< ایّوب 11 >
و صوفر نعماتی در جواب گفت: | ۱ 1 |
तब जूफ़र नामाती ने जवाब दिया,
«آیابه کثرت سخنان جواب نباید داد و مردپرگو عادل شمرده شود؟ | ۲ 2 |
क्या इन बहुत सी बातों का जवाब न दिया जाए? और क्या बकवासी आदमी रास्त ठहराया जाए?
آیا بیهودهگویی تومردمان را ساکت کند و یا سخریه کنی و کسی تورا خجل نسازد؟ | ۳ 3 |
क्या तेरे बड़े बोल लोगों को ख़ामोश करदे? और जब तू ठठ्ठा करे तो क्या कोई तुझे शर्मिन्दा न करे?
و میگویی تعلیم من پاک است، و من در نظر تو بیگناه هستم. | ۴ 4 |
क्यूँकि तू कहता है, 'मेरी ता'लीम पाक है, और मैं तेरी निगाह में बेगुनाह हूँ।
و لیکن کاش که خدا سخن بگوید و لبهای خود را بر تو بگشاید، | ۵ 5 |
काश ख़ुदा ख़ुद बोले, और तेरे ख़िलाफ़ अपने लबों को खोले।
و اسرار حکمت را برای تو بیان کند. زیرا که درماهیت خود دو طرف دارد. پس بدان که خدا کمتراز گناهانت تو را سزا داده است. | ۶ 6 |
और हिकमत के आसार तुझे दिखाए कि वह तासीर में बहुत बड़ा है। इसलिए जान ले कि तेरी बदकारी जिस लायक़ है उससे कम ही ख़ुदा तुझ से मुतालबा करता है।
آیا عمق های خدا را میتوانی دریافت نمود؟ یا به کنه قادرمطلق توانی رسید؟ | ۷ 7 |
क्या तू तलाश से ख़ुदा को पा सकता है? क्या तू क़ादिर — ए — मुतलक़ का राज़ पूरे तौर से बयान कर सकता है?
مثل بلندیهای آسمان است؛ چه خواهی کرد؟ گودتر از هاویه است؛ چه توانی دانست؟ (Sheol ) | ۸ 8 |
वह आसमान की तरह ऊँचा है, तू क्या कर सकता है? वह पाताल सा गहरा है, तू क्या जान सकता है? (Sheol )
پیمایش آن از جهان طویل تر واز دریا پهن تر است. | ۹ 9 |
उसकी नाप ज़मीन से लम्बी और समन्दर से चौड़ी है
اگر سخت بگیرد و حبس نماید و به محاکمه دعوت کند کیست که او راممانعت نماید؟ | ۱۰ 10 |
अगर वह बीच से गुज़र कर बंद कर दे, और 'अदालत में बुलाए तो कौन उसे रोक सकता है?
زیرا که بطالت مردم را میداندو شرارت را میبیند اگرچه در آن تامل نکند. | ۱۱ 11 |
क्यूँकि वह बेहूदा आदमियों को पहचानता है, और बदकारी को भी देखता है, चाहे उसका ख़्याल न करे?
ومرد جاهل آنوقت فهیم میشود که بچه خروحشی، انسان متولد شود. | ۱۲ 12 |
लेकिन बेहूदा आदमी समझ से ख़ाली होता है, बल्कि इंसान गधे के बच्चे की तरह पैदा होता है।
اگر تو دل خود راراست سازی و دستهای خود را بسوی او درازکنی، | ۱۳ 13 |
अगर तू अपने दिल को ठीक करे, और अपने हाथ उसकी तरफ़ फैलाए,
اگر در دست تو شرارت باشد، آن را ازخود دور کن، و بیانصافی در خیمه های تو ساکن نشود. | ۱۴ 14 |
अगर तेरे हाथ में बदकारी हो तो उसे दूर करे, और नारास्ती को अपने ख़ेमों में रहने न दे,
پس یقین روی خود را بیعیب برخواهی افراشت، و مستحکم شده، نخواهی ترسید. | ۱۵ 15 |
तब यक़ीनन तू अपना मुँह बे दाग़ उठाएगा, बल्कि तू साबित क़दम हो जाएगा और डरने का नहीं।
زیرا که مشقت خود را فراموش خواهی کرد، و آن را مثل آب رفته به یاد خواهی آورد، | ۱۶ 16 |
क्यूँकि तू अपनी ख़स्ताहाली को भूल जाएगा, तू उसे उस पानी की तरह याद करेगा जो बह गया हो।
و روزگار تو از وقت ظهر روشن ترخواهد شد، و اگرچه تاریکی باشد، مثل صبح خواهد گشت. | ۱۷ 17 |
और तेरी ज़िन्दगी दोपहर से ज़्यादा रोशन होगी, और अगर तारीकी हुई तो वह सुबह की तरह होगी।
و مطمئن خواهی بود چونکه امید داری، و اطراف خود را تجسس نموده، ایمن خواهی خوابید. | ۱۸ 18 |
और तू मुतम'इन रहेगा, क्यूँकि उम्मीद होगी और अपने चारों तरफ़ देख देख कर सलामती से आराम करेगा।
و خواهی خوابید وترسانندهای نخواهد بود، و بسیاری تو راتملق خواهند نمود. | ۱۹ 19 |
और तू लेट जाएगा, और कोई तुझे डराएगा नहीं बल्कि बहुत से लोग तुझ से फ़रियाद करेंगे।
لیکن چشمان شریران کاهیده میشود و ملجای ایشان از ایشان نابود میگردد و امید ایشان جان کندن ایشان است.» | ۲۰ 20 |
लेकिन शरीरों की आँखें रह जाएँगी, उनके लिए भागने को भी रास्ता न होगा, और जान दे देना ही उनकी उम्मीद होगी।”