< داوران 15 >
و بعد از چندی، واقع شد که شمشون در روزهای درو گندم برای دیدن زن خود با بزغالهای آمد و گفت نزد زن خود به حجره خواهم درآمد. لیکن پدرش نگذاشت که داخل شود. | ۱ 1 |
१परन्तु कुछ दिनों बाद, गेहूँ की कटनी के दिनों में, शिमशोन बकरी का एक बच्चा लेकर अपनी ससुराल में जाकर कहा, “मैं अपनी पत्नी के पास कोठरी में जाऊँगा।” परन्तु उसके ससुर ने उसे भीतर जाने से रोका।
و پدرزنش گفت: «گمان میکردم که او رابغض مینمودی، پس او را به رفیق تو دادم، آیاخواهر کوچکش از او بهتر نیست؛ او را به عوض وی برای خود بگیر.» | ۲ 2 |
२और उसके ससुर ने कहा, “मैं सचमुच यह जानता था कि तू उससे बैर ही रखता है, इसलिए मैंने उसका तेरे साथी से विवाह कर दिया। क्या उसकी छोटी बहन उससे सुन्दर नहीं है? उसके बदले उसी से विवाह कर ले।”
شمشون به ایشان گفت: «این دفعه از فلسطینیان بیگناه خواهم بود اگرایشان را اذیتی برسانم.» | ۳ 3 |
३शिमशोन ने उन लोगों से कहा, “अब चाहे मैं पलिश्तियों की हानि भी करूँ, तो भी उनके विषय में निर्दोष ही ठहरूँगा।”
و شمشون روانه شده، سیصد شغال گرفت، و مشعلها برداشته، دم بر دم گذاشت، و در میان هر دودم مشعلی گذارد. | ۴ 4 |
४तब शिमशोन ने जाकर तीन सौ लोमड़ियाँ पकड़ीं, और मशाल लेकर दो-दो लोमड़ियों की पूँछ एक साथ बाँधी, और उनके बीच एक-एक मशाल बाँधी।
ومشعلها را آتش زده، آنها را در کشتزارهای فلسطینیان فرستاد، و بافهها و زرعها و باغهای زیتون را سوزانید. | ۵ 5 |
५तब मशालों में आग लगाकर उसने लोमड़ियों को पलिश्तियों के खड़े खेतों में छोड़ दिया; और पूलियों के ढेर वरन् खड़े खेत और जैतून की बारियाँ भी जल गईं।
و فلسطینیان گفتند: «کیست که این را کرده است؟» گفتند: «شمشون دامادتمنی، زیرا که زنش را گرفته، او را به رفیقش داده است.» پس فلسطینیان آمده، زن و پدرش را به آتش سوزانیدند. | ۶ 6 |
६तब पलिश्ती पूछने लगे, “यह किसने किया है?” लोगों ने कहा, “उसके तिम्नाह के दामाद शिमशोन ने यह इसलिए किया, कि उसके ससुर ने उसकी पत्नी का उसके साथी से विवाह कर दिया।” तब पलिश्तियों ने जाकर उस पत्नी और उसके पिता दोनों को आग में जला दिया।
و شمشون به ایشان گفت: «اگربه اینطور عمل کنید، البته از شما انتقام خواهم کشید و بعد از آن آرامی خواهم یافت.» | ۷ 7 |
७शिमशोन ने उनसे कहा, “तुम जो ऐसा काम करते हो, इसलिए मैं तुम से बदला लेकर ही रहूँगा।”
و ایشان را از ساق تا ران به صدمهای عظیم کشت. پس رفته، در مغاره صخره عیطام ساکن شد. | ۸ 8 |
८तब उसने उनको अति निष्ठुरता के साथ बड़ी मार से मार डाला; तब जाकर एताम नामक चट्टान की एक दरार में रहने लगा।
و فلسطینیان برآمده، در یهودا اردو زدند ودر لحی متفرق شدند. | ۹ 9 |
९तब पलिश्तियों ने चढ़ाई करके यहूदा देश में डेरे खड़े किए, और लही में फैल गए।
و مردان یهودا گفتند: «چرا بر ما برآمدید.» گفتند: «آمدهایم تا شمشون را ببندیم و برحسب آنچه به ما کرده است به اوعمل نماییم.» | ۱۰ 10 |
१०तब यहूदी मनुष्यों ने उनसे पूछा, “तुम हम पर क्यों चढ़ाई करते हो?” उन्होंने उत्तर दिया, “शिमशोन को बाँधने के लिये चढ़ाई करते हैं, कि जैसे उसने हम से किया वैसे ही हम भी उससे करें।”
پس سه هزار نفر از یهودا به مغاره صخره عیطام رفته، به شمشون گفتند: «آیاندانستهای که فلسطینیان بر ما تسلط دارند، پس این چهکار است که به ما کردهای؟» در جواب ایشان گفت: «به نحوی که ایشان به من کردند، من به ایشان عمل نمودم.» | ۱۱ 11 |
११तब तीन हजार यहूदी पुरुष एताम नामक चट्टान की दरार में जाकर शिमशोन से कहने लगे, “क्या तू नहीं जानता कि पलिश्ती हम पर प्रभुता करते हैं? फिर तूने हम से ऐसा क्यों किया है?” उसने उनसे कहा, “जैसा उन्होंने मुझसे किया था, वैसा ही मैंने भी उनसे किया है।”
ایشان وی را گفتند: «ماآمدهایم تا تو را ببندیم و بهدست فلسطینیان بسپاریم.» شمشون در جواب ایشان گفت: «برای من قسم بخورید که خود بر من هجوم نیاورید.» | ۱۲ 12 |
१२उन्होंने उससे कहा, “हम तुझे बाँधकर पलिश्तियों के हाथ में कर देने के लिये आए हैं।” शिमशोन ने उनसे कहा, “मुझसे यह शपथ खाओ कि तुम मुझ पर प्रहार न करोगे।”
ایشان در جواب وی گفتند: «حاشا! بلکه تو رابسته، بهدست ایشان خواهیم سپرد، و یقین تو رانخواهیم کشت.» پس او را به دو طناب نو بسته، ازصخره برآوردند. | ۱۳ 13 |
१३उन्होंने कहा, “ऐसा न होगा; हम तुझे बाँधकर उनके हाथ में कर देंगे; परन्तु तुझे किसी रीति मार न डालेंगे।” तब वे उसको दो नई रस्सियों से बाँधकर उस चट्टान में से ले गए।
و چون او به لحی رسید، فلسطینیان ازدیدن او نعره زدند و روح خداوند بر وی مستقرشده، طنابهایی که بر بازوهایش بود مثل کتانی که به آتش سوخته شود گردید، و بندها از دستهایش فروریخت. | ۱۴ 14 |
१४वह लही तक आ गया पलिश्ती उसको देखकर ललकारने लगे; तब यहोवा का आत्मा उस पर बल से उतरा, और उसकी बाँहों की रस्सियाँ आग में जले हुए सन के समान हो गईं, और उसके हाथों के बन्धन मानो गलकर टूट पड़े।
و چانه تازه الاغی یافته، دست خود را دراز کرد و آن را گرفته، هزار مرد با آن کشت. | ۱۵ 15 |
१५तब उसको गदहे के जबड़े की एक नई हड्डी मिली, और उसने हाथ बढ़ाकर उसे ले लिया और उससे एक हजार पुरुषों को मार डाला।
و شمشون گفت: «با چانه الاغ توده برتوده با چانه الاغ هزار مرد کشتم.» | ۱۶ 16 |
१६तब शिमशोन ने कहा, “गदहे के जबड़े की हड्डी से ढेर के ढेर लग गए, गदहे के जबड़े की हड्डी ही से मैंने हजार पुरुषों को मार डाला।”
و چون ازگفتن فارغ شد، چانه را از دست خود انداخت وآن مکان را رمت لحی نامید. | ۱۷ 17 |
१७जब वह ऐसा कह चुका, तब उसने जबड़े की हड्डी फेंक दी और उस स्थान का नाम रामत-लही रखा गया।
پس بسیار تشنه شده، نزد خداوند دعاکرده، گفت که «بهدست بنده ات این نجات عظیم را دادی و آیا الان از تشنگی بمیرم و بهدست نامختونان بیفتم؟» | ۱۸ 18 |
१८तब उसको बड़ी प्यास लगी, और उसने यहोवा को पुकारके कहा, “तूने अपने दास से यह बड़ा छुटकारा कराया है; फिर क्या मैं अब प्यासा मर के उन खतनाहीन लोगों के हाथ में पड़ूँ?”
پس خدا کفهای را که درلحی بود شکافت که آب از آن جاری شد و چون بنوشید جانش برگشته، تازه روح شد. از این سبب اسمش عین حقوری خوانده شد که تا امروز درلحی است. | ۱۹ 19 |
१९तब परमेश्वर ने लही में ओखली सा गड्ढा कर दिया, और उसमें से पानी निकलने लगा; जब शिमशोन ने पीया, तब उसके जी में जी आया, और वह फिर ताजा दम हो गया। इस कारण उस सोते का नाम एनहक्कोरे रखा गया, वह आज के दिन तक लही में है।
و او در روزهای فلسطینیان بیست سال بر اسرائیل داوری نمود. | ۲۰ 20 |
२०शिमशोन तो पलिश्तियों के दिनों में बीस वर्ष तक इस्राएल का न्याय करता रहा।