< हिज़ि 4 >

1 और ऐ आदमज़ाद, तू एक खपरा ले और अपने सामने रख कर उस पर एक शहर, हाँ, येरूशलेम ही की तस्वीर खींच।
וְאַתָּ֤ה בֶן־אָדָם֙ קַח־לְךָ֣ לְבֵנָ֔ה וְנָתַתָּ֥ה אֹותָ֖הּ לְפָנֶ֑יךָ וְחַקֹּותָ֥ עָלֶ֛יהָ עִ֖יר אֶת־יְרוּשָׁלָֽ͏ִם׃
2 और उसका घेराव कर, और उसके सामने बुर्ज बना, और उसके सामने दमदमा बाँध और उसके चारों तरफ़ ख़ेमें खड़े कर और उसके चारों तरफ़ मन्जनीक लगा।
וְנָתַתָּ֨ה עָלֶ֜יהָ מָצֹ֗ור וּבָנִ֤יתָ עָלֶ֙יהָ֙ דָּיֵ֔ק וְשָׁפַכְתָּ֥ עָלֶ֖יהָ סֹֽלְלָ֑ה וְנָתַתָּ֨ה עָלֶ֧יהָ מַחֲנֹ֛ות וְשִׂים־עָלֶ֥יהָ כָּרִ֖ים סָבִֽיב׃
3 फिर तू लोहे का एक तवा ले, और अपने और शहर के बीच उसे नस्ब कर कि वह लोहे की दीवार ठहरे और तू अपना मुँह उसके सामने कर और वह घेराव की हालत में हो, और तू उसको घेरने वाला होगा; यह बनी इस्राईल के लिए निशान है।
וְאַתָּ֤ה קַח־לְךָ֙ מַחֲבַ֣ת בַּרְזֶ֔ל וְנָתַתָּ֤ה אֹותָהּ֙ קִ֣יר בַּרְזֶ֔ל בֵּינְךָ֖ וּבֵ֣ין הָעִ֑יר וַהֲכִינֹתָה֩ אֶת־פָּנֶ֨יךָ אֵלֶ֜יהָ וְהָיְתָ֤ה בַמָּצֹור֙ וְצַרְתָּ֣ עָלֶ֔יהָ אֹ֥ות הִ֖יא לְבֵ֥ית יִשְׂרָאֵֽל׃ ס
4 फिर तू अपनी ईं करवट पर लेट रह और बनी — इस्राईल की बदकिरदारी इस पर रख दे; जितने दिनों तक तू लेटा रहेगा, तू उनकी बदकिरदारी बर्दाश्त करेगा।
וְאַתָּ֤ה שְׁכַב֙ עַל־צִדְּךָ֣ הַשְּׂמָאלִ֔י וְשַׂמְתָּ֛ אֶת־עֲוֹ֥ן בֵּֽית־יִשְׂרָאֵ֖ל עָלָ֑יו מִסְפַּ֤ר הַיָּמִים֙ אֲשֶׁ֣ר תִּשְׁכַּ֣ב עָלָ֔יו תִּשָּׂ֖א אֶת־עֲוֹנָֽם׃
5 और मैंने उनकी बदकिरदारी के बरसों को उन दिनों के शुमार के मुताबिक़ जो तीन — सौ — नब्बे दिन हैं तुझ पर रख्खा है, इसलिए तू बनी — इस्राईल की बदकिरदारी बर्दाश्त करेगा।
וַאֲנִ֗י נָתַ֤תִּֽי לְךָ֙ אֶת־שְׁנֵ֣י עֲוֹנָ֔ם לְמִסְפַּ֣ר יָמִ֔ים שְׁלֹשׁ־מֵאֹ֥ות וְתִשְׁעִ֖ים יֹ֑ום וְנָשָׂ֖אתָ עֲוֹ֥ן בֵּֽית־יִשְׂרָאֵֽל׃
6 और जब तू इनको पूरा कर चुके तो फिर अपनी दहनी करवट पर लेट रह, और चालीस दिन तक बनी यहूदाह की बदकिरदारी को बर्दाश्त कर; मैंने तेरे लिए एक एक साल के बदले एक एक दिन मुक़र्रर किया है।
וְכִלִּיתָ֣ אֶת־אֵ֗לֶּה וְשָׁ֨כַבְתָּ֜ עַל־צִדְּךָ֤ הַיְמֹונִי (הַיְמָנִי֙) שֵׁנִ֔ית וְנָשָׂ֖אתָ אֶת־עֲוֹ֣ן בֵּית־יְהוּדָ֑ה אַרְבָּעִ֣ים יֹ֔ום יֹ֧ום לַשָּׁנָ֛ה יֹ֥ום לַשָּׁנָ֖ה נְתַתִּ֥יו לָֽךְ׃
7 फिर तू येरूशलेम के घेराव की तरफ़ मुँह कर और अपना बाज़ू नंगा कर और उसके ख़िलाफ़ नबुव्वत कर।
וְאֶל־מְצֹ֤ור יְרוּשָׁלַ֙͏ִם֙ תָּכִ֣ין פָּנֶ֔יךָ וּֽזְרֹעֲךָ֖ חֲשׂוּפָ֑ה וְנִבֵּאתָ֖ עָלֶֽיהָ׃
8 और देख, मैं तुझ पर बन्धन डालूँगा कि तू करवट न ले सके, जब तक अपने घेराव के दिनों को पूरा न कर ले।
וְהִנֵּ֛ה נָתַ֥תִּי עָלֶ֖יךָ עֲבֹותִ֑ים וְלֹֽא־תֵהָפֵ֤ךְ מִֽצִּדְּךָ֙ אֶל־צִדֶּ֔ךָ עַד־כַּלֹּותְךָ֖ יְמֵ֥י מְצוּרֶֽךָ׃
9 और तू अपने लिए गेहूँ और जौ और बाक़ला और मसूर और चना और बाजरा ले, और उनको एक ही बर्तन में रख, और उनकी इतनी रोटियाँ पका जितने दिनों तक तू पहली करवट पर लेटा रहेगा; तू तीन सौ नब्बे दिन तक उनको खाना।
וְאַתָּ֣ה קַח־לְךָ֡ חִטִּ֡ין וּ֠שְׂעֹרִים וּפֹ֨ול וַעֲדָשִׁ֜ים וְדֹ֣חַן וְכֻסְּמִ֗ים וְנָתַתָּ֤ה אֹותָם֙ בִּכְלִ֣י אֶחָ֔ד וְעָשִׂ֧יתָ אֹותָ֛ם לְךָ֖ לְלָ֑חֶם מִסְפַּ֨ר הַיָּמִ֜ים אֲשֶׁר־אַתָּ֣ה ׀ שֹׁוכֵ֣ב עַֽל־צִדְּךָ֗ שְׁלֹשׁ־מֵאֹ֧ות וְתִשְׁעִ֛ים יֹ֖ום תֹּאכֲלֶֽנּוּ׃
10 और तेरा खाना वज़न करके बीस मिस्काल “रोज़ाना होगा जो तू खाएगा, तू थोड़ा — थोड़ा खाना।
וּמַאֲכָֽלְךָ֙ אֲשֶׁ֣ר תֹּאכֲלֶ֔נּוּ בְּמִשְׁקֹ֕ול עֶשְׂרִ֥ים שֶׁ֖קֶל לַיֹּ֑ום מֵעֵ֥ת עַד־עֵ֖ת תֹּאכֲלֶֽנּוּ׃
11 तू पानी भी नाप कर एक हीन का छटा हिस्सा पिएगा, तू थोड़ा — थोड़ा पीना।
וּמַ֛יִם בִּמְשׂוּרָ֥ה תִשְׁתֶּ֖ה שִׁשִּׁ֣ית הַהִ֑ין מֵעֵ֥ת עַד־עֵ֖ת תִּשְׁתֶּֽה׃
12 और तू जौ के फुल्के खाना, और तू उनकी आँखों के सामने इंसान की नजासत से उनको पकाना।”
וְעֻגַ֥ת שְׂעֹרִ֖ים תֹּֽאכֲלֶ֑נָּה וְהִ֗יא בְּגֶֽלְלֵי֙ צֵאַ֣ת הָֽאָדָ֔ם תְּעֻגֶ֖נָה לְעֵינֵיהֶֽם׃ ס
13 और ख़ुदावन्द ने फ़रमाया, कि “इसी तरह से बनी — इस्राईल अपनी नापाक रोटियों को उन क़ौमों के बीच जिनमें मैं उनको आवारा करूँगा, खाया करेंगे।”
וַיֹּ֣אמֶר יְהוָ֔ה כָּ֣כָה יֹאכְל֧וּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֛ל אֶת־לַחְמָ֖ם טָמֵ֑א בַּגֹּויִ֕ם אֲשֶׁ֥ר אַדִּיחֵ֖ם שָֽׁם׃
14 तब मैंने कहा, कि “हाय, ख़ुदावन्द ख़ुदा! देख, मेरी जान कभी नापाक नहीं हुई; और अपनी जवानी से अब तक कोई मुरदार चीज़ जो आप ही मर जाए या किसी जानवर से फाड़ी जाए, मैंने हरगिज़ नहीं खाई, और हराम गोश्त मेरे मुँह में कभी नहीं गया।”
וָאֹמַ֗ר אֲהָהּ֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה הִנֵּ֥ה נַפְשִׁ֖י לֹ֣א מְטֻמָּאָ֑ה וּנְבֵלָ֨ה וּטְרֵפָ֤ה לֹֽא־אָכַ֙לְתִּי֙ מִנְּעוּרַ֣י וְעַד־עַ֔תָּה וְלֹא־בָ֥א בְּפִ֖י בְּשַׂ֥ר פִּגּֽוּל׃ ס
15 तब उसने मुझे फ़रमाया, देख, मैं इंसान की नजासत के बदले तुझे गोबर देता हूँ, इसलिए तू अपनी रोटी उससे पकाना।
וַיֹּ֣אמֶר אֵלַ֔י רְאֵ֗ה נָתַ֤תִּֽי לְךָ֙ אֶת־צְפוּעֵי (צְפִיעֵ֣י) הַבָּקָ֔ר תַּ֖חַת גֶּלְלֵ֣י הָֽאָדָ֑ם וְעָשִׂ֥יתָ אֶֽת־לַחְמְךָ֖ עֲלֵיהֶֽם׃ ס
16 उसने मुझे फ़रमाया, कि ऐ आदमज़ाद, देख, मैं येरूशलेम में रोटी का 'असा तोड़ डालूँगा; और वह रोटी तौल कर फ़िक्रमन्दी से खाएँगे, और पानी नाप कर हैरत से पिएँगे।
וַיֹּ֣אמֶר אֵלַ֗י בֶּן־אָדָם֙ הִנְנִ֨י שֹׁבֵ֤ר מַטֵּה־לֶ֙חֶם֙ בִּיר֣וּשָׁלַ֔͏ִם וְאָכְלוּ־לֶ֥חֶם בְּמִשְׁקָ֖ל וּבִדְאָגָ֑ה וּמַ֕יִם בִּמְשׂוּרָ֥ה וּבְשִׁמָּמֹ֖ון יִשְׁתּֽוּ׃
17 ताकि वह रोटी पानी के मोहताज हों, और एक साथ शर्मिन्दा हों और अपनी बदकिरदारी में हलाक हों।
לְמַ֥עַן יַחְסְר֖וּ לֶ֣חֶם וָמָ֑יִם וְנָשַׁ֙מּוּ֙ אִ֣ישׁ וְאָחִ֔יו וְנָמַ֖קּוּ בַּעֲוֹנָֽם׃ פ

< हिज़ि 4 >