< اشعیا 57 >

مرد عادل تلف شد و کسی نیست که این را در دل خود بگذراند و مردان روف برداشته شدند و کسی فکر نمی کند که عادلان ازمعرض بلا برداشته می‌شوند. ۱ 1
सादिक़ हलाक होता है, और कोई इस बात को ख़ातिर में नहीं लाता; और नेक लोग उठा लिए जाते हैं और कोई नहीं सोचता कि सादिक़ उठा लिया गया ताकि आनेवाली आफ़त से बचे;
آنانی که به استقامت سالک می‌باشند بسلامتی داخل شده، بربسترهای خویش آرامی خواهند یافت. ۲ 2
वह सलामती में दाख़िल होता है। हर एक रास्त रू अपने बिस्तर पर आराम पाएगा।
و اماشما‌ای پسران ساحره و اولاد فاسق و زانیه به اینجا نزدیک آیید! ۳ 3
लेकिन तुम, ऐ जादूगरनी के बेटो, ऐ ज़ानी और फ़ाहिशा के बच्चों, इधर आगे आओ।
بر که تمسخر می‌کنید و برکه دهان خود را باز می‌کنید و زبان را درازمی نمایید؟ آیا شما اولاد عصیان و ذریت کذب نیستید ۴ 4
तुम किस पर ठट्ठा मारते हो? तुम किस पर मुँह फाड़ते और ज़बान निकालते हो? क्या तुम बाग़ी औलाद और दग़ाबाज़ नस्ल नहीं हो,
که در میان بلوطها و زیر هر درخت سبزخویشتن را به حرارت می‌آورید و اطفال را دروادیها زیر شکاف صخره‌ها ذبح می‌نمایید؟ ۵ 5
जो बुतों के साथ हर एक हरे बलूत के नीचे अपने आपको बरअंगेख़्ता करते और वादियों में चट्टानों के शिगाफ़ों के नीचे बच्चों को ज़बह करते हो?
در میان سنگهای ملسای وادی نصیب تواست همینها قسمت تو می‌باشد. برای آنها نیزهدیه ریختنی ریختی و هدیه آردی گذرانیدی آیا من از اینها تسلی خواهم یافت؟ ۶ 6
वादी के चिकने पत्थर तेरा हिस्सा हैं, वही तेरा हिस्सा हैं; हाँ, तूने उनके लिए तपावन दिया और हदिया पेश किया है; क्या मुझे इन कामों से तिस्कीन होगी?
بر کوه بلند ورفیع بستر خود را گستردی و به آنجا نیز برآمده، قربانی گذرانیدی. ۷ 7
एक ऊँचे और बलन्द पहाड़ पर तूने अपना बिस्तर बिछाया है, और उसी पर ज़बीहा ज़बह करने को चढ़ गई।
و پشت درها و باهوها یادگارخود را واگذاشتی زیرا که خود را به کسی دیگرغیر از من مکشوف ساختی و برآمده، بستر خودرا پهن کردی و درمیان خود و ایشان عهد بسته، بستر ایشان را دوست داشتی جایی که آن رادیدی. ۸ 8
और तूने दरवाज़ों और चौखटों के पीछे अपनी यादगार की 'अलामतें नस्ब कीं, और तू मेरे सिवा दूसरे के आगे बेपर्दा हुई; हाँ, तू चढ़ गई और तूने अपना बिछौना भी बड़ा बनाया और उनके साथ 'अहद कर लिया है; तूने उनके बिस्तर को जहाँ देखा पसन्द किया।
و با روغن در حضور پادشاه رفته، عطریات خود را بسیار کردی و رسولان خود رابجای دور فرستاده، خویشتن را تا به هاویه پست گردانیدی. (Sheol h7585) ۹ 9
तू ख़ुशबू लगाकर बादशाह के सामने चली गई और अपने आपको ख़ूब मु'अत्तर किया, और अपने क़ासिद दूर दूर भेजे बल्कि तूने अपने आपको पाताल तक पस्त किया। (Sheol h7585)
از طولانی بودن راه درمانده شدی اما نگفتی که امید نیست. تازگی قوت خود رایافتی پس از این جهت ضعف بهم نرسانیدی. ۱۰ 10
तू अपने सफ़र की दराज़ी से थक गई, तोभी तूने न कहा, कि “इससे कुछ फ़ाइदा नहीं, तूने अपनी क़ुव्वत की ताज़गी पाई इसलिए तू अफ़सुर्दा न हुई।
از که ترسان و هراسان شدی که خیانت ورزیدی و مرا بیاد نیاورده، این را در دل خود جاندادی؟ آیا من از زمان قدیم نیز ساکت نماندم پس از این جهت از من نترسیدی؟ ۱۱ 11
तब तू किससे डरी और किसके ख़ौफ़ से तूने झूट बोला, और मुझे याद न किया और ख़ातिर में न लाई? क्या मैं एक मुद्दत से ख़ामोश नहीं रहा? तोभी तू मुझ से न डरी।
من عدالت واعمال تو را بیان خواهم نمود که تو را منفعت نخواهد داد. ۱۲ 12
मैं तेरी सदाक़त की तरफ़ तेरे कामों को फ़ाश करूँगा और उनसे तुझे कुछ नफ़ा' न होगा।
چون فریاد برمی آوری اندوخته های خودت تو را خلاصی بدهد و لکن باد جمیع آنها را خواهد برداشت و نفس آنها راخواهد برد. اما هر‌که بر من توکل دارد مالک زمین خواهد بود و وارث جبل قدس من خواهد گردید. ۱۳ 13
जब तू फ़रियाद करे, तो जिनको तूने जमा' किया है वह तुझे छुड़ाएँ; ये हवा उन सबको उड़ा ले जाएगी, एक झोंका उनको ले जाएगा; लेकिन मुझ पर तवक्कुल करनेवाला ज़मीन का मालिक होगा और मेरे पाक पहाड़ का वारिस होगा।
و گفته خواهد شد برافرازید! راه را برافرازید ومهیا سازید! و سنگ مصادم را از طریق قوم من بردارید! ۱۴ 14
तब यूँ कहा जाएगा, राह ऊँची करो, ऊँची करो, हमवार करो, मेरे लोगों के रास्ते से ठोकर का ज़रि'आ दूर करो।”
زیرا او که عالی و بلند است و ساکن درابدیت می‌باشد و اسم او قدوس است چنین می‌گوید: «من در مکان عالی و مقدس ساکنم و نیزبا کسی‌که روح افسرده و متواضع دارد. تا روح متواضعان را احیا نمایم و دل افسردگان را زنده سازم. ۱۵ 15
क्यूँकि वह जो 'आली और बलन्द है और हमेशा से हमेशा तक क़ाईम है, जिसका नाम क़ुददूस है, यूँ फ़रमाता है, मैं बलन्द और मुक़द्दस मक़ाम में रहता हूँ, और उसके साथ भी जो शिकस्ता दिल और फ़रोतन है; ताकि फ़रोतनों की रूह को ज़िन्दा करूँ और शिकस्ता दिलों को हयात बख़्शूँ।
زیرا که تا به ابد مخاصمه نخواهم نمودو همیشه خشم نخواهم کرد مبادا روحها وجانهایی که من آفریدم به حضور من ضعف به هم رسانند. ۱۶ 16
क्यूँकि मैं हमेशा न झगड़ूँगा और हमेशा ग़ज़बनाक न रहूँगा, इसलिए कि मेरे सामने रूह और जानें जो मैंने पैदा की हैं बेताब हो जाती हैं।
به‌سبب گناه طمع وی غضبناک شده، او را زدم و خود را مخفی ساخته، خشم نمودم و او به راه دل خود رو گردانیده، برفت. ۱۷ 17
कि मैं उसके लालच के गुनाह से ग़ज़बनाक हुआ, इसलिए मैंने उसे मारा, मैंने अपने आपको छिपाया और ग़ज़बनाक हुआ; इसलिए कि वह उस राह पर जो उसके दिल ने निकाली, भटक गया था।
طریق های او را دیدم و او را شفا خواهم داد واو را هدایت نموده، به او و به آنانی که با وی ماتم گیرند تسلی بسیار خواهم داد.» ۱۸ 18
मैंने उसकी राहें देखीं, और मैं ही उसे शिफ़ा बख़्शूँगा; मैं उसकी रहबरी करूँगा, और उसको और उसके ग़मख़्वारों को फिर दिलासा दूँगा।
خداوند که آفریننده ثمره لبها است می‌گوید: «بر آنانی که دورند سلامتی باد و بر آنانی که نزدیکند سلامتی باد و من ایشان را شفا خواهم بخشید.» ۱۹ 19
ख़ुदावन्द फ़रमाता हैं, मैं लबों का फल पैदा करता हूँ, सलामती! सलामती उसको जो दूर है, और उसको जो नज़दीक है, और मैं ही उसे सिहत बख़्शूँगा।
اماشریران مثل دریای متلاطم که نمی تواند آرام گیرد و آبهایش گل و لجن برمی اندازد می‌باشند. ۲۰ 20
लेकिन शरीर तो समन्दर की तरह हैं जो हमेशा मौजज़न और बेक़रार है, जिसका पानी कीचड़ और गन्दगी उछालता है।
خدای من می‌گوید که شریران را سلامتی نیست. ۲۱ 21
मेरा ख़ुदा फ़रमाता है, कि “शरीरों के लिए सलामती नहीं।”

< اشعیا 57 >