< عِبرانِيّين 9 >

ثُمَّ ٱلْعَهْدُ ٱلْأَوَّلُ كَانَ لَهُ أَيْضًا فَرَائِضُ خِدْمَةٍ وَٱلْقُدْسُ ٱلْعَالَمِيُّ، ١ 1
पहली वाचा में भी परमेश्वर की आराधना तथा सांसारिक मंदिर के विषय में नियम थे.
لِأَنَّهُ نُصِبَ ٱلْمَسْكَنُ ٱلْأَوَّلُ ٱلَّذِي يُقَالُ لَهُ: «ٱلْقُدْسُ»، ٱلَّذِي كَانَ فِيهِ ٱلْمَنَارَةُ وَٱلْمَائِدَةُ وَخُبْزُ ٱلتَّقْدِمَةِ. ٢ 2
क्योंकि एक तंबू बनाया गया था, जिसके बाहरी कमरे में दीपस्तंभ, चौकी तथा पवित्र रोटी रखी जाती थी. यह तंबू पवित्र स्थान कहलाता था.
وَوَرَاءَ ٱلْحِجَابِ ٱلثَّانِي ٱلْمَسْكَنُ ٱلَّذِي يُقَالُ لَهُ: «قُدْسُ ٱلْأَقْدَاسِ»، ٣ 3
दूसरे पर्दे से आगे जो तंबू था, वह परम पवित्र स्थान कहलाता था,
فِيهِ مِبْخَرَةٌ مِنْ ذَهَبٍ، وَتَابُوتُ ٱلْعَهْدِ مُغَشًّى مِنْ كُلِّ جِهَةٍ بِٱلذَّهَبِ، ٱلَّذِي فِيهِ قِسْطٌ مِنْ ذَهَبٍ فِيهِ ٱلْمَنُّ، وَعَصَا هَارُونَ ٱلَّتِي أَفْرَخَتْ، وَلَوْحَا ٱلْعَهْدِ. ٤ 4
वहां धूप के लिए सोने की वेदी, सोने की पत्रियों से मढ़ी हुई वाचा का संदूक, जिसमें मन्‍ना से भरा सोने का बर्तन, हमेशा कोमल पत्ते लगते रहनेवाली हारोन की लाठी तथा वाचा की पटियां रखे हुए थे.
وَفَوْقَهُ كَرُوبَا ٱلْمَجْدِ مُظَلِّلَيْنِ ٱلْغِطَاءَ. أَشْيَاءُ لَيْسَ لَنَا ٱلْآنَ أَنْ نَتَكَلَّمَ عَنْهَا بِٱلتَّفْصِيلِ. ٥ 5
इसके अलावा संदूक के ऊपर तेजोमय करूब करुणासन को ढांपे हुए थे. परंतु अब इन सबका विस्तार से वर्णन संभव नहीं.
ثُمَّ إِذْ صَارَتْ هَذِهِ مُهَيَّأَةً هَكَذَا، يَدْخُلُ ٱلْكَهَنَةُ إِلَى ٱلْمَسْكَنِ ٱلْأَوَّلِ كُلَّ حِينٍ، صَانِعِينَ ٱلْخِدْمَةَ. ٦ 6
इन सबके ऐसे प्रबंध के बाद परमेश्वर की आराधना के लिए पुरोहित हर समय बाहरी तंबू में प्रवेश किया करते थे.
وَأَمَّا إِلَى ٱلثَّانِي فَرَئِيسُ ٱلْكَهَنَةِ فَقَطْ مَرَّةً فِي ٱلسَّنَةِ، لَيْسَ بِلَا دَمٍ يُقَدِّمُهُ عَنْ نَفْسِهِ وَعَنْ جَهَالَاتِ ٱلشَّعْبِ، ٧ 7
किंतु दूसरे कमरे में मात्र महापुरोहित ही लहू लेकर प्रवेश करता था और वह भी वर्ष में सिर्फ एक ही अवसर पर—स्वयं अपने लिए तथा लोगों द्वारा अनजाने में किए गए पापों के लिए—बलि अर्पण के लिए.
مُعْلِنًا ٱلرُّوحُ ٱلْقُدُسُ بِهَذَا أَنَّ طَرِيقَ ٱلْأَقْدَاسِ لَمْ يُظْهَرْ بَعْدُ، مَا دَامَ ٱلْمَسْكَنُ ٱلْأَوَّلُ لَهُ إِقَامَةٌ، ٨ 8
पवित्र आत्मा यह बात स्पष्ट कर रहे हैं कि जब तक बाहरी कमरा है, परम पवित्र स्थान में प्रवेश-मार्ग खुला नहीं है.
ٱلَّذِي هُوَ رَمْزٌ لِلْوَقْتِ ٱلْحَاضِرِ، ٱلَّذِي فِيهِ تُقَدَّمُ قَرَابِينُ وَذَبَائِحُ، لَا يُمْكِنُ مِنْ جِهَةِ ٱلضَّمِيرِ أَنْ تُكَمِّلَ ٱلَّذِي يَخْدِمُ، ٩ 9
यह बाहरी तंबू वर्तमान काल का प्रतीक है. सच यह है कि भेंटे तथा बलि, जो पुरोहित के द्वारा चढ़ाई जाती हैं, आराधना करनेवालों के विवेक को निर्दोष नहीं बना देतीं.
وَهِيَ قَائِمَةٌ بِأَطْعِمَةٍ وَأَشْرِبَةٍ وَغَسَلَاتٍ مُخْتَلِفَةٍ وَفَرَائِضَ جَسَدِيَّةٍ فَقَطْ، مَوْضُوعَةٍ إِلَى وَقْتِ ٱلْإِصْلَاحِ. ١٠ 10
ये सुधार के समय तक ही असरदार रहेंगी क्योंकि इनका संबंध सिर्फ खान-पान तथा भिन्‍न-भिन्‍न शुद्ध करने की विधियों से है—उन विधियों से, जो शरीर से संबंधित हैं.
وَأَمَّا ٱلْمَسِيحُ، وَهُوَ قَدْ جَاءَ رَئِيسَ كَهَنَةٍ لِلْخَيْرَاتِ ٱلْعَتِيدَةِ، فَبِٱلْمَسْكَنِ ٱلْأَعْظَمِ وَٱلْأَكْمَلِ، غَيْرِ ٱلْمَصْنُوعِ بِيَدٍ، أَيِ ٱلَّذِي لَيْسَ مِنْ هَذِهِ ٱلْخَلِيقَةِ، ١١ 11
किंतु जब मसीह आनेवाली अच्छी वस्तुओं के महापुरोहित के रूप में प्रकट हुए, उन्होंने उत्तम और सिद्ध तंबू में से, जो मनुष्य के हाथ से नहीं बना अर्थात् इस सृष्टि का नहीं था,
وَلَيْسَ بِدَمِ تُيُوسٍ وَعُجُولٍ، بَلْ بِدَمِ نَفْسِهِ، دَخَلَ مَرَّةً وَاحِدَةً إِلَى ٱلْأَقْدَاسِ، فَوَجَدَ فِدَاءً أَبَدِيًّا. (aiōnios g166) ١٢ 12
बकरों और बछड़ों के नहीं परंतु स्वयं अपने लहू के द्वारा परम पवित्र स्थान में सिर्फ एक ही प्रवेश में अनंत छुटकारा प्राप्‍त किया. (aiōnios g166)
لِأَنَّهُ إِنْ كَانَ دَمُ ثِيرَانٍ وَتُيُوسٍ وَرَمَادُ عِجْلَةٍ مَرْشُوشٌ عَلَى ٱلْمُنَجَّسِينَ، يُقَدِّسُ إِلَى طَهَارَةِ ٱلْجَسَدِ، ١٣ 13
क्योंकि यदि बकरों और बैलों का लहू तथा कलोर की राख का छिड़काव सांस्कारिक रूप से अशुद्ध हुए मनुष्यों के शरीर को शुद्ध कर सकता था
فَكَمْ بِٱلْحَرِيِّ يَكُونُ دَمُ ٱلْمَسِيحِ، ٱلَّذِي بِرُوحٍ أَزَلِيٍّ قَدَّمَ نَفْسَهُ لِلهِ بِلَا عَيْبٍ، يُطَهِّرُ ضَمَائِرَكُمْ مِنْ أَعْمَالٍ مَيِّتَةٍ لِتَخْدِمُوا ٱللهَ ٱلْحَيَّ! (aiōnios g166) ١٤ 14
तो मसीह का लहू, जिन्होंने अनंत आत्मा के माध्यम से स्वयं को परमेश्वर के सामने निर्दोष बलि के रूप में भेंट कर दिया, जीवित परमेश्वर की सेवा के लिए तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से शुद्ध कैसे न करेगा! (aiōnios g166)
وَلِأَجْلِ هَذَا هُوَ وَسِيطُ عَهْدٍ جَدِيدٍ، لِكَيْ يَكُونَ ٱلْمَدْعُوُّونَ - إِذْ صَارَ مَوْتٌ لِفِدَاءِ ٱلتَّعَدِّيَاتِ ٱلَّتِي فِي ٱلْعَهْدِ ٱلْأَوَّلِ - يَنَالُونَ وَعْدَ ٱلْمِيرَاثِ ٱلْأَبَدِيِّ. (aiōnios g166) ١٥ 15
इसलिये वह एक नई वाचा के मध्यस्थ हैं कि वे सब, जिनको बुलाया गया है, प्रतिज्ञा की हुई अनंत उत्तराधिकार प्राप्‍त कर सकें क्योंकि इस मृत्यु के द्वारा उन अपराधों का छुटकारा पूरा हो चुका है, जो उस समय किए गए थे, जब पहली वाचा प्रभावी थी. (aiōnios g166)
لِأَنَّهُ حَيْثُ تُوجَدُ وَصِيَّةٌ، يَلْزَمُ بَيَانُ مَوْتِ ٱلْمُوصِي. ١٦ 16
जहां वाचा है, वहां ज़रूरी है कि वाचा बांधनेवाले की मृत्यु हो,
لِأَنَّ ٱلْوَصِيَّةَ ثَابِتَةٌ عَلَى ٱلْمَوْتَى، إِذْ لَا قُوَّةَ لَهَا ٱلْبَتَّةَ مَا دَامَ ٱلْمُوصِي حَيًّا. ١٧ 17
क्योंकि वाचा उसके बांधनेवाले की मृत्यु के साबित होने पर ही जायज़ होती है; जब तक वह जीवित रहता है, वाचा प्रभावी हो ही नहीं सकती.
فَمِنْ ثَمَّ ٱلْأَوَّلُ أَيْضًا لَمْ يُكَرَّسْ بِلَا دَمٍ، ١٨ 18
यही कारण है कि पहली वाचा भी बिना लहू के प्रभावी नहीं हुई थी.
لِأَنَّ مُوسَى بَعْدَمَا كَلَّمَ جَمِيعَ ٱلشَّعْبِ بِكُلِّ وَصِيَّةٍ بِحَسَبِ ٱلنَّامُوسِ، أَخَذَ دَمَ ٱلْعُجُولِ وَٱلتُّيُوسِ، مَعَ مَاءٍ وَصُوفًا قِرْمِزِيًّا وَزُوفَا، وَرَشَّ ٱلْكِتَابَ نَفْسَهُ وَجَمِيعَ ٱلشَّعْبِ، ١٩ 19
जब मोशेह अपने मुख से व्यवस्था के अनुसार इस्राएल को सारी आज्ञा दे चुके, उन्होंने बछड़ों और बकरों का लहू लेकर जल, लाल ऊन तथा जूफ़ा झाड़ी की छड़ी के द्वारा व्यवस्था की पुस्तक तथा इस्राएली प्रजा दोनों ही पर यह कहते हुए छिड़क दिया.
قَائِلًا: «هَذَا هُوَ دَمُ ٱلْعَهْدِ ٱلَّذِي أَوْصَاكُمُ ٱللهُ بِهِ». ٢٠ 20
“यह उस वाचा, जिसे पालन करने की आज्ञा परमेश्वर ने तुम्हें दी है, उसका रक्त है.”
وَٱلْمَسْكَنَ أَيْضًا وَجَمِيعَ آنِيَةِ ٱلْخِدْمَةِ رَشَّهَا كَذَلِكَ بِٱلدَّمِ. ٢١ 21
इसी प्रकार उन्होंने तंबू और सेवा के लिए इस्तेमाल किए सभी पात्रों पर भी लहू छिड़क दिया.
وَكُلُّ شَيْءٍ تَقْرِيبًا يَتَطَهَّرُ حَسَبَ ٱلنَّامُوسِ بِٱلدَّمِ، وَبِدُونِ سَفْكِ دَمٍ لَا تَحْصُلُ مَغْفِرَةٌ! ٢٢ 22
वस्तुतः व्यवस्था के अंतर्गत प्रायः हर एक वस्तु लहू के छिड़काव द्वारा पवित्र की गई. बलि-लहू के बिना पाप क्षमा संभव नहीं.
فَكَانَ يَلْزَمُ أَنَّ أَمْثِلَةَ ٱلْأَشْيَاءِ ٱلَّتِي فِي ٱلسَّمَاوَاتِ تُطَهَّرُ بِهَذِهِ، وَأَمَّا ٱلسَّمَاوِيَّاتُ عَيْنُهَا، فَبِذَبَائِحَ أَفْضَلَ مِنْ هَذِهِ. ٢٣ 23
इसलिये यह ज़रूरी था कि स्वर्गीय वस्तुओं का प्रतिरूप इन्हीं के द्वारा शुद्ध किया जाए किंतु स्वयं स्वर्गीय वस्तुएं इनकी तुलना में उत्तम बलियों द्वारा.
لِأَنَّ ٱلْمَسِيحَ لَمْ يَدْخُلْ إِلَى أَقْدَاسٍ مَصْنُوعَةٍ بِيَدٍ أَشْبَاهِ ٱلْحَقِيقِيَّةِ، بَلْ إِلَى ٱلسَّمَاءِ عَيْنِهَا، لِيَظْهَرَ ٱلْآنَ أَمَامَ وَجْهِ ٱللهِ لِأَجْلِنَا. ٢٤ 24
मसीह ने जिस पवित्र स्थान में प्रवेश किया, वह मनुष्य के हाथों से बना नहीं था, जो वास्तविक का प्रतिरूप मात्र हो, परंतु स्वर्ग ही में, कि अब हमारे लिए परमेश्वर की उपस्थिति में प्रकट हों.
وَلَا لِيُقَدِّمَ نَفْسَهُ مِرَارًا كَثِيرَةً، كَمَا يَدْخُلُ رَئِيسُ ٱلْكَهَنَةِ إِلَى ٱلْأَقْدَاسِ كُلَّ سَنَةٍ بِدَمِ آخَرَ. ٢٥ 25
स्थिति ऐसी भी नहीं कि वह स्वयं को बलि स्वरूप बार-बार भेंट करेंगे, जैसे महापुरोहित परम पवित्र स्थान में वर्ष-प्रतिवर्ष उस बलि-लहू को लेकर प्रवेश किया करता था, जो उसका अपना लहू नहीं होता था.
فَإِذْ ذَاكَ كَانَ يَجِبُ أَنْ يَتَأَلَّمَ مِرَارًا كَثِيرَةً مُنْذُ تَأْسِيسِ ٱلْعَالَمِ، وَلَكِنَّهُ ٱلْآنَ قَدْ أُظْهِرَ مَرَّةً عِنْدَ ٱنْقِضَاءِ ٱلدُّهُورِ لِيُبْطِلَ ٱلْخَطِيَّةَ بِذَبِيحَةِ نَفْسِهِ. (aiōn g165) ٢٦ 26
अन्यथा मसीह को सृष्टि के प्रारंभ से दुःख सहना आवश्यक हो जाता किंतु अब युगों की समाप्‍ति पर वह मात्र एक ही बार स्वयं अपनी ही बलि के द्वारा पाप को मिटा देने के लिए प्रकट हो गए. (aiōn g165)
وَكَمَا وُضِعَ لِلنَّاسِ أَنْ يَمُوتُوا مَرَّةً ثُمَّ بَعْدَ ذَلِكَ ٱلدَّيْنُونَةُ، ٢٧ 27
जिस प्रकार हर एक मनुष्य के लिए यह निर्धारित है कि एक बार उसकी मृत्यु हो इसके बाद न्याय,
هَكَذَا ٱلْمَسِيحُ أَيْضًا، بَعْدَمَا قُدِّمَ مَرَّةً لِكَيْ يَحْمِلَ خَطَايَا كَثِيرِينَ، سَيَظْهَرُ ثَانِيَةً بِلَا خَطِيَّةٍ لِلْخَلَاصِ لِلَّذِينَ يَنْتَظِرُونَهُ. ٢٨ 28
उसी प्रकार मसीह येशु अनेकों के पापों के उठाने के लिए एक ही बार स्वयं को भेंट करने के बाद अब दोबारा प्रकट होंगे—पाप के उठाने के लिए नहीं परंतु उनकी छुड़ौती के लिए जो उनके इंतजार में हैं.

< عِبرانِيّين 9 >