< أفَسُس 6 >
أَيُّهَا ٱلْأَوْلَادُ، أَطِيعُوا وَالِدِيكُمْ فِي ٱلرَّبِّ لِأَنَّ هَذَا حَقٌّ. | ١ 1 |
हे बालको, प्रभु में अपने माता-पिता का आज्ञापालन करें क्योंकि उचित यही है.
«أَكْرِمْ أَبَاكَ وَأُمَّكَ»، ٱلَّتِي هِيَ أَوَّلُ وَصِيَّةٍ بِوَعْدٍ، | ٢ 2 |
“अपने माता-पिता का सम्मान करो”—आज्ञाओं में से यह ऐसी पहली आज्ञा है जिसके साथ प्रतिज्ञा जुड़ी है,
«لِكَيْ يَكُونَ لَكُمْ خَيْرٌ، وَتَكُونُوا طِوَالَ ٱلْأَعْمَارِ عَلَى ٱلْأَرْضِ». | ٣ 3 |
“तुम्हारा भला हो और तुम पृथ्वी पर बहुत दिन तक जीवित रहो.”
وَأَنْتُمْ أَيُّهَا ٱلْآبَاءُ، لَا تُغِيظُوا أَوْلَادَكُمْ، بَلْ رَبُّوهُمْ بِتَأْدِيبِ ٱلرَّبِّ وَإِنْذَارِهِ. | ٤ 4 |
तुममें जो पिता हैं, अपनी संतान को क्रोध न दिलाएं, परंतु प्रभु की शिक्षा व अनुशासन में उनका पालन पोषण करें.
أَيُّهَا ٱلْعَبِيدُ، أَطِيعُوا سَادَتَكُمْ حَسَبَ ٱلْجَسَدِ بِخَوْفٍ وَرِعْدَةٍ، فِي بَسَاطَةِ قُلُوبِكُمْ كَمَا لِلْمَسِيحِ، | ٥ 5 |
जो दास हैं, अपने सांसारिक स्वामियों का आज्ञापालन सच्चाई से व एकचित्त होकर ऐसे करें मानो मसीह का.
لَا بِخِدْمَةِ ٱلْعَيْنِ كَمَنْ يُرْضِي ٱلنَّاسَ، بَلْ كَعَبِيدِ ٱلْمَسِيحِ، عَامِلِينَ مَشِيئَةَ ٱللهِ مِنَ ٱلْقَلْبِ، | ٦ 6 |
यह सब मात्र दिखावे के लिए व उन्हें प्रसन्न करने के उद्देश्य मात्र से नहीं परंतु मसीह के दास के रूप में हृदय से परमेश्वर की इच्छा की पूर्ति करते हुए हो.
خَادِمِينَ بِنِيَّةٍ صَالِحَةٍ كَمَا لِلرَّبِّ، لَيْسَ لِلنَّاسِ. | ٧ 7 |
सच्चे हृदय से स्वामियों की सेवा इस प्रकार करते रहो मानो मनुष्य मात्र की नहीं परंतु प्रभु की सेवा कर रहे हो,
عَالِمِينَ أَنْ مَهْمَا عَمِلَ كُلُّ وَاحِدٍ مِنَ ٱلْخَيْرِ فَذَلِكَ يَنَالُهُ مِنَ ٱلرَّبِّ، عَبْدًا كَانَ أَمْ حُرًّا. | ٨ 8 |
यह जानते हुए कि हर एक मनुष्य चाहे वह दास हो या स्वतंत्र, अपने अच्छे कामों का प्रतिफल प्रभु से प्राप्त करेगा.
وَأَنْتُمْ أَيُّهَا ٱلسَّادَةُ، ٱفْعَلُوا لَهُمْ هَذِهِ ٱلْأُمُورَ، تَارِكِينَ ٱلتَّهْدِيدَ، عَالِمِينَ أَنَّ سَيِّدَكُمْ أَنْتُمْ أَيْضًا فِي ٱلسَّمَاوَاتِ، وَلَيْسَ عِنْدَهُ مُحَابَاةٌ. | ٩ 9 |
जो स्वामी हैं, वे भी दासों के साथ ऐसा ही व्यवहार करें और उन्हें डराना-धमकाना छोड़ दें, यह ध्यान रखते हुए कि तुम्हारे व दासों दोनों ही के स्वामी स्वर्ग में हैं, जिनके स्वभाव में किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं है.
أَخِيرًا يَا إِخْوَتِي، تَقَوَّوْا فِي ٱلرَّبِّ وَفِي شِدَّةِ قُوَّتِهِ. | ١٠ 10 |
इसलिये, प्रभु व उनके अपार सामर्थ्य में बलवंत बनो.
ٱلْبَسُوا سِلَاحَ ٱللهِ ٱلْكَامِلَ لِكَيْ تَقْدِرُوا أَنْ تَثْبُتُوا ضِدَّ مَكَايِدِ إِبْلِيسَ. | ١١ 11 |
परमेश्वर के सभी अस्त्र-शस्त्रों से स्वयं को सुसज्जित कर लो, कि तुम शैतान के छल-बल के प्रतिरोध में खड़े रह सको.
فَإِنَّ مُصَارَعَتَنَا لَيْسَتْ مَعَ دَمٍ وَلَحْمٍ، بَلْ مَعَ ٱلرُّؤَسَاءِ، مَعَ ٱلسَّلَاطِينِ، مَعَ وُلَاةِ ٱلْعَالَمِ عَلَى ظُلْمَةِ هَذَا ٱلدَّهْرِ، مَعَ أَجْنَادِ ٱلشَّرِّ ٱلرُّوحِيَّةِ فِي ٱلسَّمَاوِيَّاتِ. (aiōn ) | ١٢ 12 |
हमारा मल्ल-युद्ध सिर्फ मनुष्यों से नहीं, परंतु प्रधानों, अधिकारियों, अंधकार की सांसारिक शक्तियों और आकाशमंडल में दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है. (aiōn )
مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ ٱحْمِلُوا سِلَاحَ ٱللهِ ٱلْكَامِلَ لِكَيْ تَقْدِرُوا أَنْ تُقَاوِمُوا فِي ٱلْيَوْمِ ٱلشِّرِّيرِ، وَبَعْدَ أَنْ تُتَمِّمُوا كُلَّ شَيْءٍ أَنْ تَثْبُتُوا. | ١٣ 13 |
इसलिये स्थिर खड़े रहने के लिए सभी ज़रूरतों को पूरी कर परमेश्वर के सभी अस्त्र-शस्त्रों से स्वयं को सुसज्जित कर लो कि तुम उस बुरे दिन में सामना कर सको.
فَٱثْبُتُوا مُمَنْطِقِينَ أَحْقَاءَكُمْ بِٱلْحَقِّ، وَلَابِسِينَ دِرْعَ ٱلْبِرِّ، | ١٤ 14 |
इसलिये अपनी कमर सच से कसकर, धार्मिकता का कवच धारण कर स्थिर खड़े रहो,
وَحَاذِينَ أَرْجُلَكُمْ بِٱسْتِعْدَادِ إِنْجِيلِ ٱلسَّلَامِ. | ١٥ 15 |
पांवों में शांति के ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार की तत्परता के जूते धारण कर लो.
حَامِلِينَ فَوْقَ ٱلْكُلِّ تُرْسَ ٱلْإِيمَانِ، ٱلَّذِي بِهِ تَقْدِرُونَ أَنْ تُطْفِئُوا جَمِيعَ سِهَامِ ٱلشِّرِّيرِ ٱلْمُلْتَهِبَةِ. | ١٦ 16 |
इनके अलावा विश्वास की ढाल भी, कि तुम दुष्ट के सभी जलते हुए बाणों को बुझा सको.
وَخُذُوا خُوذَةَ ٱلْخَلَاصِ، وَسَيْفَ ٱلرُّوحِ ٱلَّذِي هُوَ كَلِمَةُ ٱللهِ. | ١٧ 17 |
तब उद्धार का टोप तथा आत्मा की तलवार, परमेश्वर का वचन धारण कर लो.
مُصَلِّينَ بِكُلِّ صَلَاةٍ وَطِلْبَةٍ كُلَّ وَقْتٍ فِي ٱلرُّوحِ، وَسَاهِرِينَ لِهَذَا بِعَيْنِهِ بِكُلِّ مُواظَبَةٍ وَطِلْبَةٍ، لِأَجْلِ جَمِيعِ ٱلْقِدِّيسِينَ، | ١٨ 18 |
तथा आत्मा में हर समय विनती और प्रार्थना की जाती रहे. जागते हुए लगातार बिना थके प्रयास करना तुम्हारा लक्ष्य हो. सभी पवित्र लोगों के लिए निरंतर प्रार्थना किया करो.
وَلِأَجْلِي، لِكَيْ يُعْطَى لِي كَلَامٌ عِنْدَ ٱفْتِتَاحِ فَمِي، لِأُعْلِمَ جِهَارًا بِسِرِّ ٱلْإِنْجِيلِ، | ١٩ 19 |
मेरे लिए भी प्रार्थना करो कि मेरा मुख खुलने पर मुझे ईश्वरीय सुसमाचार के भेद की साहस के साथ बोलने की क्षमता प्रदान की जाए,
ٱلَّذِي لِأَجْلِهِ أَنَا سَفِيرٌ فِي سَلَاسِلَ، لِكَيْ أُجَاهِرَ فِيهِ كَمَا يَجِبُ أَنْ أَتَكَلَّمَ. | ٢٠ 20 |
जिस ईश्वरीय सुसमाचार के लिए मैं इन बेड़ियों में भी राजदूत हूं कि मैं इनमें रहते हुए साहस के साथ बोल सकूं, जैसा कि सही भी है.
وَلَكِنْ لِكَيْ تَعْلَمُوا أَنْتُمْ أَيْضًا أَحْوَالِي، مَاذَا أَفْعَلُ، يُعَرِّفُكُمْ بِكُلِّ شَيْءٍ تِيخِيكُسُ ٱلْأَخُ ٱلْحَبِيبُ وَٱلْخَادِمُ ٱلْأَمِينُ فِي ٱلرَّبِّ، | ٢١ 21 |
तुख़िकस, जो प्रभु में मेरा प्रिय भाई और एक विश्वासयोग्य सेवक है, तुम्हें मेरी सभी परिस्थितियों और गतिविधियों से अवगत करा देगा.
ٱلَّذِي أَرْسَلْتُهُ إِلَيْكُمْ لِهَذَا بِعَيْنِهِ، لِكَيْ تَعْلَمُوا أَحْوَالَنَا، وَلِكَيْ يُعَزِّيَ قُلُوبَكُمْ. | ٢٢ 22 |
मैं उसे तुम्हारे पास इसी उद्देश्य से भेज रहा हूं, कि तुम हमारी स्थिति से अवगत हो जाओ, और वह तुम्हारे हृदयों को प्रोत्साहित कर सके.
سَلَامٌ عَلَى ٱلْإِخْوَةِ، وَمَحَبَّةٌ بِإِيمَانٍ مِنَ ٱللهِ ٱلْآبِ وَٱلرَّبِّ يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ. | ٢٣ 23 |
पिता परमेश्वर और प्रभु येशु मसीह की ओर से सभी भाई बहनों को शांति और विश्वास के साथ सप्रेम नमस्कार.
اَلنِّعْمَةُ مَعَ جَمِيعِ ٱلَّذِينَ يُحِبُّونَ رَبَّنَا يَسُوعَ ٱلْمَسِيحَ فِي عَدَمِ فَسَادٍ. آمِينَ. -كُتِبَتْ إِلَى أَهْلِ أَفَسُسَ مِنْ رُومِيَةِ عَلَى يَدِ تِيخِيكُسَ- | ٢٤ 24 |
उन सभी पर अनुग्रह होता रहे, जो हमारे प्रभु येशु मसीह से कभी न खत्म होनेवाला प्रेम करते हैं.