< كُولُوسِي 3 >

فَإِنْ كُنْتُمْ قَدْ قُمْتُمْ مَعَ ٱلْمَسِيحِ فَٱطْلُبُوا مَا فَوْقُ، حَيْثُ ٱلْمَسِيحُ جَالِسٌ عَنْ يَمِينِ ٱللهِ. ١ 1
इसलिये जब तुम मसीह के साथ नवजीवन में जिलाए गए हो तो उन वस्तुओं की खोज में रहो, जो ऊंचे पर विराजमान हैं, जहां मसीह परमेश्वर की दायीं ओर बैठे हैं.
ٱهْتَمُّوا بِمَا فَوْقُ لَا بِمَا عَلَى ٱلْأَرْضِ، ٢ 2
अपना चित्त ऊपर की वस्तुओं में लीन रखो—उन वस्तुओं में नहीं, जो शारीरिक हैं.
لِأَنَّكُمْ قَدْ مُتُّمْ وَحَيَاتُكُمْ مُسْتَتِرَةٌ مَعَ ٱلْمَسِيحِ فِي ٱللهِ. ٣ 3
क्योंकि तुम्हारी मृत्यु हो चुकी है तथा तुम्हारा जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है.
مَتَى أُظْهِرَ ٱلْمَسِيحُ حَيَاتُنَا، فَحِينَئِذٍ تُظْهَرُونَ أَنْتُمْ أَيْضًا مَعَهُ فِي ٱلْمَجْدِ. ٤ 4
जब मसीह, जो हमारा जीवन हैं, प्रकट होंगे, तब तुम भी उनके साथ महिमा में प्रकट होगे.
فَأَمِيتُوا أَعْضَاءَكُمُ ٱلَّتِي عَلَى ٱلْأَرْضِ: ٱلزِّنَا، ٱلنَّجَاسَةَ، ٱلْهَوَى، ٱلشَّهْوَةَ ٱلرَّدِيَّةَ، ٱلطَّمَعَ -ٱلَّذِي هُوَ عِبَادَةُ ٱلْأَوْثَانِ- ٥ 5
इसलिये अपनी पृथ्वी की देह के अंगों को—वेश्यागामी, अशुद्धता, दुष्कामना, लालसा तथा लोभ को, जो वास्तव में मूर्ति पूजा ही है—मार दो
ٱلْأُمُورَ ٱلَّتِي مِنْ أَجْلِهَا يَأْتِي غَضَبُ ٱللهِ عَلَى أَبْنَاءِ ٱلْمَعْصِيَةِ، ٦ 6
क्योंकि इन्हीं के कारण परमेश्वर का क्रोध भड़क उठता है.
ٱلَّذِينَ بَيْنَهُمْ أَنْتُمْ أَيْضًا سَلَكْتُمْ قَبْلًا، حِينَ كُنْتُمْ تَعِيشُونَ فِيهَا. ٧ 7
एक समय तुम्हारा जीवन भी इन्हीं में लीन था.
وَأَمَّا ٱلْآنَ فَٱطْرَحُوا عَنْكُمْ أَنْتُمْ أَيْضًا ٱلْكُلَّ: ٱلْغَضَبَ، ٱلسَّخَطَ، ٱلْخُبْثَ، ٱلتَّجْدِيفَ، ٱلْكَلَامَ ٱلْقَبِيحَ مِنْ أَفْوَاهِكُمْ. ٨ 8
किंतु अब तुम सभी क्रोध, रोष, बैरभाव, निंदा तथा गंदी भाषा का भी त्याग कर दो.
لَا تَكْذِبُوا بَعْضُكُمْ عَلَى بَعْضٍ، إِذْ خَلَعْتُمُ ٱلْإِنْسَانَ ٱلْعَتِيقَ مَعَ أَعْمَالِهِ، ٩ 9
एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम पुराने स्वभाव को उसके कामों सहित उतार चुके
وَلَبِسْتُمُ ٱلْجَدِيدَ ٱلَّذِي يَتَجَدَّدُ لِلْمَعْرِفَةِ حَسَبَ صُورَةِ خَالِقِهِ، ١٠ 10
और अब तुमने नए स्वभाव को धारण कर लिया है. यह स्वभाव अपने सृष्टिकर्ता की छवि के अनुसार वास्तविक ज्ञान के लिए नया होता जाता है.
حَيْثُ لَيْسَ يُونَانِيٌّ وَيَهُودِيٌّ، خِتَانٌ وَغُرْلَةٌ، بَرْبَرِيٌّ سِكِّيثِيٌّ، عَبْدٌ حُرٌّ، بَلِ ٱلْمَسِيحُ ٱلْكُلُّ وَفِي ٱلْكُلِّ. ١١ 11
परिणामस्वरूप अब यूनानी या यहूदी, ख़तनित या ख़तना रहित, बरबर या स्कूती, दास या मुक्त में कोई भेद नहीं है, मसीह ही सब कुछ और सब में मुख्य हैं.
فَٱلْبَسُوا كَمُخْتَارِي ٱللهِ ٱلْقِدِّيسِينَ ٱلْمَحْبُوبِينَ أَحْشَاءَ رَأْفَاتٍ، وَلُطْفًا، وَتَوَاضُعًا، وَوَدَاعَةً، وَطُولَ أَنَاةٍ، ١٢ 12
इसलिये परमेश्वर के चुने हुए, पवित्र लोगों तथा प्रिय पात्रों के समान अपने हृदयों में करुणा, भलाई, विनम्रता, दीनता तथा धीरज धारण कर लो.
مُحْتَمِلِينَ بَعْضُكُمْ بَعْضًا، وَمُسَامِحِينَ بَعْضُكُمْ بَعْضًا. إِنْ كَانَ لِأَحَدٍ عَلَى أَحَدٍ شَكْوَى، كَمَا غَفَرَ لَكُمُ ٱلْمَسِيحُ هَكَذَا أَنْتُمْ أَيْضًا. ١٣ 13
आपस में सहनशीलता और क्षमा करने का भाव बना रहे. यदि किसी को किसी अन्य के प्रति शिकायत हो, वह उसे उसी प्रकार क्षमा करे जैसे प्रभु ने तुम्हें क्षमा किया है
وَعَلَى جَمِيعِ هَذِهِ ٱلْبَسُوا ٱلْمَحَبَّةَ ٱلَّتِي هِيَ رِبَاطُ ٱلْكَمَالِ. ١٤ 14
और इन सबसे बढ़कर प्रेम भाव बनाए रखो, जो एकता का समूचा सूत्र है.
وَلْيَمْلِكْ فِي قُلُوبِكُمْ سَلَامُ ٱللهِ ٱلَّذِي إِلَيْهِ دُعِيتُمْ فِي جَسَدٍ وَاحِدٍ، وَكُونُوا شَاكِرِينَ. ١٥ 15
तुम्हारे हृदय में मसीह की शांति राज्य करे—वस्तुतः एक शरीर में तुम्हें इसी के लिए बुलाया गया है. हमेशा धन्यवादी बने रहो.
لِتَسْكُنْ فِيكُمْ كَلِمَةُ ٱلْمَسِيحِ بِغِنًى، وَأَنْتُمْ بِكُلِّ حِكْمَةٍ مُعَلِّمُونَ وَمُنْذِرُونَ بَعْضُكُمْ بَعْضًا، بِمَزَامِيرَ وَتَسَابِيحَ وَأَغَانِيَّ رُوحِيَّةٍ، بِنِعْمَةٍ، مُتَرَنِّمِينَ فِي قُلُوبِكُمْ لِلرَّبِّ. ١٦ 16
तुममें मसीह के वचन को अपने हृदय में पूरी अधिकाई से बसने दो. एक दूसरे को सिद्ध ज्ञान में शिक्षा तथा चेतावनी दो और परमेश्वर के प्रति हार्दिक धन्यवाद के साथ स्तुति, भजन तथा आत्मिक गीत गाओ
وَكُلُّ مَا عَمِلْتُمْ بِقَوْلٍ أَوْ فِعْلٍ، فَٱعْمَلُوا ٱلْكُلَّ بِٱسْمِ ٱلرَّبِّ يَسُوعَ، شَاكِرِينَ ٱللهَ وَٱلْآبَ بِهِ. ١٧ 17
तथा वचन और काम में जो कुछ करो, वह सब प्रभु येशु मसीह के नाम में पिता परमेश्वर का आभार मानते हुए करो.
أَيَّتُهَا ٱلنِّسَاءُ، ٱخْضَعْنَ لِرِجَالِكُنَّ كَمَا يَلِيقُ فِي ٱلرَّبِّ. ١٨ 18
जैसा उनके लिए उचित है, जो प्रभु में हैं, पत्नी अपने पति के अधीन रहे.
أَيُّهَا ٱلرِّجَالُ، أَحِبُّوا نِسَاءَكُمْ، وَلَا تَكُونُوا قُسَاةً عَلَيْهِنَّ. ١٩ 19
पति अपनी पत्नी से प्रेम करे—उसके प्रति कठोर न हो.
أَيُّهَا ٱلْأَوْلَادُ، أَطِيعُوا وَالِدِيكُمْ فِي كُلِّ شَيْءٍ لِأَنَّ هَذَا مَرْضِيٌّ فِي ٱلرَّبِّ. ٢٠ 20
बालक हमेशा अपने माता-पिता की आज्ञापालन करें क्योंकि प्रभु के लिए यही प्रसन्‍नता है.
أَيُّهَا ٱلْآبَاءُ، لَا تُغِيظُوا أَوْلَادَكُمْ لِئَلَّا يَفْشَلُوا. ٢١ 21
पिता अपनी संतान को असंतुष्ट न करे कि उनका साहस टूट जाए.
أَيُّهَا ٱلْعَبِيدُ، أَطِيعُوا فِي كُلِّ شَيْءٍ سَادَتَكُمْ حَسَبَ ٱلْجَسَدِ، لَا بِخِدْمَةِ ٱلْعَيْنِ كَمَنْ يُرْضِي ٱلنَّاسَ، بَلْ بِبَسَاطَةِ ٱلْقَلْبِ، خَائِفِينَ ٱلرَّبَّ. ٢٢ 22
दास, पृथ्वी पर ठहराए गए अपने स्वामियों की हमेशा आज्ञापालन करें—मात्र दिखावे के लिए नहीं—उनके जैसे नहीं, जो मनुष्यों को प्रसन्‍न करने के लिए ऐसा करते हैं, परंतु प्रभु के भय में मन की सच्चाई में.
وَكُلُّ مَا فَعَلْتُمْ، فَٱعْمَلُوا مِنَ ٱلْقَلْبِ، كَمَا لِلرَّبِّ لَيْسَ لِلنَّاسِ، ٢٣ 23
तुम जो कुछ करते हो, पूरे मन से करो, मानो प्रभु के लिए, न कि मनुष्यों के लिए
عَالِمِينَ أَنَّكُمْ مِنَ ٱلرَّبِّ سَتَأْخُذُونَ جَزَاءَ ٱلْمِيرَاثِ، لِأَنَّكُمْ تَخْدِمُونَ ٱلرَّبَّ ٱلْمَسِيحَ. ٢٤ 24
यह जानते हुए कि प्रभु से तुम्हें इसके फल के रूप में मीरास प्राप्‍त होगी. तुम प्रभु मसीह की सेवा कर रहे हो.
وَأَمَّا ٱلظَّالِمُ فَسَينَالُ مَا ظَلَمَ بِهِ، وَلَيْسَ مُحَابَاةٌ. ٢٥ 25
वह जो बुरा काम करता है, उसे परिणाम भी बुरा ही प्राप्‍त होगा, बिना किसी भेद-भाव के.

< كُولُوسِي 3 >