< لُوقا 21 >

وَتَطَلَّعَ فَرَأَى ٱلْأَغْنِيَاءَ يُلْقُونَ قَرَابِينَهُمْ فِي ٱلْخِزَانَةِ، ١ 1
ईसा ने नज़र उठा कर देखा, कि अमीर लोग अपने हदिए बैत — उल — मुक़द्दस के चन्दे के बक्से में डाल रहे हैं।
وَرَأَى أَيْضًا أَرْمَلَةً مِسْكِينَةً أَلْقَتْ هُنَاكَ فَلْسَيْنِ. ٢ 2
एक ग़रीब बेवा भी वहाँ से गुज़री जिस ने उस में ताँबे के दो मामूली से सिक्के डाल दिए।
فَقَالَ: «بِٱلْحَقِّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ هَذِهِ ٱلْأَرْمَلَةَ ٱلْفَقِيرَةَ أَلْقَتْ أَكْثَرَ مِنَ ٱلْجَمِيعِ، ٣ 3
ईसा ने कहा, “मैं तुम को सच बताता हूँ कि इस ग़रीब बेवा ने तमाम लोगों की निस्बत ज़्यादा डाला है।
لِأَنَّ هَؤُلَاءِ مِنْ فَضْلَتِهِمْ أَلْقَوْا فِي قَرَابِينِ ٱللهِ، وَأَمَّا هَذِهِ فَمِنْ إِعْوَازِهَا، أَلْقَتْ كُلَّ ٱلْمَعِيشَةِ ٱلَّتِي لَهَا». ٤ 4
क्यूँकि इन सब ने तो अपनी दौलत की कसरत से कुछ डाला जबकि इस ने ज़रूरत मन्द होने के बावजूद भी अपने गुज़ारे के सारे पैसे दे दिए हैं।”
وَإِذْ كَانَ قَوْمٌ يَقُولُونَ عَنِ ٱلْهَيْكَلِ إِنَّهُ مُزَيَّنٌ بِحِجَارَةٍ حَسَنَةٍ وَتُحَفٍ، قَالَ: ٥ 5
उस वक़्त कुछ लोग हैकल की तारीफ़ में कहने लगे कि वह कितने ख़ूबसूरत पत्थरों और मिन्नत के तोह्फ़ों से सज़ा हुआ है। यह सुन कर ईसा ने कहा,
«هَذِهِ ٱلَّتِي تَرَوْنَهَا، سَتَأْتِي أَيَّامٌ لَا يُتْرَكُ فِيهَا حَجَرٌ عَلَى حَجَرٍ لَا يُنْقَضُ». ٦ 6
“जो कुछ तुम को यहाँ नज़र आता है उस का पत्थर पर पत्थर नहीं रहेगा। आने वाले दिनों में सब कुछ ढा दिया जाएगा।”
فَسَأَلُوهُ قَائِلِينَ: «يَا مُعَلِّمُ، مَتَى يَكُونُ هَذَا؟ ومَا هِيَ ٱلْعَلَامَةُ عِنْدَمَا يَصِيرُ هَذَا؟». ٧ 7
उन्हों ने पूछा, “उस्ताद, यह कब होगा? क्या क्या नज़र आएगा जिस से मालूम हो कि यह अब होने को है?”
فَقَالَ: «ٱنْظُرُوا! لَا تَضِلُّوا. فَإِنَّ كَثِيرِينَ سَيَأْتُونَ بِٱسْمِي قَائِلِينَ: إِنِّي أَنَا هُوَ! وَٱلزَّمَانُ قَدْ قَرُبَ! فَلَا تَذْهَبُوا وَرَاءَهُمْ. ٨ 8
ईसा ने जवाब दिया, “ख़बरदार रहो कि कोई तुम्हें गुमराह न कर दे। क्यूँकि बहुत से लोग मेरा नाम ले कर आएँगे और कहेंगे, मैं ही मसीह हूँ’ और कि ‘वक़्त क़रीब आ चुका है।’ लेकिन उन के पीछे न लगना।
فَإِذَا سَمِعْتُمْ بِحُرُوبٍ وَقَلَاقِلٍ فَلَا تَجْزَعُوا، لِأَنَّهُ لَا بُدَّ أَنْ يَكُونَ هَذَا أَوَّلًا، وَلَكِنْ لَا يَكُونُ ٱلْمُنْتَهَى سَرِيعًا». ٩ 9
और जब जंगों और फ़ितनों की ख़बरें तुम तक पहुँचेगी तो मत घबराना। क्यूँकि ज़रूरी है कि यह सब कुछ पहले पेश आए। तो भी अभी आख़िरत न होगी।”
ثُمَّ قَالَ لَهُمْ: «تَقُومُ أُمَّةٌ عَلَى أُمَّةٍ وَمَمْلَكَةٌ عَلَى مَمْلَكَةٍ، ١٠ 10
उस ने अपनी बात जारी रखी, “एक क़ौम दूसरी के ख़िलाफ़ उठ खड़ी होगी, और एक बादशाही दूसरी के ख़िलाफ़।
وَتَكُونُ زَلَازِلُ عَظِيمَةٌ فِي أَمَاكِنَ، وَمَجَاعَاتٌ وَأَوْبِئَةٌ. وَتَكُونُ مَخَاوِفُ وَعَلَامَاتٌ عَظِيمَةٌ مِنَ ٱلسَّمَاءِ. ١١ 11
बहुत ज़ल्ज़ले आएँगे, जगह जगह काल पड़ेंगे और वबाई बीमारियाँ फैल जाएँगी। हैबतनाक वाक़िआत और आस्मान पर बड़े निशान देखने में आएँगे।
وَقَبْلَ هَذَا كُلِّهِ يُلْقُونَ أَيْدِيَهُمْ عَلَيْكُمْ وَيَطْرُدُونَكُمْ، وَيُسَلِّمُونَكُمْ إِلَى مَجَامِعَ وَسُجُونٍ، وَتُسَاقُونَ أَمَامَ مُلُوكٍ وَوُلَاةٍ لِأَجْلِ ٱسْمِي. ١٢ 12
लेकिन इन तमाम वाक़िआत से पहले लोग तुम को पकड़ कर सताएँगे। वह तुम को यहूदी इबादतख़ानों के हवाले करेंगे, क़ैदख़ानों में डलवाएँगे और बादशाहों और हुक्मरानों के सामने पेश करेंगे। और यह इस लिए होगा कि तुम मेरे पैरोकार हो।
فَيَؤُولُ ذَلِكَ لَكُمْ شَهَادَةً. ١٣ 13
नतीजे में तुम्हें मेरी गवाही देने का मौक़ा मिलेगा।
فَضَعُوا فِي قُلُوبِكُمْ أَنْ لَا تَهْتَمُّوا مِنْ قَبْلُ لِكَيْ تَحْتَجُّوا، ١٤ 14
लेकिन ठान लो, कि तुम पहले से अपनी फ़िक्र करने की तैयारी न करो,
لِأَنِّي أَنَا أُعْطِيكُمْ فَمًا وَحِكْمَةً لَا يَقْدِرُ جَمِيعُ مُعَانِدِيكُمْ أَنْ يُقَاوِمُوهَا أَوْ يُنَاقِضُوهَا. ١٥ 15
क्यूँकि मैं तुम को ऐसे अल्फ़ाज़ और हिक्मत अता करूँगा, कि तुम्हारे तमाम मुख़ालिफ़ न उस का मुक़ाबिला और न उस का जवाब दे सकेंगे।
وَسَوْفَ تُسَلَّمُونَ مِنَ ٱلْوَالِدِينَ وَٱلْإِخْوَةِ وَٱلْأَقْرِبَاءِ وَٱلْأَصْدِقَاءِ، وَيَقْتُلُونَ مِنْكُمْ. ١٦ 16
तुम्हारे वालिदैन, भाई, रिश्तेदार और दोस्त भी तुम को दुश्मन के हवाले कर देंगे, बल्कि तुम में से कुछ को क़त्ल किया जाएगा।
وَتَكُونُونَ مُبْغَضِينَ مِنَ ٱلْجَمِيعِ مِنْ أَجْلِ ٱسْمِي. ١٧ 17
सब तुम से नफ़रत करेंगे, इस लिए कि तुम मेरे मानने वाले हो।
وَلَكِنَّ شَعْرَةً مِنْ رُؤُوسِكُمْ لَا تَهْلِكُ. ١٨ 18
तो भी तुम्हारा एक बाल भी बांका नहीं होगा।
بِصَبْرِكُمُ ٱقْتَنُوا أَنْفُسَكُمْ. ١٩ 19
साबितक़दम रहने से ही तुम अपनी जान बचा लोगे।”
وَمَتَى رَأَيْتُمْ أُورُشَلِيمَ مُحَاطَةً بِجُيُوشٍ، فَحِينَئِذٍ ٱعْلَمُوا أَنَّهُ قَدِ ٱقْتَرَبَ خَرَابُهَا. ٢٠ 20
“जब तुम येरूशलेम को फ़ौजों से घिरा हुआ देखो तो जान लो, कि उस की तबाही क़रीब आ चुकी है।
حِينَئِذٍ لِيَهْرُبِ ٱلَّذِينَ فِي ٱلْيَهُودِيَّةِ إِلَى ٱلْجِبَالِ، وَٱلَّذِينَ فِي وَسْطِهَا فَلْيَفِرُّوا خَارِجًا، وَٱلَّذِينَ فِي ٱلْكُوَرِ فَلَا يَدْخُلُوهَا، ٢١ 21
उस वक़्त यहूदिया के रहनेवाले भाग कर पहाड़ी इलाक़े में पनाह लें। शहर के रहने वाले उस से निकल जाएँ और दिहात में आबाद लोग शहर में दाख़िल न हों।
لِأَنَّ هَذِهِ أَيَّامُ ٱنْتِقَامٍ، لِيَتِمَّ كُلُّ مَا هُوَ مَكْتُوبٌ. ٢٢ 22
क्यूँकि यह इलाही ग़ज़ब के दिन होंगे जिन में वह सब कुछ पूरा हो जाएगा जो कलाम — ए — मुक़द्दस में लिखा है।
وَوَيْلٌ لِلْحَبَالَى وَٱلْمُرْضِعَاتِ فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ! لِأَنَّهُ يَكُونُ ضِيقٌ عَظِيمٌ عَلَى ٱلْأَرْضِ وَسُخْطٌ عَلَى هَذَا ٱلشَّعْبِ. ٢٣ 23
उन औरतों पर अफ़्सोस जो उन दिनों में हामिला हों या अपने बच्चों को दूध पिलाती हों, क्यूँकि मुल्क में बहुत मुसीबत होगी और इस क़ौम पर ख़ुदा का ग़ज़ब नाज़िल होगा।
وَيَقَعُونَ بِفَمِ ٱلسَّيْفِ، وَيُسْبَوْنَ إِلَى جَمِيعِ ٱلْأُمَمِ، وَتَكُونُ أُورُشَلِيمُ مَدُوسَةً مِنَ ٱلْأُمَمِ، حَتَّى تُكَمَّلَ أَزْمِنَةُ ٱلْأُمَمِ. ٢٤ 24
लोग उन्हें तलवार से क़त्ल करेंगे और क़ैद करके तमाम ग़ैरयहूदी ममालिक में ले जाएँगे। ग़ैरयहूदी येरूशलेम को पाँव तले कुचल डालेंगे। यह सिलसिला उस वक़्त तक जारी रहेगा जब तक ग़ैरयहूदियों का दौर पूरा न हो जाए।“
«وَتَكُونُ عَلَامَاتٌ فِي ٱلشَّمْسِ وَٱلْقَمَرِ وَٱلنُّجُومِ، وَعَلَى ٱلْأَرْضِ كَرْبُ أُمَمٍ بحَيْرَةٍ. اَلْبَحْرُ وَٱلْأَمْوَاجُ تَضِجُّ، ٢٥ 25
”सूरज, चाँद और तारों में अजीब — ओ — ग़रीब निशान ज़ाहिर होंगे। क़ौमें समुन्दर के शोर और ठाठें मारने से हैरान — ओ — परेशान होंगी।
وَٱلنَّاسُ يُغْشَى عَلَيْهِمْ مِنْ خَوْفٍ وَٱنْتِظَارِ مَا يَأْتِي عَلَى ٱلْمَسْكُونَةِ، لِأَنَّ قُوَّاتِ ٱلسَّمَاوَاتِ تَتَزَعْزَعُ. ٢٦ 26
लोग इस अन्देशे से कि क्या क्या मुसीबत दुनिया पर आएगी इस क़दर ख़ौफ़ खाएँगे कि उन की जान में जान न रहेगी, क्यूँकि आस्मान की ताक़तें हिलाई जाएँगी।
وَحِينَئِذٍ يُبْصِرُونَ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ آتِيًا فِي سَحَابَةٍ بِقُوَّةٍ وَمَجْدٍ كَثِيرٍ. ٢٧ 27
और फिर वह इब्न — ए — आदम को बड़ी क़ुदरत और जलाल के साथ बादल में आते हुए देखेंगे।
وَمَتَى ٱبْتَدَأَتْ هَذِهِ تَكُونُ، فَٱنْتَصِبُوا وَٱرْفَعُوا رُؤُوسَكُمْ لِأَنَّ نَجَاتَكُمْ تَقْتَرِبُ». ٢٨ 28
चुनाँचे जब यह कुछ पेश आने लगे तो सीधे खड़े हो कर अपनी नज़र उठाओ, क्यूँकि तुम्हारी नजात नज़दीक होगी।”
وَقَالَ لَهُمْ مَثَلًا: «اُنْظُرُوا إِلَى شَجَرَةِ ٱلتِّينِ وَكُلِّ ٱلْأَشْجَارِ. ٢٩ 29
इस सिलसिले में ईसा ने उन्हें एक मिसाल सुनाई। “अंजीर के दरख़्त और बाक़ी दरख़्तों पर ग़ौर करो।
مَتَى أَفْرَخَتْ تَنْظُرُونَ وَتَعْلَمُونَ مِنْ أَنْفُسِكُمْ أَنَّ ٱلصَّيْفَ قَدْ قَرُبَ. ٣٠ 30
जैसे ही कोंपलें निकलने लगती हैं तुम जान लेते हो कि गर्मियों का मौसम नज़दीक है।
هَكَذَا أَنْتُمْ أَيْضًا، مَتَى رَأَيْتُمْ هَذِهِ ٱلْأَشْيَاءَ صَائِرَةً، فَٱعْلَمُوا أَنَّ مَلَكُوتَ ٱللهِ قَرِيبٌ. ٣١ 31
इसी तरह जब तुम यह वाक़िआत देखोगे तो जान लोगे कि ख़ुदा की बादशाही क़रीब ही है।
اَلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُ لَا يَمْضِي هَذَا ٱلْجِيلُ حَتَّى يَكُونَ ٱلْكُلُّ. ٣٢ 32
मैं तुम को सच बताता हूँ कि इस नस्ल के ख़त्म होने से पहले पहले यह सब कुछ वाक़े होगा।
اَلسَّمَاءُ وَٱلْأَرْضُ تَزُولَانِ، وَلَكِنَّ كَلَامِي لَايَزُولُ. ٣٣ 33
आस्मान — ओ — ज़मीन तो जाते रहेंगे, लेकिन मेरी बातें हमेशा तक क़ाईम रहेंगी।”
«فَٱحْتَرِزُوا لِأَنْفُسِكُمْ لِئَلَّا تَثْقُلَ قُلُوبُكُمْ فِي خُمَارٍ وَسُكْرٍ وَهُمُومِ ٱلْحَيَاةِ، فَيُصَادِفَكُمْ ذَلِكَ ٱلْيَوْمُ بَغْتَةً. ٣٤ 34
“ख़बरदार रहो ताकि तुम्हारे दिल अय्याशी, नशाबाज़ी और रोज़ाना की फ़िक्रों तले दब न जाएँ। वर्ना यह दिन अचानक तुम पर आन पड़ेगा,
لِأَنَّهُ كَٱلْفَخِّ يَأْتِي عَلَى جَمِيعِ ٱلْجَالِسِينَ عَلَى وَجْهِ كُلِّ ٱلْأَرْضِ. ٣٥ 35
और फन्दे की तरह तुम्हें जकड़ लेगा। क्यूँकि वह दुनिया के तमाम रहनेवालों पर आएगा।
اِسْهَرُوا إِذًا وَتَضَرَّعُوا فِي كُلِّ حِينٍ، لِكَيْ تُحْسَبُوا أَهْلًا لِلنَّجَاةِ مِنْ جَمِيعِ هَذَا ٱلْمُزْمِعِ أَنْ يَكُونَ، وَتَقِفُوا قُدَّامَ ٱبْنِ ٱلْإِنْسَانِ». ٣٦ 36
हर वक़्त चौकस रहो और दुआ करते रहो कि तुम को आने वाली इन सब बातों से बच निकलने की तौफ़ीक़ मिल जाए और तुम इब्न — ए — आदम के सामने खड़े हो सको।”
وَكَانَ فِي ٱلنَّهَارِ يُعَلِّمُ فِي ٱلْهَيْكَلِ، وَفِي ٱللَّيْلِ يَخْرُجُ وَيَبِيتُ فِي ٱلْجَبَلِ ٱلَّذِي يُدْعَى جَبَلَ ٱلزَّيْتُونِ. ٣٧ 37
हर रोज़ ईसा बैत — उल — मुक़द्दस में तालीम देता रहा और हर शाम वह निकल कर उस पहाड़ पर रात गुज़ारता था जिस का नाम ज़ैतून का पहाड़ है।
وَكَانَ كُلُّ ٱلشَّعْبِ يُبَكِّرُونَ إِلَيْهِ فِي ٱلْهَيْكَلِ لِيَسْمَعُوهُ. ٣٨ 38
और सुबह सवेरे सब लोग उस की बातें सुनने को हैकल में उस के पास आया करते थे।

< لُوقا 21 >