< اَلْقُضَاة 11 >

وَكَانَ يَفْتَاحُ ٱلْجِلْعَادِيُّ جَبَّارَ بَأْسٍ، وَهُوَ ٱبْنُ ٱمْرَأَةٍ زَانِيَةٍ. وَجِلْعَادُ وَلَدَ يَفْتَاحَ. ١ 1
गिलआदवासी यिफ्ताह एक बहादुर योद्धा था; किंतु वह एक वेश्या का पुत्र था. उसके पिता का नाम गिलआद था.
ثُمَّ وَلَدَتِ ٱمْرَأَةُ جِلْعَادَ لَهُ بَنِينَ. فَلَمَّا كَبِرَ بَنُو ٱلْمَرْأَةِ طَرَدُوا يَفْتَاحَ، وَقَالُوا لَهُ: «لَا تَرِثْ فِي بَيْتِ أَبِينَا لِأَنَّكَ أَنْتَ ٱبْنُ ٱمْرَأَةٍ أُخْرَى». ٢ 2
गिलआद की पत्नी से भी पुत्र पैदा हुए. जब ये पुत्र बड़े हुए, तब उन्होंने उसे यह कहते हुए घर से निकाल दिया: “तुम तो पराई स्त्री से जन्मे हो, इस कारण हमारे पिता की मीरास में तुम्हारा कोई भाग न होगा.”
فَهَرَبَ يَفْتَاحُ مِنْ وَجْهِ إِخْوَتِهِ وَأَقَامَ فِي أَرْضِ طُوبٍ. فَٱجْتَمَعَ إِلَى يَفْتَاحَ رِجَالٌ بَطَّالُونَ وَكَانُوا يَخْرُجُونَ مَعَهُ. ٣ 3
तब यिफ्ताह अपने भाइयों से दूर भागकर तोब देश में रहने लगा. वहां निकम्मे, खराब लोग उसके साथी बनते चले गए, जो उसके साथ साथ रहते थे.
وَكَانَ بَعْدَ أَيَّامٍ أَنَّ بَنِي عَمُّونَ حَارَبُوا إِسْرَائِيلَ. ٤ 4
कुछ समय बाद अम्मोन वंशजों ने इस्राएलियों से युद्ध छेड़ दिया.
وَلَمَّا حَارَبَ بَنُو عَمُّونَ إِسْرَائِيلَ ذَهَبَ شُيُوخُ جِلْعَادَ لِيَأْتُوا بِيَفْتَاحَ مِنْ أَرْضِ طُوبٍ. ٥ 5
जब अम्मोन वंशज इस्राएल से युद्ध कर रहे थे, गिलआद के अगुए लोग तोब देश से यिफ्ताह को लेने जा पहुंचे.
وَقَالُوا لِيَفْتَاحَ: «تَعَالَ وَكُنْ لَنَا قَائِدًا فَنُحَارِبَ بَنِي عَمُّونَ». ٦ 6
उन्होंने यिफ्ताह से विनती की, “आकर हमारे सेनापति का कार्यभार संभाल लो, कि हम अम्मोनियों से युद्ध कर सकें.”
فَقَالَ يَفْتَاحُ لِشُيُوخِ جِلْعَادَ: «أَمَا أَبْغَضْتُمُونِي أَنْتُمْ وَطَرَدْتُمُونِي مِنْ بَيْتِ أَبِي؟ فَلِمَاذَا أَتَيْتُمْ إِلَيَّ ٱلْآنَ إِذْ تَضَايَقْتُمْ؟» ٧ 7
गिलआद के अगुओं को यिफ्ताह ने उत्तर दिया, “क्या आप ही नहीं थे, जिन्होंने घृणा करके मुझे मेरे पिता के घर से बाहर निकाल दिया था? अब, जब आप पर संकट आ पड़ा है, तो आप लोग मेरे पास क्यों आए हैं?”
فَقَالَ شُيُوخُ جِلْعَادَ لِيَفْتَاحَ: «لِذَلِكَ قَدْ رَجَعْنَا ٱلْآنَ إِلَيْكَ لِتَذْهَبَ مَعَنَا وَتُحَارِبَ بَنِي عَمُّونَ، وَتَكُونَ لَنَا رَأْسًا لِكُلِّ سُكَّانِ جِلْعَادَ». ٨ 8
गिलआद के अगुओं ने यिफ्ताह को उत्तर दिया, “तुम्हारे पास हमारे लौटने का कारण सिर्फ यह है कि तुम हमारे साथ चलो और अम्मोन वंशजों से युद्ध कर सारे गिलआद वासियों के प्रधान बन जाओ.”
فَقَالَ يَفْتَاحُ لِشُيُوخِ جِلْعَادَ: «إِذَا أَرْجَعْتُمُونِي لِمُحَارَبَةِ بَنِي عَمُّونَ وَدَفَعَهُمُ ٱلرَّبُّ أَمَامِي فَأَنَا أَكُونُ لَكُمْ رَأْسًا». ٩ 9
इस पर यिफ्ताह ने गिलआद के अगुओं से प्रश्न किया, “अर्थात् यदि आप मुझे अम्मोन वंशजों से युद्ध करने के उद्देश्य से वापस ले जाते हैं, और याहवेह उन्हें मेरे अधीन कर देते हैं, तो मैं आपका प्रधान बन जाऊंगा?”
فَقَالَ شُيُوخُ جِلْعَادَ لِيَفْتَاحَ: «ٱلرَّبُّ يَكُونُ سَامِعًا بَيْنَنَا إِنْ كُنَّا لَا نَفْعَلُ هَكَذَا حَسَبَ كَلَامِكَ». ١٠ 10
गिलआद के पुरनियों ने यिफ्ताह को उत्तर दिया, “स्वयं याहवेह हमारे बीच गवाह हैं, निश्चय ही हम ठीक वैसा ही करेंगे जैसा तुमने अभी कहा है.”
فَذَهَبَ يَفْتَاحُ مَعَ شُيُوخِ جِلْعَادَ، وَجَعَلَهُ ٱلشَّعْبُ عَلَيْهِمْ رَأْسًا وَقَائِدًا. فَتَكَلَّمَ يَفْتَاحُ بِجَمِيعِ كَلَامِهِ أَمَامَ ٱلرَّبِّ فِي ٱلْمِصْفَاةِ. ١١ 11
सो यिफ्ताह गिलआद के पुरनियों के साथ चला गया. प्रजाजनों ने उसे अपने ऊपर अधिनायक एवं प्रधान नियुक्त कर दिया. यिफ्ताह ने मिज़पाह में याहवेह के सामने पूरी वाचा दोहरा दी.
فَأَرْسَلَ يَفْتَاحُ رُسُلًا إِلَى مَلِكِ بَنِي عَمُّونَ يَقُولُ: «مَا لِي وَلَكَ أَنَّكَ أَتَيْتَ إِلَيَّ لِلْمُحَارَبَةِ فِي أَرْضِي؟» ١٢ 12
यिफ्ताह ने तब अम्मोन वंशजों के राजा को इस संदेश के साथ दूत भेज दिए: “मैंने आपकी ऐसी क्या हानि कर दी है, जिसके निमित्त आप हमारे देश से युद्ध करने आ गए हैं?”
فَقَالَ مَلِكُ بَنِي عَمُّونَ لِرُسُلِ يَفْتَاحَ: «لِأَنَّ إِسْرَائِيلَ قَدْ أَخَذَ أَرْضِي عِنْدَ صُعُودِهِ مِنْ مِصْرَ، مِنْ أَرْنُونَ إِلَى ٱلْيَبُّوقِ وَإِلَى ٱلْأُرْدُنِّ. فَٱلْآنَ رُدَّهَا بِسَلَامٍ». ١٣ 13
अम्मोन वंशजों के राजा ने यिफ्ताह के दूतों को उत्तर दिया, “मिस्र से निकलकर आते हुए इस्राएल ने आरनोन से लेकर यब्बोक तथा यरदन तक की भूमि पर कब्जा कर लिया था. इसलिये अब सही होगा कि शांतिपूर्वक यह भूमि हमें लौटा दी जाए.”
وَعَادَ أَيْضًا يَفْتَاحُ وَأَرْسَلَ رُسُلًا إِلَى مَلِكِ بَنِي عَمُّونَ ١٤ 14
यिफ्ताह ने अम्मोन वंशजों के राजा के लिए दोबारा दूत भेजे.
وَقَالَ لَهُ: «هَكَذَا يَقُولُ يَفْتَاحُ: لَمْ يَأْخُذْ إِسْرَائِيلُ أَرْضَ مُوآبَ وَلَا أَرْضَ بَنِي عَمُّونَ، ١٥ 15
उन्होंने राजा से यों कहने को आदेश दिया, “यिफ्ताह का संदेश यह है: इस्राएल ने न तो मोआब की भूमि पर कब्जा किया है, और न ही अम्मोन वंशजों की.
لِأَنَّهُ عِنْدَ صُعُودِ إِسْرَائِيلَ مِنْ مِصْرَ سَارَ فِي ٱلْقَفْرِ إِلَى بَحْرِ سُوفٍ وَأَتَى إِلَى قَادَشَ. ١٦ 16
क्योंकि जब इस्राएल मिस्र देश से निकला, वह निर्जन प्रदेश में से लाल सागर पहुंचा और वहां से कादेश को.
وَأَرْسَلَ إِسْرَائِيلُ رُسُلًا إِلَى مَلِكِ أَدُومَ قَائِلًا: دَعْنِي أَعْبُرْ فِي أَرْضِكَ. فَلَمْ يَسْمَعْ مَلِكُ أَدُومَ. فَأَرْسَلَ أَيْضًا إِلَى مَلِكِ مُوآبَ فَلَمْ يَرْضَ. فَأَقَامَ إِسْرَائِيلُ فِي قَادَشَ. ١٧ 17
वहां पहुंचकर इस्राएल ने एदोम के राजा के लिए दूतों से यह संदेश भेजा था: ‘कृपा कर हमें आपके देश में से होकर आगे जाने की आज्ञा दीजिए!’ किंतु एदोम के राजा ने इस विनती की ओर तनिक भी ध्यान न दिया. उन्होंने यही विनती मोआब के राजा से भी की, किंतु वह भी इसके लिए राज़ी न हुआ. इस कारण इस्राएल कादेश में ही रुक गया.
وَسَارَ فِي ٱلْقَفْرِ وَدَارَ بِأَرْضِ أَدُومَ وَأَرْضِ مُوآبَ وَأَتَى مِنْ مَشْرِقِ ٱلشَّمْسِ إِلَى أَرْضِ مُوآبَ وَنَزَلَ فِي عَبْرِ أَرْنُونَ، وَلَمْ يَأْتُوا إِلَى تُخْمِ مُوآبَ لِأَنَّ أَرْنُونَ تُخْمُ مُوآبَ. ١٨ 18
“तब उन्होंने निर्जन प्रदेश में से यात्रा की. इसके लिए उन्हें एदोम और मोआब देशों में प्रवेश न करते हुए, घूमकर आगे बढ़ना पड़ा, और वे मोआब देश के पूर्व में पहुंच गए. उन्होंने आरनोन के दूसरी ओर छावनी डाल दी और मोआब की सीमा में प्रवेश किया ही नहीं. आरनोन मोआब की सीमा पर था.
ثُمَّ أَرْسَلَ إِسْرَائِيلُ رُسُلًا إِلَى سِيحُونَ مَلِكِ ٱلْأَمُورِيِّينَ، مَلِكِ حَشْبُونَ، وَقَالَ لَهُ إِسْرَائِيلُ: دَعْنِي أَعْبُرْ فِي أَرْضِكَ إِلَى مَكَانِي. ١٩ 19
“इसके बाद इस्राएल ने अमोरियों के राजा सीहोन को, जो हेशबोन से शासन कर रहे थे, दूतों द्वारा यह संदेश भेजा, ‘कृपया हमें अपने देश में से होकर हमारे देश में पहुंचने की आज्ञा दीजिए.’
وَلَمْ يَأْمَنْ سِيحُونُ لِإِسْرَائِيلَ أَنْ يَعْبُرَ فِي تُخْمِهِ، بَلْ جَمَعَ سِيحُونُ كُلَّ شَعْبِهِ وَنَزَلُوا فِي يَاهَصَ وَحَارَبُوا إِسْرَائِيلَ. ٢٠ 20
किंतु सीहोन ने इस्राएल पर भरोसा ही न किया, कि वह उसके देश की सीमा से होकर निकल जाएगा. इस कारण सीहोन ने अपनी सेना तैयार की, यहत्स में छावनी ड़ाल दी और इस्राएल से युद्ध करने लगा.
فَدَفَعَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ سِيحُونَ وَكُلَّ شَعْبِهِ لِيَدِ إِسْرَائِيلَ فَضَرَبُوهُمْ، وَٱمْتَلَكَ إِسْرَائِيلُ كُلَّ أَرْضِ ٱلْأَمُورِيِّينَ سُكَّانِ تِلْكَ ٱلْأَرْضِ. ٢١ 21
“याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर ने सीहोन तथा उसकी सारी सेना को इस्राएल के अधीन कर दिया; उन्होंने उन्हें हरा दिया. फलस्वरूप उस देश के निवासी तथा सारे अमोरी देश इस्राएल के अधिकार में आ गए.
فَٱمْتَلَكُوا كُلَّ تُخْمِ ٱلْأَمُورِيِّينَ مِنْ أَرْنُونَ إِلَى ٱلْيَبُّوقِ وَمِنَ ٱلْقَفْرِ إِلَى ٱلْأُرْدُنِّ. ٢٢ 22
आरनोन से लेकर यब्बोक तक तथा निर्जन प्रदेश से लेकर यरदन तक का सारा क्षेत्र उनका हो गया.
وَٱلْآنَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ قَدْ طَرَدَ ٱلْأَمُورِيِّينَ مِنْ أَمَامِ شَعْبِهِ إِسْرَائِيلَ. أَفَأَنْتَ تَمْتَلِكُهُ؟ ٢٣ 23
“अब आप ही बताइए, जब याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर ने ही अमोरियों को अपनी प्रजा इस्राएल के सामने से हटा दिया है, क्या आपका इस पर कोई अधिकार रह जाता है?
أَلَيْسَ مَا يُمَلِّكُكَ إِيَّاهُ كَمُوشُ إِلَهُكَ تَمْتَلِكُ؟ وَجَمِيعُ ٱلَّذِينَ طَرَدَهُمُ ٱلرَّبُّ إِلَهُنَا مِنْ أَمَامِنَا فَإِيَّاهُمْ نَمْتَلِكُ. ٢٤ 24
क्या आप स्वयं उस पर अधिकार नहीं किए हुए हैं, जो आपने अपने देवता खेमोश से पाया है? इसलिये, इसी प्रकार जो जगह याहवेह, हमारे परमेश्वर द्वारा हमारे सामने खाली करवाई गई है, हम उस पर अधिकार बनाए रखेंगे.
وَٱلْآنَ فَهَلْ أَنْتَ خَيْرٌ مِنْ بَالَاقَ بْنِ صِفُّورَ مَلِكِ مُوآبَ؟ فَهَلْ خَاصَمَ إِسْرَائِيلَ أَوْ حَارَبَهُمْ مُحَارَبَةً ٢٥ 25
क्या आप ज़ीप्पोर के पुत्र मोआब के राजा बालाक से बढ़कर हैं? क्या उसने कभी भी इस्राएल का सामना करने का साहस किया था अथवा क्या उसने कभी भी इस्राएल से युद्ध किया?
حِينَ أَقَامَ إِسْرَائِيلُ فِي حَشْبُونَ وَقُرَاهَا، وَعَرُوعِيرَ وَقُرَاهَا وَكُلِّ ٱلْمُدُنِ ٱلَّتِي عَلَى جَانِبِ أَرْنُونَ ثَلَاثَ مِئَةِ سَنَةٍ؟ فَلِمَاذَا لَمْ تَسْتَرِدَّهَا فِي تِلْكَ ٱلْمُدَّةِ؟ ٢٦ 26
जब इस्राएल तीन सौ वर्षों से हेशबोन और उसके गांवों में, अरोअर तथा उसके गांवों में तथा आरनोन के तटवर्ती नगरों में रहता रहा, आपने उन्हें उसी समय वापस कब्जा करने की कोशिश क्यों नहीं की?
فَأَنَا لَمْ أُخْطِئْ إِلَيْكَ. وَأَمَّا أَنْتَ فَإِنَّكَ تَفْعَلُ بِي شَرًّا بِمُحَارَبَتِي. لِيَقْضِ ٱلرَّبُّ ٱلْقَاضِي ٱلْيَوْمَ بَيْنَ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَبَنِي عَمُّونَ». ٢٧ 27
इन बातों के प्रकाश में मैंने आपके विरुद्ध कोई पाप नहीं किया है, बल्कि आप ही मुझसे युद्ध करने की भूल कर रहे हैं. याहवेह, जो न्यायाध्यक्ष हैं, वही आज इस्राएल वंशजों तथा अम्मोन वंशजों के बीच न्याय करें.”
فَلَمْ يَسْمَعْ مَلِكُ بَنِي عَمُّونَ لِكَلَامِ يَفْتَاحَ ٱلَّذِي أَرْسَلَ إِلَيْهِ. ٢٨ 28
किंतु अम्मोन वंशजों के राजा ने यिफ्ताह द्वारा भेजे संदेश को न माना.
فَكَانَ رُوحُ ٱلرَّبِّ عَلَى يَفْتَاحَ، فَعَبَرَ جِلْعَادَ وَمَنَسَّى وَعَبَرَ مِصْفَاةَ جِلْعَادَ، وَمِنْ مِصْفَاةِ جِلْعَادَ عَبَرَ إِلَى بَنِي عَمُّونَ. ٢٩ 29
इसी समय याहवेह का आत्मा यिफ्ताह पर उतरी. वह गिलआद एवं मनश्शेह में से होता हुआ आगे बढ़ा. इसके बाद वह मिज़पाह के गिलआद में से होता हुआ, वह अम्मोन वंशजों के क्षेत्र में जा पहुंचा.
وَنَذَرَ يَفْتَاحُ نَذْرًا لِلرَّبِّ قَائِلًا: «إِنْ دَفَعْتَ بَنِي عَمُّونَ لِيَدِي، ٣٠ 30
यिफ्ताह ने याहवेह के सामने यह शपथ ली, “यदि आप वास्तव में अम्मोन वंशजों को मेरे अधीन कर देंगे,
فَٱلْخَارِجُ ٱلَّذِي يَخْرُجُ مِنْ أَبْوَابِ بَيْتِي لِلِقَائِي عِنْدَ رُجُوعِي بِٱلسَّلَامَةِ مِنْ عِنْدِ بَنِي عَمُّونَ يَكُونُ لِلرَّبِّ، وَأُصْعِدُهُ مُحْرَقَةً». ٣١ 31
जब मैं अम्मोन वंशजों से सुरक्षित लौट आऊंगा, तब मेरे निवास के द्वारों में से जो कोई मुझसे भेंटकरने बाहर आएगा, वह याहवेह का हो जाएगा-मैं उसे होमबलि के रूप में चढ़ा दूंगा.”
ثُمَّ عَبَرَ يَفْتَاحُ إِلَى بَنِي عَمُّونَ لِمُحَارَبَتِهِمْ. فَدَفَعَهُمُ ٱلرَّبُّ لِيَدِهِ. ٣٢ 32
यिफ्ताह ने आगे बढ़कर अम्मोन वंशजों पर हमला कर दिया. याहवेह ने उन्हें उसके अधीन कर दिया.
فَضَرَبَهُمْ مِنْ عَرُوعِيرَ إِلَى مَجِيئِكَ إِلَى مِنِّيتَ، عِشْرِينَ مَدِينَةً، وَإِلَى آبَلِ ٱلْكُرُومِ ضَرْبَةً عَظِيمَةً جِدًّا. فَذَلَّ بَنُو عَمُّونَ أَمَامَ بَنِي إِسْرَائِيلَ. ٣٣ 33
अरोअर से लेकर मिन्‍निथ के प्रवेश तक बीस नगरों में तथा आबेल-केरामिन तक उसने घोर संहार किया. इस प्रकार अम्मोन वंशज, इस्राएल वंशजों के सामने हार गए.
ثُمَّ أَتَى يَفْتَاحُ إِلَى ٱلْمِصْفَاةِ إِلَى بَيْتِهِ، وَإِذَا بِٱبْنَتِهِ خَارِجَةً لِلِقَائِهِ بِدُفُوفٍ وَرَقْصٍ. وَهِيَ وَحِيدَةٌ. لَمْ يَكُنْ لَهُ ٱبْنٌ وَلَا ٱبْنَةٌ غَيْرَهَا. ٣٤ 34
जब यिफ्ताह अपने आवास मिज़पाह लौटा, उसने देखा, कि उसकी पुत्री डफ बजाती नाचती हुई उससे भेंटकरने आ रही थी. वह यिफ्ताह की एकलौती संतान थी. उसके अलावा उसके न तो कोई पुत्र था, न कोई पुत्री.
وَكَانَ لَمَّا رَآهَا أَنَّهُ مَزَّقَ ثِيَابَهُ وَقَالَ: «آهِ يَا بِنْتِي! قَدْ أَحْزَنْتِنِي حُزْنًا وَصِرْتِ بَيْنَ مُكَدِّرِيَّ، لِأَنِّي قَدْ فَتَحْتُ فَمِي إِلَى ٱلرَّبِّ وَلَا يُمْكِنُنِي ٱلرُّجُوعُ». ٣٥ 35
जैसे ही उसकी नज़र अपनी पुत्री पर पड़ी, उसने अपने वस्त्र फाड़ डाले और कहा, “हाय, मेरी पुत्री! तुमने तो मुझे खत्म ही कर दिया. तुम मेरे शोक का कारण हो गई हो. मैंने याहवेह को वचन दिया है, जिसे मैं मना नहीं कर सकता.”
فَقَالَتْ لَهُ: «يَا أَبِي، هَلْ فَتَحْتَ فَاكَ إِلَى ٱلرَّبِّ؟ فَٱفْعَلْ بِي كَمَا خَرَجَ مِنْ فِيكَ، بِمَا أَنَّ ٱلرَّبَّ قَدِ ٱنْتَقَمَ لَكَ مِنْ أَعْدَائِكَ بَنِي عَمُّونَ». ٣٦ 36
यह सुन उसकी पुत्री ने यिफ्ताह को उत्तर दिया, “पिताजी, आपने शपथ याहवेह से की है. मेरे साथ आप वही कीजिए, जैसा आपने कहा है; क्योंकि याहवेह ने आपके द्वारा अम्मोन वंशजों, आपके शत्रुओं से बदला लिया है.”
ثُمَّ قَالَتْ لِأَبِيهَا: «فَلْيُفْعَلْ لِي هَذَا ٱلْأَمْرُ: ٱتْرُكْنِي شَهْرَيْنِ فَأَذْهَبَ وَأَنْزِلَ عَلَى ٱلْجِبَالِ وَأَبْكِيَ عَذْرَاوِيَّتِي أَنَا وَصَاحِبَاتِي». ٣٧ 37
उसने अपने पिता से यह भी कहा, “जैसा आपने कहा है, मेरे साथ वैसा ही किया जाए; सिर्फ मुझे दो महीने के लिए अकेली छोड़ दिया जाए, कि मैं अपनी सहेलियों के साथ पहाड़ों पर जाकर अपने कुंवारी ही रह जाने के लिए रोऊंगी.”
فَقَالَ: «ٱذْهَبِي». وَأَرْسَلَهَا إِلَى شَهْرَيْنِ. فَذَهَبَتْ هِيَ وَصَاحِبَاتُهَا وَبَكَتْ عَذْرَاوِيَّتَهَا عَلَى ٱلْجِبَالِ. ٣٨ 38
“जाओ,” यिफ्ताह ने कहा और उसने दो महीने के लिए अपनी पुत्री को विदा कर दिया. वह चली गई और पहाड़ों पर अपने कुंवारी रह जाने के लिए रोती रही.
وَكَانَ عِنْدَ نِهَايَةِ ٱلشَّهْرَيْنِ أَنَّهَا رَجَعَتْ إِلَى أَبِيهَا، فَفَعَلَ بِهَا نَذْرَهُ ٱلَّذِي نَذَرَ. وَهِيَ لَمْ تَعْرِفْ رَجُلًا. فَصَارَتْ عَادَةً فِي إِسْرَائِيلَ ٣٩ 39
दो महीने पूरे होने पर वह लौटी और यिफ्ताह ने उसके विषय में अपनी शपथ पूरी की, किसी पुरुष से उसका संबंध न हुआ था. इस्राएल में इसकी याद में एक प्रथा प्रचलित हो गई:
أَنَّ بَنَاتِ إِسْرَائِيلَ يَذْهَبْنَ مِنْ سَنَةٍ إِلَى سَنَةٍ لِيَنُحْنَ عَلَى بِنْتِ يَفْتَاحَ ٱلْجِلْعَادِيِّ أَرْبَعَةَ أَيَّامٍ فِي ٱلسَّنَةِ. ٤٠ 40
इस्राएली कन्याएं हर साल गिलआदवासी यिफ्ताह की पुत्री की याद में चार दिन विलाप करती हैं.

< اَلْقُضَاة 11 >