाक़ नामा लिख कर छोड़ दें?”
فَأَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُمْ: «مِنْ أَجْلِ قَسَاوَةِ قُلُوبِكُمْ كَتَبَ لَكُمْ هَذِهِ ٱلْوَصِيَّةَ، | ٥ 5 |
मगर ईसा ने उनसे कहा, “उस ने तुम्हारी सख़्तदिली की वजह से तुम्हारे लिए ये हुक्म लिखा था।
وَلَكِنْ مِنْ بَدْءِ ٱلْخَلِيقَةِ، ذَكَرًا وَأُنْثَى خَلَقَهُمَا ٱللهُ. | ٦ 6 |
लेकिन पैदाइश के शुरू से उसने उन्हें मर्द और औरत बनाया।
مِنْ أَجْلِ هَذَا يَتْرُكُ ٱلرَّجُلُ أَبَاهُ وَأُمَّهُ وَيَلْتَصِقُ بِٱمْرَأَتِهِ، | ٧ 7 |
इस लिए मर्द अपने — बाप से और माँ से जुदा हो कर अपनी बीवी के साथ रहेगा।
وَيَكُونُ ٱلِٱثْنَانِ جَسَدًا وَاحِدًا. إِذًا لَيْسَا بَعْدُ ٱثْنَيْنِ بَلْ جَسَدٌ وَاحِدٌ. | ٨ 8 |
और वो और उसकी बीवी दोनों एक जिस्म होंगे’ पस वो दो नहीं बल्कि एक जिस्म हैं।
فَٱلَّذِي جَمَعَهُ ٱللهُ لَا يُفَرِّقْهُ إِنْسَانٌ». | ٩ 9 |
इसलिए जिसे ख़ुदा ने जोड़ा है उसे आदमी जुदा न करे।”
ثُمَّ فِي ٱلْبَيْتِ سَأَلَهُ تَلَامِيذُهُ أَيْضًا عَنْ ذَلِكَ، | ١٠ 10 |
और घर में शागिर्दों ने उससे इसके बारे में फिर पूछा।
فَقَالَ لَهُمْ: «مَنْ طَلَّقَ ٱمْرَأَتَهُ وَتَزَوَّجَ بِأُخْرَى يَزْنِي عَلَيْهَا. | ١١ 11 |
उसने उनसे कहा “जो कोई अपनी बीवी को छोड़ दे और दूसरी से शादी करे वो उस पहली के बरख़िलाफ़ ज़िना करता है।
وَإِنْ طَلَّقَتِ ٱمْرَأَةٌ زَوْجَهَا وَتَزَوَّجَتْ بِآخَرَ تَزْنِي». | ١٢ 12 |
और अगर औरत अपने शौहर को छोड़ दे और दूसरे से शादी करे तो ज़िना करती है।”
وَقَدَّمُوا إِلَيْهِ أَوْلَادًا لِكَيْ يَلْمِسَهُمْ. وَأَمَّا ٱلتَّلَامِيذُ فَٱنْتَهَرُوا ٱلَّذِينَ قَدَّمُوهُمْ. | ١٣ 13 |
फिर लोग बच्चों को उसके पास लाने लगे ताकि वो उनको छुए मगर शगिर्दों ने उनको झिड़का।
فَلَمَّا رَأَى يَسُوعُ ذَلِكَ ٱغْتَاظَ وَقَالَ لَهُمْ: «دَعُوا ٱلْأَوْلَادَ يَأْتُونَ إِلَيَّ وَلَا تَمْنَعُوهُمْ، لِأَنَّ لِمِثْلِ هَؤُلَاءِ مَلَكُوتَ ٱللهِ. | ١٤ 14 |
ईसा ये देख कर ख़फ़ा हुआ और उन से कहा “बच्चों को मेरे पास आने दो उन को मनह न करो क्यूँकि ख़ुदा की बादशाही ऐसों ही की है
اَلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: مَنْ لَا يَقْبَلُ مَلَكُوتَ ٱللهِ مِثْلَ وَلَدٍ فَلَنْ يَدْخُلَهُ». | ١٥ 15 |
मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो कोई ख़ुदा की बादशाही को बच्चे की तरह क़ुबूल न करे वो उस में हरगिज़ दाख़िल नहीं होगा।”
فَٱحْتَضَنَهُمْ وَوَضَعَ يَدَيْهِ عَلَيْهِمْ وَبَارَكَهُمْ. | ١٦ 16 |
फिर उसने उन्हें अपनी गोद में लिया और उन पर हाथ रखकर उनको बर्क़त दी।
وَفِيمَا هُوَ خَارِجٌ إِلَى ٱلطَّرِيقِ، رَكَضَ وَاحِدٌ وَجَثَا لَهُ وَسَأَلَهُ: «أَيُّهَا ٱلْمُعَلِّمُ ٱلصَّالِحُ، مَاذَا أَعْمَلُ لِأَرِثَ ٱلْحَيَاةَ ٱلْأَبَدِيَّةَ؟». (aiōnios ) | ١٧ 17 |
जब वो बाहर निकल कर रास्ते में जा रहा था तो एक शख़्स दौड़ता हुआ उसके पास आया और उसके आगे घुटने टेक कर उससे पूछने लगा “ऐ नेक उस्ताद; में क्या करूँ कि हमेशा की ज़िन्दगी का वारिस बनूँ?” (aiōnios )
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «لِمَاذَا تَدْعُونِي صَالِحًا؟ لَيْسَ أَحَدٌ صَالِحًا إِلَّا وَاحِدٌ وَهُوَ ٱللهُ. | ١٨ 18 |
ईसा ने उससे कहा “तू मुझे क्यूँ नेक कहता है? कोई नेक नहीं मगर एक या'नी ख़ुदा।
أَنْتَ تَعْرِفُ ٱلْوَصَايَا: لَا تَزْنِ. لَا تَقْتُلْ. لَا تَسْرِقْ. لَا تَشْهَدْ بِٱلزُّورِ. لَا تَسْلُبْ. أَكْرِمْ أَبَاكَ وَأُمَّكَ». | ١٩ 19 |
तू हुक्मों को तो जानता है ख़ून न कर, चोरी न कर, झूठी गवाही न दे, धोखा देकर नुक़्सान न कर, अपने बाप की और माँ की इज़्ज़त कर।”
فَأَجَابَ وَقَالَ لَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، هَذِهِ كُلُّهَا حَفِظْتُهَا مُنْذُ حَدَاثَتِي». | ٢٠ 20 |
उसने उससे कहा “ऐ उस्ताद मैंने बचपन से इन सब पर अमल किया है।”
فَنَظَرَ إِلَيْهِ يَسُوعُ وَأَحَبَّهُ، وَقَالَ لَهُ: «يُعْوِزُكَ شَيْءٌ وَاحِدٌ: اِذْهَبْ بِعْ كُلَّ مَا لَكَ وَأَعْطِ ٱلْفُقَرَاءَ، فَيَكُونَ لَكَ كَنْزٌ فِي ٱلسَّمَاءِ، وَتَعَالَ ٱتْبَعْنِي حَامِلًا ٱلصَّلِيبَ». | ٢١ 21 |
ईसा ने उसको देखा और उसे उस पर प्यार आया, और उससे कहा, “एक बात की तुझ में कमी है; जा, जो कुछ तेरा है बेच कर ग़रीबों को दे, तुझे आसमान पर ख़ज़ाना मिलेगा और आकर मेरे पीछे हो ले।”
فَٱغْتَمَّ عَلَى ٱلْقَوْلِ وَمَضَى حَزِينًا، لِأَنَّهُ كَانَ ذَا أَمْوَالٍ كَثِيرَةٍ. | ٢٢ 22 |
इस बात से उसके चहरे पर उदासी छा गई, और वो ग़मगीन हो कर चला गया; क्यूँकि बड़ा मालदार था।
فَنَظَرَ يَسُوعُ حَوْلَهُ وَقَالَ لِتَلَامِيذِهِ: «مَا أَعْسَرَ دُخُولَ ذَوِي ٱلْأَمْوَالِ إِلَى مَلَكُوتِ ٱللهِ!». | ٢٣ 23 |
फिर ईसा ने चारों तरफ़ नज़र करके अपने शागिर्दों से कहा, “दौलतमन्द का ख़ुदा की बादशाही में दाख़िल होना कैसा मुश्किल है।”
فَتَحَيَّرَ ٱلتَّلَامِيذُ مِنْ كَلَامِهِ. فَأَجَابَ يَسُوعُ أَيْضًا وَقَالَ لَهُمْ: «يَا بَنِيَّ، مَا أَعْسَرَ دُخُولَ ٱلْمُتَّكِلِينَ عَلَى ٱلْأَمْوَالِ إِلَى مَلَكُوتِ ٱللهِ! | ٢٤ 24 |
शागिर्द उस की बातों से हैरान हुए ईसा ने फिर जवाब में उनसे कहा, “बच्चो जो लोग दौलत पर भरोसा रखते हैं उन के लिए ख़ुदा की बादशाही में दाख़िल होना क्या ही मुश्किल है।
مُرُورُ جَمَلٍ مِنْ ثَقْبِ إِبْرَةٍ أَيْسَرُ مِنْ أَنْ يَدْخُلَ غَنِيٌّ إِلَى مَلَكُوتِ ٱللهِ». | ٢٥ 25 |
ऊँट का सूई के नाके में से गुज़र जाना इस से आसान है कि दौलतमन्द ख़ुदा की बादशाही में दाख़िल हो।”
فَبُهِتُوا إِلَى ٱلْغَايَةِ قَائِلِينَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «فَمَنْ يَسْتَطِيعُ أَنْ يَخْلُصَ؟». | ٢٦ 26 |
वो निहायत ही हैरान हो कर उस से कहने लगे, “फिर कौन नजात पा सकता है?”
فَنَظَرَ إِلَيْهِمْ يَسُوعُ وَقَالَ: «عِنْدَ ٱلنَّاسِ غَيْرُ مُسْتَطَاعٍ، وَلَكِنْ لَيْسَ عِنْدَ ٱللهِ، لِأَنَّ كُلَّ شَيْءٍ مُسْتَطَاعٌ عِنْدَ ٱللهِ». | ٢٧ 27 |
ईसा ने उनकी तरफ़ नज़र करके कहा, “ये आदमियों से तो नहीं हो सकता लेकिन ख़ुदा से हो सकता है क्यूँकि ख़ुदा से सब कुछ हो सकता है।”
وَٱبْتَدَأَ بُطْرُسُ يَقُولُ لَهُ: «هَا نَحْنُ قَدْ تَرَكْنَا كُلَّ شَيْءٍ وَتَبِعْنَاكَ». | ٢٨ 28 |
पतरस उस से कहने लगा “देख हम ने तो सब कुछ छोड़ दिया और तेरे पीछे हो लिए हैं।”
فَأَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ: «ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: لَيْسَ أَحَدٌ تَرَكَ بَيْتًا أَوْ إِخْوَةً أَوْ أَخَوَاتٍ أَوْ أَبًا أَوْ أُمًّا أَوِ ٱمْرَأَةً أَوْ أَوْلَادًا أَوْ حُقُولًا، لِأَجْلِي وَلِأَجْلِ ٱلْإِنْجِيلِ، | ٢٩ 29 |
ईसा ने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि ऐसा कोई नहीं जिसने घर या भाइयों या बहनों या माँ बाप या बच्चों या खेतों को मेरी ख़ातिर और इन्जील की ख़ातिर छोड़ दिया हो।
إِلَّا وَيَأْخُذُ مِئَةَ ضِعْفٍ ٱلْآنَ فِي هَذَا ٱلزَّمَانِ، بُيُوتًا وَإِخْوَةً وَأَخَوَاتٍ وَأُمَّهَاتٍ وَأَوْلَادًا وَحُقُولًا، مَعَ ٱضْطِهَادَاتٍ، وَفِي ٱلدَّهْرِ ٱلْآتِي ٱلْحَيَاةَ ٱلْأَبَدِيَّةَ. (aiōn , aiōnios ) | ٣٠ 30 |
और अब इस ज़माने में सौ गुना न पाए घर और भाई और बहनें और माँए और बच्चे और खेत मगर ज़ुल्म के साथ और आने वाले आलम में हमेशा की ज़िन्दगी। (aiōn , aiōnios )
وَلَكِنْ كَثِيرُونَ أَوَّلُونَ يَكُونُونَ آخِرِينَ، وَٱلْآخِرُونَ أَوَّلِينَ». | ٣١ 31 |
लेकिन बहुत से अव्वल आख़िर हो जाएँगे और आख़िर अव्वल।”
وَكَانُوا فِي ٱلطَّرِيقِ صَاعِدِينَ إِلَى أُورُشَلِيمَ وَيَتَقَدَّمُهُمْ يَسُوعُ، وَكَانُوا يَتَحَيَّرُونَ. وَفِيمَا هُمْ يَتْبَعُونَ كَانُوا يَخَافُونَ. فَأَخَذَ ٱلِٱثْنَيْ عَشَرَ أَيْضًا وَٱبْتَدَأَ يَقُولُ لَهُمْ عَمَّا سَيَحْدُثُ لَهُ: | ٣٢ 32 |
और वो येरूशलेम को जाते हुए रास्ते में थे और ईसा उनके आगे जा रहा था वो हैरान होने लगे और जो पीछे पीछे चलते थे डरने लगे पस वो फिर उन बारह को साथ लेकर उनको वो बातें बताने लगा जो उस पर आने वाली थीं,
«هَا نَحْنُ صَاعِدُونَ إِلَى أُورُشَلِيمَ، وَٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ يُسَلَّمُ إِلَى رُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْكَتَبَةِ، فَيَحْكُمُونَ عَلَيْهِ بِٱلْمَوْتِ، وَيُسَلِّمُونَهُ إِلَى ٱلْأُمَمِ، | ٣٣ 33 |
“देखो हम येरूशलेम को जाते हैं और इब्न — ए आदम सरदार काहिनों फ़क़ीहों के हवाले किया जाएगा, और वो उसके क़त्ल का हुक्म देंगे और उसे ग़ैर क़ौमों के हवाले करेंगे।
فَيَهْزَأُونَ بِهِ وَيَجْلِدُونَهُ وَيَتْفُلُونَ عَلَيْهِ وَيَقْتُلُونَهُ، وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ يَقُومُ». | ٣٤ 34 |
और वो उसे ठठ्ठों में उड़ाएँगे और उस पर थूकेंगे और उसे कोड़े मारेंगे और क़त्ल करेंगे और वो तीन दिन के बाद जी उठेगा।”
وَتَقَدَّمَ إِلَيْهِ يَعْقُوبُ وَيُوحَنَّا ٱبْنَا زَبْدِي قَائِلَيْنِ: «يَا مُعَلِّمُ، نُرِيدُ أَنْ تَفْعَلَ لَنَا كُلَّ مَا طَلَبْنَا». | ٣٥ 35 |
तब ज़ब्दी के बेटों या'क़ूब और यूहन्ना ने उसके पास आकर उससे कहा “ऐ उस्ताद हम चाहते हैं कि जिस बात की हम तुझ से दरख़्वास्त करें तू हमारे लिए करे।”
فَقَالَ لَهُمَا: «مَاذَا تُرِيدَانِ أَنْ أَفْعَلَ لَكُمَا؟». | ٣٦ 36 |
उसने उनसे कहा “तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिए करूँ?”
فَقَالَا لَهُ: «أَعْطِنَا أَنْ نَجْلِسَ وَاحِدٌ عَنْ يَمِينِكَ وَٱلْآخَرُ عَنْ يَسَارِكَ فِي مَجْدِكَ». | ٣٧ 37 |
उन्होंने उससे कहा “हमारे लिए ये कर कि तेरे जलाल में हम में से एक तेरी दाहिनी और एक बाईं तरफ़ बैठे।”
فَقَالَ لَهُمَا يَسُوعُ: «لَسْتُمَا تَعْلَمَانِ مَا تَطْلُبَانِ. أَتَسْتَطِيعَانِ أَنْ تَشْرَبَا ٱلْكَأْسَ ٱلَّتِي أَشْرَبُهَا أَنَا، وَأَنْ تَصْطَبِغَا بِٱلصِّبْغَةِ ٱلَّتِي أَصْطَبغُ بِهَا أَنَا؟» | ٣٨ 38 |
ईसा ने उनसे कहा “तुम नहीं जानते कि क्या माँगते हो? जो प्याला में पीने को हूँ क्या तुम पी सकते हो? और जो बपतिस्मा में लेने को हूँ तुम ले सकते हो?”
فَقَالَا لَهُ: «نَسْتَطِيعُ». فَقَالَ لَهُمَا يَسُوعُ: «أَمَّا ٱلْكَأْسُ ٱلَّتِي أَشْرَبُهَا أَنَا فَتَشْرَبَانِهَا، وَبَالصِّبْغَةِ ٱلَّتِي أَصْطَبِغُ بِهَا أَنَا تَصْطَبِغَانِ. | ٣٩ 39 |
उन्होंने उससे कहा, “हम से हो सकता है।” ईसा ने उनसे कहा, “जो प्याला मैं पीने को हूँ तुम पियोगे? और जो बपतिस्मा मैं लेने को हूँ तुम लोगे।
وَأَمَّا ٱلْجُلُوسُ عَنْ يَمِينِي وَعَنْ يَسَارِي فَلَيْسَ لِي أَنْ أُعْطِيَهُ إِلَّا لِلَّذِينَ أُعِدَّ لَهُمْ». | ٤٠ 40 |
लेकिन अपनी दाहिनी या बाईं तरफ़ किसी को बिठा देना मेरा काम नहीं मगर जिन के लिए तैयार किया गया उन्हीं के लिए है।”
وَلَمَّا سَمِعَ ٱلْعَشَرَةُ ٱبْتَدَأُوا يَغْتَاظُونَ مِنْ أَجْلِ يَعْقُوبَ وَيُوحَنَّا. | ٤١ 41 |
जब उन दसों ने ये सुना तो या'क़ूब और यूहन्ना से ख़फ़ा होने लगे।
فَدَعَاهُمْ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُمْ: «أَنْتُمْ تَعْلَمُونَ أَنَّ ٱلَّذِينَ يُحْسَبُونَ رُؤَسَاءَ ٱلْأُمَمِ يَسُودُونَهُمْ، وَأَنَّ عُظَمَاءَهُمْ يَتَسَلَّطُونَ عَلَيْهِمْ. | ٤٢ 42 |
ईसा ने उन्हें पास बुलाकर उनसे कहा, “तुम जानते हो कि जो ग़ैर क़ौमों के सरदार समझे जाते हैं वो उन पर हुकूमत चलाते है और उनके अमीर उन पर इख़्तियार जताते हैं।
فَلَا يَكُونُ هَكَذَا فِيكُمْ. بَلْ مَنْ أَرَادَ أَنْ يَصِيرَ فِيكُمْ عَظِيمًا، يَكُونُ لَكُمْ خَادِمًا، | ٤٣ 43 |
मगर तुम में ऐसा कौन है बल्कि जो तुम में बड़ा होना चाहता है वो तुम्हारा ख़ादिम बने।
وَمَنْ أَرَادَ أَنْ يَصِيرَ فِيكُمْ أَوَّلًا، يَكُونُ لِلْجَمِيعِ عَبْدًا. | ٤٤ 44 |
और जो तुम में अव्वल होना चाहता है वो सब का ग़ुलाम बने।
لِأَنَّ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ أَيْضًا لَمْ يَأْتِ لِيُخْدَمَ بَلْ لِيَخْدِمَ وَلِيَبْذِلَ نَفْسَهُ فِدْيَةً عَنْ كَثِيرِينَ». | ٤٥ 45 |
क्यूँकि इब्न — ए आदम भी इसलिए नहीं आया कि ख़िदमत ले बल्कि इसलिए कि ख़िदमत करे और अपनी जान बहुतेरों के बदले फ़िदया में दे।”
وَجَاءُوا إِلَى أَرِيحَا. وَفِيمَا هُوَ خَارِجٌ مِنْ أَرِيحَا مَعَ تَلَامِيذِهِ وَجَمْعٍ غَفِيرٍ، كَانَ بَارْتِيمَاوُسُ ٱلْأَعْمَى ٱبْنُ تِيمَاوُسَ جَالِسًا عَلَى ٱلطَّرِيقِ يَسْتَعْطِي. | ٤٦ 46 |
और वो यरीहू में आए और जब वो और उसके शागिर्द और एक बड़ी भीड़ यरीहू से निकलती थी तो तिमाई का बेटा बरतिमाई अंधा फ़क़ीर रास्ते के किनारे बैठा हुआ था।
فَلَمَّا سَمِعَ أَنَّهُ يَسُوعُ ٱلنَّاصِرِيُّ، ٱبْتَدَأَ يَصْرُخُ وَيَقُولُ: «يَا يَسُوعُ ٱبْنَ دَاوُدَ، ٱرْحَمْنِي!» | ٤٧ 47 |
और ये सुनकर कि ईसा नासरी है चिल्ला चिल्लाकर कहने लगा, ऐ इब्न — “ए दाऊद ऐ ईसा मुझ पर रहम कर!”
فَٱنْتَهَرَهُ كَثِيرُونَ لِيَسْكُتَ، فَصَرَخَ أَكْثَرَ كَثِيرًا: «يَا ٱبْنَ دَاوُدَ، ٱرْحَمْنِي!». | ٤٨ 48 |
और बहुतों ने उसे डाँटा कि चुप रह, मगर वो और ज़्यादा चिल्लाया, “ऐ इब्न — ए दाऊद मुझ पर रहम कर!”
فَوَقَفَ يَسُوعُ وَأَمَرَ أَنْ يُنَادَى. فَنَادَوْا ٱلْأَعْمَى قَائِلِينَ لَهُ: «ثِقْ! قُمْ! هُوَذَا يُنَادِيكَ». | ٤٩ 49 |
ईसा ने खड़े होकर कहा, “उसे बुलाओ।” पस उन्हों ने उस अंधे को ये कह कर बुलाया, कि “इत्मीनान रख। उठ, वो तुझे बुलाता है।”
فَطَرَحَ رِدَاءَهُ وَقَامَ وَجَاءَ إِلَى يَسُوعَ. | ٥٠ 50 |
वो अपना चोग़ा फेंक कर उछल पड़ा और ईसा के पास आया।
فَأَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُ: «مَاذَا تُرِيدُ أَنْ أَفْعَلَ بِكَ؟» فَقَالَ لَهُ ٱلْأَعْمَى: «يَا سَيِّدِي، أَنْ أُبْصِرَ!». | ٥١ 51 |
ईसा ने उस से कहा, “तू क्या चाहता है कि मैं तेरे लिए करूँ?” अंधे ने उससे कहा, “ऐ रब्बूनी, ये कि मैं देखने लगूं।”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «ٱذْهَبْ. إِيمَانُكَ قَدْ شَفَاكَ». فَلِلْوَقْتِ أَبْصَرَ، وَتَبِعَ يَسُوعَ فِي ٱلطَّرِيقِ. | ٥٢ 52 |
ईसा ने उस से कहा “जा तेरे ईमान ने तुझे अच्छा कर दिया” और वो फ़ौरन देखने लगा और रास्ते में उसके पीछे हो लिया।