< ٢ تيموثاوس 3 >
وَلَكِنِ ٱعْلَمْ هَذَا أَنَّهُ فِي ٱلْأَيَّامِ ٱلْأَخِيرَةِ سَتَأْتِي أَزْمِنَةٌ صَعْبَةٌ، | ١ 1 |
लेकिन ये जान रख कि आख़िरी ज़माने में बुरे दिन आएँगे।
لِأَنَّ ٱلنَّاسَ يَكُونُونَ مُحِبِّينَ لِأَنْفُسِهِمْ، مُحِبِّينَ لِلْمَالِ، مُتَعَظِّمِينَ، مُسْتَكْبِرِينَ، مُجَدِّفِينَ، غَيْرَ طَائِعِينَ لِوَالِدِيهِمْ، غَيْرَ شَاكِرِينَ، دَنِسِينَ، | ٢ 2 |
क्यूँकि आदमी ख़ुदग़र्ज़ एहसान फ़रामोश, शेख़ीबाज़, मग़रूर बदग़ो, माँ बाप का नाफ़रमान' नाशुक्र, नापाक,
بِلَا حُنُوٍّ، بِلَا رِضًى، ثَالِبِينَ، عَدِيمِي ٱلنَّزَاهَةِ، شَرِسِينَ، غَيْرَ مُحِبِّينَ لِلصَّلَاحِ، | ٣ 3 |
ज़ाती मुहब्बत से ख़ाली संगदिल तोहमत लगानेवाले बेज़ब्त तुन्द मिज़ाज नेकी के दुश्मन।
خَائِنِينَ، مُقْتَحِمِينَ، مُتَصَلِّفِينَ، مُحِبِّينَ لِلَّذَّاتِ دُونَ مَحَبَّةٍ لِلهِ، | ٤ 4 |
दग़ाबाज़, ढीठ, घमण्ड करने वाले, ख़ुदा की निस्बत ऐश — ओ — अशरत को ज़्यादा दोस्त रखने वाले होंगे।
لَهُمْ صُورَةُ ٱلتَّقْوَى، وَلَكِنَّهُمْ مُنْكِرُونَ قُوَّتَهَا. فَأَعْرِضْ عَنْ هَؤُلَاءِ. | ٥ 5 |
वो दीनदारी का दिखावा तो रखेंगे मगर उस पर अमल न करेंगे ऐसों से भी किनारा करना।
فَإِنَّهُ مِنْ هَؤُلَاءِ هُمُ ٱلَّذِينَ يَدْخُلُونَ ٱلْبُيُوتَ، وَيَسْبُونَ نُسَيَّاتٍ مُحَمَّلَاتٍ خَطَايَا، مُنْسَاقَاتٍ بِشَهَوَاتٍ مُخْتَلِفَةٍ. | ٦ 6 |
इन ही में से वो लोग हैं जो घरों में दबे पाँव घुस आते हैं और उन बद चलन 'औरतों को क़ाबू कर लेते हैं जो गुनाहों में दबी हुई हैं और तरह तरह की ख़्वाहिशों के बस में हैं।
يَتَعَلَّمْنَ فِي كُلِّ حِينٍ، وَلَا يَسْتَطِعْنَ أَنْ يُقْبِلْنَ إِلَى مَعْرِفَةِ ٱلْحَقِّ أَبَدًا. | ٧ 7 |
और हमेशा ता'लीम पाती रहती हैं मगर हक़ की पहचान उन तक कभी नहीं पहुँचती।
وَكَمَا قَاوَمَ يَنِّيسُ وَيَمْبِرِيسُ مُوسَى، كَذَلِكَ هَؤُلَاءِ أَيْضًا يُقَاوِمُونَ ٱلْحَقَّ. أُنَاسٌ فَاسِدَةٌ أَذْهَانُهُمْ، وَمِنْ جِهَةِ ٱلْإِيمَانِ مَرْفُوضُونَ. | ٨ 8 |
और जिस तरह के यत्रेस और यम्ब्रेस ने मूसा की मुख़ालिफ़त की थी ये ऐसे आदमी हैं जिनकी अक़्ल बिगड़ी हुई है और वो ईमान के ऐ'तिबार से ख़ाली हैं।
لَكِنَّهُمْ لَا يَتَقَدَّمُونَ أَكْثَرَ، لِأَنَّ حُمْقَهُمْ سَيَكُونُ وَاضِحًا لِلْجَمِيعِ، كَمَا كَانَ حُمْقُ ذَيْنِكَ أَيْضًا. | ٩ 9 |
मगर इस से ज़्यादा न बढ़ सकेंगे इस वास्ते कि इन की नादानी सब आदमियों पर ज़ाहिर हो जाएगी जैसे उन की भी हो गई थी।
وَأَمَّا أَنْتَ فَقَدْ تَبِعْتَ تَعْلِيمِي، وَسِيرَتِي، وَقَصْدِي، وَإِيمَانِي، وَأَنَاتِي، وَمَحَبَّتِي، وَصَبْرِي، | ١٠ 10 |
लेकिन तू ने ता'लीम, चाल चलन, इरादा, ईमान, तहम्मील, मुहब्बत, सब्र, सताए जाने और दु: ख उठाने में मेरी पैरवी की।
وَٱضْطِهَادَاتِي، وَآلَامِي، مِثْلَ مَا أَصَابَنِي فِي أَنْطَاكِيَةَ وَإِيقُونِيَّةَ وَلِسْتِرَةَ. أَيَّةَ ٱضْطِهَادَاتٍ ٱحْتَمَلْتُ! وَمِنَ ٱلْجَمِيعِ أَنْقَذَنِي ٱلرَّبُّ. | ١١ 11 |
या'नी ऐसे दु: खों में जो अन्ताकिया और इकुनियुस और लुस्तरा शहरों में मुझ पर पड़े दीगर दु: खों में भी जो मैने उठाए हैं मगर ख़ुदावन्द ने मुझे उन सब से छुड़ा लिया।
وَجَمِيعُ ٱلَّذِينَ يُرِيدُونَ أَنْ يَعِيشُوا بِٱلتَّقْوَى فِي ٱلْمَسِيحِ يَسُوعَ يُضْطَهَدُونَ. | ١٢ 12 |
बल्कि जितने मसीह ईसा में दीनदारी के साथ ज़िन्दगी गुज़ारना चाहते हैं वो सब सताए जाएँगे।
وَلَكِنَّ ٱلنَّاسَ ٱلْأَشْرَارَ ٱلْمُزَوِّرِينَ سَيَتَقَدَّمُونَ إِلَى أَرْدَأَ، مُضِلِّينَ وَمُضَلِّينَ. | ١٣ 13 |
और बुरे और धोखेबाज़ आदमी फ़रेब देते और फ़रेब खाते हुए बिगड़ते चले जाएँगे।
وَأَمَّا أَنْتَ فَٱثْبُتْ عَلَى مَا تَعَلَّمْتَ وَأَيْقَنْتَ، عَارِفًا مِمَّنْ تَعَلَّمْتَ. | ١٤ 14 |
मगर तू उन बातों पर जो तू ने सीखी थीं, और जिनका यक़ीन तुझे दिलाया गया था, ये जान कर क़ाईम रह कि तू ने उन्हें किन लोगों से सीखा था।
وَأَنَّكَ مُنْذُ ٱلطُّفُولِيَّةِ تَعْرِفُ ٱلْكُتُبَ ٱلْمُقَدَّسَةَ، ٱلْقَادِرَةَ أَنْ تُحَكِّمَكَ لِلْخَلَاصِ، بِٱلْإِيمَانِ ٱلَّذِي فِي ٱلْمَسِيحِ يَسُوعَ. | ١٥ 15 |
और तू बचपन से उन पाक नविश्तों से वाक़िफ़ है, जो तुझे मसीह 'ईसा पर ईमान लाने से नजात हासिल करने के लिए दानाई बख़्श सकते हैं।
كُلُّ ٱلْكِتَابِ هُوَ مُوحًى بِهِ مِنَ ٱللهِ، وَنَافِعٌ لِلتَّعْلِيمِ وَٱلتَّوْبِيخِ، لِلتَّقْوِيمِ وَٱلتَّأْدِيبِ ٱلَّذِي فِي ٱلْبِرِّ، | ١٦ 16 |
हर एक सहीफ़ा जो ख़ुदा के इल्हाम से है ता'लीम और इल्ज़ाम और इस्लाह और रास्तबाज़ी में तरबियत करने के लिए फ़ाइदे मन्द भी है।
لِكَيْ يَكُونَ إِنْسَانُ ٱللهِ كَامِلًا، مُتَأَهِّبًا لِكُلِّ عَمَلٍ صَالِحٍ. | ١٧ 17 |
ताकि मर्दे ख़ुदा कामिल बने और हर एक नेक काम के लिए बिल्कुल तैयार हो जाए।