< عِبرانِيّين 13 >

لِتَثْبُتِ ٱلْمَحَبَّةُ ٱلْأَخَوِيَّةُ. ١ 1
भाईचारे का प्रेम बना रहे।
لَا تَنْسُوا إِضَافَةَ ٱلْغُرَبَاءِ، لِأَنْ بِهَا أَضَافَ أُنَاسٌ مَلَائِكَةً وَهُمْ لَا يَدْرُونَ. ٢ 2
अतिथि-सत्कार करना न भूलना, क्योंकि इसके द्वारा कितनों ने अनजाने में स्वर्गदूतों का आदर-सत्कार किया है।
اُذْكُرُوا ٱلْمُقَيَّدِينَ كَأَنَّكُمْ مُقَيَّدُونَ مَعَهُمْ، وَٱلْمُذَلِّينَ كَأَنَّكُمْ أَنْتُمْ أَيْضًا فِي ٱلْجَسَدِ. ٣ 3
कैदियों की ऐसी सुधि लो, कि मानो उनके साथ तुम भी कैद हो; और जिनके साथ बुरा बर्ताव किया जाता है, उनकी भी यह समझकर सुधि लिया करो, कि हमारी भी देह है।
لِيَكُنِ ٱلزِّوَاجُ مُكَرَّمًا عِنْدَ كُلِّ وَاحِدٍ، وَٱلْمَضْجَعُ غَيْرَ نَجِسٍ. وَأَمَّا ٱلْعَاهِرُونَ وَٱلزُّنَاةُ فَسَيَدِينُهُمُ ٱللهُ. ٤ 4
विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और विवाह बिछौना निष्कलंक रहे; क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा।
لِتَكُنْ سِيرَتُكُمْ خَالِيَةً مِنْ مَحَبَّةِ ٱلْمَالِ. كُونُوا مُكْتَفِينَ بِمَا عِنْدَكُمْ، لِأَنَّهُ قَالَ: «لَا أُهْمِلُكَ وَلَا أَتْرُكُكَ»، ٥ 5
तुम्हारा स्वभाव लोभरहित हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, “मैं तुझे कभी न छोड़ूँगा, और न कभी तुझे त्यागूँगा।”
حَتَّى إِنَّنَا نَقُولُ وَاثِقِينَ: «ٱلرَّبُّ مُعِينٌ لِي فَلَا أَخَافُ. مَاذَا يَصْنَعُ بِي إِنْسَانٌ؟». ٦ 6
इसलिए हम बेधड़क होकर कहते हैं, “प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूँगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?”
اُذْكُرُوا مُرْشِدِيكُمُ ٱلَّذِينَ كَلَّمُوكُمْ بِكَلِمَةِ ٱللهِ. ٱنْظُرُوا إِلَى نِهَايَةِ سِيرَتِهِمْ فَتَمَثَّلُوا بِإِيمَانِهِمْ. ٧ 7
जो तुम्हारे अगुए थे, और जिन्होंने तुम्हें परमेश्वर का वचन सुनाया है, उन्हें स्मरण रखो; और ध्यान से उनके चाल-चलन का अन्त देखकर उनके विश्वास का अनुकरण करो।
يَسُوعُ ٱلْمَسِيحُ هُوَ هُوَ أَمْسًا وَٱلْيَوْمَ وَإِلَى ٱلْأَبَدِ. (aiōn g165) ٨ 8
यीशु मसीह कल और आज और युगानुयुग एक-सा है। (aiōn g165)
لَا تُسَاقُوا بِتَعَالِيمَ مُتَنَوِّعَةٍ وَغَرِيبَةٍ، لِأَنَّهُ حَسَنٌ أَنْ يُثَبَّتَ ٱلْقَلْبُ بِٱلنِّعْمَةِ، لَا بِأَطْعِمَةٍ لَمْ يَنْتَفِعْ بِهَا ٱلَّذِينَ تَعَاطَوْهَا. ٩ 9
नाना प्रकार के और ऊपरी उपदेशों से न भरमाए जाओ, क्योंकि मन का अनुग्रह से दृढ़ रहना भला है, न कि उन खाने की वस्तुओं से जिनसे काम रखनेवालों को कुछ लाभ न हुआ।
لَنَا «مَذْبَحٌ» لَا سُلْطَانَ لِلَّذِينَ يَخْدِمُونَ ٱلْمَسْكَنَ أَنْ يَأْكُلُوا مِنْهُ. ١٠ 10
१०हमारी एक ऐसी वेदी है, जिस पर से खाने का अधिकार उन लोगों को नहीं, जो तम्बू की सेवा करते हैं।
فَإِنَّ ٱلْحَيَوَانَاتِ ٱلَّتِي يُدْخَلُ بِدَمِهَا عَنِ ٱلْخَطِيَّةِ إِلَى «ٱلْأَقْدَاسِ» بِيَدِ رَئِيسِ ٱلْكَهَنَةِ تُحْرَقُ أَجْسَامُهَا خَارِجَ ٱلْمَحَلَّةِ. ١١ 11
११क्योंकि जिन पशुओं का लहू महायाजक पापबलि के लिये पवित्रस्थान में ले जाता है, उनकी देह छावनी के बाहर जलाई जाती है।
لِذَلِكَ يَسُوعُ أَيْضًا، لِكَيْ يُقَدِّسَ ٱلشَّعْبَ بِدَمِ نَفْسِهِ، تَأَلَّمَ خَارِجَ ٱلْبَابِ. ١٢ 12
१२इसी कारण, यीशु ने भी लोगों को अपने ही लहू के द्वारा पवित्र करने के लिये फाटक के बाहर दुःख उठाया।
فَلْنَخْرُجْ إِذًا إِلَيْهِ خَارِجَ ٱلْمَحَلَّةِ حَامِلِينَ عَارَهُ. ١٣ 13
१३इसलिए, आओ उसकी निन्दा अपने ऊपर लिए हुए छावनी के बाहर उसके पास निकल चलें।
لِأَنْ لَيْسَ لَنَا هُنَا مَدِينَةٌ بَاقِيَةٌ، لَكِنَّنَا نَطْلُبُ ٱلْعَتِيدَةَ. ١٤ 14
१४क्योंकि यहाँ हमारा कोई स्थिर रहनेवाला नगर नहीं, वरन् हम एक आनेवाले नगर की खोज में हैं।
فَلْنُقَدِّمْ بِهِ فِي كُلِّ حِينٍ لِلهِ ذَبِيحَةَ ٱلتَّسْبِيحِ، أَيْ ثَمَرَ شِفَاهٍ مُعْتَرِفَةٍ بِٱسْمِهِ. ١٥ 15
१५इसलिए हम उसके द्वारा स्तुतिरूपी बलिदान, अर्थात् उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।
وَلَكِنْ لَا تَنْسُوا فِعْلَ ٱلْخَيْرِ وَٱلتَّوْزِيعَ، لِأَنَّهُ بِذَبَائِحَ مِثْلِ هَذِهِ يُسَرُّ ٱللهُ. ١٦ 16
१६पर भलाई करना, और उदारता न भूलो; क्योंकि परमेश्वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्न होता है।
أَطِيعُوا مُرْشِدِيكُمْ وَٱخْضَعُوا، لِأَنَّهُمْ يَسْهَرُونَ لِأَجْلِ نُفُوسِكُمْ كَأَنَّهُمْ سَوْفَ يُعْطُونَ حِسَابًا، لِكَيْ يَفْعَلُوا ذَلِكَ بِفَرَحٍ، لَا آنِّينَ، لِأَنَّ هَذَا غَيْرُ نَافِعٍ لَكُمْ. ١٧ 17
१७अपने अगुओं की मानो; और उनके अधीन रहो, क्योंकि वे उनके समान तुम्हारे प्राणों के लिये जागते रहते, जिन्हें लेखा देना पड़ेगा, कि वे यह काम आनन्द से करें, न कि ठंडी साँस ले लेकर, क्योंकि इस दशा में तुम्हें कुछ लाभ नहीं।
صَلُّوا لِأَجْلِنَا، لِأَنَّنَا نَثِقُ أَنَّ لَنَا ضَمِيرًا صَالِحًا، رَاغِبِينَ أَنْ نَتَصَرَّفَ حَسَنًا فِي كُلِّ شَيْءٍ. ١٨ 18
१८हमारे लिये प्रार्थना करते रहो, क्योंकि हमें भरोसा है, कि हमारा विवेक शुद्ध है; और हम सब बातों में अच्छी चाल चलना चाहते हैं।
وَلَكِنْ أَطْلُبُ أَكْثَرَ أَنْ تَفْعَلُوا هَذَا لِكَيْ أُرَدَّ إِلَيْكُمْ بِأَكْثَرِ سُرْعَةٍ. ١٩ 19
१९प्रार्थना करने के लिये मैं तुम्हें और भी उत्साहित करता हूँ, ताकि मैं शीघ्र तुम्हारे पास फिर आ सकूँ।
وَإِلَهُ ٱلسَّلَامِ ٱلَّذِي أَقَامَ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ رَاعِيَ ٱلْخِرَافِ ٱلْعَظِيمَ، رَبَّنَا يَسُوعَ، بِدَمِ ٱلْعَهْدِ ٱلْأَبَدِيِّ، (aiōnios g166) ٢٠ 20
२०अब शान्तिदाता परमेश्वर जो हमारे प्रभु यीशु को जो भेड़ों का महान रखवाला है सनातन वाचा के लहू के गुण से मरे हुओं में से जिलाकर ले आया, (aiōnios g166)
لِيُكَمِّلْكُمْ فِي كُلِّ عَمَلٍ صَالِحٍ لِتَصْنَعُوا مَشِيئَتَهُ، عَامِلًا فِيكُمْ مَا يُرْضِي أَمَامَهُ بِيَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ، ٱلَّذِي لَهُ ٱلْمَجْدُ إِلَى أَبَدِ ٱلْآبِدِينَ. آمِينَ. (aiōn g165) ٢١ 21
२१तुम्हें हर एक भली बात में सिद्ध करे, जिससे तुम उसकी इच्छा पूरी करो, और जो कुछ उसको भाता है, उसे यीशु मसीह के द्वारा हम में पूरा करे, उसकी महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन। (aiōn g165)
وَأَطْلُبُ إِلَيْكُمْ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ أَنْ تَحْتَمِلُوا كَلِمَةَ ٱلْوَعْظِ، لِأَنِّي بِكَلِمَاتٍ قَلِيلَةٍ كَتَبْتُ إِلَيْكُمْ. ٢٢ 22
२२हे भाइयों मैं तुम से विनती करता हूँ, कि इन उपदेश की बातों को सह लो; क्योंकि मैंने तुम्हें बहुत संक्षेप में लिखा है।
اِعْلَمُوا أَنَّهُ قَدْ أُطْلِقَ ٱلْأَخُ تِيمُوثَاوُسُ، ٱلَّذِي مَعَهُ سَوْفَ أَرَاكُمْ، إِنْ أَتَى سَرِيعًا. ٢٣ 23
२३तुम यह जान लो कि तीमुथियुस हमारा भाई छूट गया है और यदि वह शीघ्र आ गया, तो मैं उसके साथ तुम से भेंट करूँगा।
سَلِّمُوا عَلَى جَمِيعِ مُرْشِدِيكُمْ وَجَمِيعِ ٱلْقِدِّيسِينَ. يُسَلِّمُ عَلَيْكُمُ ٱلَّذِينَ مِنْ إِيطَالِيَا. ٢٤ 24
२४अपने सब अगुओं और सब पवित्र लोगों को नमस्कार कहो। इतालियावाले तुम्हें नमस्कार कहते हैं।
اَلنِّعْمَةُ مَعَ جَمِيعِكُمْ. آمِينَ. -إِلَى الْعِبْرانِيِّينَ، كُتِبَتْ مِنْ إِيطَاليَا، عَلَى يَدِ تِيمُوثَاوُسَ- ٢٥ 25
२५तुम सब पर अनुग्रह होता रहे। आमीन।

< عِبرانِيّين 13 >