< ١ يوحنَّا 1 >
اَلَّذِي كَانَ مِنَ ٱلْبَدْءِ، ٱلَّذِي سَمِعْنَاهُ، ٱلَّذِي رَأَيْنَاهُ بِعُيُونِنَا، ٱلَّذِي شَاهَدْنَاهُ، وَلَمَسَتْهُ أَيْدِينَا، مِنْ جِهَةِ كَلِمَةِ ٱلْحَيَاةِ. | ١ 1 |
उस ज़िन्दगी के कलाम के बारे में जो शुरू से था, और जिसे हम ने सुना और अपनी आँखों से देखा बल्कि, ग़ौर से देखा और अपने हाथों से छुआ।
فَإِنَّ ٱلْحَيَاةَ أُظْهِرَتْ، وَقَدْ رَأَيْنَا وَنَشْهَدُ وَنُخْبِرُكُمْ بِٱلْحَيَاةِ ٱلْأَبَدِيَّةِ ٱلَّتِي كَانَتْ عِنْدَ ٱلْآبِ وَأُظْهِرَتْ لَنَا. (aiōnios ) | ٢ 2 |
[ये ज़िन्दगी ज़ाहिर हुई और हम ने देखा और उसकी गवाही देते हैं, और इस हमेशा की ज़िन्दगी की तुम्हें ख़बर देते हैं जो बाप के साथ थी और हम पर ज़ाहिर हुई है]। (aiōnios )
ٱلَّذِي رَأَيْنَاهُ وَسَمِعْنَاهُ نُخْبِرُكُمْ بِهِ، لِكَيْ يَكُونَ لَكُمْ أَيْضًا شَرِكَةٌ مَعَنَا. وَأَمَّا شَرِكَتُنَا نَحْنُ فَهِيَ مَعَ ٱلْآبِ وَمَعَ ٱبْنِهِ يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ. | ٣ 3 |
जो कुछ हम ने देखा और सुना है तुम्हें भी उसकी ख़बर देते है, ताकि तुम भी हमारे शरीक हो, और हमारा मेल मिलाप बाप के साथ और उसके बेटे ईसा मसीह के साथ है।
وَنَكْتُبُ إِلَيْكُمْ هَذَا لِكَيْ يَكُونَ فَرَحُكُمْ كَامِلًا. | ٤ 4 |
और ये बातें हम इसलिए लिखते है कि हमारी ख़ुशी पूरी हो जाए।
وَهَذَا هُوَ ٱلْخَبَرُ ٱلَّذِي سَمِعْنَاهُ مِنْهُ وَنُخْبِرُكُمْ بِهِ: إِنَّ ٱللهَ نُورٌ وَلَيْسَ فِيهِ ظُلْمَةٌ ٱلْبَتَّةَ. | ٥ 5 |
उससे सुन कर जो पैग़ाम हम तुम्हें देते हैं, वो ये है कि ख़ुदा नूर है और उसमें ज़रा भी तारीकी नहीं।
إِنْ قُلْنَا: إِنَّ لَنَا شَرِكَةً مَعَهُ وَسَلَكْنَا فِي ٱلظُّلْمَةِ، نَكْذِبُ وَلَسْنَا نَعْمَلُ ٱلْحَقَّ. | ٦ 6 |
अगर हम कहें कि हमारा उसके साथ मेल मिलाप है और फिर तारीकी में चलें, तो हम झूठे हैं और हक़ पर 'अमल नहीं करते।
وَلَكِنْ إِنْ سَلَكْنَا فِي ٱلنُّورِ كَمَا هُوَ فِي ٱلنُّورِ، فَلَنَا شَرِكَةٌ بَعْضِنَا مَعَ بَعْضٍ، وَدَمُ يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ ٱبْنِهِ يُطَهِّرُنَا مِنْ كُلِّ خَطِيَّةٍ. | ٧ 7 |
लेकिन जब हम नूर में चलें जिस तरह कि वो नूर में हैं, तो हमारा आपस में मेल मिलाप है, और उसके बेटे ईसा का ख़ून हमें तमाम गुनाह से पाक करता है।
إِنْ قُلْنَا: إِنَّهُ لَيْسَ لَنَا خَطِيَّةٌ نُضِلُّ أَنْفُسَنَا وَلَيْسَ ٱلْحَقُّ فِينَا. | ٨ 8 |
अगर हम कहें कि हम बेगुनाह हैं तो अपने आपको धोखा देते हैं, और हम में सच्चाई नहीं।
إِنِ ٱعْتَرَفْنَا بِخَطَايَانَا فَهُوَ أَمِينٌ وَعَادِلٌ، حَتَّى يَغْفِرَ لَنَا خَطَايَانَا وَيُطَهِّرَنَا مِنْ كُلِّ إِثْمٍ. | ٩ 9 |
अगर अपने गुनाहों का इक़रार करें, तो वो हमारे गुनाहों को मु'आफ़ करने और हमें सारी नारास्ती से पाक करने में सच्चा और 'आदिल है।
إِنْ قُلْنَا: إِنَّنَا لَمْ نُخْطِئْ نَجْعَلْهُ كَاذِبًا، وَكَلِمَتُهُ لَيْسَتْ فِينَا. | ١٠ 10 |
अगर कहें कि हम ने गुनाह नहीं किया, तो उसे झूठा ठहराते हैं और उसका कलाम हम में नहीं है।