< ١ كورنثوس 6 >
أَيَتَجَاسَرُ مِنْكُمْ أَحَدٌ لَهُ دَعْوَى عَلَى آخَرَ أَنْ يُحَاكَمَ عِنْدَ ٱلظَّالِمِينَ، وَلَيْسَ عِنْدَ ٱلْقِدِّيسِينَ؟ | ١ 1 |
क्या तुम में से किसी को ये जुर'अत है कि जब दूसरे के साथ मुक़द्दमा हो तो फ़ैसले के लिए बेदीन आदिलों के पास जाए; और मुक़द्दसों के पास न जाए।
أَلَسْتُمْ تَعْلَمُونَ أَنَّ ٱلْقِدِّيسِينَ سَيَدِينُونَ ٱلْعَالَمَ؟ فَإِنْ كَانَ ٱلْعَالَمُ يُدَانُ بِكُمْ، أَفَأَنْتُمْ غَيْرُ مُسْتَأْهِلِينَ لِلْمَحَاكِمِ ٱلصُّغْرَى؟ | ٢ 2 |
क्या तुम नहीं जानते कि मुक़द्दस लोग दुनिया का इन्साफ़ करेंगे? पस जब तुम को दुनिया का इन्साफ़ करना है तो क्या छोटे से छोटे झगड़ों के भी फ़ैसले करने के लायक़ नहीं हो?
أَلَسْتُمْ تَعْلَمُونَ أَنَّنَا سَنَدِينُ مَلَائِكَةً؟ فَبِٱلْأَوْلَى أُمُورَ هَذِهِ ٱلْحَيَاةِ! | ٣ 3 |
क्या तुम नहीं जानते कि हम फ़रिश्तों का इन्साफ़ करेंगे? तो क्या हम दुनियावी मु'आमिले के फ़ैसले न करें?
فَإِنْ كَانَ لَكُمْ مَحَاكِمُ فِي أُمُورِ هَذِهِ ٱلْحَيَاةِ، فَأَجْلِسُوا ٱلْمُحْتَقَرِينَ فِي ٱلْكَنِيسَةِ قُضَاةً! | ٤ 4 |
पस अगर तुम में दुनियावी मुक़द्दमे हों तो क्या उन को मुंसिफ़ मुक़र्रर करोगे जो कलीसिया में हक़ीर समझे जाते हैं।
لِتَخْجِيلِكُمْ أَقُولُ. أَهَكَذَا لَيْسَ بَيْنَكُمْ حَكِيمٌ، وَلَا وَاحِدٌ يَقْدِرُ أَنْ يَقْضِيَ بَيْنَ إِخْوَتِهِ؟ | ٥ 5 |
मैं तुम्हें शर्मिन्दा करने के लिए ये कहता हूँ; क्या वाक़'ई तुम में एक भी समझदार नहीं मिलता जो अपने भाइयों का फ़ैसला कर सके।
لَكِنَّ ٱلْأَخَ يُحَاكِمُ ٱلْأَخَ، وَذَلِكَ عِنْدَ غَيْرِ ٱلْمُؤْمِنِينَ! | ٦ 6 |
बल्कि भाई भाइयों में मुक़द्दमा होता है और वो भी बेदीनों के आगे!
فَٱلْآنَ فِيكُمْ عَيْبٌ مُطْلَقًا، لِأَنَّ عِنْدَكُمْ مُحَاكَمَاتٍ بَعْضِكُمْ مَعَ بَعْضٍ. لِمَاذَا لَا تُظْلَمُونَ بِٱلْحَرِيِّ؟ لِمَاذَا لَا تُسْلَبُونَ بِٱلْحَرِيِّ؟ | ٧ 7 |
लेकिन दर'असल तुम में बड़ा नुक़्स ये है कि आपस में मुक़द्दमा बाज़ी करते हो; ज़ुल्म उठाना क्यूँ नहीं बेहतर जानते? अपना नुक़्सान क्यूँ नहीं क़ुबूल करते?
لَكِنْ أَنْتُمْ تَظْلِمُونَ وَتَسْلُبُونَ، وَذَلِكَ لِلْإِخْوَةِ! | ٨ 8 |
बल्कि तुम ही ज़ुल्म करते और नुक़्सान पहुँचाते हो और वो भी भाइयों को।
أَمْ لَسْتُمْ تَعْلَمُونَ أَنَّ ٱلظَّالِمِينَ لَا يَرِثُونَ مَلَكُوتَ ٱللهِ؟ لَا تَضِلُّوا: لَا زُنَاةٌ وَلَا عَبَدَةُ أَوْثَانٍ وَلَا فَاسِقُونَ وَلَا مَأْبُونُونَ وَلَا مُضَاجِعُو ذُكُورٍ، | ٩ 9 |
क्या तुम नहीं जानते कि बदकार ख़ुदा की बादशाही के वारिस न होंगे धोखा न खाओ न हरामकार ख़ुदा की बादशाही के वारिस होंगे न बुतपरस्त, न ज़िनाकार, न अय्याश, न लौंडे बाज़,
وَلَا سَارِقُونَ وَلَا طَمَّاعُونَ وَلَا سِكِّيرُونَ وَلَا شَتَّامُونَ وَلَا خَاطِفُونَ يَرِثُونَ مَلَكُوتَ ٱللهِ. | ١٠ 10 |
न चोर, न लालची, न शराबी, न गालियाँ बकने वाले, न ज़ालिम,
وَهَكَذَا كَانَ أُنَاسٌ مِنْكُمْ. لَكِنِ ٱغْتَسَلْتُمْ، بَلْ تَقَدَّسْتُمْ، بَلْ تَبَرَّرْتُمْ بِٱسْمِ ٱلرَّبِّ يَسُوعَ وَبِرُوحِ إِلَهِنَا. | ١١ 11 |
और कुछ तुम में ऐसे ही थे भी, 'मगर तुम ख़ुदावन्द ईसा मसीह के नाम से और हमारे ख़ुदा के रूह से धूल गए और पाक हुए और रास्तबाज़ भी ठहरे।
«كُلُّ ٱلْأَشْيَاءِ تَحِلُّ لِي»، لَكِنْ لَيْسَ كُلُّ ٱلْأَشْيَاءِ تُوافِقُ. «كُلُّ ٱلْأَشْيَاءِ تَحِلُّ لِي»، لَكِنْ لَا يَتَسَلَّطُ عَلَيَّ شَيْءٌ. | ١٢ 12 |
सब चीज़ें मेरे लिए जायज़ तो हैं मगर सब चीज़ें मुफ़ीद नहीं; सब चीज़ें मेरे लिए जायज़ तो हैं; लेकिन मैं किसी चीज़ का पाबन्द न हूँगा।
ٱلْأَطْعِمَةُ لِلْجَوْفِ وَٱلْجَوْفُ لِلْأَطْعِمَةِ، وَٱللهُ سَيُبِيدُ هَذَا وَتِلْكَ. وَلَكِنَّ ٱلْجَسَدَ لَيْسَ لِلزِّنَا بَلْ لِلرَّبِّ، وَٱلرَّبُّ لِلْجَسَدِ. | ١٣ 13 |
खाना पेट के लिए हैं और पेट खाने के लिए लेकिन ख़ुदा उसको और इनको नेस्त करेगा मगर बदन हरामकारी के लिए नहीं बल्कि ख़ुदावन्द के लिए है और ख़ुदावन्द बदन के लिए।
وَٱللهُ قَدْ أَقَامَ ٱلرَّبَّ، وَسَيُقِيمُنَا نَحْنُ أَيْضًا بِقُوَّتِهِ. | ١٤ 14 |
और ख़ुदा ने ख़ुदावन्द को भी जिलाया और हम को भी अपनी क़ुदरत से जिलाएगा।
أَلَسْتُمْ تَعْلَمُونَ أَنَّ أَجْسَادَكُمْ هِيَ أَعْضَاءُ ٱلْمَسِيحِ؟ أَفَآخُذُ أَعْضَاءَ ٱلْمَسِيحِ وَأَجْعَلُهَا أَعْضَاءَ زَانِيَةٍ؟ حَاشَا! | ١٥ 15 |
क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारे बदन मसीह के आ'ज़ा है? पस क्या मैं मसीह के आ'ज़ा लेकर कस्बी के आ'ज़ा बनाऊँ हरगिज़ नहीं।
أَمْ لَسْتُمْ تَعْلَمُونَ أَنَّ مَنِ ٱلْتَصَقَ بِزَانِيَةٍ هُوَ جَسَدٌ وَاحِدٌ؟ لِأَنَّهُ يَقُولُ: «يَكُونُ ٱلِٱثْنَانِ جَسَدًا وَاحِدًا». | ١٦ 16 |
क्या तुम नहीं जानते कि जो कोई कस्बी से सुहबत करता है वो उसके साथ एक तन होता है? क्यूँकि वो फ़रमाता है, “वो दोनों एक तन होंगे।”
وَأَمَّا مَنِ ٱلْتَصَقَ بِٱلرَّبِّ فَهُوَ رُوحٌ وَاحِدٌ. | ١٧ 17 |
और जो ख़ुदावन्द की सुहबत में रहता है वो उसके साथ एक रूह होता है।
اُهْرُبُوا مِنَ ٱلزِّنَا. كُلُّ خَطِيَّةٍ يَفْعَلُهَا ٱلْإِنْسَانُ هِيَ خَارِجَةٌ عَنِ ٱلْجَسَدِ، لَكِنَّ ٱلَّذِي يَزْنِي يُخْطِئُ إِلَى جَسَدِهِ. | ١٨ 18 |
हरामकारी से भागो जितने गुनाह आदमी करता है वो बदन से बाहर हैं; मगर हरामकार अपने बदन का भी गुनाहगार है।
أَمْ لَسْتُمْ تَعْلَمُونَ أَنَّ جَسَدَكُمْ هُوَ هَيْكَلٌ لِلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ ٱلَّذِي فِيكُمُ، ٱلَّذِي لَكُمْ مِنَ ٱللهِ، وَأَنَّكُمْ لَسْتُمْ لِأَنْفُسِكُمْ؟ | ١٩ 19 |
क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारा बदन रूह — उल — क़ुद्दूस का मक़दिस है जो तुम में बसा हुआ है और तुम को ख़ुदा की तरफ़ से मिला है? और तुम अपने नहीं।
لِأَنَّكُمْ قَدِ ٱشْتُرِيتُمْ بِثَمَنٍ. فَمَجِّدُوا ٱللهَ فِي أَجْسَادِكُمْ وَفِي أَرْوَاحِكُمُ ٱلَّتِي هِيَ لِلهِ. | ٢٠ 20 |
क्यूँकि क़ीमत से ख़रीदे गए हो; पस अपने बदन से ख़ुदा का जलाल ज़ाहिर करो।