< سوگنامه 3 >

من آن مرد هستم که از عصای غضب وی مذلت دیده‌ام. ۱ 1
मैं वह व्यक्ति हूं, जिसने याहवेह के कोप-दण्ड में पीड़ा का साक्षात अनुभव किया है.
او مرا رهبری نموده، به تاریکی در‌آورده است و نه به روشنایی. ۲ 2
उन्होंने हकालते हुए मुझे घोर अंधकार में डाल दिया है कहीं थोड़ा भी प्रकाश दिखाई नहीं देता;
به درستی که دست خویش را تمامی روز به ضد من بارها برگردانیده است. ۳ 3
निश्चयतः बार-बार, सारे दिन उनका कठोर हाथ मेरे विरुद्ध सक्रिय बना रहता है.
گوشت و پوست مرا مندرس ساخته واستخوانهایم را خرد کرده است. ۴ 4
मेरा मांस तथा मेरी त्वचा गलते जा रहे हैं और उन्होंने मेरी अस्थियों को तोड़ दिया है.
به ضد من بنا نموده، مرا به تلخی و مشقت احاطه کرده است. ۵ 5
उन्होंने मुझे पकड़कर कष्ट एवं कड़वाहट में लपेट डाला है.
مرا مثل آنانی که از قدیم مرده‌اند در تاریکی نشانیده است. ۶ 6
उन्होंने मुझे इस प्रकार अंधकार में रहने के लिए छोड़ दिया है मानो मैं दीर्घ काल से मृत हूं.
گرد من حصار کشیده که نتوانم بیرون آمد وزنجیر مرا سنگین ساخته است. ۷ 7
उन्होंने मेरे आस-पास दीवार खड़ी कर दी है, कि मैं बचकर पलायन न कर सकूं; उन्होंने मुझे भारी बेड़ियों में बांध रखा है.
و نیز چون فریاد و استغاثه می‌نمایم دعای مرا منع می‌کند. ۸ 8
मैं सहायता की दोहाई अवश्य देता हूं, किंतु वह मेरी पुकार को अवरुद्ध कर देते हैं.
راههای مرا با سنگهای تراشیده سد کرده است و طریقهایم را کج نموده است. ۹ 9
उन्होंने मेरे मार्गों को पत्थर लगाकर बाधित कर दिया है; उन्होंने मेरे मार्गों को विकृत बना दिया है.
او برای من خرسی است در کمین نشسته وشیری که در بیشه خود می‌باشد. ۱۰ 10
वह एक ऐसा रीछ है, ऐसा सिंह है, जो मेरे लिए घात लगाए हुए बैठा है,
راه مرا منحرف ساخته، مرا دریده است ومرا مبهوت گردانیده است. ۱۱ 11
मुझे भटका कर मुझे टुकड़े-टुकड़े कर डाला और उसने मुझे निस्सहाय बना छोड़ा है.
کمان خود را زه کرده، مرا برای تیرهای خویش، هدف ساخته است. ۱۲ 12
उन्होंने अपना धनुष चढ़ाया तथा मुझे अपने बाणों का लक्ष्य बना लिया.
و تیرهای ترکش خود را به گرده های من فرو برده است. ۱۳ 13
अपने तरकश से बाण लेकर उन्होंने उन बाणों से मेरा हृदय बेध दिया.
من به جهت تمامی قوم خود مضحکه وتمامی روز سرود ایشان شده‌ام. ۱۴ 14
सभी के लिए अब तो मैं उपहास पात्र हूं; सारे दिन उनके व्यंग्य-बाण मुझ पर छोड़े जाते हैं.
مرا به تلخیها سیر کرده و مرا به افسنتین مست گردانیده است. ۱۵ 15
उन्होंने मुझे कड़वाहट से भर दिया है उन्होंने मुझे नागदौने से सन्तृप्‍त कर रखा है.
دندانهایم را به سنگ ریزها شکسته و مرا به خاکستر پوشانیده است. ۱۶ 16
उन्होंने मुझे कंकड़ों पर दांत चलाने के लिए विवश कर दिया है; मुझे भस्म के ढेर में जा छिपने के लिए विवश कर दिया है.
تو جان مرا از سلامتی دور انداختی و من سعادتمندی را فراموش کردم، ۱۷ 17
शांति ने मेरी आत्मा का साथ छोड़ दिया है; मुझे तो स्मरण ही नहीं रहा कि सुख-आनन्द क्या होता है.
و گفتم که قوت و امید من از یهوه تلف شده است. ۱۸ 18
इसलिये मुझे यही कहना पड़ रहा है, “न मुझमें धैर्य शेष रहा है और न ही याहवेह से कोई आशा.”
مذلت و شقاوت مرا افسنتین و تلخی به یادآور. ۱۹ 19
स्मरण कीजिए मेरी पीड़ा और मेरी भटकन, वह नागदौन तथा वह कड़वाहट.
تو البته به یاد خواهی آورد زیرا که جان من در من منحنی شده است. ۲۰ 20
मेरी आत्मा को इसका स्मरण आता रहता है, मेरा मनोबल शून्य हुआ जा रहा है.
و من آن را در دل خود خواهم گذرانید و ازاین سبب امیدوار خواهم بود. ۲۱ 21
मेरी आशा मात्र इस स्मृति के आधार पर जीवित है:
از رافت های خداوند است که تلف نشدیم زیرا که رحمت های او بی‌زوال است. ۲۲ 22
याहवेह का करुणा-प्रेम, के ही कारण हम भस्म नही होते! कभी भी उनकी कृपा का ह्रास नहीं होता.
آنها هر صبح تازه می‌شود و امانت تو بسیاراست. ۲۳ 23
प्रति प्रातः वे नए पाए जाते हैं; महान है आपकी विश्वासयोग्यता.
و جان من می‌گوید که خداوند نصیب من است، بنابراین بر او امیدوارم. ۲۴ 24
मेरी आत्मा इस तथ्य की पुष्टि करती है, “याहवेह मेरा अंश हैं; इसलिये उनमें मेरी आशा रखूंगा.”
خداوند به جهت کسانی که بر او توکل دارند و برای آنانی که او را می‌طلبند نیکو است. ۲۵ 25
याहवेह के प्रिय पात्र वे हैं, जो उनके आश्रित हैं, वे, जो उनके खोजी हैं;
خوب است که انسان امیدوار باشد و باسکوت انتظار نجات خداوند را بکشد. ۲۶ 26
उपयुक्त यही होता है कि हम धीरतापूर्वक याहवेह द्वारा उद्धार की प्रतीक्षा करें.
برای انسان نیکو است که یوغ را در جوانی خود بردارد. ۲۷ 27
मनुष्य के लिए हितकर यही है कि वह आरंभ ही से अपना जूआ उठाए.
به تنهایی بنشیند و ساکت باشد زیرا که اوآن را بر وی نهاده است. ۲۸ 28
वह एकाकी हो शांतिपूर्वक इसे स्वीकार कर ले, जब कभी यह उस पर आ पड़ता है.
دهان خود را بر خاک بگذارد که شاید امیدباشد. ۲۹ 29
वह अपना मुख धूलि पर ही रहने दे— आशा कभी मृत नहीं होती.
رخسار خود را به زنندگان بسپارد و ازخجالت سیر شود. ۳۰ 30
वह अपना गाल उसे प्रस्तुत कर दे, जो उस प्रहार के लिए तैयार है, वह समस्त अपमान स्वीकार कर ले.
زیرا خداوند تا به ابد او را ترک نخواهدنمود. ۳۱ 31
प्रभु का परित्याग चिरस्थायी नहीं हुआ करता.
زیرا اگر‌چه کسی را محزون سازد لیکن برحسب کثرت رافت خود رحمت خواهد فرمود. ۳۲ 32
यद्यपि वह पीड़ा के कारण तो हो जाते हैं, किंतु करुणा का सागर भी तो वही हैं, क्योंकि अथाह होता है उनका करुणा-प्रेम.
چونکه بنی آدم را از دل خود نمی رنجاند ومحزون نمی سازد. ۳۳ 33
पीड़ा देना उनका सुख नहीं होता न ही मनुष्यों को यातना देना उनका आनंद होता है.
تمامی اسیران زمین را زیر پا پایمال کردن، ۳۴ 34
पृथ्वी के समस्त बंदियों का दमन,
و منحرف ساختن حق انسان به حضورحضرت اعلی، ۳۵ 35
परम प्रधान की उपस्थिति में न्याय-वंचना,
و منقلب نمودن آدمی در دعویش منظورخداوند نیست. ۳۶ 36
किसी की न्याय-दोहाई में की गई विकृति में याहवेह का समर्थन कदापि नहीं होता?
کیست که بگوید و واقع شود اگر خداوندامر نفرموده باشد. ۳۷ 37
यदि स्वयं प्रभु ने कोई घोषणा न की हो, तो किसमें यह सामर्थ्य है, कि जो कुछ उसने कहा है, वह पूरा होगा?
آیا از فرمان حضرت اعلی هم بدی و هم نیکویی صادر نمی شود؟ ۳۸ 38
क्या यह तथ्य नहीं कि अनुकूल अथवा प्रतिकूल, जो कुछ घटित होता है, वह परम प्रधान के बोलने के द्वारा ही होता है?
پس چرا انسان تا زنده است و آدمی به‌سبب سزای گناهان خویش شکایت کند؟ ۳۹ 39
भला कोई जीवित मनुष्य अपने पापों के दंड के लिए परिवाद कैसे कर सकता है?
راههای خود را تجسس و تفحص بنماییم و بسوی خداوند بازگشت کنیم. ۴۰ 40
आइए हम अपनी नीतियों का परीक्षण करें तथा अपने याहवेह की ओर लौट चलें:
دلها و دستهای خویش را بسوی خدایی که در آسمان است برافرازیم، ۴۱ 41
आइए हम अपने हृदय एवं अपनी बांहें परमेश्वर की ओर उन्मुख करें तथा अपने हाथ स्वर्गिक परमेश्वर की ओर उठाएं:
(و بگوییم ): «ما گناه کردیم و عصیان ورزیدیم و تو عفو نفرمودی. ۴۲ 42
“हमने अपराध किए हैं, हम विद्रोही हैं, आपने हमें क्षमा प्रदान नहीं की है.
خویشتن را به غضب پوشانیده، ما را تعاقب نمودی و به قتل رسانیده، شفقت نفرمودی. ۴۳ 43
“आपने स्वयं को कोप में भरकर हमारा पीछा किया; निर्दयतापूर्वक हत्यायें की हैं.
خویشتن را به ابر غلیظ مستور ساختی، تادعای ما نگذرد. ۴۴ 44
आपने स्वयं को एक मेघ में लपेट रखा है, कि कोई भी प्रार्थना इससे होकर आप तक न पहुंच सके.
ما را در میان امت‌ها فضله و خاکروبه گردانیده‌ای.» ۴۵ 45
आपने हमें राष्ट्रों के मध्य कीट तथा कूड़ा बना छोड़ा है.
تمامی دشمنان ما بر ما دهان خود رامی گشایند. ۴۶ 46
“हमारे सभी शत्रु बेझिझक हमारे विरुद्ध निंदा के शब्द उच्चार रहे हैं.
خوف و دام و هلاکت و خرابی بر ما عارض گردیده است. ۴۷ 47
आतंक, जोखिम, विनाश तथा विध्वंस हम पर आ पड़े हैं.”
به‌سبب هلاکت دختر قوم من، نهرهای آب از چشمانم می‌ریزد. ۴۸ 48
मेरी प्रजा के इस विनाश के कारण मेरे नेत्रों के अश्रुप्रवाह नदी सदृश हो गए हैं.
چشم من بلا انقطاع جاری است و بازنمی ایستد. ۴۹ 49
बिना किसी विश्रान्ति मेरा अश्रुपात होता रहेगा,
تا خداوند از آسمان ملاحظه نماید و ببیند. ۵۰ 50
जब तक स्वर्ग से याहवेह इस ओर दृष्टिपात न करेंगे.
چشمانم به جهت جمیع دختران شهرم، جان مرا می‌رنجاند. ۵۱ 51
अपनी नगरी की समस्त पुत्रियों की नियति ने मेरे नेत्रों को पीड़ित कर रखा है.
آنانی که بی‌سبب دشمن منند مرا مثل مرغ بشدت تعاقب می‌نمایند. ۵۲ 52
उन्होंने, जो अकारण ही मेरे शत्रु हो गए थे, पक्षी सदृश मेरा अहेर किया है.
جان مرا در سیاه چال منقطع ساختند وسنگها بر من‌انداختند. ۵۳ 53
उन्होंने तो मुझे गड्ढे में झोंक मुझ पर पत्थर लुढ़का दिए हैं;
آبها از سر من گذشت پس گفتم: منقطع شدم. ۵۴ 54
जब जल सतह मेरे सिर तक पहुंचने लगी, मैं विचार करने लगा, अब मैं मिट जाऊंगा.
آنگاه‌ای خداوند، از عمق های سیاه چال اسم تو را خواندم. ۵۵ 55
गड्ढे से मैंने, याहवेह आपकी दोहाई दी.
آواز مرا شنیدی، پس گوش خود را از آه واستغاثه من مپوشان! ۵۶ 56
आपने मेरी इस दोहाई सुन ली है: “मेरी विमुक्ति के लिए की गई मेरी पुकार की ओर से, अपने कान बंद न कीजिए.”
در روزی که تو را خواندم نزدیک شده، فرمودی که نترس. ۵۷ 57
जब मैंने आपकी दोहाई दी, आप निकट आ गए; आपने आश्वासन दिया, “डरो मत.”
‌ای خداوند دعوی جان مرا انجام داده و حیات مرا فدیه نموده‌ای! ۵۸ 58
प्रभु आपने मेरा पक्ष लेकर; मेरे जीवन को सुरक्षा प्रदान की है.
‌ای خداوند ظلمی را که به من نموده انددیده‌ای پس مرا دادرسی فرما! ۵۹ 59
याहवेह, आपने वह अन्याय देख लिया है, जो मेरे साथ किया गया है. अब आप मेरा न्याय कीजिए!
تمامی کینه ایشان و همه تدبیرهایی را که به ضد من کردند دیده‌ای. ۶۰ 60
उनके द्वारा लिया गया बदला आपकी दृष्टि में है, उनके द्वारा रचे गए सभी षड़्‍यंत्र आपको ज्ञात हैं.
‌ای خداوند مذمت ایشان را و همه تدبیرهایی را که به ضد من کردند شنیده‌ای! ۶۱ 61
याहवेह, आपने उनके द्वारा किए गए व्यंग्य सुने हैं, उनके द्वारा रचे गए सभी षड़्‍यंत्र आपको ज्ञात हैं—
سخنان مقاومت کنندگانم را و فکرهایی راکه تمامی روز به ضد من دارند (دانسته‌ای ). ۶۲ 62
मेरे हत्यारों के हृदय में सारे दिन जो विचार उभरते हैं होंठों से निकलते हैं, मेरे विरुद्ध ही होते हैं.
نشستن و برخاستن ایشان را ملاحظه فرمازیرا که من سرود ایشان شده‌ام. ۶۳ 63
आप ही देख लीजिए, उनका उठना-बैठना, मैं ही हूं उनका व्यंग्य-गीत.
‌ای خداوند موافق اعمال دستهای ایشان مکافات به ایشان برسان. ۶۴ 64
याहवेह, उनके कृत्यों के अनुसार, उन्हें प्रतिफल तो आप ही देंगे.
غشاوه قلب به ایشان بده و لعنت تو برایشان باد! ۶۵ 65
आप उनके हृदय पर आवरण डाल देंगे, उन पर आपका शाप प्रभावी हो जाएगा!
ایشان را به غضب تعاقب نموده، از زیرآسمانهای خداوند هلاک کن. ۶۶ 66
याहवेह, आप अपने स्वर्गलोक से उनका पीछा कर उन्हें नष्ट कर देंगे.

< سوگنامه 3 >