< 2 समु 19 >

1 और योआब को बताया गया कि “देख बादशाह अबीसलोम के लिए नौहा और मातम कर रहा है।”
וַיֻּגַּ֖ד לְיֹואָ֑ב הִנֵּ֨ה הַמֶּ֧לֶךְ בֹּכֶ֛ה וַיִּתְאַבֵּ֖ל עַל־אַבְשָׁלֹֽם׃
2 इसलिए तमाम लोगों के लिए उस दिन की फ़तह मातम से बदल गई क्यूँकि लोगों ने उस दिन यह कहते सुना कि “बादशाह अपने बेटे के लिए दुखी है।”
וַתְּהִ֨י הַתְּשֻׁעָ֜ה בַּיֹּ֥ום הַה֛וּא לְאֵ֖בֶל לְכָל־הָעָ֑ם כִּֽי־שָׁמַ֣ע הָעָ֗ם בַּיֹּ֤ום הַהוּא֙ לֵאמֹ֔ר נֶעֱצַ֥ב הַמֶּ֖לֶךְ עַל־בְּנֹֽו׃
3 इसलिए वह लोग उस दिन चोरी से शहर में घुसे जैसे वह लोग जो लड़ाई से भागते हैं शर्म के मारे चोरी चोरी चलते हैं।
וַיִּתְגַּנֵּ֥ב הָעָ֛ם בַּיֹּ֥ום הַה֖וּא לָבֹ֣וא הָעִ֑יר כַּאֲשֶׁ֣ר יִתְגַּנֵּ֗ב הָעָם֙ הַנִּכְלָמִ֔ים בְּנוּסָ֖ם בַּמִּלְחָמָֽה׃
4 और बादशाह ने अपना मुँह ढाँक लिया और बादशाह ऊँची आवाज़ से चिल्लाने लगा कि “हाय मेरे बेटे अबीसलोम! हाय अबीसलोम मेरे बेटे! मेरे बेटे।”
וְהַמֶּ֙לֶךְ֙ לָאַ֣ט אֶת־פָּנָ֔יו וַיִּזְעַ֥ק הַמֶּ֖לֶךְ קֹ֣ול גָּדֹ֑ול בְּנִי֙ אַבְשָׁלֹ֔ום אַבְשָׁלֹ֖ום בְּנִ֥י בְנִֽי׃ ס
5 तब योआब घर में बादशाह के पास जाकर कहने लगा कि “तूने आज अपने सब ख़ादिमों को शर्मिन्दा किया, जिन्होंने आज के दिन तेरी जान और तेरे बेटों और तेरी बेटियों की जानें और तेरी बीवियों की जानें और तेरी बाँदियों की जानें बचायीं।
וַיָּבֹ֥א יֹואָ֛ב אֶל־הַמֶּ֖לֶךְ הַבָּ֑יִת וַיֹּאמֶר֩ הֹבַ֨שְׁתָּ הַיֹּ֜ום אֶת־פְּנֵ֣י כָל־עֲבָדֶ֗יךָ הַֽמְמַלְּטִ֤ים אֶֽת־נַפְשְׁךָ֙ הַיֹּ֔ום וְאֵ֨ת נֶ֤פֶשׁ בָּנֶ֙יךָ֙ וּבְנֹתֶ֔יךָ וְנֶ֣פֶשׁ נָשֶׁ֔יךָ וְנֶ֖פֶשׁ פִּלַגְשֶֽׁיךָ׃
6 क्यूँकि तू अपने 'अदावत रखने वालों को प्यार करता है, और अपने दोस्तों से 'अदावत रखता है, इसलिए कि तूने आज के दिन ज़ाहिर कर दिया कि सरदार और ख़ादिम तेरे नज़दीक बेक़द्र हैं, क्यूँकि आज के दिन मैं देखता हूँ कि अगर अबीसलोम जीता रहता और हम सब मर जाते, तो तू बहुत ख़ुश होता।
לְאַֽהֲבָה֙ אֶת־שֹׂ֣נְאֶ֔יךָ וְלִשְׂנֹ֖א אֶת־אֹהֲבֶ֑יךָ כִּ֣י ׀ הִגַּ֣דְתָּ הַיֹּ֗ום כִּ֣י אֵ֤ין לְךָ֙ שָׂרִ֣ים וַעֲבָדִ֔ים כִּ֣י ׀ יָדַ֣עְתִּי הַיֹּ֗ום כִּ֠י לֹא (ל֣וּ) אַבְשָׁלֹ֥ום חַי֙ וְכֻלָּ֤נוּ הַיֹּום֙ מֵתִ֔ים כִּי־אָ֖ז יָשָׁ֥ר בְּעֵינֶֽיךָ׃
7 इसलिए उठ बाहर निकल और अपने ख़ादिमों से तसल्ली बख़्श बातें कर क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द की क़सम खाता हूँ कि अगर तू बाहर न जाए तो आज रात को एक आदमी भी तेरे साथ न रहेगा और यह तेरे लिए उन सब आफतों से बदतर होगा जो तेरी नौजवानी से लेकर अब तक तुझ पर आई है।”
וְעַתָּה֙ ק֣וּם צֵ֔א וְדַבֵּ֖ר עַל־לֵ֣ב עֲבָדֶ֑יךָ כִּי֩ בַיהוָ֨ה נִשְׁבַּ֜עְתִּי כִּי־אֵינְךָ֣ יֹוצֵ֗א אִם־יָלִ֨ין אִ֤ישׁ אִתְּךָ֙ הַלַּ֔יְלָה וְרָעָ֧ה לְךָ֣ זֹ֗את מִכָּל־הָרָעָה֙ אֲשֶׁר־בָּ֣אָה עָלֶ֔יךָ מִנְּעֻרֶ֖יךָ עַד־עָֽתָּה׃ ס
8 तब बादशाह उठकर फाटक में जा बैठा और सब लोगों को बताया गया कि देखो बादशाह फाटक में बैठा है, तब सब लोग बादशाह के सामने आए और इस्राईली अपने अपने डेरे को भाग गये थे।
וַיָּ֥קָם הַמֶּ֖לֶךְ וַיֵּ֣שֶׁב בַּשָּׁ֑עַר וּֽלְכָל־הָעָ֞ם הִגִּ֣ידוּ לֵאמֹ֗ר הִנֵּ֤ה הַמֶּ֙לֶךְ֙ יֹושֵׁ֣ב בַּשַּׁ֔עַר וַיָּבֹ֤א כָל־הָעָם֙ לִפְנֵ֣י הַמֶּ֔לֶךְ וְיִשְׂרָאֵ֔ל נָ֖ס אִ֥ישׁ לְאֹהָלָֽיו׃ ס
9 और इस्राईल के क़बीलों के सब लोगों में झगड़ा था और वह कहते थे कि “बादशाह ने हमारे दुश्मनों के हाथ से और फ़िलिस्तियों के हाथ से बचाया और अब वह अबीसलोम के सामने से मुल्क छोड़ कर भाग गया।
וַיְהִ֤י כָל־הָעָם֙ נָדֹ֔ון בְּכָל־שִׁבְטֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל לֵאמֹ֑ר הַמֶּ֜לֶךְ הִצִּילָ֣נוּ ׀ מִכַּ֣ף אֹיְבֵ֗ינוּ וְה֤וּא מִלְּטָ֙נוּ֙ מִכַּ֣ף פְּלִשְׁתִּ֔ים וְעַתָּ֛ה בָּרַ֥ח מִן־הָאָ֖רֶץ מֵעַ֥ל אַבְשָׁלֹֽום׃
10 और अबीसलोम जिसे हमने मसह करके अपना हाकिम बनाया था, लड़ाई में मर गया है इसलिए तुम अब बादशाह को वापस लाने की बात क्यों नहीं करते?”
וְאַבְשָׁלֹום֙ אֲשֶׁ֣ר מָשַׁ֣חְנוּ עָלֵ֔ינוּ מֵ֖ת בַּמִּלְחָמָ֑ה וְעַתָּ֗ה לָמָ֥ה אַתֶּ֛ם מַחֲרִשִׁ֖ים לְהָשִׁ֥יב אֶת־הַמֶּֽלֶךְ׃ ס
11 तब दाऊद बादशाह ने सदूक़ और अबीयातर काहिनों को कहला भेजा कि “यहूदाह के बुज़ुर्गों से कहो कि तुम बादशाह को उसके महल में पहुँचाने के लिए सबसे पीछे क्यों होते हो जिस हाल कि सारे इस्राईल की बात उसे उसके महल में पहुँचाने के बारे में बादशाह तक पहुँची है।
וְהַמֶּ֣לֶךְ דָּוִ֗ד שָׁ֠לַח אֶל־צָדֹ֨וק וְאֶל־אֶבְיָתָ֥ר הַכֹּהֲנִים֮ לֵאמֹר֒ דַּבְּר֞וּ אֶל־זִקְנֵ֤י יְהוּדָה֙ לֵאמֹ֔ר לָ֤מָּה תִֽהְיוּ֙ אַֽחֲרֹנִ֔ים לְהָשִׁ֥יב אֶת־הַמֶּ֖לֶךְ אֶל־בֵּיתֹ֑ו וּדְבַר֙ כָּל־יִשְׂרָאֵ֔ל בָּ֥א אֶל־הַמֶּ֖לֶךְ אֶל־בֵּיתֹֽו׃
12 तुम तो मेरे भाई और मेरी हड्डी हो फिर तुम बादशाह को वापस ले जाने के लिए सबसे पीछे क्यों हो?
אַחַ֣י אַתֶּ֔ם עַצְמִ֥י וּבְשָׂרִ֖י אַתֶּ֑ם וְלָ֧מָּה תִהְי֛וּ אַחֲרֹנִ֖ים לְהָשִׁ֥יב אֶת־הַמֶּֽלֶךְ׃
13 और 'अमासा से कहना क्या तू मेरी हड्डी और गोश्त नहीं? इसलिए अगर तू योआब की जगह मेरे सामने हमेशा के लिए लश्कर का सरदार न हो तो ख़ुदा मुझसे ऐसा ही बल्कि इससे भी ज़्यादा करे।”
וְלַֽעֲמָשָׂא֙ תֹּֽמְר֔וּ הֲלֹ֛וא עַצְמִ֥י וּבְשָׂרִ֖י אָ֑תָּה כֹּ֣ה יַֽעֲשֶׂה־לִּ֤י אֱלֹהִים֙ וְכֹ֣ה יֹוסִ֔יף אִם־לֹ֠א שַׂר־צָבָ֞א תִּהְיֶ֧ה לְפָנַ֛י כָּל־הַיָּמִ֖ים תַּ֥חַת יֹואָֽב׃
14 और उसने सब बनी यहूदाह का दिल एक आदमी के दिल की तरह माएल कर लिया चुनाँचे उन्होंने बादशाह को पैग़ाम भेजा कि “तू अपने सब ख़ादिमों को साथ लेकर लौट आ।”
וַיַּ֛ט אֶת־לְבַ֥ב כָּל־אִישׁ־יְהוּדָ֖ה כְּאִ֣ישׁ אֶחָ֑ד וַֽיִּשְׁלְחוּ֙ אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ שׁ֥וּב אַתָּ֖ה וְכָל־עֲבָדֶֽיךָ׃
15 इसलिए बादशाह लौट कर यरदन पर आया और सब बनी यहूदाह ज़िल्जाल को गये कि बादशाह का इस्तक़बाल करें और उसे यरदन के पार ले आयें।
וַיָּ֣שָׁב הַמֶּ֔לֶךְ וַיָּבֹ֖א עַד־הַיַּרְדֵּ֑ן וִיהוּדָ֞ה בָּ֣א הַגִּלְגָּ֗לָה לָלֶ֙כֶת֙ לִקְרַ֣את הַמֶּ֔לֶךְ לְהַעֲבִ֥יר אֶת־הַמֶּ֖לֶךְ אֶת־הַיַּרְדֵּֽן׃
16 और जीरा के बेटे बिनयमीनी सिम'ई ने जो बहूरीम का था जल्दी की और बनी यहूदाह के साथ दाऊद बादशाह के इस्तक़बाल को आया।
וַיְמַהֵ֗ר שִׁמְעִ֤י בֶן־גֵּרָא֙ בֶּן־הַיְמִינִ֔י אֲשֶׁ֖ר מִבַּֽחוּרִ֑ים וַיֵּ֙רֶד֙ עִם־אִ֣ישׁ יְהוּדָ֔ה לִקְרַ֖את הַמֶּ֥לֶךְ דָּוִֽד׃
17 और उसके साथ एक हज़ार बिनयमीनी जवान थे और साऊल के घराने का ख़ादिम ज़ीबा अपने पन्दरह बेटों और बीस नौकरों समेत आया और बादशाह के सामने यरदन के पार उतरे।
וְאֶ֨לֶף אִ֣ישׁ עִמֹּו֮ מִבִּנְיָמִן֒ וְצִיבָ֗א נַ֚עַר בֵּ֣ית שָׁא֔וּל וַחֲמֵ֨שֶׁת עָשָׂ֥ר בָּנָ֛יו וְעֶשְׂרִ֥ים עֲבָדָ֖יו אִתֹּ֑ו וְצָלְח֥וּ הַיַּרְדֵּ֖ן לִפְנֵ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃
18 और एक कश्ती पार गई कि बादशाह के घराने को ले आये और जो काम उसे मुनासिब मा'लूम हो उसे करे और ज़ीरा का बेटा सिम'ई बादशाह के सामने जैसे ही वह यरदन पार हुआ औंधा हो कर गिरा।
וְעָבְרָ֣ה הָעֲבָרָ֗ה לַֽעֲבִיר֙ אֶת־בֵּ֣ית הַמֶּ֔לֶךְ וְלַעֲשֹׂ֥ות הַטֹּ֖וב בְּעַיְנֹו (בְּעֵינָ֑יו) וְשִׁמְעִ֣י בֶן־גֵּרָ֗א נָפַל֙ לִפְנֵ֣י הַמֶּ֔לֶךְ בְּעָבְרֹ֖ו בַּיַּרְדֵּֽן׃
19 और बादशाह से कहने लगा कि मेरा मालिक मेरी तरफ़ गुनाह मंसूब न करे और जिस दिन मेरा मालिक बादशाह येरूशलेम से निकला उस दिन जो कुछ तेरे ख़ादिम ने बद मिज़ाजी से किया उसे ऐसा याद न रख कि बादशाह उसको अपने दिल में रख्खे।
וַיֹּ֣אמֶר אֶל־הַמֶּ֗לֶךְ אַל־יַחֲשָׁב־לִ֣י אֲדֹנִי֮ עָוֹן֒ וְאַל־תִּזְכֹּ֗ר אֵ֚ת אֲשֶׁ֣ר הֶעֱוָ֣ה עַבְדְּךָ֔ בַּיֹּ֕ום אֲשֶׁר־יָׄצָ֥ׄאׄ אֲדֹנִֽי־הַמֶּ֖לֶךְ מִירֽוּשָׁלָ֑͏ִם לָשׂ֥וּם הַמֶּ֖לֶךְ אֶל־לִבֹּֽו׃
20 क्यूँकि तेरा बन्दा यह जानता है कि “मैंने गुनाह किया है और देख आज के दिन मैं ही यूसुफ़ के घराने में से पहले आया हूँ कि अपने मालिक बादशाह का इस्तक़बाल करूँ।
כִּ֚י יָדַ֣ע עַבְדְּךָ֔ כִּ֖י אֲנִ֣י חָטָ֑אתִי וְהִנֵּֽה־בָ֣אתִי הַיֹּ֗ום רִאשֹׁון֙ לְכָל־בֵּ֣ית יֹוסֵ֔ף לָרֶ֕דֶת לִקְרַ֖את אֲדֹנִ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃ ס
21 और ज़रोयाह के बेटे अबीशै ने जवाब, दिया क्या सिम'ई इस वजह से मारा न जाए कि उसने ख़ुदावन्द के ममसूह पर ला'नत की?”
וַיַּ֨עַן אֲבִישַׁ֤י בֶּן־צְרוּיָה֙ וַיֹּ֔אמֶר הֲתַ֣חַת זֹ֔את לֹ֥א יוּמַ֖ת שִׁמְעִ֑י כִּ֥י קִלֵּ֖ל אֶת־מְשִׁ֥יחַ יְהוָֽה׃ ס
22 दाऊद ने कहा, “ऐ ज़रोयाह के बेटो! मुझे तुमसे क्या काम कि तुम आज के दिन मेरे मुखालिफ़ हुए हो? क्या इस्राईल में से कोई आदमी आज के दिन क़त्ल किया जाए? क्या मैं यह नहीं जानता कि मैं आज के दिन इस्राईल का बादशाह हूँ?”
וַיֹּ֣אמֶר דָּוִ֗ד מַה־לִּ֤י וְלָכֶם֙ בְּנֵ֣י צְרוּיָ֔ה כִּי־תִֽהְיוּ־לִ֥י הַיֹּ֖ום לְשָׂטָ֑ן הַיֹּ֗ום י֤וּמַת אִישׁ֙ בְּיִשְׂרָאֵ֔ל כִּ֚י הֲלֹ֣וא יָדַ֔עְתִּי כִּ֥י הַיֹּ֖ום אֲנִי־מֶ֥לֶךְ עַל־יִשְׂרָאֵֽל׃
23 और बादशाह ने सिम'ई से कहा, तू मारा नहीं जाएगा “और बादशाह ने उससे क़सम खाई।
וַיֹּ֧אמֶר הַמֶּ֛לֶךְ אֶל־שִׁמְעִ֖י לֹ֣א תָמ֑וּת וַיִּשָּׁ֥בַֽע לֹ֖ו הַמֶּֽלֶךְ׃ ס
24 फिर साऊल का बेटा मिफ़ीबोसत बादशाह के इस्तक़बाल को आया, उसने बादशाह के चले जाने के दिन से लेकर उसे सलामत घर आजाने के दिन तक न तो अपने पाँव पर पट्टियाँ बाँधी और न अपनी दाढ़ी कतरवाई और न अपने कपड़े धुलवाए थे।
וּמְפִבֹ֙שֶׁת֙ בֶּן־שָׁא֔וּל יָרַ֖ד לִקְרַ֣את הַמֶּ֑לֶךְ וְלֹא־עָשָׂ֨ה רַגְלָ֜יו וְלֹא־עָשָׂ֣ה שְׂפָמֹ֗ו וְאֶת־בְּגָדָיו֙ לֹ֣א כִבֵּ֔ס לְמִן־הַיֹּום֙ לֶ֣כֶת הַמֶּ֔לֶךְ עַד־הַיֹּ֖ום אֲשֶׁר־בָּ֥א בְשָׁלֹֽום׃
25 और ऐसा हुआ कि जब वह येरूशलेम में बादशाह से मिलने आया तो बादशाह ने उससे कहा, ऐ मिफ़ीबोसत तू मेरे साथ क्यों नहीं गया था?”
וַיְהִ֛י כִּי־בָ֥א יְרוּשָׁלַ֖͏ִם לִקְרַ֣את הַמֶּ֑לֶךְ וַיֹּ֤אמֶר לֹו֙ הַמֶּ֔לֶךְ לָ֛מָּה לֹא־הָלַ֥כְתָּ עִמִּ֖י מְפִיבֹֽשֶׁת׃
26 उसने जवाब दिया, ऐ मेरे मालिक बादशाह मेरे नौकर ने मुझसे दग़ा की क्यूँकि तेरे ख़ादिम ने कहा था कि मैं अपने लिए गधे पर जीन कसूँगा ताकि मैं सवार हो कर बादशाह के साथ जाऊँ इसलिए कि तेरा ख़ादिम लंगड़ा है।
וַיֹּאמַ֕ר אֲדֹנִ֥י הַמֶּ֖לֶךְ עַבְדִּ֣י רִמָּ֑נִי כִּֽי־אָמַ֨ר עַבְדְּךָ֜ אֶחְבְּשָׁה־לִּי֩ הַחֲמֹ֨ור וְאֶרְכַּ֤ב עָלֶ֙יהָ֙ וְאֵלֵ֣ךְ אֶת־הַמֶּ֔לֶךְ כִּ֥י פִסֵּ֖חַ עַבְדֶּֽךָ׃
27 तब उसने मेरे मालिक बादशाह के सामने तेरे ख़ादिम पर इल्ज़ाम लगाया, लेकिन मेरा मालिक बादशाह तू ख़ुदावन्द के फ़रिश्ता की तरह है, इसलिए जो कुछ तुझे अच्छा मा'लूम हो वह कर।
וַיְרַגֵּ֣ל בְּעַבְדְּךָ֔ אֶל־אֲדֹנִ֖י הַמֶּ֑לֶךְ וַאדֹנִ֤י הַמֶּ֙לֶךְ֙ כְּמַלְאַ֣ךְ הָאֱלֹהִ֔ים וַעֲשֵׂ֥ה הַטֹּ֖וב בְּעֵינֶֽיךָ׃
28 क्यूँकि मेरे बाप का सारा घराना, मेरे मालिक बादशाह के आगे मुर्दों के तरह था तो भी तूने अपने ख़ादिम को उन लोगों के बीच बिठाया जो तेरे दस्तरख़्वान पर खाते थे तब क्या अब भी मेरा कोई हक़ है कि मैं बादशाह के आगे फिर फ़रयाद करूँ?
כִּי֩ לֹ֨א הָיָ֜ה כָּל־בֵּ֣ית אָבִ֗י כִּ֤י אִם־אַנְשֵׁי־מָ֙וֶת֙ לַאדֹנִ֣י הַמֶּ֔לֶךְ וַתָּ֙שֶׁת֙ אֶֽת־עַבְדְּךָ֔ בְּאֹכְלֵ֖י שֻׁלְחָנֶ֑ךָ וּמַה־יֶּשׁ־לִ֥י עֹוד֙ צְדָקָ֔ה וְלִזְעֹ֥ק עֹ֖וד אֶל־הַמֶּֽלֶךְ׃ פ
29 बादशाह ने उनसे कहा, “तू अपनी बातें क्यों बयान करता जाता है? मैं कहता हूँ कि तू और ज़ीबा दोनों उस ज़मीन को आपस में बाँट लो।”
וַיֹּ֤אמֶר לֹו֙ הַמֶּ֔לֶךְ לָ֛מָּה תְּדַבֵּ֥ר עֹ֖וד דְּבָרֶ֑יךָ אָמַ֕רְתִּי אַתָּ֣ה וְצִיבָ֔א תַּחְלְק֖וּ אֶת־הַשָּׂדֶֽה׃
30 और मिफ़ीबोसत ने बादशाह से कहा, “वही सब ले ले इसलिए कि मेरा मालिक बादशाह अपने घर में फिर सलामत आ गया है।”
וַיֹּ֤אמֶר מְפִיבֹ֙שֶׁת֙ אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ גַּ֥ם אֶת־הַכֹּ֖ל יִקָּ֑ח אַ֠חֲרֵי אֲשֶׁר־בָּ֞א אֲדֹנִ֥י הַמֶּ֛לֶך בְּשָׁלֹ֖ום אֶל־בֵּיתֹֽו׃ ס
31 और बरज़िली जिल'आदी रजिलीम से आया और बादशाह के साथ यरदन पार गया ताकि उसे यरदन के पार पहुँचाये।
וּבַרְזִלַּי֙ הַגִּלְעָדִ֔י יָרַ֖ד מֵרֹגְלִ֑ים וַיַּעֲבֹ֤ר אֶת־הַמֶּ֙לֶךְ֙ הַיַּרְדֵּ֔ן לְשַׁלְּחֹ֖ו אֶת־בַיַּרְדֵּן (הַיַּרְדֵּֽן)׃
32 और यह बरज़िली बहुत ही उम्र दराज़ आदमी या'नी अस्सी बरस का था, उसने बादशाह को जब तक वह मेहनायम में रहा ख़ुराक पहुँचाई थी इसलिए कि वह बहुत बड़ा आदमी था।
וּבַרְזִלַּי֙ זָקֵ֣ן מְאֹ֔ד בֶּן־שְׁמֹנִ֖ים שָׁנָ֑ה וְהֽוּא־כִלְכַּ֤ל אֶת־הַמֶּ֙לֶךְ֙ בְשִׁיבָתֹ֣ו בְמַחֲנַ֔יִם כִּֽי־אִ֛ישׁ גָּדֹ֥ול ה֖וּא מְאֹֽד׃
33 तब बादशाह ने बरज़िली से कहा कि “तू मेरे साथ चल और मैं येरूशलेम में अपने साथ तेरी परवरिश करूँगा।”
וַיֹּ֥אמֶר הַמֶּ֖לֶךְ אֶל־בַּרְזִלָּ֑י אַתָּה֙ עֲבֹ֣ר אִתִּ֔י וְכִלְכַּלְתִּ֥י אֹתְךָ֛ עִמָּדִ֖י בִּירוּשָׁלָֽ͏ִם׃
34 और बरज़िली ने बादशाह को जवाब दिया कि “मेरी ज़िन्दगी के दिन ही कितने हैं जो मैं बादशाह के साथ येरूशलेम को जाऊँ?
וַיֹּ֥אמֶר בַּרְזִלַּ֖י אֶל־הַמֶּ֑לֶךְ כַּמָּ֗ה יְמֵי֙ שְׁנֵ֣י חַיַּ֔י כִּי־אֶעֱלֶ֥ה אֶת־הַמֶּ֖לֶךְ יְרוּשָׁלָֽ͏ִם׃
35 आज मैं अस्सी बरस का हूँ, क्या मैं भले और बुरे में फ़र्क कर सकता हूँ? क्या तेरा बन्दा जो कुछ खाता पीता है उसका मज़ा जान सकता है? क्या मैं गाने वालों और गाने वालियों की फिर आवाज़ सुन सकता हूँ? तब तेरा बन्दा अपने बादशाह पर क्यों बोझ हो?
בֶּן־שְׁמֹנִ֣ים שָׁנָה֩ אָנֹכִ֨י הַיֹּ֜ום הַאֵדַ֣ע ׀ בֵּין־טֹ֣וב לְרָ֗ע אִם־יִטְעַ֤ם עַבְדְּךָ֙ אֶת־אֲשֶׁ֤ר אֹכַל֙ וְאֶת־אֲשֶׁ֣ר אֶשְׁתֶּ֔ה אִם־אֶשְׁמַ֣ע עֹ֔וד בְּקֹ֖ול שָׁרִ֣ים וְשָׁרֹ֑ות וְלָמָּה֩ יִֽהְיֶ֨ה עַבְדְּךָ֥ עֹוד֙ לְמַשָּׂ֔א אֶל־אֲדֹנִ֖י הַמֶּֽלֶךְ׃
36 तेरा बन्दा सिर्फ़ यरदन के पार तक बादशाह के साथ जाना चाहता है, इसलिए बादशाह मुझे ऐसा बड़ा बदला क्यूँ दे?
כִּמְעַ֞ט יַעֲבֹ֧ר עַבְדְּךָ֛ אֶת־הַיַּרְדֵּ֖ן אֶת־הַמֶּ֑לֶךְ וְלָ֙מָּה֙ יִגְמְלֵ֣נִי הַמֶּ֔לֶךְ הַגְּמוּלָ֖ה הַזֹּֽאת׃
37 अपने बन्दा को लौट जाने दे ताकि मैं अपने शहर में अपने बाप और माँ की क़ब्र के पास मरूँ लेकिन देख तेरा बन्दा किम्हाम हाज़िर है, वह मेरे मालिक बादशाह के साथ पार जाए और जो कुछ तुझे अच्छा मा'लूम दे उससे कर।”
יָֽשָׁב־נָ֤א עַבְדְּךָ֙ וְאָמֻ֣ת בְּעִירִ֔י עִ֛ם קֶ֥בֶר אָבִ֖י וְאִמִּ֑י וְהִנֵּ֣ה ׀ עַבְדְּךָ֣ כִמְהָ֗ם יַֽעֲבֹר֙ עִם־אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֔לֶךְ וַעֲשֵׂה־לֹ֕ו אֵ֥ת אֲשֶׁר־טֹ֖וב בְּעֵינֶֽיךָ׃ ס
38 तब बादशाह ने कहा, “किम्हाम मेरे साथ पार चलेगा और जो कुछ तुझे अच्छा मा'लूम हो वही मैं उसके साथ करूँगा और जो कुछ तू चाहेगा मैं तेरे लिए वही करूँगा।”
וַיֹּ֣אמֶר הַמֶּ֗לֶךְ אִתִּי֙ יַעֲבֹ֣ר כִּמְהָ֔ם וַאֲנִי֙ אֶעֱשֶׂה־לֹּ֔ו אֶת־הַטֹּ֖וב בְּעֵינֶ֑יךָ וְכֹ֛ל אֲשֶׁר־תִּבְחַ֥ר עָלַ֖י אֶֽעֱשֶׂה־לָּֽךְ׃
39 और सब लोग यरदन के पार हो गये और बादशाह भी पार हुआ, फिर बादशाह ने बरज़िली को चूमा और उसे दुआ दी और वह अपनी जगह को लौट गया।
וַיַּעֲבֹ֧ר כָּל־הָעָ֛ם אֶת־הַיַּרְדֵּ֖ן וְהַמֶּ֣לֶךְ עָבָ֑ר וַיִּשַּׁ֨ק הַמֶּ֤לֶךְ לְבַרְזִלַּי֙ וַיְבָ֣רֲכֵ֔הוּ וַיָּ֖שָׁב לִמְקֹמֹֽו׃ ס
40 तब बादशाह जिलजाल को रवाना हुआ और किम्हाम उसके साथ चला और यहूदाह के सब लोग और इस्राईल के लोगों में से भी आधे बादशाह को पार लाये।
וַיַּעֲבֹ֤ר הַמֶּ֙לֶךְ֙ הַגִּלְגָּ֔לָה וְכִמְהָ֖ן עָבַ֣ר עִמֹּ֑ו וְכָל־עַ֤ם יְהוּדָה֙ וַיְעֱבִרוּ (הֶעֱבִ֣ירוּ) אֶת־הַמֶּ֔לֶךְ וְגַ֕ם חֲצִ֖י עַ֥ם יִשְׂרָאֵֽל׃
41 तब इस्राईल के सब लोग बादशाह के पास आकर उससे कहने लगे कि “हमारे भाई बनी यहूदाह तुझे क्यूँ चोरी से ले आए और बादशाह को और उसके घराने को और दाऊद के साथ जितने थे उनको यरदन के पार से लाये?”
וְהִנֵּ֛ה כָּל־אִ֥ישׁ יִשְׂרָאֵ֖ל בָּאִ֣ים אֶל־הַמֶּ֑לֶךְ וַיֹּאמְר֣וּ אֶל־הַמֶּ֡לֶךְ מַדּוּעַ֩ גְּנָב֨וּךָ אַחֵ֜ינוּ אִ֣ישׁ יְהוּדָ֗ה וַיַּעֲבִ֨רוּ אֶת־הַמֶּ֤לֶךְ וְאֶת־בֵּיתֹו֙ אֶת־הַיַּרְדֵּ֔ן וְכָל־אַנְשֵׁ֥י דָוִ֖ד עִמֹּֽו׃ ס
42 तब सब बनी यहूदाह ने बनी इस्राईल को जवाब दिया, “इसलिए कि बादशाह का हमारे साथ नज़दीक का रिश्ता है, तब तुम इस बात की वजह से नाराज़ क्यों हुए? क्या हमने बादशाह के दाम का कुछ खा लिया है या उसने हमको कुछ इन'आम दिया है?”
וַיַּעַן֩ כָּל־אִ֨ישׁ יְהוּדָ֜ה עַל־אִ֣ישׁ יִשְׂרָאֵ֗ל כִּֽי־קָרֹ֤וב הַמֶּ֙לֶךְ֙ אֵלַ֔י וְלָ֤מָּה זֶּה֙ חָרָ֣ה לְךָ֔ עַל־הַדָּבָ֖ר הַזֶּ֑ה הֶאָכֹ֤ול אָכַ֙לְנוּ֙ מִן־הַמֶּ֔לֶךְ אִם־נִשֵּׂ֥את נִשָּׂ֖א לָֽנוּ׃ ס
43 फिर बनी इस्राईल ने बनी यहूदाह को जवाब दिया कि “बादशाह में हमारे दस हिस्से हैं और हमारा हक़ भी दाऊद पर तुम से ज़्यादा है तब तुमने क्यों हमारी हिक़ारत की, कि बादशाह को लौटा लाने में पहले हमसे सलाह नहीं ली?” और बनी यहूदाह की बातें बनी इस्राईल की बातों से ज़्यादा सख्त़ थीं।
וַיַּ֣עַן אִֽישׁ־יִשְׂרָאֵל֩ אֶת־אִ֨ישׁ יְהוּדָ֜ה וַיֹּ֗אמֶר עֶֽשֶׂר־יָדֹ֨ות לִ֣י בַמֶּלֶךְ֮ וְגַם־בְּדָוִד֮ אֲנִ֣י מִמְּךָ֒ וּמַדּ֙וּעַ֙ הֱקִלֹּתַ֔נִי וְלֹא־הָיָ֨ה דְבָרִ֥י רִאשֹׁ֛ון לִ֖י לְהָשִׁ֣יב אֶת־מַלְכִּ֑י וַיִּ֙קֶשׁ֙ דְּבַר־אִ֣ישׁ יְהוּדָ֔ה מִדְּבַ֖ר אִ֥ישׁ יִשְׂרָאֵֽל׃ ס

< 2 समु 19 >