< ایّوب 18 >
پس بلدد شوحی در جواب گفت: | ۱ 1 |
इसके बाद शूही बिलदद ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की:
«تابه کی برای سخنان، دامها میگسترانید؟ تفکر کنید و بعد از آن تکلم خواهیم نمود. | ۲ 2 |
“कब तक तुम इसी प्रकार शब्दों में उलझे रहोगे? कुछ सार्थक विषय प्रस्तुत करो, कि कुछ परिणाम प्रकट हो सके.
چرا مثل بهایم شمرده شویم؟ و در نظر شما نجس نماییم؟ | ۳ 3 |
हमें पशु क्यों समझा जा रहा है? क्या हम तुम्हारी दृष्टि में मूर्ख हैं?
ای که در غضب خود خویشتن را پاره میکنی، آیا بهخاطر تو زمین متروک شود، یاصخره از جای خود منتقل گردد؟ | ۴ 4 |
तुम, जो क्रोध में स्वयं को फाड़े जा रहे हो, क्या, तुम्हारे हित में तो पृथ्वी अब उजड़ हो जानी चाहिए? अथवा, क्या चट्टान को अपनी जगह से अलग किया जाये?
البته روشنایی شریران خاموش خواهد شد، و شعله آتش ایشان نور نخواهد داد. | ۵ 5 |
“सत्य तो यह है कि दुर्वृत्त का दीप वस्तुतः बुझ चुका है; उसके द्वारा प्रज्वलित अग्निशिखा में तो प्रकाश ही नहीं है.
در خیمه اوروشنایی به تاریکی مبدل میگردد، و چراغش براو خاموش خواهد شد. | ۶ 6 |
उसका तंबू अंधकार में है; उसके ऊपर का दीपक बुझ गया है.
قدمهای قوتش تنگ میشود. و مشورت خودش او را به زیر خواهدافکند. | ۷ 7 |
उसकी द्रुत चाल को रोक दिया गया है; तथा उसकी अपनी युक्ति उसे ले डूबी,
زیرا به پایهای خود در دام خواهد افتاد، و به روی تلهها راه خواهد رفت. | ۸ 8 |
क्योंकि वह तो अपने जाल में जा फंसा है; उसने अपने ही फंदे में पैर डाल दिया है.
تله پاشنه او راخواهد گرفت. و دام، او را به زور نگاه خواهدداشت. | ۹ 9 |
उसकी एड़ी पर वह फंदा जा पड़ा तथा संपूर्ण उपकरण उसी पर आ गिरा है,
دام برایش در زمین پنهان شده است، وتله برایش در راه. | ۱۰ 10 |
भूमि के नीचे उसके लिए वह गांठ छिपाई गई थी; उसके रास्ते में एक फंदा रखा गया था.
ترسها از هر طرف او راهراسان میکند، و به او چسبیده، وی رامی گریزاند. | ۱۱ 11 |
अब तो आतंक ने उसे चारों ओर से घेर रखा है तथा उसके पीछे पड़कर उसे सता रहे हैं.
شقاوت، برای او گرسنه است، وذلت، برای لغزیدن او حاضر است. | ۱۲ 12 |
उसके बल का ठट्ठा हुआ जा रहा है; विपत्ति उसके निकट ठहरी हुई है.
اعضای جسد او را میخورد. نخست زاده موت، جسد اورا میخورد. | ۱۳ 13 |
उसकी खाल पर घोर व्याधि लगी हुई है; उसके अंगों को मृत्यु के पहलौठे ने खाना बना लिया है.
آنچه بر آن اعتماد میداشت، ازخیمه او ربوده میشود، و خود او نزد پادشاه ترسها رانده میگردد. | ۱۴ 14 |
उसके ही तंबू की सुरक्षा में से उसे झपट लिया गया है अब वे उसे आतंक के राजा के सामने प्रदर्शित हो रहे हैं.
کسانی که از وی نباشنددر خیمه او ساکن میگردند، و گوگرد بر مسکن اوپاشیده میشود. | ۱۵ 15 |
अब उसके तंबू में विदेशी जा बसे हैं; उसके घर पर गंधक छिड़क दिया गया है.
ریشه هایش از زیرمی خشکد، و شاخهاش از بالا بریده خواهد شد. | ۱۶ 16 |
भूमि के भीतर उसकी जड़ें अब शुष्क हो चुकी हैं तथा ऊपर उनकी शाखाएं काटी जा चुकी हैं.
یادگار او از زمین نابود میگردد، و در کوچه هااسم نخواهد داشت. | ۱۷ 17 |
धरती के लोग उसको याद नहीं करेंगे; बस अब कोई भी उसको याद नहीं करेगा.
از روشنایی به تاریکی رانده میشود. و او را از ربع مسکون خواهندگریزانید. | ۱۸ 18 |
उसे तो प्रकाश में से अंधकार में धकेल दिया गया है तथा मनुष्यों के समाज से उसे खदेड़ दिया गया है.
او را در میان قومش نه اولاد و نه ذریت خواهد بود، و در ماوای او کسی باقی نخواهد ماند. | ۱۹ 19 |
मनुष्यों के मध्य उसका कोई वंशज नहीं रह गया है, जहां-जहां वह प्रवास करता है, वहां उसका कोई उत्तरजीवी नहीं.
متاخرین از روزگارش متحیر خواهند شد، چنانکه بر متقدمین، ترس مستولی شده بود. | ۲۰ 20 |
पश्चिमी क्षेत्रों में उसकी स्थिति पर लोग चकित होंगे तथा पूर्वी क्षेत्रों में भय ने लोगों को जकड़ लिया है.
به درستی که مسکن های شریران چنین میباشد، و مکان کسیکه خدا رانمی شناسد مثل این است.» | ۲۱ 21 |
निश्चयतः दुर्वृत्तों का निवास ऐसा ही होता है; उनका निवास, जिन्हें परमेश्वर का कोई ज्ञान नहीं है.”