< يوحنَّا 12 >
ثُمَّ قَبْلَ ٱلْفِصْحِ بِسِتَّةِ أَيَّامٍ أَتَى يَسُوعُ إِلَى بَيْتِ عَنْيَا، حَيْثُ كَانَ لِعَازَرُ ٱلْمَيْتُ ٱلَّذِي أَقَامَهُ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ. | ١ 1 |
फ़सह की ईद में अभी छः दिन बाक़ी थे कि ईसा बैत — अनियाह पहुँचा। यह वह जगह थी जहाँ उस लाज़र का घर था जिसे ईसा ने मुर्दों में से ज़िन्दा किया था।
فَصَنَعُوا لَهُ هُنَاكَ عَشَاءً. وَكَانَتْ مَرْثَا تَخْدِمُ، وَأَمَّا لِعَازَرُ فَكَانَ أَحَدَ ٱلْمُتَّكِئِينَ مَعَهُ. | ٢ 2 |
वहाँ उस के लिए एक ख़ास खाना बनाया गया। मर्था खाने वालों की ख़िदमत कर रही थी जबकि लाज़र ईसा और बाक़ी मेहमानों के साथ खाने में शरीक था।
فَأَخَذَتْ مَرْيَمُ مَنًا مِنْ طِيبِ نَارِدِينٍ خَالِصٍ كَثِيرِ ٱلثَّمَنِ، وَدَهَنَتْ قَدَمَيْ يَسُوعَ، وَمَسَحَتْ قَدَمَيْهِ بِشَعْرِهَا، فَٱمْتَلَأَ ٱلْبَيْتُ مِنْ رَائِحَةِ ٱلطِّيبِ. | ٣ 3 |
फिर मरियम ने आधा लीटर ख़ालिस जटामासी का बेशक़ीमती इत्र ले कर ईसा के पैरों पर डाल दिया और उन्हें अपने बालों से पोंछ कर ख़ुश्क किया। ख़ुश्बू पूरे घर में फैल गई।
فَقَالَ وَاحِدٌ مِنْ تَلَامِيذِهِ، وَهُوَ يَهُوذَا سِمْعَانُ ٱلْإِسْخَرْيُوطِيُّ، ٱلْمُزْمِعُ أَنْ يُسَلِّمَهُ: | ٤ 4 |
लेकिन ईसा के शागिर्द यहूदाह इस्करियोती ने एतराज़ किया (बाद में उसी ने ईसा को दुश्मन के हवाले कर दिया) उस ने कहा,
«لِمَاذَا لَمْ يُبَعْ هَذَا ٱلطِّيبُ بِثَلَاثَمِئَةِ دِينَارٍ وَيُعْطَ لِلْفُقَرَاءِ؟». | ٥ 5 |
“इस इत्र की क़ीमत लगभग एक साल की मज़दूरी के बराबर थी। इसे क्यूँ नहीं बेचा गया ताकि इस के पैसे ग़रीबों को दिए जाते?”
قَالَ هَذَا لَيْسَ لِأَنَّهُ كَانَ يُبَالِي بِٱلْفُقَرَاءِ، بَلْ لِأَنَّهُ كَانَ سَارِقًا، وَكَانَ ٱلصُّنْدُوقُ عِنْدَهُ، وَكَانَ يَحْمِلُ مَا يُلْقَى فِيهِ. | ٦ 6 |
उस ने यह बात इस लिए नहीं की कि उसे ग़रीबों की फ़िक्र थी। असल में वह चोर था। वह शागिर्दों का ख़ज़ांची था और जमाशुदा पैसों में से ले लिया करता था।
فَقَالَ يَسُوعُ: «ٱتْرُكُوهَا! إِنَّهَا لِيَوْمِ تَكْفِينِي قَدْ حَفِظَتْهُ، | ٧ 7 |
लेकिन ईसा ने कहा, “उसे छोड़ दे! उस ने मेरी दफ़्नाने की तय्यारी के लिए यह किया है।
لِأَنَّ ٱلْفُقَرَاءَ مَعَكُمْ فِي كُلِّ حِينٍ، وَأَمَّا أَنَا فَلَسْتُ مَعَكُمْ فِي كُلِّ حِينٍ». | ٨ 8 |
ग़रीब तो हमेशा तुम्हारे पास रहेंगे, लेकिन मैं हमेशा तुम्हारे पास नहीं रहूँगा।”
فَعَلِمَ جَمْعٌ كَثِيرٌ مِنَ ٱلْيَهُودِ أَنَّهُ هُنَاكَ، فَجَاءُوا لَيْسَ لِأَجْلِ يَسُوعَ فَقَطْ، بَلْ لِيَنْظُرُوا أَيْضًا لِعَازَرَ ٱلَّذِي أَقَامَهُ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ. | ٩ 9 |
इतने में यहूदियों की बड़ी तहदाद को मालूम हुआ कि ईसा वहाँ है। वह न सिर्फ़ ईसा से मिलने के लिए आए बल्कि लाज़र से भी जिसे उस ने मुर्दों में से ज़िन्दा किया था।
فَتَشَاوَرَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ لِيَقْتُلُوا لِعَازَرَ أَيْضًا، | ١٠ 10 |
इस लिए राहनुमा इमामों ने लाज़र को भी क़त्ल करने का इरादा बनाया।
لِأَنَّ كَثِيرِينَ مِنَ ٱلْيَهُودِ كَانُوا بِسَبَبِهِ يَذْهَبُونَ وَيُؤْمِنُونَ بِيَسُوعَ. | ١١ 11 |
क्यूँकि उस की वजह से बहुत से यहूदी उन में से चले गए और ईसा पर ईमान ले आए थे।
وَفِي ٱلْغَدِ سَمِعَ ٱلْجَمْعُ ٱلْكَثِيرُ ٱلَّذِي جَاءَ إِلَى ٱلْعِيدِ أَنَّ يَسُوعَ آتٍ إِلَى أُورُشَلِيمَ، | ١٢ 12 |
अगले दिन ईद के लिए आए हुए लोगों को पता चला कि ईसा येरूशलेम आ रहा है। एक बड़ा मजमा
فَأَخَذُوا سُعُوفَ ٱلنَّخْلِ وَخَرَجُوا لِلِقَائِهِ، وَكَانُوا يَصْرُخُونَ: «أُوصَنَّا! مُبَارَكٌ ٱلْآتِي بِٱسْمِ ٱلرَّبِّ! مَلِكُ إِسْرَائِيلَ!». | ١٣ 13 |
खजूर की डालियाँ पकड़े शहर से निकल कर उस से मिलने आया। चलते चलते वह चिल्ला कर नहरे लगा रहे थे, “होशाना! मुबारक है वह जो रब्ब के नाम से आता है! इस्राईल का बादशाह मुबारक है!”
وَوَجَدَ يَسُوعُ جَحْشًا فَجَلَسَ عَلَيْهِ كَمَا هُوَ مَكْتُوبٌ: | ١٤ 14 |
ईसा को कहीं से एक जवान गधा मिल गया और वह उस पर बैठ गया, जिस तरह कलाम — ए — मुक़द्दस में लिखा है,
«لَا تَخَافِي يَا ٱبْنَةَ صِهْيَوْنَ. هُوَذَا مَلِكُكِ يَأْتِي جَالِسًا عَلَى جَحْشٍ أَتَانٍ». | ١٥ 15 |
“ऐ सिय्यून की बेटी, मत डर! देख, तेरा बादशाह गधे के बच्चे पर सवार आ रहा है।”
وَهَذِهِ ٱلْأُمُورُ لَمْ يَفْهَمْهَا تَلَامِيذُهُ أَوَّلًا، وَلَكِنْ لَمَّا تَمَجَّدَ يَسُوعُ، حِينَئِذٍ تَذَكَّرُوا أَنَّ هَذِهِ كَانَتْ مَكْتُوبَةً عَنْهُ، وَأَنَّهُمْ صَنَعُوا هَذِهِ لَهُ. | ١٦ 16 |
उस वक़्त उस के शागिर्दों को इस बात की समझ न आई। लेकिन बाद में जब ईसा अपने जलाल को पहुँचा तो उन्हें याद आया कि लोगों ने उस के साथ यह कुछ किया था और वह समझ गए कि कलाम — ए — मुक़द्दस में इस का ज़िक्र भी है।
وَكَانَ ٱلْجَمْعُ ٱلَّذِي مَعَهُ يَشْهَدُ أَنَّهُ دَعَا لِعَازَرَ مِنَ ٱلْقَبْرِ وَأَقَامَهُ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ. | ١٧ 17 |
जो मजमा उस वक़्त ईसा के साथ था जब उस ने लाज़र को मुर्दों में से ज़िन्दा किया था, वह दूसरों को इस के बारे में बताता रहा था।
لِهَذَا أَيْضًا لَاقَاهُ ٱلْجَمْعُ، لِأَنَّهُمْ سَمِعُوا أَنَّهُ كَانَ قَدْ صَنَعَ هَذِهِ ٱلْآيَةَ. | ١٨ 18 |
इसी वजह से इतने लोग ईसा से मिलने के लिए आए थे, उन्हों ने उस के इस ख़ुदाई करिश्मे के बारे में सुना था।
فَقَالَ ٱلْفَرِّيسِيُّونَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «ٱنْظُرُوا! إِنَّكُمْ لَا تَنْفَعُونَ شَيْئًا! هُوَذَا ٱلْعَالَمُ قَدْ ذَهَبَ وَرَاءَهُ!». | ١٩ 19 |
यह देख कर फ़रीसी आपस में कहने लगे, “आप देख रहे हैं कि बात नहीं बन रही। देखो, तमाम दुनियाँ उस के पीछे हो ली है।”
وَكَانَ أُنَاسٌ يُونَانِيُّونَ مِنَ ٱلَّذِينَ صَعِدُوا لِيَسْجُدُوا فِي ٱلْعِيدِ. | ٢٠ 20 |
कुछ यूनानी भी उन में थे जो फ़सह की ईद के मौक़े पर इबादत करने के लिए आए हुए थे।
فَتَقَدَّمَ هَؤُلَاءِ إِلَى فِيلُبُّسَ ٱلَّذِي مِنْ بَيْتِ صَيْدَا ٱلْجَلِيلِ، وَسَأَلُوهُ قَائِلِينَ: «يَا سَيِّدُ، نُرِيدُ أَنْ نَرَى يَسُوعَ». | ٢١ 21 |
अब वह फ़िलिप्पुस से मिलने आए जो गलील के बैत — सैदा से था। उन्हों ने कहा, “जनाब, हम ईसा से मिलना चाहते हैं।”
فَأَتَى فِيلُبُّسُ وَقَالَ لِأَنْدَرَاوُسَ، ثُمَّ قَالَ أَنْدَرَاوُسُ وَفِيلُبُّسُ لِيَسُوعَ. | ٢٢ 22 |
फ़िलिप्पुस ने अन्द्रियास को यह बात बताई और फिर वह मिल कर ईसा के पास गए और उसे यह ख़बर पहुँचाई।
وَأَمَّا يَسُوعُ فَأَجَابَهُمَا قَائِلًا: «قَدْ أَتَتِ ٱلسَّاعَةُ لِيَتَمَجَّدَ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ. | ٢٣ 23 |
लेकिन ईसा ने जवाब दिया, “अब वक़्त आ गया है कि इब्न — ए — आदम को जलाल मिले।
اَلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنْ لَمْ تَقَعْ حَبَّةُ ٱلْحِنْطَةِ فِي ٱلْأَرْضِ وَتَمُتْ فَهِيَ تَبْقَى وَحْدَهَا. وَلَكِنْ إِنْ مَاتَتْ تَأْتِي بِثَمَرٍ كَثِيرٍ. | ٢٤ 24 |
मैं तुम को सच बताता हूँ कि जब तक गन्दुम का दाना ज़मीन में गिर कर मर न जाए वह अकेला ही रहता है। लेकिन जब वह मर जाता है तो बहुत सा फल लाता है।
مَنْ يُحِبُّ نَفْسَهُ يُهْلِكُهَا، وَمَنْ يُبْغِضُ نَفْسَهُ فِي هَذَا ٱلْعَالَمِ يَحْفَظُهَا إِلَى حَيَاةٍ أَبَدِيَّةٍ. (aiōnios ) | ٢٥ 25 |
जो अपनी जान को प्यार करता है वह उसे खो देगा, और जो इस दुनियाँ में अपनी जान से दुश्मनी रखता है वह उसे हमेशा तक बचाए रखेगा। (aiōnios )
إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَخْدِمُنِي فَلْيَتْبَعْنِي، وَحَيْثُ أَكُونُ أَنَا هُنَاكَ أَيْضًا يَكُونُ خَادِمِي. وَإِنْ كَانَ أَحَدٌ يَخْدِمُنِي يُكْرِمُهُ ٱلْآبُ. | ٢٦ 26 |
अगर कोई मेरी ख़िदमत करना चाहे तो वह मेरे पीछे हो ले, क्यूँकि जहाँ मैं हूँ वहाँ मेरा ख़ादिम भी होगा। और जो मेरी ख़िदमत करे मेरा बाप उस की इज़्ज़त करेगा।
اَلْآنَ نَفْسِي قَدِ ٱضْطَرَبَتْ. وَمَاذَا أَقُولُ: أَيُّهَا ٱلْآبُ نَجِّنِي مِنْ هَذِهِ ٱلسَّاعَةِ؟ وَلَكِنْ لِأَجْلِ هَذَا أَتَيْتُ إِلَى هَذِهِ ٱلسَّاعَةِ. | ٢٧ 27 |
“अब मेरा दिल घबराता है। मैं क्या कहूँ? क्या मैं कहूँ, ‘ऐ बाप, मुझे इस वक़्त से बचाए रख’? नहीं, मैं तो इसी लिए आया हूँ।
أَيُّهَا ٱلْآبُ، مَجِّدِ ٱسْمَكَ!». فَجَاءَ صَوْتٌ مِنَ ٱلسَّمَاءِ: «مَجَّدْتُ، وَأُمَجِّدُ أَيْضًا!». | ٢٨ 28 |
ऐ बाप, अपने नाम को जलाल दे।” पस आसमान से आवाज़ आई कि मैंने उस को जलाल दिया है और भी दूँगा
فَٱلْجَمْعُ ٱلَّذِي كَانَ وَاقِفًا وَسَمِعَ، قَالَ: «قَدْ حَدَثَ رَعْدٌ!». وَآخَرُونَ قَالُوا: «قَدْ كَلَّمَهُ مَلَاكٌ!». | ٢٩ 29 |
मजमा के जो लोग वहाँ खड़े थे उन्हों ने यह सुन कर कहा, बादल गरज रहे हैं। औरों ने ख़याल पेश किया, “कोई फ़रिश्ते ने उस से बातें की”
أَجَابَ يَسُوعُ وقَالَ: «لَيْسَ مِنْ أَجْلِي صَارَ هَذَا ٱلصَّوْتُ، بَلْ مِنْ أَجْلِكُمْ. | ٣٠ 30 |
ईसा ने उन्हें बताया, “यह आवाज़ मेरे वास्ते नहीं बल्कि तुम्हारे वास्ते थी।
اَلْآنَ دَيْنُونَةُ هَذَا ٱلْعَالَمِ. اَلْآنَ يُطْرَحُ رَئِيسُ هَذَا ٱلْعَالَمِ خَارِجًا. | ٣١ 31 |
अब दुनियाँ की अदालत करने का वक़्त आ गया है, अब दुनियाँ पे हुकूमत करने वालों को निकाल दिया जाएगा।
وَأَنَا إِنِ ٱرْتَفَعْتُ عَنِ ٱلْأَرْضِ أَجْذِبُ إِلَيَّ ٱلْجَمِيعَ». | ٣٢ 32 |
और मैं ख़ुद ज़मीन से ऊँचे पर चढ़ाए जाने के बाद सब को अपने पास बुला लूँगा।”
قَالَ هَذَا مُشِيرًا إِلَى أَيَّةِ مِيتَةٍ كَانَ مُزْمِعًا أَنْ يَمُوتَ. | ٣٣ 33 |
इन बातों से उस ने इस तरफ़ इशारा किया कि वह किस तरह की मौत मरेगा।
فَأَجَابَهُ ٱلْجَمْعُ: «نَحْنُ سَمِعْنَا مِنَ ٱلنَّامُوسِ أَنَّ ٱلْمَسِيحَ يَبْقَى إِلَى ٱلْأَبَدِ، فَكَيْفَ تَقُولُ أَنْتَ إِنَّهُ يَنْبَغِي أَنْ يَرْتَفِعَ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ؟ مَنْ هُوَ هَذَا ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ؟». (aiōn ) | ٣٤ 34 |
मजमा बोल उठा, कलाम — ए — मुक़द्दस से हम ने सुना है कि मसीह हमेशा तक क़ाईम रहेगा। तो फिर आप की यह कैसी बात है कि “इब्न — ए — आदम को ऊँचे पर चढ़ाया जाना है?” आख़िर इब्न — ए — आदम है कौन? (aiōn )
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «ٱلنُّورُ مَعَكُمْ زَمَانًا قَلِيلًا بَعْدُ، فَسِيرُوا مَا دَامَ لَكُمُ ٱلنُّورُ لِئَلَّا يُدْرِكَكُمُ ٱلظَّلَامُ. وَٱلَّذِي يَسِيرُ فِي ٱلظَّلَامِ لَا يَعْلَمُ إِلَى أَيْنَ يَذْهَبُ. | ٣٥ 35 |
ईसा ने जवाब दिया, “रोशनी थोड़ी देर और तुम्हारे पास रहेगी। जितनी देर वह मौजूद है इस रोशनी में चलते रहो ताकि अँधेरा तुम पर छा न जाए। जो अंधेरे में चलता है उसे नहीं मालूम कि वह कहाँ जा रहा है।
مَا دَامَ لَكُمُ ٱلنُّورُ آمِنُوا بِٱلنُّورِ لِتَصِيرُوا أَبْنَاءَ ٱلنُّورِ». تَكَلَّمَ يَسُوعُ بِهَذَا ثُمَّ مَضَى وَٱخْتَفَى عَنْهُمْ. | ٣٦ 36 |
रोशनी तुम्हारे पास से चले जाने से पहले पहले उस पर ईमान लाओ ताकि तुम ख़ुदा के फ़र्ज़न्द बन जाओ।”
وَمَعَ أَنَّهُ كَانَ قَدْ صَنَعَ أَمَامَهُمْ آيَاتٍ هَذَا عَدَدُهَا، لَمْ يُؤْمِنُوا بِهِ، | ٣٧ 37 |
अगरचे ईसा ने यह तमाम ख़ुदाई करिश्मे उन के सामने ही दिखाए तो भी वह उस पर ईमान न लाए।
لِيَتِمَّ قَوْلُ إِشَعْيَاءَ ٱلنَّبِيِّ ٱلَّذي قَالَهُ: «يَارَبُّ، مَنْ صَدَّقَ خَبَرَنَا؟ وَلِمَنِ ٱسْتُعْلِنَتْ ذِرَاعُ ٱلرَّبِّ؟». | ٣٨ 38 |
यूँ यसायाह नबी की पेशगोई पूरी हुई, “ऐ रब्ब, कौन हमारे पैग़ाम पर ईमान लाया? और रब्ब की क़ुद्रत किस पर ज़ाहिर हुई?”
لِهَذَا لَمْ يَقْدِرُوا أَنْ يُؤْمِنُوا. لِأَنَّ إِشَعْيَاءَ قَالَ أَيْضًا: | ٣٩ 39 |
चुनाँचे वह ईमान न ला सके, जिस तरह यसायाह नबी ने कहीं और फ़रमाया है,
«قَدْ أَعْمَى عُيُونَهُمْ، وَأَغْلَظَ قُلُوبَهُمْ، لِئَلَّا يُبْصِرُوا بِعُيُونِهِمْ، وَيَشْعُرُوا بِقُلُوبِهِمْ، وَيَرْجِعُوا فَأَشْفِيَهُمْ». | ٤٠ 40 |
“ख़ुदा ने उन की आँखों को अंधा किया और उन के दिल को बेहिस्स कर दिया है, नही तो वो अपनी आँखो से देखेंगे और अपने दिल से समझेंगे, और मेरी तरफ रजु करें, और मै उन्हे शिफ़ा दूं।”
قَالَ إِشَعْيَاءُ هَذَا حِينَ رَأَى مَجْدَهُ وَتَكَلَّمَ عَنْهُ. | ٤١ 41 |
यसायाह ने यह इस लिए फ़रमाया क्यूँकि उस ने ईसा का जलाल देख कर उस के बारे में बात की।
وَلَكِنْ مَعَ ذَلِكَ آمَنَ بِهِ كَثِيرُونَ مِنَ ٱلرُّؤَسَاءِ أَيْضًا، غَيْرَ أَنَّهُمْ لِسَبَبِ ٱلْفَرِّيسِيِّينَ لَمْ يَعْتَرِفُوا بِهِ، لِئَلَّا يَصِيرُوا خَارِجَ ٱلْمَجْمَعِ، | ٤٢ 42 |
तो भी बहुत से लोग ईसा पर ईमान रखते थे। उन में कुछ राहनुमा भी शामिल थे। लेकिन वह इस का खुला इक़रार नहीं करते थे, क्यूँकि वह डरते थे कि फ़रीसी हमें यहूदी जमाअत से निकाल देंगे।
لِأَنَّهُمْ أَحَبُّوا مَجْدَ ٱلنَّاسِ أَكْثَرَ مِنْ مَجْدِ ٱللهِ. | ٤٣ 43 |
असल में वह ख़ुदा की इज़्ज़त के बजाए इंसान की इज़्ज़त को ज़्यादा अज़ीज़ रखते थे।
فَنَادَى يَسُوعُ وَقَالَ: «ٱلَّذِي يُؤْمِنُ بِي، لَيْسَ يُؤْمِنُ بِي بَلْ بِالَّذِي أَرْسَلَنِي. | ٤٤ 44 |
फिर ईसा पुकार उठा, “जो मुझ पर ईमान रखता है वह न सिर्फ़ मुझ पर बल्कि उस पर ईमान रखता है जिस ने मुझे भेजा है।
وَٱلَّذِي يَرَانِي يَرَى ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي. | ٤٥ 45 |
और जो मुझे देखता है वह उसे देखता है जिस ने मुझे भेजा है।
أَنَا قَدْ جِئْتُ نُورًا إِلَى ٱلْعَالَمِ، حَتَّى كُلُّ مَنْ يُؤْمِنُ بِي لَا يَمْكُثُ فِي ٱلظُّلْمَةِ. | ٤٦ 46 |
मैं रोशनी की तरह से इस दुनियाँ में आया हूँ ताकि जो भी मुझ पर ईमान लाए वह अंधेरे में न रहे।
وَإِنْ سَمِعَ أَحَدٌ كَلَامِي وَلَمْ يُؤْمِنْ فَأَنَا لَا أَدِينُهُ، لِأَنِّي لَمْ آتِ لِأَدِينَ ٱلْعَالَمَ بَلْ لِأُخَلِّصَ ٱلْعَالَمَ. | ٤٧ 47 |
जो मेरी बातें सुन कर उन पर अमल नहीं करता मैं उसका इन्साफ़ नहीं करूँगा, क्यूँकि मैं दुनियाँ का इन्साफ़ करने के लिए नहीं आया बल्कि उसे नजात देने के लिए।
مَنْ رَذَلَنِي وَلَمْ يَقْبَلْ كَلَامِي فَلَهُ مَنْ يَدِينُهُ. اَلْكَلَامُ ٱلَّذِي تَكَلَّمْتُ بِهِ هُوَ يَدِينُهُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلْأَخِيرِ، | ٤٨ 48 |
तो भी एक है जो उस का इन्साफ़ करता है। जो मुझे रद्द करके मेरी बातें क़ुबूल नहीं करता मेरा पेश किया गया कलाम ही क़यामत के दिन उस का इन्साफ़ करेगा।
لِأَنِّي لَمْ أَتَكَلَّمْ مِنْ نَفْسِي، لَكِنَّ ٱلْآبَ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي هُوَ أَعْطَانِي وَصِيَّةً: مَاذَا أَقُولُ وَبِمَاذَا أَتَكَلَّمُ. | ٤٩ 49 |
क्यूँकि जो कुछ मैं ने बयान किया है वह मेरी तरफ़ से नहीं है। मेरे भेजने वाले बाप ही ने मुझे हुक्म दिया कि क्या कहना और क्या सुनाना है।
وَأَنَا أَعْلَمُ أَنَّ وَصِيَّتَهُ هِيَ حَيَاةٌ أَبَدِيَّةٌ. فَمَا أَتَكَلَّمُ أَنَا بِهِ، فَكَمَا قَالَ لِي ٱلْآبُ هَكَذَا أَتَكَلَّمُ». (aiōnios ) | ٥٠ 50 |
और मैं जानता हूँ कि उस का हुक्म हमेशा की ज़िन्दगी तक पहुँचाता है। चुनाँचे जो कुछ मैं सुनाता हूँ वही है जो बाप ने मुझे बताया है।” (aiōnios )