< يوحنَّا 17 >
تَكَلَّمَ يَسُوعُ بِهَذَا وَرَفَعَ عَيْنَيْهِ نَحْوَ ٱلسَّمَاءِ وَقَالَ: «أَيُّهَا ٱلْآبُ، قَدْ أَتَتِ ٱلسَّاعَةُ. مَجِّدِ ٱبْنَكَ لِيُمَجِّدَكَ ٱبْنُكَ أَيْضًا، | ١ 1 |
इन बातों के प्रकट करने के बाद मसीह येशु ने स्वर्ग की ओर दृष्टि उठाकर प्रार्थना की. “पिता, वह समय आ गया है. अपने पुत्र को गौरवान्वित कीजिए कि पुत्र आपको गौरवान्वित करे.
إِذْ أَعْطَيْتَهُ سُلْطَانًا عَلَى كُلِّ جَسَدٍ لِيُعْطِيَ حَيَاةً أَبَدِيَّةً لِكُلِّ مَنْ أَعْطَيْتَهُ. (aiōnios ) | ٢ 2 |
क्योंकि आपने उसे सारी मानव जाति पर अधिकार दिया है कि वह उन सबको अनंत जीवन प्रदान करे जिन्हें आपने उसे सौंपा है. (aiōnios )
وَهَذِهِ هِيَ ٱلْحَيَاةُ ٱلْأَبَدِيَّةُ: أَنْ يَعْرِفُوكَ أَنْتَ ٱلْإِلَهَ ٱلْحَقِيقِيَّ وَحْدَكَ وَيَسُوعَ ٱلْمَسِيحَ ٱلَّذِي أَرْسَلْتَهُ. (aiōnios ) | ٣ 3 |
अनंत जीवन यह है कि वे आपको, जो एकमात्र सच्चे परमेश्वर हैं और मसीह येशु को, जिसे आपने भेजा है, जानें. (aiōnios )
أَنَا مَجَّدْتُكَ عَلَى ٱلْأَرْضِ. ٱلْعَمَلَ ٱلَّذِي أَعْطَيْتَنِي لِأَعْمَلَ قَدْ أَكْمَلْتُهُ. | ٤ 4 |
जो काम आपने मुझे सौंपा था, उसे पूरा कर मैंने पृथ्वी पर आपको गौरवान्वित किया है.
وَٱلْآنَ مَجِّدْنِي أَنْتَ أَيُّهَا ٱلْآبُ عِنْدَ ذَاتِكَ بِٱلْمَجْدِ ٱلَّذِي كَانَ لِي عِنْدَكَ قَبْلَ كَوْنِ ٱلْعَالَمِ. | ٥ 5 |
इसलिये पिता, आप मुझे अपने साथ उसी महिमा से गौरवान्वित कीजिए, जो महिमा मेरी आपके साथ संसार की सृष्टि से पहले थी.
«أَنَا أَظْهَرْتُ ٱسْمَكَ لِلنَّاسِ ٱلَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي مِنَ ٱلْعَالَمِ. كَانُوا لَكَ وَأَعْطَيْتَهُمْ لِي، وَقَدْ حَفِظُوا كَلَامَكَ. | ٦ 6 |
“मैंने आपको उन सब पर प्रगट किया, संसार में से जिनको चुनकर आपने मुझे सौंपा था. वे आपके थे किंतु आपने उन्हें मुझे सौंपा था और उन्होंने आपके वचन का पालन किया.
وَٱلْآنَ عَلِمُوا أَنَّ كُلَّ مَا أَعْطَيْتَنِي هُوَ مِنْ عِنْدِكَ، | ٧ 7 |
अब वे जान गए हैं कि जो कुछ आपने मुझे दिया है, वह सब आप ही की ओर से है
لِأَنَّ ٱلْكَلَامَ ٱلَّذِي أَعْطَيْتَنِي قَدْ أَعْطَيْتُهُمْ، وَهُمْ قَبِلُوا وَعَلِمُوا يَقِينًا أَنِّي خَرَجْتُ مِنْ عِنْدِكَ، وَآمَنُوا أَنَّكَ أَنْتَ أَرْسَلْتَنِي. | ٨ 8 |
क्योंकि आपसे प्राप्त आज्ञाएं मैंने उन्हें दे दी है. उन्होंने उनको ग्रहण किया और वास्तव में यह जान लिया है कि मैं आपसे आया हूं; उन्होंने विश्वास किया कि आप ही मेरे भेजनेवाले हैं.
مِنْ أَجْلِهِمْ أَنَا أَسْأَلُ. لَسْتُ أَسْأَلُ مِنْ أَجْلِ ٱلْعَالَمِ، بَلْ مِنْ أَجْلِ ٱلَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي لِأَنَّهُمْ لَكَ. | ٩ 9 |
आपसे मेरी विनती संसार के लिए नहीं किंतु उनके लिए है, जो आपके हैं और जिन्हें आपने मुझे सौंपा है.
وَكُلُّ مَا هُوَ لِي فَهُوَ لَكَ، وَمَا هُوَ لَكَ فَهُوَ لِي، وَأَنَا مُمَجَّدٌ فِيهِمْ. | ١٠ 10 |
वह सब, जो मेरा है, आपका है, जो आपका है, वह मेरा है और मैं उनमें गौरवान्वित हुआ हूं
وَلَسْتُ أَنَا بَعْدُ فِي ٱلْعَالَمِ، وَأَمَّا هَؤُلَاءِ فَهُمْ فِي ٱلْعَالَمِ، وَأَنَا آتِي إِلَيْكَ. أَيُّهَا ٱلْآبُ ٱلْقُدُّوسُ، ٱحْفَظْهُمْ فِي ٱسْمِكَ ٱلَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي، لِيَكُونُوا وَاحِدًا كَمَا نَحْنُ. | ١١ 11 |
अब मैं संसार में नहीं रहूंगा; मैं आपके पास आ रहा हूं, किंतु वे सब संसार में हैं. पवित्र पिता! उन्हें अपने उस नाम में, जो आपने मुझे दिया है, सुरक्षित रखिए कि वे एक हों जैसे हम एक हैं.
حِينَ كُنْتُ مَعَهُمْ فِي ٱلْعَالَمِ كُنْتُ أَحْفَظُهُمْ فِي ٱسْمِكَ. ٱلَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي حَفِظْتُهُمْ، وَلَمْ يَهْلِكْ مِنْهُمْ أَحَدٌ إِلَّا ٱبْنُ ٱلْهَلَاكِ لِيَتِمَّ ٱلْكِتَابُ. | ١٢ 12 |
जब मैं उनके साथ था, मैंने उन्हें आपके उस नाम में, जो आपने मुझे दिया था, सुरक्षित रखा. मैंने उनकी रक्षा की; उनमें से किसी का नाश नहीं हुआ, सिवाय विनाश के पुत्र के; वह भी इसलिये कि पवित्र शास्त्र का वचन पूरा हो.
أَمَّا ٱلْآنَ فَإِنِّي آتِي إِلَيْكَ. وَأَتَكَلَّمُ بِهَذَا فِي ٱلْعَالَمِ لِيَكُونَ لَهُمْ فَرَحِي كَامِلًا فِيهِمْ. | ١٣ 13 |
“अब मैं आपके पास आ रहा हूं. ये सब मैं संसार में रहते हुए ही कह रहा हूं कि वे मेरे आनंद से परिपूर्ण हो जाएं.
أَنَا قَدْ أَعْطَيْتُهُمْ كَلَامَكَ، وَٱلْعَالَمُ أَبْغَضَهُمْ لِأَنَّهُمْ لَيْسُوا مِنَ ٱلْعَالَمِ، كَمَا أَنِّي أَنَا لَسْتُ مِنَ ٱلْعَالَمِ، | ١٤ 14 |
मैंने उनको आपका वचन दिया है. संसार ने उनसे घृणा की है क्योंकि वे संसार के नहीं हैं, जिस प्रकार मैं भी संसार का नहीं हूं.
لَسْتُ أَسْأَلُ أَنْ تَأْخُذَهُمْ مِنَ ٱلْعَالَمِ بَلْ أَنْ تَحْفَظَهُمْ مِنَ ٱلشِّرِّيرِ. | ١٥ 15 |
मैं आपसे यह विनती नहीं करता कि आप उन्हें संसार में से उठा लें परंतु यह कि आप उन्हें उस दुष्ट से बचाए रखें.
لَيْسُوا مِنَ ٱلْعَالَمِ كَمَا أَنِّي أَنَا لَسْتُ مِنَ ٱلْعَالَمِ. | ١٦ 16 |
वे संसार के नहीं हैं, जिस प्रकार मैं भी संसार का नहीं हूं.
قَدِّسْهُمْ فِي حَقِّكَ. كَلَامُكَ هُوَ حَقٌّ. | ١٧ 17 |
उन्हें सच्चाई में अपने लिए अलग कीजिए—आपका वचन सत्य है.
كَمَا أَرْسَلْتَنِي إِلَى ٱلْعَالَمِ أَرْسَلْتُهُمْ أَنَا إِلَى ٱلْعَالَمِ، | ١٨ 18 |
जैसे आपने मुझे संसार में भेजा था, मैंने भी उन्हें संसार में भेजा.
وَلِأَجْلِهِمْ أُقَدِّسُ أَنَا ذَاتِي، لِيَكُونُوا هُمْ أَيْضًا مُقَدَّسِينَ فِي ٱلْحَقِّ. | ١٩ 19 |
उनके लिए मैं स्वयं को समर्पित करता हूं कि वे भी सच्चाई में समर्पित हो जाएं.
«وَلَسْتُ أَسْأَلُ مِنْ أَجْلِ هَؤُلَاءِ فَقَطْ، بَلْ أَيْضًا مِنْ أَجْلِ ٱلَّذِينَ يُؤْمِنُونَ بِي بِكَلَامِهِمْ، | ٢٠ 20 |
“मैं मात्र इनके लिए ही नहीं परंतु उन सबके लिए भी विनती करता हूं, जो इनके संदेश के द्वारा मुझमें विश्वास करेंगे.
لِيَكُونَ ٱلْجَمِيعُ وَاحِدًا، كَمَا أَنَّكَ أَنْتَ أَيُّهَا ٱلْآبُ فِيَّ وَأَنَا فِيكَ، لِيَكُونُوا هُمْ أَيْضًا وَاحِدًا فِينَا، لِيُؤْمِنَ ٱلْعَالَمُ أَنَّكَ أَرْسَلْتَنِي. | ٢١ 21 |
पिता! वे सब एक हों; जैसे आप मुझमें और मैं आप में, वैसे ही वे हममें एक हों जिससे संसार विश्वास करे कि आप ही मेरे भेजनेवाले हैं.
وَأَنَا قَدْ أَعْطَيْتُهُمُ ٱلْمَجْدَ ٱلَّذِي أَعْطَيْتَنِي، لِيَكُونُوا وَاحِدًا كَمَا أَنَّنَا نَحْنُ وَاحِدٌ. | ٢٢ 22 |
वह महिमा, जो आपने मुझे प्रदान की है, मैंने उन्हें दे दी है कि वे भी एक हों, जिस प्रकार हम एक हैं,
أَنَا فِيهِمْ وَأَنْتَ فِيَّ لِيَكُونُوا مُكَمَّلِينَ إِلَى وَاحِدٍ، وَلِيَعْلَمَ ٱلْعَالَمُ أَنَّكَ أَرْسَلْتَنِي، وَأَحْبَبْتَهُمْ كَمَا أَحْبَبْتَنِي. | ٢٣ 23 |
आप मुझमें और मैं उनमें कि वे पूरी तरह से एक हो जाएं जिससे संसार पर यह साफ़ हो जाए कि आपने ही मुझे भेजा और आपने उनसे वैसा ही प्रेम किया है जैसा मुझसे.
أَيُّهَا ٱلْآبُ أُرِيدُ أَنَّ هَؤُلَاءِ ٱلَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي يَكُونُونَ مَعِي حَيْثُ أَكُونُ أَنَا، لِيَنْظُرُوا مَجْدِي ٱلَّذِي أَعْطَيْتَنِي، لِأَنَّكَ أَحْبَبْتَنِي قَبْلَ إِنْشَاءِ ٱلْعَالَمِ. | ٢٤ 24 |
“पिता, मेरी इच्छा यह है कि वे भी, जिन्हें आपने मुझे सौंपा है, मेरे साथ वहीं रहें, जहां मैं हूं कि वे मेरी उस महिमा को देख सकें, जो आपने मुझे दी है क्योंकि संसार की सृष्टि के पहले से ही आपने मुझसे प्रेम किया है.
أَيُّهَا ٱلْآبُ ٱلْبَارُّ، إِنَّ ٱلْعَالَمَ لَمْ يَعْرِفْكَ، أَمَّا أَنَا فَعَرَفْتُكَ، وَهَؤُلَاءِ عَرَفُوا أَنَّكَ أَنْتَ أَرْسَلْتَنِي. | ٢٥ 25 |
“हे नीतिमान पिता, संसार ने तो आपको नहीं जाना किंतु मैं आपको जानता हूं, और उनको यह मालूम हो गया है कि आपने ही मुझे भेजा है.
وَعَرَّفْتُهُمُ ٱسْمَكَ وَسَأُعَرِّفُهُمْ، لِيَكُونَ فِيهِمُ ٱلْحُبُّ ٱلَّذِي أَحْبَبْتَنِي بِهِ، وَأَكُونَ أَنَا فِيهِمْ». | ٢٦ 26 |
मैंने आपको उन पर प्रकट किया है, और प्रकट करता रहूंगा कि जिस प्रेम से आपने मुझसे प्रेम किया है, वही प्रेम उनमें बस जाए और मैं उनमें.”