< ٢ أخبار 9 >
وَسَمِعَتْ مَلِكَةُ سَبَا بِخَبَرِ سُلَيْمَانَ، فَأَتَتْ لِتَمْتَحِنَ سُلَيْمَانَ بِمَسَائِلَ إِلَى أُورُشَلِيمَ، بِمَوْكِبٍ عَظِيمٍ جِدًّا، وَجِمَالٍ حَامِلَةٍ أَطْيَابًا وَذَهَبًا بِكَثْرَةٍ وَحِجَارَةً كَرِيمَةً، فَأَتَتْ إِلَى سُلَيْمَانَ وَكَلَّمَتْهُ عَنْ كُلِّ مَا فِي قَلْبِهَا. | ١ 1 |
जब सबा की मलिका ने सुलेमान की शोहरत सुनी तो वह मुश्किल सवालों से सुलेमान को आज़माने के लिए बहुत बड़ी जिलौ और ऊटों के साथ जिन पर मसाल्हे और बाइफ़रात सोना और जवाहर थे येरूशलेम में आई और सुलेमान के पास आकर जो कुछ उसके दिल में था उस सब की बारे में उससे बातें की।
فَأَخْبَرَهَا سُلَيْمَانُ بِكُلِّ كَلَامِهَا. وَلَمْ يُخْفَ عَنْ سُلَيْمَانَ أَمْرٌ إِلَّا وَأَخْبَرَهَا بِهِ. | ٢ 2 |
सुलेमान ने उसके सब सवालो का जवाब उसे दिया और सुलेमान से कोई बात छिपी हुई न थी कि वह उसकों बता न सका।
فَلَمَّا رَأَتْ مَلِكَةُ سَبَا حِكْمَةَ سُلَيْمَانَ وَٱلْبَيْتَ ٱلَّذِي بَنَاهُ، | ٣ 3 |
जब सबा की मलिका ने सुलेमान की 'अक़्लमन्दी को और उस घर को जो उसने बनाया था।
وَطَعَامَ مَائِدَتِهِ، وَمَجْلِسَ عَبِيدِهِ، وَمَوْقِفَ خُدَّامِهِ وَمَلَابِسَهُمْ، وَسُقَاتَهُ وَمَلَابِسَهُمْ، وَمُحْرَقَاتِهِ ٱلَّتِي كَانَ يُصْعِدُهَا فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ، لَمْ تَبْقَ فِيهَا رُوحٌ بَعْدُ. | ٤ 4 |
और उसके दस्तरख़्वान की ने'मत और उसके ख़ादिमो की निश्सत और उसके मुलाज़िमो की हाज़िर बाशी और उनके लिबास और उसके साक़ियों और उनके लिबास को और उस ज़ीने को जिस से वह ख़ुदावन्द को घर को जाता था देखा तो उस के होश उड़ गए।
فَقَالَتْ لِلْمَلِكِ: «صَحِيحٌ ٱلْخَبَرُ ٱلَّذِي سَمِعْتُهُ فِي أَرْضِي عَنْ أُمُورِكَ وَعَنْ حِكْمَتِكَ. | ٥ 5 |
और उसने बादशाह से कहाँ, कि वह सच्ची ख़बर थी जो मैंने तेरे कामों और तेरी हिकमत की बारे में अपने मुल्क में सुनी थी।
وَلَمْ أُصَدِّقْ كَلَامَهُمْ حَتَّى جِئْتُ وَأَبْصَرَتْ عَيْنَايَ، فَهُوَذَا لَمْ أُخْبَرْ بِنِصْفِ كَثْرَةِ حِكْمَتِكَ. زِدْتَ عَلَى ٱلْخَبَرِ ٱلَّذِي سَمِعْتُهُ. | ٦ 6 |
तोभी जब तक मैंने आकर अपनी आँखों से न देख लिया उनकी बातों का यक़ीन न किया और देख जितनी बड़ी तेरी हिकमत है उसका आधा बयान भी मेरे आगे नहीं हुआ तो उस शहर से बढ़कर है जो मैंने सुनी थी।
فَطُوبَى لِرِجَالِكَ وَطُوبَى لِعَبِيدِكَ هَؤُلَاءِ ٱلْوَاقِفِينَ أَمَامَكَ دَائِمًا وَٱلسَّامِعِينَ حِكْمَتَكَ. | ٧ 7 |
ख़ुश नसीब है तेरे लोग और ख़ुश नसीब है तेरे यह मलाज़िम जो हमेशा तेरे सामने खड़े रहते और और तेरी हिक्मत सुनते है।
لِيَكُنْ مُبَارَكًا ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ ٱلَّذِي سُرَّ بِكَ وَجَعَلَكَ عَلَى كُرْسِيِّهِ مَلِكًا لِلرَّبِّ إِلَهِكَ. لِأَنَّ إِلَهَكَ أَحَبَّ إِسْرَائِيلَ لِيُثْبِتَهُ إِلَى ٱلْأَبَدِ، قَدْ جَعَلَكَ عَلَيْهِمْ مَلِكًا، لِتُجْرِيَ حُكْمًا وَعَدْلًا». | ٨ 8 |
ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा मुबारक़ हो जो तुझ से ऐसा राज़ी हुआ कि तुझको अपने तख़्त पर बिठाया ताकि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की तरफ़ से बादशाहों चूँकि तेरे ख़ुदा को इस्राईल से मुहब्बत थी कि उनको हमेशा के लिए क़ाईम करे इसलिए उस ने तुझे उनका बादशाह बनाया ताकि तू 'अदल — ओ — इन्साफ़ करे।
وَأَهْدَتْ لِلْمَلِكِ مِئَةً وَعِشْرِينَ وَزْنَةَ ذَهَبٍ وَأَطْيَابًا كَثِيرَةً جِدًّا وَحِجَارَةً كَرِيمَةً، وَلَمْ يَكُنْ مِثْلُ ذَلِكَ ٱلطِّيبِ ٱلَّذِي أَهْدَتْهُ مَلِكَةُ سَبَا لِلْمَلِكِ سُلَيْمَانَ. | ٩ 9 |
और उस ने एक सौ बीस क़िन्तार सोना और मसाल्हे का बहुत बड़ा ढेर और जवाहर सुलेमान को दिए और जो मसाल्हे सबा की मलिका ने सुलेमान बादशाह को दिए वैसे फ़िर कभी मयस्सर न आए।
وَكَذَا عَبِيدُ حُورَامَ وَعَبِيدُ سُلَيْمَانَ ٱلَّذِينَ جَلَبُوا ذَهَبًا مِنْ أُوفِيرَ أَتَوْا بِخَشَبِ ٱلصَّنْدَلِ وَحِجَارَةٍ كَرِيمَةٍ. | ١٠ 10 |
और हूराम के नौकर भी और सुलेमान के नौकर जो ओफ़ीर से सोना लाते थे, वह चन्दन के दरख़्त और जवाहर भी लाते थे।
وَعَمِلَ ٱلْمَلِكُ خَشَبَ ٱلصَّنْدَلِ دَرَجًا لِبَيْتِ ٱلرَّبِّ وَبَيْتِ ٱلْمَلِكِ، وَأَعْوَادًا وَرَبَابًا، وَلَمْ يُرَ مِثْلُهَا قَبْلُ فِي أَرْضِ يَهُوذَا. | ١١ 11 |
और बादशाह ने चन्दन की लकड़ी से ख़ुदावन्द के घर के लिए और शाही महल के लिए चबूतरे और गाने वालों के लिए बरबत और सितार तैयार कराए; और ऐसी चीज़ें यहूदाह के मुल्क में पहले कभी देखने में नहीं आई थी।
وَأَعْطَى ٱلْمَلِكُ سُلَيْمَانُ مَلِكَةَ سَبَا كُلَّ مُشْتَهَاهَا ٱلَّذِي طَلَبَتْ، فَضْلًا عَمَّا أَتَتْ بِهِ إِلَى ٱلْمَلِكِ. فَٱنْصَرَفَتْ وَذَهَبَتْ إِلَى أَرْضِهَا هِيَ وَعَبِيدُهَا. | ١٢ 12 |
और सुलेमान बादशाह ने सबा की मलिका को जो कुछ उसने चाहा और माँगा उस से ज़्यादा जो वह बादशाह के लिए लाई थी दिया और वह लौटकर अपने मुलाज़िमों समेत अपनी ममलुकत को चली गई।
وَكَانَ وَزْنُ ٱلذَّهَبِ ٱلَّذِي جَاءَ سُلَيْمَانَ فِي سَنَةٍ وَاحِدَةٍ، سِتَّ مِئَةٍ وَسِتًّا وَسِتِّينَ وَزْنَةَ ذَهَبٍ، | ١٣ 13 |
और जितना सोना सुलेमान के पास एक साल में आता था उसका वज़न छे; सौ छियासठ क़िन्तार सोने का था।
فَضْلًا عَنِ ٱلَّذِي جَاءَ بِهِ ٱلتُّجَّارُ وَٱلْمُسْتَبْضِعُونَ. وَكُلُّ مُلُوكِ ٱلْعَرَبِ وَوُلَاةُ ٱلْأَرْضِ كَانُوا يَأْتُونَ بِذَهَبٍ وَفِضَّةٍ إِلَى سُلَيْمَانَ. | ١٤ 14 |
यह उसके 'अलावा था जो ब्यापारी और सौदागर लाते थे और अरब के सब बादशाहऔर मुल्क के हाकिम सुलेमान के पास सोना और चाँदी लाते थे।
وَعَمِلَ ٱلْمَلِكُ سُلَيْمَانُ مِئَتَيْ تُرْسٍ مِنْ ذَهَبٍ مُطَرَّقٍ، خَصَّ ٱلتُّرْسَ ٱلْوَاحِدَ سِتُّ مِئَةِ شَاقِلٍ مِنَ ٱلذَّهَبِ ٱلْمُطَرَّقِ، | ١٥ 15 |
और सुलेमान बादशाह ने पिटे हुए सोने की दो सौ बड़ी ढालें बनवाई, छ; सौ मिस्क़ाल पिटा हुआ सोना एक एक ढाल में लगा।
وَثَلَاثَ مِئَةِ مِجَنٍّ مِنْ ذَهَبٍ مُطَرَّقٍ، خَصَّ ٱلْمِجَنَّ ٱلْوَاحِدَ ثَلَاثُ مِئَةِ شَاقِلٍ مِنَ ٱلذَّهَبِ. وَجَعَلَهَا ٱلْمَلِكُ فِي بَيْتِ وَعْرِ لُبْنَانَ. | ١٦ 16 |
और उसने पिटे हुए सोने की तीन सौ ढालें और बनवाई, एक एक ढाल में तीन सौ मिस्क़ाल सोना लगा, और बादशाह ने उनको लुबनानी बन के घर में रखा।
وَعَمِلَ ٱلْمَلِكُ كُرْسِيًّا عَظِيمًا مِنْ عَاجٍ وَغَشَّاهُ بِذَهَبٍ خَالِصٍ. | ١٧ 17 |
उसके 'अलावा बादशाह ने हाथी दांत का एक बड़ा तख़्त बनवाया और उस पर ख़ालिस सोना मढ़वाया।
وَلِلْكُرْسِيِّ سِتُّ دَرَجَاتٍ. وَلِلْكُرْسِيِّ مَوْطِئٌ مِنْ ذَهَبٍ كُلُّهَا مُتَّصِلَةٌ، وَيَدَانِ مِنْ هُنَا وَمِنْ هُنَاكَ عَلَى مَكَانِ ٱلْجُلُوسِ، وَأَسَدَانِ وَاقِفَانِ بِجَانِبِ ٱلْيَدَيْنِ. | ١٨ 18 |
और उस तख़्त के लिए छ; सीढ़ियाँ और सोने का एक पायदान था, यह सब तख़्त से जुड़ें हुए थे और बैठने की जगह की दोनों तरफ़ एक एक टेक थी और उन टेकों के बराबर दो शेर — ए — बबर खड़े थे।
وَٱثْنَا عَشَرَ أَسَدًا وَاقِفَةٌ هُنَاكَ عَلَى ٱلدَّرَجَاتِ ٱلسِّتِّ مِنْ هُنَا وَمِنْ هُنَاكَ. لَمْ يُعْمَلْ مِثْلُهُ فِي جَمِيعِ ٱلْمَمَالِكِ. | ١٩ 19 |
और उन छओं सीढियों पर इधर और उधर बारह शेर — ए — बबर खड़े थे किसी हुकूमत में कभी नहीं बना था।
وَجَمِيعُ آنِيَةِ شُرْبِ ٱلْمَلِكِ سُلَيْمَانَ مِنْ ذَهَبٍ، وَجَمِيعُ آنِيَةِ بَيْتِ وَعْرِ لُبْنَانَ مِنْ ذَهَبٍ خَالِصٍ. لَمْ تُحْسَبِ ٱلْفِضَّةُ شَيْئًا فِي أَيَّامِ سُلَيْمَانَ، | ٢٠ 20 |
और सुलेमान बादशाह के पीने के सब बर्तन सोने के थे और लुबनानी बन के घर सब बर्तन ख़ालिस सोने के थे सुलेमान के अय्याम में चाँदी की कुछ क़द्र न थी।
لِأَنَّ سُفُنَ ٱلْمَلِكِ كَانَتْ تَسِيرُ إِلَى تَرْشِيشَ مَعَ عَبِيدِ حُورَامَ، وَكَانَتْ سُفُنُ تَرْشِيشَ تَأْتِي مَرَّةً فِي كُلِّ ثَلَاثِ سِنِينَ حَامِلَةً ذَهَبًا وَفِضَّةً وَعَاجًا وَقُرُودًا وَطَوَاوِيسَ. | ٢١ 21 |
क्यूँकि बादशाह के पास जहाज़ थे जो हुराम के नौकारों के साथ तरसीस को जाते थे, तरसीस के यह जहाज़ तीन साल में एक बार सोना और चाँदी और हाथी के दांत और बंदर और मोर लेकर आते थे।
فَتَعَظَّمَ ٱلْمَلِكُ سُلَيْمَانُ عَلَى كُلِّ مُلُوكِ ٱلْأَرْضِ فِي ٱلْغِنَى وَٱلْحِكْمَةِ. | ٢٢ 22 |
सुलेमान बादशाह दौलत और हिकमत में रु — ए — ज़मींन के सब बादशाहों से बढ़ गया।
وَكَانَ جَمِيعُ مُلُوكِ ٱلْأَرْضِ يَلْتَمِسُونَ وَجْهَ سُلَيْمَانَ لِيَسْمَعُوا حِكْمَتَهُ ٱلَّتِي جَعَلَهَا ٱللهُ فِي قَلْبِهِ. | ٢٣ 23 |
और रू — ए — ज़मीन के सब बादशाह सुलेमान के दीदार के मुशताक़ थे ताकि वह उसकी हिकमत जो ख़ुदा ने उसके दिल में डाली थी सुनें।
وَكَانُوا يَأْتُونَ كُلُّ وَاحِدٍ بِهَدِيَّتِهِ، بِآنِيَةِ فِضَّةٍ وَآنِيَةِ ذَهَبٍ وَحُلَلٍ وَسِلَاحٍ وَأَطْيَابٍ وَخَيْلٍ وَبِغَالٍ سَنَةً فَسَنَةً. | ٢٤ 24 |
और वह साल — ब — साल अपना अपना हदिया, या'नी चाँदी के बर्तन और सोने के बर्तन और लिबास और हथियार और मसाल्हे और घोड़े और खच्चर जितने मुक़र्रर थे लाते थे।
وَكَانَ لِسُلَيْمَانَ أَرْبَعَةُ آلَافِ مِذْوَدِ خَيْلٍ وَمَرْكَبَاتٍ، وَٱثْنَا عَشَرَ أَلْفَ فَارِسٍ، فَجَعَلَهَا فِي مُدُنِ ٱلْمَرْكَبَاتِ وَمَعَ ٱلْمَلِكِ فِي أُورُشَلِيمَ. | ٢٥ 25 |
और सुलेमान के पास घोड़े और रथों के लिए चार हज़ार थान और बारह हज़ार सवार थे जिनको उस ने रथों के शहरों और येरूशलेम, में बादशाह के पास रखा।
وَكَانَ مُتَسَلِّطًا عَلَى جَمِيعِ ٱلْمُلُوكِ مِنَ ٱلنَّهْرِ إِلَى أَرْضِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ وَإِلَى تُخُومِ مِصْرَ. | ٢٦ 26 |
और वह दरिया — ए — फ़रात से फ़िलिस्तियों के मुल्क बल्कि मिस्र की हद तक सब बादशाहों पर हुक्मरान था।
وَجَعَلَ ٱلْمَلِكُ ٱلْفِضَّةَ فِي أُورُشَلِيمَ مِثْلَ ٱلْحِجَارَةِ، وَجَعَلَ ٱلْأَرْزَ مِثْلَ ٱلْجُمَّيْزِ ٱلَّذِي فِي ٱلسَّهْلِ فِي ٱلْكَثْرَةِ. | ٢٧ 27 |
और बादशाह ने येरूशलेम में इफ़रात की वजह से चाँदी को पत्थरों की तरह और देवदार के दरख़्तों को गूलर के उन दरख़्तो के बराबर कर दिया जो नशीब की सर ज़मीन में है।
وَكَانَ مُخْرَجُ خَيْلِ سُلَيْمَانَ مِنْ مِصْرَ وَمِنْ جَمِيعِ ٱلْأَرَاضِي. | ٢٨ 28 |
और वह मिस्र से और और सब मुल्को से सुलेमान के लिए घोड़े लाया करते थे।
وَبَقِيَّةُ أُمُورِ سُلَيْمَانَ ٱلْأُولَى وَٱلْأَخِيرَةِ، أَمَاهِيَ مَكْتُوبَةٌ فِي أَخْبَارِ نَاثَانَ ٱلنَّبِيِّ، وَفِي نُبُوَّةِ أَخِيَّا ٱلشِّيلُونِيِّ، وَفِي رُؤَى يَعْدُو ٱلرَّائِي عَلَى يَرُبْعَامَ بْنِ نَبَاطَ؟ | ٢٩ 29 |
और सुलेमान के बाक़ी काम शुरू' से आख़िर तक किया वह नातन नबी की किताब में और सैलानी अखि़याह की पेशीनगोई में और 'ईदू गै़बबीन की रोयतों की किताब में जो उसने युरब'आम बिन नाबत के ज़रिए देखी थी, मुन्दर्ज़ नहीं है?
وَمَلَكَ سُلَيْمَانُ فِي أُورُشَلِيمَ عَلَى كُلِّ إِسْرَائِيلَ أَرْبَعِينَ سَنَةً. | ٣٠ 30 |
और सुलेमान ने येरूशलेम में सारे इस्राईल पर चालीस साल हुकूमत की।
ثُمَّ ٱضْطَجَعَ سُلَيْمَانُ مَعَ آبَائِهِ فَدَفَنُوهُ فِي مَدِينَةِ دَاوُدَ أَبِيهِ. وَمَلَكَ رَحُبْعَامُ ٱبْنُهُ عِوَضًا عَنْهُ. | ٣١ 31 |
और सुलेमान अपने बाप दादा के साथ सो गया और अपने बाप दाऊद के शहर में दफ़न हुआ और उसका बेटा रहुब 'आम उसकी जगह हुकूमत करने लगा।