< لُوقا 17 >

وَقَالَ لِتَلَامِيذِهِ: «لَا يُمْكِنُ إِلَّا أَنْ تَأْتِيَ ٱلْعَثَرَاتُ، وَلَكِنْ وَيْلٌ لِلَّذِي تَأْتِي بِوَاسِطَتِهِ! ١ 1
फेर यीशु नै अपणे चेल्यां तै कह्या, “हो न्ही सकदा के ठोक्कर ना लाग्गै, पर धिक्कार सै, उस माणस पै जिसकै बाबत ठोक्कर लाग्गै सै।
خَيْرٌ لَهُ لَوْ طُوِّقَ عُنُقُهُ بِحَجَرِ رَحًى وَطُرِحَ فِي ٱلْبَحْرِ، مِنْ أَنْ يُعْثِرَ أَحَدَ هَؤُلَاءِ ٱلصِّغَارِ. ٢ 2
पर जो कोए इन छोट्या बाळकां समान जो मेरै पै बिश्वास करै सै, किसे तै भी पाप करवावै तो उसकै खात्तर भला योए सै के एक बड्डी चाक्की का पाट उसकै गळ म्ह लटकाया जावै अर वो समुंदर म्ह गेरया जावै।”
اِحْتَرِزُوا لِأَنْفُسِكُمْ. وَإِنْ أَخْطَأَ إِلَيْكَ أَخُوكَ فَوَبِّخْهُ، وَإِنْ تَابَ فَٱغْفِرْ لَهُ. ٣ 3
सावधान रहों, “जै तेरा बिश्वासी भाई पाप करै तो उसनै समझा, अर जै पछतावै तो उसनै माफ करदे।
وَإِنْ أَخْطَأَ إِلَيْكَ سَبْعَ مَرَّاتٍ فِي ٱلْيَوْمِ، وَرَجَعَ إِلَيْكَ سَبْعَ مَرَّاتٍ فِي ٱلْيَوْمِ قَائِلًا: أَنَا تَائِبٌ، فَٱغْفِرْ لَهُ». ٤ 4
जै हरेक दिन वो तेरे बिरुध्द म्ह सात बार भी पाप करै, अर सात्तु बार तेरे धोरै आकै कहवै, मै पछताऊँ सूं, तो उसनै माफ करदे।”
فَقَالَ ٱلرُّسُلُ لِلرَّبِّ: «زِدْ إِيمَانَنَا!». ٥ 5
फेर प्रेरितां नै प्रभु यीशु तै बिनती करी, “के म्हारे बिश्वास नै बढ़ा।”
فَقَالَ ٱلرَّبُّ: «لَوْ كَانَ لَكُمْ إِيمَانٌ مِثْلُ حَبَّةِ خَرْدَلٍ، لَكُنْتُمْ تَقُولُونَ لِهَذِهِ ٱلْجُمَّيْزَةِ: ٱنْقَلِعِي وَٱنْغَرِسِي فِي ٱلْبَحْرِ فَتُطِيعُكُمْ. ٦ 6
प्रभु बोल्या, “जै थमनै राई कै दाणै बराबर भी बिश्वास होन्दा, तो थम इस शहतूत कै दरखत नै कहन्दे के जड़ तै उखड़कै समुन्दर म्ह जा लाग, तो वो थारी मान लेन्दा।”
«وَمَنْ مِنْكُمْ لَهُ عَبْدٌ يَحْرُثُ أَوْ يَرْعَى، يَقُولُ لَهُ إِذَا دَخَلَ مِنَ ٱلْحَقْلِ: تَقَدَّمْ سَرِيعًا وَٱتَّكِئْ. ٧ 7
फेर यीशु नै कह्या, “मान ल्यो थारे म्ह तै किसे कै धोरै एक नौक्कर सै जो नौक्कर हळ चलान्दा या भेड़ चरान्दा हो, अर जिब वो खेत तै बोहड़ आवै, तो के थम उसतै कहोंगे, ‘आकै मेरे गैल खाणा खाण बैठ ज्या?’
بَلْ أَلَا يَقُولُ لَهُ: أَعْدِدْ مَا أَتَعَشَّى بِهِ، وَتَمَنْطَقْ وَٱخْدِمْنِي حَتَّى آكُلَ وَأَشْرَبَ، وَبَعْدَ ذَلِكَ تَأْكُلُ وَتَشْرَبُ أَنْتَ؟ ٨ 8
पर इसके बजाये के वो अपणे नौक्कर न्यू कोनी कहवैगा, ‘मेरे खात्तर खाणा त्यार कर, अर मेरे ताहीं खाणा परोसण खात्तर तैयार हो ज्या, जिब ताहीं मै खाऊँ पीऊँ तब ताहीं मेरी सेवा-पाणी कर, इसकै पाच्छै तू भी खा-पी लिये?’
فَهَلْ لِذَلِكَ ٱلْعَبْدِ فَضْلٌ لِأَنَّهُ فَعَلَ مَا أُمِرَ بِهِ؟ لَا أَظُنُّ. ٩ 9
के वो उस नौक्कर का श्यान मान्नैगा के उसनै वैए काम करे जिसका हुकम दिया सै?
كَذَلِكَ أَنْتُمْ أَيْضًا، مَتَى فَعَلْتُمْ كُلَّ مَا أُمِرْتُمْ بِهِ فَقُولُوا: إِنَّنَا عَبِيدٌ بَطَّالُونَ، لِأَنَّنَا إِنَّمَا عَمِلْنَا مَا كَانَ يَجِبُ عَلَيْنَا». ١٠ 10
इस्से तरियां तै थम भी जिब उन सारे काम्मां नै कर ल्यो जिसका हुकम थारे ताहीं दिया गया सै, तो उस ताहीं कर लेण के बाद थमनै कहणा चाहिये, ‘हम नौक्कर सां, हम किसे बड़ाई के हकदार कोनी हमनै तो बस अपणा फर्ज निभाया सै।’”
وَفِي ذَهَابِهِ إِلَى أُورُشَلِيمَ ٱجْتَازَ فِي وَسْطِ ٱلسَّامِرَةِ وَٱلْجَلِيلِ. ١١ 11
फेर जिब यीशु यरुशलेम जाण लागरया था तो सामरिया अर गलील परदेस कै बिचाळै की सीमा तै होन्दा होया लिकड्या।
وَفِيمَا هُوَ دَاخِلٌ إِلَى قَرْيَةٍ ٱسْتَقْبَلَهُ عَشَرَةُ رِجَالٍ بُرْصٍ، فَوَقَفُوا مِنْ بَعِيدٍ ١٢ 12
तो गाम म्ह बड़दे बखत उसनै दस कोढ़ी मिले वे दूर खड़े थे।
وَرَفَعوُا صَوْتًا قَائِلِينَ: «يَا يَسُوعُ، يَا مُعَلِّمُ، ٱرْحَمْنَا!». ١٣ 13
वे जोर तै रुक्का मारकै बोल्ले, “हे यीशु, हे माल्लिक, म्हारै पै दया कर!”
فَنَظَرَ وَقَالَ لَهُمُ: «ٱذْهَبُوا وَأَرُوا أَنْفُسَكُمْ لِلْكَهَنَةِ». وَفِيمَا هُمْ مُنْطَلِقُونَ طَهَرُوا. ١٤ 14
यीशु नै उन कान्ही लखाकै कह्या, “यरुशलेम के मन्दर म्ह जाओ, अर खुद नै याजकां ताहीं दिखाओ, ताके वो भी देक्खै के थम ठीक होए सों के न्ही।” अर जान्दे ए जान्दे वे कोढ़ तै मुक्त होग्ये।
فَوَاحِدٌ مِنْهُمْ لَمَّا رَأَى أَنَّهُ شُفِيَ، رَجَعَ يُمَجِّدُ ٱللهَ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ، ١٥ 15
फेर उन म्ह तै एक न्यू देखकै के मै ठीक होग्या सूं, जोर-जोर तै परमेसवर की बड़ाई करदा होया यीशु कै धोरै बोहड़या,
وَخَرَّ عَلَى وَجْهِهِ عِنْدَ رِجْلَيْهِ شَاكِرًا لَهُ، وَكَانَ سَامِرِيًّا. ١٦ 16
अर यीशु कै पायां पै मुँह कै बळ पड़कै उसका धन्यवाद करण लाग्या, अर वो सामरी था।
فَأجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ: «أَلَيْسَ ٱلْعَشَرَةُ قَدْ طَهَرُوا؟ فَأَيْنَ ٱلتِّسْعَةُ؟ ١٧ 17
इसपै यीशु नै कह्या, “के दस कोढ़ी चंगे न्ही होए, तो फेर नौ कित्त सै?
أَلَمْ يُوجَدْ مَنْ يَرْجِعُ لِيُعْطِيَ مَجْدًا لِلهِ غَيْرُ هَذَا ٱلْغَرِيبِ ٱلْجِنْسِ؟». ١٨ 18
के गैर यहूदी नै छोड़ कोए और न्ही लिकड़या जो परमेसवर की बड़ाई करदा?”
ثُمَّ قَالَ لَهُ: «قُمْ وَٱمْضِ، إِيمَانُكَ خَلَّصَكَ». ١٩ 19
फेर उसनै उस ताहीं कह्या, “उठकै चल्या जा, तन्नै बिश्वास करया इस खात्तर तू ठीक होग्या सै।”
وَلَمَّا سَأَلَهُ ٱلْفَرِّيسِيُّونَ: «مَتَى يَأْتِي مَلَكُوتُ ٱللهِ؟». أَجَابَهُمْ وَقَالَ: «لَا يَأْتِي مَلَكُوتُ ٱللهِ بِمُرَاقَبَةٍ، ٢٠ 20
फेर फरीसियाँ नै यीशु तै बुझ्झया के परमेसवर का राज्य कद आवैगा, तो उसनै उनतै जवाब दिया, “परमेसवर का राज्य इस ढाळ आवैगा के थम उसनै अपणी आँखां तै न्ही देख सकदे।
وَلَا يَقُولُونَ: هُوَذَا هَهُنَا، أَوْ: هُوَذَا هُنَاكَ! لِأَنْ هَا مَلَكُوتُ ٱللهِ دَاخِلَكُمْ». ٢١ 21
अर ना ए माणस इसके बारें म्ह न्यू कह सकैगे, देक्खों यो सै परमेसवर का राज्य। क्यूँके परमेसवर का राज्य थारे बिचाळै सै।”
وَقَالَ لِلتَّلَامِيذِ: «سَتَأْتِي أَيَّامٌ فِيهَا تَشْتَهُونَ أَنْ تَرَوْا يَوْمًا وَاحِدًا مِنْ أَيَّامِ ٱبْنِ ٱلْإِنْسَانِ وَلَا تَرَوْنَ. ٢٢ 22
फेर यीशु नै चेल्यां तै कह्या, “वो दिन आवैगा, जिब थम उस दिन नै देखणा चाहोंगे जिब मै माणस का बेट्टा बोहड़ के आऊँगा पर थम उस दिन नै देख न्ही पाओगे।”
وَيَقُولُونَ لَكُمْ: هُوَذَا هَهُنَا! أَوْ: هُوَذَا هُنَاكَ! لَا تَذْهَبُوا وَلَا تَتْبَعُوا، ٢٣ 23
माणस थारे तै कहवैगें, लखाओ, “मसीहा उड़ै सै!” या लखाओ, “वो आड़ै सै!” पर थम यो सुणकै चले ना जाइयो, अर ना उनकै पाच्छै लागियो।
لِأَنَّهُ كَمَا أَنَّ ٱلْبَرْقَ ٱلَّذِي يَبْرُقُ مِنْ نَاحِيَةٍ تَحْتَ ٱلسَّمَاءِ يُضِيءُ إِلَى نَاحِيَةٍ تَحْتَ ٱلسَّمَاءِ، كَذَلِكَ يَكُونُ أَيْضًا ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ فِي يَوْمِهِ. ٢٤ 24
क्यूँके जिस तरियां बिजळी अकास कै एक छोर तै कोंध कै अकास कै दुसरे छोर ताहीं चमकै सै, उस्से तरियां मै माणस का बेट्टा भी अपणे दिनां म्ह जाहिर होऊँगा।
وَلَكِنْ يَنْبَغِي أَوَّلًا أَنْ يَتَأَلَّمَ كَثِيرًا وَيُرْفَضَ مِنْ هَذَا ٱلْجِيلِ. ٢٥ 25
पर पैहल्या जरूरी सै के मै घणा दुख ठावै, अर इस युग कै माणस मेरे ताहीं नकार देंगें।
وَكَمَا كَانَ فِي أَيَّامِ نُوحٍ كَذَلِكَ يَكُونُ أَيْضًا فِي أَيَّامِ ٱبْنِ ٱلْإِنْسَانِ: ٢٦ 26
जिसा पूर्वज नूह के दिनां म्ह होया था, उस्से तरियां मुझ माणस के बेट्टे के दिनां म्ह भी होवैगा।
كَانُوا يَأْكُلُونَ وَيَشْرَبُونَ، وَيُزَوِّجُونَ وَيَتَزَوَّجُونَ، إِلَى ٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي فِيهِ دَخَلَ نُوحٌ ٱلْفُلْكَ، وَجَاءَ ٱلطُّوفَانُ وَأَهْلَكَ ٱلْجَمِيعَ. ٢٧ 27
जिस दिन तक नूह जहाज म्ह न्ही चढ़या, उस दिन तक माणस खावै-पीवै थे, अर उन म्ह ब्याह होवै थे। फेर बाढ़ नै उन सारया का नाश करया।
كَذَلِكَ أَيْضًا كَمَا كَانَ فِي أَيَّامِ لُوطٍ: كَانُوا يَأْكُلُونَ وَيَشْرَبُونَ، وَيَشْتَرُونَ وَيَبِيعُونَ، وَيَغْرِسُونَ وَيَبْنُونَ. ٢٨ 28
ठीक याए हालात लूत कै दिनां म्ह होई थी, जिब वो सदोम नगर म्ह रहवै था। माणस खावै-पीवै, लेणा-देणा करदे, दरखत लगान्दे अर घर चिणैं थे,
وَلَكِنَّ ٱلْيَوْمَ ٱلَّذِي فِيهِ خَرَجَ لُوطٌ مِنْ سَدُومَ، أَمْطَرَ نَارًا وَكِبْرِيتًا مِنَ ٱلسَّمَاءِ فَأَهْلَكَ ٱلْجَمِيعَ. ٢٩ 29
पर जिस दिन लूत सदोम तै लिकड़या, उस दिन आग अर गन्धक अकास तै बरसी सारे नगर के माणसां ताहीं नाश कर दिया।
هَكَذَا يَكُونُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي فِيهِ يُظْهَرُ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ. ٣٠ 30
यो उस दिन की तरियां होगा जिब मै माणस का बेट्टा बिना बताये आ जाऊँगा।
فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ مَنْ كَانَ عَلَى ٱلسَّطْحِ وَأَمْتِعَتُهُ فِي ٱلْبَيْتِ فَلَا يَنْزِلْ لِيَأْخُذَهَا، وَٱلَّذِي فِي ٱلْحَقْلِ كَذَلِكَ لَا يَرْجِعْ إِلَى ٱلْوَرَاءِ. ٣١ 31
“उस दिन जो छात पै हो, अर उसका समान घर म्ह हो, अर वो उसनै लेण खात्तर तळै न्ही उतरैं, अर उस्से तरियां जो खेत्तां म्ह हो, वो पाच्छै न्ही बोहड़ैं।
اُذْكُرُوا ٱمْرَأَةَ لُوطٍ! ٣٢ 32
याद राखियों लूत की घरआळी कै गैल के होया था!
مَنْ طَلَبَ أَنْ يُخَلِّصَ نَفْسَهُ يُهْلِكُهَا، وَمَنْ أَهْلَكَهَا يُحْيِيهَا. ٣٣ 33
जो कोए अपणी जान बचाणा चाहवै, वो उसनै खोवैगा, अर जो कोए उसनै खोवै वो उसनै जिन्दा राक्खैगा।
أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُ فِي تِلْكَ ٱللَّيْلَةِ يَكُونُ ٱثْنَانِ عَلَى فِرَاشٍ وَاحِدٍ، فَيُؤْخَذُ ٱلْوَاحِدُ وَيُتْرَكُ ٱلْآخَرُ. ٣٤ 34
मै थमनै कहूँ सूं, उस रात नै दो माणस एक खाट पै होंगे, एक ठाया जावैगा अर दुसरा छोड़ दिया जावैगा।
تَكُونُ ٱثْنَتَانِ تَطْحَنَانِ مَعًا، فَتُؤْخَذُ ٱلْوَاحِدَةُ وَتُتْرَكُ ٱلْأُخْرَى. ٣٥ 35
दो बिरबान्नी एक साथ चाक्की पीसदी होवैगी, एक ठा ली जावैगी अर दुसरी छोड़ दी जावैगी।
يَكُونُ ٱثْنَانِ فِي ٱلْحَقْلِ، فَيُؤْخَذُ ٱلْوَاحِدُ وَيُتْرَكُ ٱلْآخَرُ». ٣٦ 36
(दो जणे खेत म्ह होंगे, एक ठाया जावैगा अर दुसरा छोड्या जावैगा।)”
فَأَجَابوا وَقَالُوا لَهُ: «أَيْنَ يَارَبُّ؟». فَقَالَ لَهُمْ: «حَيْثُ تَكُونُ ٱلْجُثَّةُ هُنَاكَ تَجْتَمِعُ ٱلنُّسُورُ». ٣٧ 37
न्यू सुण उननै उसतै बुझ्झया, “हे प्रभु, यो कित्त होवैगा?” यीशु नै उनतै कह्या, “जड़ै लाश हो सै, उड़ैए चील कठ्ठे होवै सै, उस्से तरियां यो हरेक कोए जाण लेवैगा के यो कित्त होगा।”

< لُوقا 17 >