< ལཱུཀཿ 8 >

1 ཨཔརཉྩ ཡཱིཤུ རྡྭཱདཤབྷིཿ ཤིཥྱཻཿ སཱརྡྡྷཾ ནཱནཱནགརེཥུ ནཱནཱགྲཱམེཥུ ཙ གཙྪན྄ ཨིཤྭརཱིཡརཱཛཏྭསྱ སུསཾཝཱདཾ པྲཙཱརཡིཏུཾ པྲཱརེབྷེ།
इसके बाद वह नगर-नगर और गाँव-गाँव प्रचार करता हुआ, और परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाता हुआ, फिरने लगा, और वे बारह उसके साथ थे,
2 ཏདཱ ཡསྱཱཿ སཔྟ བྷཱུཏཱ ནིརགཙྪན྄ སཱ མགྡལཱིནཱིཏི ཝིཁྱཱཏཱ མརིཡམ྄ ཧེརོདྲཱཛསྱ གྲྀཧཱདྷིཔཏེཿ ཧོཥེ རྦྷཱཪྻྱཱ ཡོཧནཱ ཤཱུཤཱནཱ
और कुछ स्त्रियाँ भी जो दुष्टात्माओं से और बीमारियों से छुड़ाई गई थीं, और वे यह हैं मरियम जो मगदलीनी कहलाती थी, जिसमें से सात दुष्टात्माएँ निकली थीं,
3 པྲབྷྲྀཏཡོ ཡཱ བཧྭྱཿ སྟྲིཡཿ དུཥྚབྷཱུཏེབྷྱོ རོགེབྷྱཤྩ མུཀྟཱཿ སཏྱོ ནིཛཝིབྷཱུཏཱི ཪྻྱཡིཏྭཱ ཏམསེཝནྟ, ཏཱཿ སཪྻྭཱསྟེན སཱརྡྡྷམ྄ ཨཱསན྄།
और हेरोदेस के भण्डारी खुज़ा की पत्नी योअन्ना और सूसन्नाह और बहुत सी और स्त्रियाँ, ये तो अपनी सम्पत्ति से उसकी सेवा करती थीं।
4 ཨནནྟརཾ ནཱནཱནགརེབྷྱོ བཧཝོ ལོཀཱ ཨཱགཏྱ ཏསྱ སམཱིཔེ྅མིལན྄, ཏདཱ ས ཏེབྷྱ ཨེཀཱཾ དྲྀཥྚཱནྟཀཐཱཾ ཀཐཡཱམཱས། ཨེཀཿ ཀྲྀཥཱིབལོ བཱིཛཱནི ཝཔྟུཾ བཧིརྫགཱམ,
जब बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई, और नगर-नगर के लोग उसके पास चले आते थे, तो उसने दृष्टान्त में कहा:
5 ཏཏོ ཝཔནཀཱལེ ཀཏིཔཡཱནི བཱིཛཱནི མཱརྒཔཱརྴྭེ པེཏུཿ, ཏཏསྟཱནི པདཏལཻ རྡལིཏཱནི པཀྵིབྷི རྦྷཀྵིཏཱནི ཙ།
“एक बोनेवाला बीज बोने निकला: बोते हुए कुछ मार्ग के किनारे गिरा, और रौंदा गया, और आकाश के पक्षियों ने उसे चुग लिया।
6 ཀཏིཔཡཱནི བཱིཛཱནི པཱཥཱཎསྠལེ པཏིཏཱནི ཡདྱཔི ཏཱནྱངྐུརིཏཱནི ཏཐཱཔི རསཱབྷཱཝཱཏ྄ ཤུཤུཥུཿ།
और कुछ चट्टान पर गिरा, और उपजा, परन्तु नमी न मिलने से सूख गया।
7 ཀཏིཔཡཱནི བཱིཛཱནི ཀཎྚཀིཝནམདྷྱེ པཏིཏཱནི ཏཏཿ ཀཎྚཀིཝནཱནི སཾཝྲྀདྡྷྱ ཏཱནི ཛགྲསུཿ།
कुछ झाड़ियों के बीच में गिरा, और झाड़ियों ने साथ-साथ बढ़कर उसे दबा लिया।
8 ཏདནྱཱནི ཀཏིཔཡབཱིཛཱནི ཙ བྷཱུམྱཱམུཏྟམཱཡཱཾ པེཏུསྟཏསྟཱནྱངྐུརཡིཏྭཱ ཤཏགུཎཱནི ཕལཱནི ཕེལུཿ། ས ཨིམཱ ཀཐཱཾ ཀཐཡིཏྭཱ པྲོཙྩཻཿ པྲོཝཱཙ, ཡསྱ ཤྲོཏུཾ ཤྲོཏྲེ སྟཿ ས ཤྲྀཎོཏུ།
और कुछ अच्छी भूमि पर गिरा, और उगकर सौ गुणा फल लाया।” यह कहकर उसने ऊँचे शब्द से कहा, “जिसके सुनने के कान हों वह सुन लें।”
9 ཏཏཿ པརཾ ཤིཥྱཱསྟཾ པཔྲཙྪུརསྱ དྲྀཥྚཱནྟསྱ ཀིཾ ཏཱཏྤཪྻྱཾ?
उसके चेलों ने उससे पूछा, “इस दृष्टान्त का अर्थ क्या है?”
10 ཏཏཿ ས ཝྱཱཛཧཱར, ཨཱིཤྭརཱིཡརཱཛྱསྱ གུཧྱཱནི ཛྙཱཏུཾ ཡུཥྨབྷྱམདྷིཀཱརོ དཱིཡཏེ ཀིནྟྭནྱེ ཡཐཱ དྲྀཥྚྭཱཔི ན པཤྱནྟི ཤྲུཏྭཱཔི མ བུདྷྱནྟེ ཙ ཏདརྠཾ ཏེཥཱཾ པུརསྟཱཏ྄ ཏཱཿ སཪྻྭཱཿ ཀཐཱ དྲྀཥྚཱནྟེན ཀཐྱནྟེ།
१०उसने कहा, “तुम को परमेश्वर के राज्य के भेदों की समझ दी गई है, पर औरों को दृष्टान्तों में सुनाया जाता है, इसलिए कि ‘वे देखते हुए भी न देखें, और सुनते हुए भी न समझें।’
11 དྲྀཥྚཱནྟསྱཱསྱཱབྷིཔྲཱཡཿ, ཨཱིཤྭརཱིཡཀཐཱ བཱིཛསྭརཱུཔཱ།
११“दृष्टान्त का अर्थ यह है: बीज तो परमेश्वर का वचन है।
12 ཡེ ཀཐཱམཱཏྲཾ ཤྲྀཎྭནྟི ཀིནྟུ པཤྩཱད྄ ཝིཤྭསྱ ཡཐཱ པརིཏྲཱཎཾ ན པྲཱཔྣུཝནྟི ཏདཱཤཡེན ཤཻཏཱནེཏྱ ཧྲྀདཡཱཏྲྀ ཏཱཾ ཀཐཱམ྄ ཨཔཧརཏི ཏ ཨེཝ མཱརྒཔཱརྴྭསྠབྷཱུམིསྭརཱུཔཱཿ།
१२मार्ग के किनारे के वे हैं, जिन्होंने सुना; तब शैतान आकर उनके मन में से वचन उठा ले जाता है, कि कहीं ऐसा न हो कि वे विश्वास करके उद्धार पाएँ।
13 ཡེ ཀཐཾ ཤྲུཏྭཱ སཱནནྡཾ གྲྀཧླནྟི ཀིནྟྭབདྡྷམཱུལཏྭཱཏ྄ སྭལྤཀཱལམཱཏྲཾ པྲཏཱིཏྱ པརཱིཀྵཱཀཱལེ བྷྲཤྱནྟི ཏཨེཝ པཱཥཱཎབྷཱུམིསྭརཱུཔཱཿ།
१३चट्टान पर के वे हैं, कि जब सुनते हैं, तो आनन्द से वचन को ग्रहण तो करते हैं, परन्तु जड़ न पकड़ने से वे थोड़ी देर तक विश्वास रखते हैं, और परीक्षा के समय बहक जाते हैं।
14 ཡེ ཀཐཱཾ ཤྲུཏྭཱ ཡཱནྟི ཝིཥཡཙིནྟཱཡཱཾ དྷནལོབྷེན ཨེཧིཀསུཁེ ཙ མཛྫནྟ ཨུཔཡུཀྟཕལཱནི ན ཕལནྟི ཏ ཨེཝོཔྟབཱིཛཀཎྚཀིབྷཱུསྭརཱུཔཱཿ།
१४जो झाड़ियों में गिरा, यह वे हैं, जो सुनते हैं, पर आगे चलकर चिन्ता और धन और जीवन के सुख-विलास में फँस जाते हैं, और उनका फल नहीं पकता।
15 ཀིནྟུ ཡེ ཤྲུཏྭཱ སརལཻཿ ཤུདྡྷཻཤྩཱནྟཿཀརཎཻཿ ཀཐཱཾ གྲྀཧླནྟི དྷཻཪྻྱམ྄ ཨཝལམྦྱ ཕལཱནྱུཏྤཱདཡནྟི ཙ ཏ ཨེཝོཏྟམམྲྀཏྶྭརཱུཔཱཿ།
१५पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर भले और उत्तम मन में सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं।
16 ཨཔརཉྩ པྲདཱིཔཾ པྲཛྭཱལྱ ཀོཔི པཱཏྲེཎ ནཱཙྪཱདཡཏི ཏཐཱ ཁཊྭཱདྷོཔི ན སྠཱཔཡཏི, ཀིནྟུ དཱིཔཱདྷཱརོཔཪྻྱེཝ སྠཱཔཡཏི, ཏསྨཱཏ྄ པྲཝེཤཀཱ དཱིཔྟིཾ པཤྱནྟི།
१६“कोई दिया जलाकरबर्तन से नहीं ढाँकता, और न खाट के नीचे रखता है, परन्तु दीवट पर रखता है, कि भीतर आनेवाले प्रकाश पाएँ।
17 ཡནྣ པྲཀཱཤཡིཥྱཏེ ཏཱདྲྀག྄ ཨཔྲཀཱཤིཏཾ ཝསྟུ ཀིམཔི ནཱསྟི ཡཙྩ ན སུཝྱཀྟཾ པྲཙཱརཡིཥྱཏེ ཏཱདྲྀག྄ གྲྀཔྟཾ ཝསྟུ ཀིམཔི ནཱསྟི།
१७कुछ छिपा नहीं, जो प्रगट न हो; और न कुछ गुप्त है, जो जाना न जाए, और प्रगट न हो।
18 ཨཏོ ཡཱུཡཾ ཀེན པྲཀཱརེཎ ཤྲྀཎུཐ ཏཏྲ སཱཝདྷཱནཱ བྷཝཏ, ཡསྱ སམཱིཔེ བརྡྡྷཏེ ཏསྨཻ པུནརྡཱསྱཏེ ཀིནྟུ ཡསྱཱཤྲཡེ ན བརྡྡྷཏེ ཏསྱ ཡདྱདསྟི ཏདཔི ཏསྨཱཏ྄ ནེཥྱཏེ།
१८इसलिए सावधान रहो, कि तुम किस रीति से सुनते हो? क्योंकि जिसके पास है, उसे दिया जाएगा; और जिसके पास नहीं है, उससे वह भी ले लिया जाएगा, जिसे वह अपना समझता है।”
19 ཨཔརཉྩ ཡཱིཤོ རྨཱཏཱ བྷྲཱཏརཤྩ ཏསྱ སམཱིཔཾ ཛིགམིཥཝཿ
१९उसकी माता और उसके भाई पास आए, पर भीड़ के कारण उससे भेंट न कर सके।
20 ཀིནྟུ ཛནཏཱསམྦཱདྷཱཏ྄ ཏཏྶནྣིདྷིཾ པྲཱཔྟུཾ ན ཤེཀུཿ། ཏཏྤཤྩཱཏ྄ ཏཝ མཱཏཱ བྷྲཱཏརཤྩ ཏྭཱཾ སཱཀྵཱཏ྄ ཙིཀཱིརྵནྟོ བཧིསྟིཥྛནཏཱིཏི ཝཱརྟྟཱཡཱཾ ཏསྨཻ ཀཐིཏཱཡཱཾ
२०और उससे कहा गया, “तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हुए तुझ से मिलना चाहते हैं।”
21 ས པྲཏྱུཝཱཙ; ཡེ ཛནཱ ཨཱིཤྭརསྱ ཀཐཱཾ ཤྲུཏྭཱ ཏདནུརཱུཔམཱཙརནྟི ཏཨེཝ མམ མཱཏཱ བྷྲཱཏརཤྩ།
२१उसने उसके उत्तर में उनसे कहा, “मेरी माता और मेरे भाई ये ही है, जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं।”
22 ཨནནྟརཾ ཨེཀདཱ ཡཱིཤུཿ ཤིཥྱཻཿ སཱརྡྡྷཾ ནཱཝམཱརུཧྱ ཛགཱད, ཨཱཡཱཏ ཝཡཾ ཧྲདསྱ པཱརཾ ཡཱམཿ, ཏཏསྟེ ཛགྨུཿ།
२२फिर एक दिन वह और उसके चेले नाव पर चढ़े, और उसने उनसे कहा, “आओ, झील के पार चलें।” अतः उन्होंने नाव खोल दी।
23 ཏེཥུ ནཽཀཱཾ ཝཱཧཡཏྶུ ས ནིདདྲཽ;
२३पर जब नाव चल रही थी, तो वह सो गया: और झील पर आँधी आई, और नाव पानी से भरने लगी और वे जोखिम में थे।
24 ཨཐཱཀསྨཱཏ྄ པྲབལཛྷཉྦྷྴགམཱད྄ ཧྲདེ ནཽཀཱཡཱཾ ཏརངྒཻརཱཙྪནྣཱཡཱཾ ཝིཔཏ྄ ཏཱན྄ ཛགྲཱས། ཏསྨཱད྄ ཡཱིཤོརནྟིཀཾ གཏྭཱ ཧེ གུརོ ཧེ གུརོ པྲཱཎཱ ནོ ཡཱནྟཱིཏི གདིཏྭཱ ཏཾ ཛཱགརཡཱམྦབྷཱུཝུཿ། ཏདཱ ས ཨུཏྠཱཡ ཝཱཡུཾ ཏརངྒཱཾཤྩ ཏརྫཡཱམཱས ཏསྨཱདུབྷཽ ནིཝྲྀཏྱ སྠིརཽ བབྷཱུཝཏུཿ།
२४तब उन्होंने पास आकर उसे जगाया, और कहा, “स्वामी! स्वामी! हम नाश हुए जाते हैं।” तब उसने उठकर आँधी को और पानी की लहरों को डाँटा और वे थम गए, और शान्त हो गया।
25 ས ཏཱན྄ བབྷཱཥེ ཡུཥྨཱཀཾ ཝིཤྭཱསཿ ཀ? ཏསྨཱཏྟེ བྷཱིཏཱ ཝིསྨིཏཱཤྩ པརསྤརཾ ཛགདུཿ, ཨཧོ ཀཱིདྲྀགཡཾ མནུཛཿ པཝནཾ པཱནཱིཡཉྩཱདིཤཏི ཏདུབྷཡཾ ཏདཱདེཤཾ ཝཧཏི།
२५और उसने उनसे कहा, “तुम्हारा विश्वास कहाँ था?” पर वे डर गए, और अचम्भित होकर आपस में कहने लगे, “यह कौन है, जो आँधी और पानी को भी आज्ञा देता है, और वे उसकी मानते हैं?”
26 ཏཏཿ པརཾ གཱལཱིལྤྲདེཤསྱ སམྨུཁསྠགིདེརཱིཡཔྲདེཤེ ནཽཀཱཡཱཾ ལགནྟྱཱཾ ཏཊེ྅ཝརོཧམཱཝཱད྄
२६फिर वे गिरासेनियों के देश में पहुँचे, जो उस पार गलील के सामने है।
27 བཧུཏིཐཀཱལཾ བྷཱུཏགྲསྟ ཨེཀོ མཱནུཥཿ པུརཱདཱགཏྱ ཏཾ སཱཀྵཱཙྩཀཱར། ས མནུཥོ ཝཱསོ ན པརིདདྷཏ྄ གྲྀཧེ ཙ ན ཝསན྄ ཀེཝལཾ ཤྨཤཱནམ྄ ཨདྷྱུཝཱས།
२७जब वह किनारे पर उतरा, तो उस नगर का एक मनुष्य उसे मिला, जिसमें दुष्टात्माएँ थीं। और बहुत दिनों से न कपड़े पहनता था और न घर में रहता था वरन् कब्रों में रहा करता था।
28 ས ཡཱིཤུཾ དྲྀཥྚྭཻཝ ཙཱིཙྪབྡཾ ཙཀཱར ཏསྱ སམྨུཁེ པཏིཏྭཱ པྲོཙྩཻརྫགཱད ཙ, ཧེ སཪྻྭཔྲདྷཱནེཤྭརསྱ པུཏྲ, མཡཱ སཧ ཏཝ ཀཿ སམྦནྡྷཿ? ཏྭཡི ཝིནཡཾ ཀརོམི མཱཾ མཱ ཡཱཏཡ།
२८वह यीशु को देखकर चिल्लाया, और उसके सामने गिरकर ऊँचे शब्द से कहा, “हे परमप्रधान परमेश्वर के पुत्र यीशु! मुझे तुझ से क्या काम? मैं तुझ से विनती करता हूँ, मुझे पीड़ा न दे।”
29 ཡཏཿ ས ཏཾ མཱནུཥཾ ཏྱཀྟྭཱ ཡཱཏུམ྄ ཨམེདྷྱབྷཱུཏམ྄ ཨཱདིདེཤ; ས བྷཱུཏསྟཾ མཱནུཥམ྄ ཨསཀྲྀད྄ དདྷཱར ཏསྨཱལློཀཱཿ ཤྲྀངྑལེན ནིགཌེན ཙ བབནྡྷུཿ; ས ཏད྄ བྷཾཀྟྭཱ བྷཱུཏཝཤཏྭཱཏ྄ མདྷྱེཔྲཱནྟརཾ ཡཡཽ།
२९क्योंकि वह उस अशुद्ध आत्मा को उस मनुष्य में से निकलने की आज्ञा दे रहा था, इसलिए कि वह उस पर बार बार प्रबल होती थी। और यद्यपि लोग उसे जंजीरों और बेड़ियों से बाँधते थे, तो भी वह बन्धनों को तोड़ डालता था, और दुष्टात्मा उसे जंगल में भगाए फिरती थी।
30 ཨནནྟརཾ ཡཱིཤུསྟཾ པཔྲཙྪ ཏཝ ཀིནྣཱམ? ས ཨུཝཱཙ, མམ ནཱམ བཱཧིནོ ཡཏོ བཧཝོ བྷཱུཏཱསྟམཱཤིཤྲིཡུཿ།
३०यीशु ने उससे पूछा, “तेरा क्या नाम है?” उसने कहा, “सेना,” क्योंकि बहुत दुष्टात्माएँ उसमें समा गई थीं।
31 ཨཐ བྷཱུཏཱ ཝིནཡེན ཛགདུཿ, གབྷཱིརཾ གརྟྟཾ གནྟུཾ མཱཛྙཱཔཡཱསྨཱན྄། (Abyssos g12)
३१और उन्होंने उससे विनती की, “हमें अथाह गड्ढे में जाने की आज्ञा न दे।” (Abyssos g12)
32 ཏདཱ པཪྻྭཏོཔརི ཝརཱཧཝྲཛཤྩརཏི ཏསྨཱད྄ བྷཱུཏཱ ཝིནཡེན པྲོཙུཿ, ཨམུཾ ཝརཱཧཝྲཛམ྄ ཨཱཤྲཡིཏུམ྄ ཨསྨཱན྄ ཨནུཛཱནཱིཧི; ཏཏཿ སོནུཛཛྙཽ།
३२वहाँ पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था, अतः उन्होंने उससे विनती की, “हमें उनमें समाने दे।” अतः उसने उन्हें जाने दिया।
33 ཏཏཿ པརཾ བྷཱུཏཱསྟཾ མཱནུཥཾ ཝིཧཱཡ ཝརཱཧཝྲཛམ྄ ཨཱཤིཤྲིཡུཿ ཝརཱཧཝྲཛཱཤྩ ཏཏྐྵཎཱཏ྄ ཀཊཀེན དྷཱཝནྟོ ཧྲདེ པྲཱཎཱན྄ ཝིཛྲྀཧུཿ།
३३तब दुष्टात्माएँ उस मनुष्य से निकलकर सूअरों में समा गई और वह झुण्ड कड़ाड़े पर से झपटकर झील में जा गिरा और डूब मरा।
34 ཏད྄ དྲྀཥྚྭཱ ཤཱུཀརརཀྵཀཱཿ པལཱཡམཱནཱ ནགརཾ གྲཱམཉྩ གཏྭཱ ཏཏྶཪྻྭཝྲྀཏྟཱནྟཾ ཀཐཡཱམཱསུཿ།
३४चरवाहे यह जो हुआ था देखकर भागे, और नगर में, और गाँवों में जाकर उसका समाचार कहा।
35 ཏཏཿ ཀིཾ ཝྲྀཏྟམ྄ ཨེཏདྡརྴནཱརྠཾ ལོཀཱ ནིརྒཏྱ ཡཱིཤོཿ སམཱིཔཾ ཡཡུཿ, ཏཾ མཱནུཥཾ ཏྱཀྟབྷཱུཏཾ པརིཧིཏཝསྟྲཾ སྭསྠམཱནུཥཝད྄ ཡཱིཤོཤྩརཎསནྣིདྷཽ སཱུཔཝིཤནྟཾ ཝིལོཀྱ བིབྷྱུཿ།
३५और लोग यह जो हुआ था उसको देखने को निकले, और यीशु के पास आकर जिस मनुष्य से दुष्टात्माएँ निकली थीं, उसे यीशु के पाँवों के पास कपड़े पहने और सचेत बैठे हुए पाकर डर गए।
36 ཡེ ལོཀཱསྟསྱ བྷཱུཏགྲསྟསྱ སྭཱསྠྱཀརཎཾ དདྲྀཤུསྟེ ཏེབྷྱཿ སཪྻྭཝྲྀཏྟཱནྟཾ ཀཐཡཱམཱསུཿ།
३६और देखनेवालों ने उनको बताया, कि वह दुष्टात्मा का सताया हुआ मनुष्य किस प्रकार अच्छा हुआ।
37 ཏདནནྟརཾ ཏསྱ གིདེརཱིཡཔྲདེཤསྱ ཙཏུརྡིཀྶྠཱ བཧཝོ ཛནཱ ཨཏིཏྲསྟཱ ཝིནཡེན ཏཾ ཛགདུཿ, བྷཝཱན྄ ཨསྨཱཀཾ ནིཀཊཱད྄ ཝྲཛཏུ ཏསྨཱཏ྄ ས ནཱཝམཱརུཧྱ ཏཏོ ཝྱཱགྷུཊྱ ཛགཱམ།
३७तब गिरासेनियों के आस-पास के सब लोगों ने यीशु से विनती की, कि हमारे यहाँ से चला जा; क्योंकि उन पर बड़ा भय छा गया था। अतः वह नाव पर चढ़कर लौट गया।
38 ཏདཱནཱིཾ ཏྱཀྟབྷཱུཏམནུཛསྟེན སཧ སྠཱཏུཾ པྲཱརྠཡཱཉྩཀྲེ
३८जिस मनुष्य से दुष्टात्माएँ निकली थीं वह उससे विनती करने लगा, कि मुझे अपने साथ रहने दे, परन्तु यीशु ने उसे विदा करके कहा।
39 ཀིནྟུ ཏདརྠམ྄ ཨཱིཤྭརཿ ཀཱིདྲྀངྨཧཱཀརྨྨ ཀྲྀཏཝཱན྄ ཨིཏི ནིཝེཤནཾ གཏྭཱ ཝིཛྙཱཔཡ, ཡཱིཤུཿ ཀཐཱམེཏཱཾ ཀཐཡིཏྭཱ ཏཾ ཝིསསརྫ། ཏཏཿ ས ཝྲཛིཏྭཱ ཡཱིཤུསྟདརྠཾ ཡནྨཧཱཀརྨྨ ཙཀཱར ཏཏ྄ པུརསྱ སཪྻྭཏྲ པྲཀཱཤཡིཏུཾ པྲཱརེབྷེ།
३९“अपने घर में लौट जा और लोगों से कह दे, कि परमेश्वर ने तेरे लिये कैसे बड़े-बड़े काम किए हैं।” वह जाकर सारे नगर में प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े-बड़े काम किए।
40 ཨཐ ཡཱིཤཽ པརཱཝྲྀཏྱཱགཏེ ལོཀཱསྟཾ ཨཱདརེཎ ཛགྲྀཧུ ཪྻསྨཱཏྟེ སཪྻྭེ ཏམཔེཀྵཱཉྩཀྲིརེ།
४०जब यीशु लौट रहा था, तो लोग उससे आनन्द के साथ मिले; क्योंकि वे सब उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे।
41 ཏདནནྟརཾ ཡཱཡཱིརྣཱམྣོ བྷཛནགེཧསྱཻཀོདྷིཔ ཨཱགཏྱ ཡཱིཤོཤྩརཎཡོཿ པཏིཏྭཱ སྭནིཝེཤནཱགམནཱརྠཾ ཏསྨིན྄ ཝིནཡཾ ཙཀཱར,
४१और देखो, याईर नाम एक मनुष्य जो आराधनालय का सरदार था, आया, और यीशु के पाँवों पर गिरकर उससे विनती करने लगा, “मेरे घर चल।”
42 ཡཏསྟསྱ དྭཱདཤཝརྵཝཡསྐཱ ཀནྱཻཀཱསཱིཏ྄ སཱ མྲྀཏཀལྤཱབྷཝཏ྄། ཏཏསྟསྱ གམནཀཱལེ མཱརྒེ ལོཀཱནཱཾ མཧཱན྄ སམཱགམོ བབྷཱུཝ།
४२क्योंकि उसके बारह वर्ष की एकलौती बेटी थी, और वह मरने पर थी। जब वह जा रहा था, तब लोग उस पर गिरे पड़ते थे।
43 དྭཱདཤཝརྵཱཎི པྲདརརོགགྲསྟཱ ནཱནཱ ཝཻདྱཻཤྩིཀིཏྶིཏཱ སཪྻྭསྭཾ ཝྱཡིཏྭཱཔི སྭཱསྠྱཾ ན པྲཱཔྟཱ ཡཱ ཡོཥིཏ྄ སཱ ཡཱིཤོཿ པཤྩཱདཱགཏྱ ཏསྱ ཝསྟྲགྲནྠིཾ པསྤརྴ།
४३और एक स्त्री ने जिसको बारह वर्ष से लहू बहने का रोग था, और जो अपनी सारी जीविका वैद्यों के पीछे व्यय कर चुकी थी और फिर भी किसी के हाथ से चंगी न हो सकी थी,
44 ཏསྨཱཏ྄ ཏཏྐྵཎཱཏ྄ ཏསྱཱ རཀྟསྲཱཝོ རུདྡྷཿ།
४४पीछे से आकर उसके वस्त्र के आँचल को छुआ, और तुरन्त उसका लहू बहना थम गया।
45 ཏདཱནཱིཾ ཡཱིཤུརཝདཏ྄ ཀེནཱཧཾ སྤྲྀཥྚཿ? ཏཏོ྅ནེཀཻརནངྒཱིཀྲྀཏེ པིཏརསྟསྱ སངྒིནཤྩཱཝདན྄, ཧེ གུརོ ལོཀཱ ནིཀཊསྠཱཿ སནྟསྟཝ དེཧེ གྷརྵཡནྟི, ཏཐཱཔི ཀེནཱཧཾ སྤྲྀཥྚཨིཏི བྷཝཱན྄ ཀུཏཿ པྲྀཙྪཏི?
४५इस पर यीशु ने कहा, “मुझे किसने छुआ?” जब सब मुकरने लगे, तो पतरस और उसके साथियों ने कहा, “हे स्वामी, तुझे तो भीड़ दबा रही है और तुझ पर गिरी पड़ती है।”
46 ཡཱིཤུཿ ཀཐཡཱམཱས, ཀེནཱཔྱཧཾ སྤྲྀཥྚོ, ཡཏོ མཏྟཿ ཤཀྟི རྣིརྒཏེཏི མཡཱ ནིཤྩིཏམཛྙཱཡི།
४६परन्तु यीशु ने कहा, “किसी ने मुझे छुआ है क्योंकि मैंने जान लिया है कि मुझ में से सामर्थ्य निकली है।”
47 ཏདཱ སཱ ནཱརཱི སྭཡཾ ན གུཔྟེཏི ཝིདིཏྭཱ ཀམྤམཱནཱ སཏཱི ཏསྱ སམྨུཁེ པཔཱཏ; ཡེན ནིམིཏྟེན ཏཾ པསྤརྴ སྤརྴམཱཏྲཱཙྩ ཡེན པྲཀཱརེཎ སྭསྠཱབྷཝཏ྄ ཏཏ྄ སཪྻྭཾ ཏསྱ སཱཀྵཱདཱཙཁྱཽ།
४७जब स्त्री ने देखा, कि मैं छिप नहीं सकती, तब काँपती हुई आई, और उसके पाँवों पर गिरकर सब लोगों के सामने बताया, कि मैंने किस कारण से तुझे छुआ, और कैसे तुरन्त चंगी हो गई।
48 ཏཏཿ ས ཏཱཾ ཛགཱད ཧེ ཀནྱེ སུསྠིརཱ བྷཝ, ཏཝ ཝིཤྭཱསསྟྭཱཾ སྭསྠཱམ྄ ཨཀཱརྵཱིཏ྄ ཏྭཾ ཀྵེམེཎ ཡཱཧི།
४८उसने उससे कहा, “पुत्री तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है, कुशल से चली जा।”
49 ཡཱིཤོརེཏདྭཱཀྱཝདནཀཱལེ ཏསྱཱདྷིཔཏེ རྣིཝེཤནཱཏ྄ ཀཤྩིལློཀ ཨཱགཏྱ ཏཾ བབྷཱཥེ, ཏཝ ཀནྱཱ མྲྀཏཱ གུརུཾ མཱ ཀླིཤཱན།
४९वह यह कह ही रहा था, कि किसी ने आराधनालय के सरदार के यहाँ से आकर कहा, “तेरी बेटी मर गई: गुरु को दुःख न दे।”
50 ཀིནྟུ ཡཱིཤུསྟདཱཀརྞྱཱདྷིཔཏིཾ ཝྱཱཛཧཱར, མཱ བྷཻཥཱིཿ ཀེཝལཾ ཝིཤྭསིཧི ཏསྨཱཏ྄ སཱ ཛཱིཝིཥྱཏི།
५०यीशु ने सुनकर उसे उत्तर दिया, “मत डर; केवल विश्वास रख; तो वह बच जाएगी।”
51 ཨཐ ཏསྱ ནིཝེཤནེ པྲཱཔྟེ ས པིཏརཾ ཡོཧནཾ ཡཱཀཱུབཉྩ ཀནྱཱཡཱ མཱཏརཾ པིཏརཉྩ ཝིནཱ, ཨནྱཾ ཀཉྩན པྲཝེཥྚུཾ ཝཱརཡཱམཱས།
५१घर में आकर उसने पतरस, और यूहन्ना, और याकूब, और लड़की के माता-पिता को छोड़ और किसी को अपने साथ भीतर आने न दिया।
52 ཨཔརཉྩ ཡེ རུདནྟི ཝིལཔནྟི ཙ ཏཱན྄ སཪྻྭཱན྄ ཛནཱན྄ ཨུཝཱཙ, ཡཱུཡཾ མཱ རོདིཥྚ ཀནྱཱ ན མྲྀཏཱ ནིདྲཱཏི།
५२और सब उसके लिये रो पीट रहे थे, परन्तु उसने कहा, “रोओ मत; वह मरी नहीं परन्तु सो रही है।”
53 ཀིནྟུ སཱ ནིཤྩིཏཾ མྲྀཏེཏི ཛྙཱཏྭཱ ཏེ ཏམུཔཛཧསུཿ།
५३वे यह जानकर, कि मर गई है, उसकी हँसी करने लगे।
54 པཤྩཱཏ྄ ས སཪྻྭཱན྄ བཧིཿ ཀྲྀཏྭཱ ཀནྱཱཡཱཿ ཀརཽ དྷྲྀཏྭཱཛུཧུཝེ, ཧེ ཀནྱེ ཏྭམུཏྟིཥྛ,
५४परन्तु उसने उसका हाथ पकड़ा, और पुकारकर कहा, “हे लड़की उठ!”
55 ཏསྨཱཏ྄ ཏསྱཱཿ པྲཱཎེཥུ པུནརཱགཏེཥུ སཱ ཏཏྐྵཎཱད྄ ཨུཏྟསྱཽ། ཏདཱནཱིཾ ཏསྱཻ ཀིཉྩིད྄ བྷཀྵྱཾ དཱཏུམ྄ ཨཱདིདེཤ།
५५तब उसके प्राण लौट आए और वह तुरन्त उठी; फिर उसने आज्ञा दी, कि उसे कुछ खाने को दिया जाए।
56 ཏཏསྟསྱཱཿ པིཏརཽ ཝིསྨཡཾ གཏཽ ཀིནྟུ ས ཏཱཝཱདིདེཤ གྷཊནཱཡཱ ཨེཏསྱཱཿ ཀཐཱཾ ཀསྨཻཙིདཔི མཱ ཀཐཡཏཾ།
५६उसके माता-पिता चकित हुए, परन्तु उसने उन्हें चेतावनी दी, कि यह जो हुआ है, किसी से न कहना।

< ལཱུཀཿ 8 >