< پیدایش 24 >
و ابراهیم پیر و سالخورده شد، وخداوند، ابراهیم را در هر چیز برکت داد. | ۱ 1 |
अब्राहाम बहुत बूढ़े हो गये थे, और याहवेह ने उन्हें सब प्रकार से आशीषित किया था.
و ابراهیم به خادم خود، که بزرگ خانه وی، و بر تمام مایملک او مختار بود، گفت: «اکنون دست خود را زیر ران من بگذار. | ۲ 2 |
अब्राहाम ने अपने पुराने सेवक से, जो घर की और पूरे संपत्ति की देखभाल करता था, कहा, “तुम अपना हाथ मेरी जांघ के नीचे रखो.
و به یهوه، خدای آسمان و خدای زمین، تو را قسم میدهم، که زنی برای پسرم از دختر کنعانیان، که در میان ایشان ساکنم، نگیری، | ۳ 3 |
मैं चाहता हूं कि तुम स्वर्ग एवं पृथ्वी के परमेश्वर याहवेह की शपथ खाओ कि तुम इन कनानियों की पुत्रियों में से, जिनके बीच हम रह रहे हैं, मेरे बेटे की शादी नहीं कराओगे,
بلکه به ولایت من و به مولدم بروی، و از آنجا زنی برای پسرم اسحاق بگیری.» | ۴ 4 |
परंतु तुम मेरे देश में मेरे रिश्तेदारों में से मेरे बेटे यित्सहाक के लिए पत्नी लाओगे.”
خادم به وی گفت: «شاید آن زن راضی نباشد که با من بدین زمین بیاید؟ آیا پسرت را بدان زمینی که از آن بیرون آمدی، بازبرم؟» | ۵ 5 |
उस सेवक ने अब्राहाम से पूछा, “उस स्थिति में मैं क्या करूं, जब वह स्त्री इस देश में आना ही न चाहे; क्या मैं आपके पुत्र को उस देश में ले जाऊं, जहां से आप आए हैं?”
ابراهیم وی را گفت: «زنهار، پسر مرا بدانجا باز مبری. | ۶ 6 |
इस पर अब्राहाम ने कहा, “तुम मेरे पुत्र को वहां कभी नहीं ले जाना.
یهوه، خدای آسمان، که مرا از خانه پدرم و اززمین مولد من، بیرون آورد، و به من تکلم کرد، وقسم خورده، گفت: “که این زمین را به ذریت توخواهم داد.” او فرشته خود را پیش روی توخواهد فرستاد، تا زنی برای پسرم از آنجا بگیری. | ۷ 7 |
याहवेह, जो स्वर्ग के परमेश्वर हैं, जो मुझे मेरे पिता के परिवार और मेरी जन्मभूमि से लाये हैं और जिन्होंने शपथ खाकर मुझसे यह वायदा किया, ‘यह देश मैं तुम्हारे वंश को दूंगा’—वे ही स्वर्गदूत को तुम्हारे आगे-आगे भेजेंगे और तुम मेरे पुत्र के लिए वहां से एक पत्नी लेकर आओगे.
اما اگر آن زن از آمدن با تو رضا ندهد، از این قسم من، بری خواهی بود، لیکن زنهار، پسر مرابدانجا باز نبری.» | ۸ 8 |
अगर कन्या तुम्हारे साथ आने के लिए मना करे, तब तुम मेरी इस शपथ से मुक्त हो जाओगे. लेकिन ध्यान रखना कि तुम मेरे पुत्र को वापस वहां न ले जाना.”
پس خادم دست خود را زیرران آقای خود ابراهیم نهاد، و در این امر برای اوقسم خورد. | ۹ 9 |
इसलिये उस सेवक ने अपने स्वामी अब्राहाम की जांघ के नीचे अपना हाथ रखा और इस बारे में शपथ खाकर अब्राहाम से वायदा किया.
و خادم ده شتر، از شتران آقای خود گرفته، برفت. و همه اموال مولایش بهدست او بود. پس روانه شده، به شهر ناحور در ارام نهرین آمد. | ۱۰ 10 |
तब उस सेवक ने अपने स्वामी के ऊंट के झुंड में से दस ऊंटों को लिया और उन पर अपने स्वामी की ओर से विभिन्न उपहार लादा और नाहोर के गृहनगर उत्तर-पश्चिम मेसोपोतामिया की ओर प्रस्थान किया.
وبه وقت عصر، هنگامی که زنان برای کشیدن آب بیرون میآمدند، شتران خود را در خارج شهر، برلب چاه آب خوابانید. | ۱۱ 11 |
नगर के बाहर पहुंचकर उसने ऊंटों को कुएं के पास बैठा दिया; यह शाम का समय था. इसी समय स्त्रियां पानी भरने बाहर आया करती थीं.
و گفت: «ای یهوه، خدای آقایم ابراهیم، امروز مرا کامیاب بفرما، و باآقایم ابراهیم احسان بنما. | ۱۲ 12 |
तब सेवक ने प्रार्थना की, “याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, मेरे काम को सफल करें और मेरे स्वामी अब्राहाम पर दया करें.
اینک من بر این چشمه آب ایستادهام، و دختران اهل این شهر، به جهت کشیدن آب بیرون میآیند. | ۱۳ 13 |
आप देख रहे हैं कि मैं इस पानी के सोते के निकट खड़ा हूं, और इस नगरवासियों की कन्याएं पानी भरने के लिए निकलकर आ रही हैं.
پس چنین بشود که آن دختری که به وی گویم: “سبوی خودرا فرودآر تا بنوشم “، و او گوید: “بنوش و شترانت را نیز سیراب کنم “، همان باشد که نصیب بنده خود اسحاق کرده باشی، تا بدین، بدانم که با آقایم احسان فرمودهای.» | ۱۴ 14 |
आप कुछ ऐसा कीजिए कि जिस कन्या से मैं यह कहूं, ‘अपना घड़ा झुकाकर कृपया मुझे पानी पिला दे,’ और वह कन्या कहे, ‘आप पानी पी लीजिए, और फिर मैं आपके ऊंटों को भी पानी पिला दूंगी’—यह वही कन्या हो जिसे आपने अपने सेवक यित्सहाक के लिए चुना है. इसके द्वारा मुझे यह विश्वास हो जाएगा कि आपने मेरे स्वामी पर अपनी करुणा दिखाई है.”
و او هنوز از سخنگفتن فارغ نشده بود که ناگاه، رفقه، دختر بتوئیل، پسر ملکه، زن ناحور، برادر ابراهیم، بیرون آمد و سبویی بر کتف داشت. | ۱۵ 15 |
इसके पूर्व कि उसकी प्रार्थना खत्म होती, रेबेकाह नगर के बाहर अपने कंधे पर घड़ा लेकर पानी भरने आई. वह मिलकाह के पुत्र बेथुएल की पुत्री थी और मिलकाह अब्राहाम के भाई नाहोर की पत्नी थी.
و آن دختر بسیار نیکومنظر و باکره بود، ومردی او را نشناخته بود. پس به چشمه فرورفت، و سبوی خود را پر کرده، بالا آمد. | ۱۶ 16 |
रेबेकाह बहुत सुंदर थी, कुंवारी थी; अब तक किसी पुरुष से उसका संसर्ग नहीं हुआ था. वह नीचे सोते पर गई, अपना घड़ा पानी से भरा और फिर ऊपर आ गई.
آنگاه خادم به استقبال او بشتافت و گفت: «جرعهای آب ازسبوی خود به من بنوشان.» | ۱۷ 17 |
सेवक दौड़कर उसके निकट आया और उससे कहा, “कृपया अपने घड़े से मुझे थोड़ा पानी पिला दो.”
گفت: «ای آقای من بنوش»، و سبوی خود را بزودی بر دست خودفرودآورده، او را نوشانید. | ۱۸ 18 |
रेबेकाह ने कहा, “हे मेरे प्रभु लीजिए, पीजिये” और उसने तुरंत घड़े को नीचे करके उसे पानी पिलाया.
و چون ازنوشانیدنش فارغ شد، گفت: «برای شترانت نیزبکشم تا از نوشیدن بازایستند.» | ۱۹ 19 |
जब वह सेवक को पानी पिला चुकी, तब रेबेकाह ने उससे कहा, “मैं आपके ऊंटों के लिए भी पानी लेकर आती हूं, जब तक वे पूरे तृप्त न हो जाएं.”
پس سبوی خود را بزودی در آبخور خالی کرد و باز به سوی چاه، برای کشیدن بدوید، و از بهر همه شترانش کشید. | ۲۰ 20 |
उसने बिना देर किए घड़े का पानी हौदे में उंडेलकर वापस सोते पर और पानी भरने गई, और उसके सारे ऊंटों के लिये पर्याप्त पानी ले आई.
و آن مرد بر وی چشم دوخته بود وسکوت داشت، تا بداند که خداوند، سفر او راخیریت اثر نموده است یا نه. | ۲۱ 21 |
जब यह सब हो रहा था, बिना एक शब्द कहे, उस सेवक ध्यान से रेबेकाह को देखकर सोच रहा था कि याहवेह ने उसकी यात्रा को सफल किया है या नहीं.
و واقع شد، چون شتران از نوشیدن بازایستادند، که آن مرد حلقه طلای نیم مثقال وزن، ودو ابرنجین برای دستهایش، که ده مثقال طلا وزن آنها بود، بیرون آورد. | ۲۲ 22 |
जब ऊंटों ने पानी पी लिया, तब सेवक ने आधा शेकेल सोने की एक नथ और दस शेकेल सोने के दो कंगन निकाला.
و گفت: «به من بگو که دختر کیستی؟ آیا در خانه پدرت جایی برای ماباشد تا شب را بسر بریم؟» | ۲۳ 23 |
और रेबेकाह को देकर उससे पूछा, “तुम किसकी बेटी हो? कृपया मुझे बताओ, क्या तुम्हारे पिता के घर में इस रात ठहरने के लिए जगह है?”
وی را گفت: «من دختر بتوئیل، پسر ملکه که او را از ناحور زایید، میباشم.» | ۲۴ 24 |
रेबेकाह ने उत्तर दिया, “मैं नाहोर तथा मिलकाह के पुत्र बेथुएल की बेटी हूं.”
و بدو گفت: «نزد ما کاه و علف فراوان است، و جای نیز برای منزل.» | ۲۵ 25 |
और उसने यह भी कहा, “हमारे यहां घास और चारा बहुत है, और रात में ठहरने के लिये जगह भी है.”
آنگاه آن مرد خم شد، خداوند را پرستش نمود | ۲۶ 26 |
तब उस सेवक ने झुककर और यह कहकर याहवेह की आराधना की,
و گفت: «متبارک باد یهوه، خدای آقایم ابراهیم، که لطف و وفای خود را از آقایم دریغ نداشت، و چون من در راه بودم، خداوند مرا به خانه برادران آقایم راهنمایی فرمود.» | ۲۷ 27 |
“धन्य हैं याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, जिन्होंने मेरे स्वामी के प्रति अपने प्रेम और करुणा को नहीं हटाया. याहवेह मुझे सही जगह पर लाये जो मेरे स्वामी के रिश्तेदारों का ही घर है.”
پس آن دختر دوان دوان رفته، اهل خانه مادر خویش را از این وقایع خبر داد. | ۲۸ 28 |
वह कन्या दौड़कर अपने घर गई और अपनी माता के घर के लोगों को सब बातें बताई.
و رفقه رابرادری لابان نام بود. پس لابان به نزد آن مرد، بهسر چشمه، دوان دوان بیرون آمد. | ۲۹ 29 |
रेबेकाह के भाई लाबान दौड़कर कुएं के पास गए जहां सेवक था.
و واقع شدکه چون آن حلقه و ابرنجینها را بر دستهای خواهر خود دید، و سخنهای خواهر خود، رفقه را شنید که میگفت آن مرد چنین به من گفته است، به نزد وی آمد. و اینک نزد شتران بهسر چشمه ایستاده بود. | ۳۰ 30 |
जब उसने नथ और अपनी बहन के हाथों में कंगन देखा और जो बात सेवक ने कही थी, उसे सुनी, तब वह उस सेवक के पास गया, और देखा कि वह सेवक सोते के निकट ऊंटों के बाजू में खड़ा है.
و گفت: «ای مبارک خداوند، بیا، چرا بیرون ایستادهای؟ من خانه را و منزلی برای شتران، مهیا ساختهام.» | ۳۱ 31 |
लाबान ने सेवक से कहा, “हे याहवेह के आशीषित जन, मेरे साथ चलिए! आप यहां बाहर क्यों खड़े हैं? मैंने घर को, और ऊंटों के ठहरने के लिये भी जगह तैयार की है.”
پس آن مرد به خانه درآمد، و لابان شتران را باز کرد، و کاه و علف به شتران داد، و آب به جهت شستن پایهایش و پایهای رفقایش آورد. | ۳۲ 32 |
वह सेवक लाबान के साथ घर आया और ऊंटों पर से सामान उतारा गया. ऊंटों के लिये पैंरा और चारा लाया गया. सेवक तथा उसके साथ के लोगों के लिये पैर धोने हेतु पानी दिया गया.
و غذا پیش او نهادند. وی گفت: «تا مقصود خود را بازنگویم، چیزی نخورم.» گفت: «بگو.» | ۳۳ 33 |
तब सेवक को खाना दिया गया, पर उसने कहा, “मैं तब तक भोजन न करूंगा, जब तक कि मैं अपने आने का प्रयोजन न बता दूं.” लाबान ने कहा, “ठीक है, बता दें.”
گفت: «من خادم ابراهیم هستم. | ۳۴ 34 |
तब उसने कहा, “मैं अब्राहाम का सेवक हूं.
وخداوند، آقای مرا بسیار برکت داده و او بزرگ شده است، و گلهها و رمهها و نقره و طلا و غلامان و کنیزان و شتران و الاغان بدو داده است. | ۳۵ 35 |
याहवेह ने मेरे स्वामी को बहुत आशीष दी हैं, जिससे वे धनवान हो गए हैं. याहवेह ने उन्हें बहुत भेड़-बकरी और पशु, सोना और चांदी, सेवक और सेविकाएं तथा ऊंट और गधे दिये हैं.
وزوجه آقایم ساره، بعد از پیر شدن، پسری برای آقایم زایید، و آنچه دارد، بدو داده است. | ۳۶ 36 |
मेरे स्वामी की पत्नी साराह को वृद्धावस्था में एक बेटा पैदा हुआ, और अब्राहाम ने उसे अपना सब कुछ दे दिया है.
وآقایم مرا قسم داد و گفت که “زنی برای پسرم ازدختران کنعانیان که در زمین ایشان ساکنم، نگیری. | ۳۷ 37 |
और मेरे स्वामी ने मुझे शपथ दिलाकर कहा, ‘तुम मेरे पुत्र की पत्नी बनने के लिए कनानियों की किसी बेटी को, जिनके बीच मैं रहता हूं, न लाना,
بلکه به خانه پدرم و به قبیله من بروی، و زنی برای پسرم بگیری.” | ۳۸ 38 |
पर तुम मेरे पिता के परिवार, मेरे अपने वंश में जाना, और मेरे पुत्र के लिए एक पत्नी लाना.’
و به آقای خودگفتم: “شاید آن زن همراه من نیاید؟” | ۳۹ 39 |
“तब मैंने अपने स्वामी से पूछा, ‘यदि वह युवती मेरे साथ आना नहीं चाहेगी, तब क्या?’
او به من گفت: “یهوه که به حضور او سالک بودهام، فرشته خود را با تو خواهد فرستاد، و سفر تو راخیریت اثر خواهد گردانید، تا زنی برای پسرم ازقبیلهام و از خانه پدرم بگیری. | ۴۰ 40 |
“मेरे स्वामी ने कहा, ‘याहवेह, जिनके सामने मैं ईमानदारी से चलता आया हूं, वे अपने स्वर्गदूत को तुम्हारे साथ भेजेंगे और तुम्हारी यात्रा को सफल करेंगे, ताकि तुम मेरे पुत्र के लिए मेरे अपने वंश और मेरे पिता के परिवार से एक पत्नी ला सको.
آنگاه از قسم من بری خواهی گشت، چون به نزد قبیلهام رفتی، هرگاه زنی به تو ندادند، از سوگند من بری خواهی بود.” | ۴۱ 41 |
तुम मेरे इस शपथ से तब ही छूट पाओगे, जब तुम मेरे वंश के लोगों के पास जाओगे, और यदि वे उस कन्या को तुम्हारे साथ भेजने के लिए मना करें—तब तुम मेरे शपथ से छूट जाओगे.’
پس امروز بهسر چشمه رسیدم و گفتم: “ای یهوه، خدای آقایم ابراهیم، اگر حال، سفر مراکه به آن آمدهام، کامیاب خواهی کرد. | ۴۲ 42 |
“आज जब मैं कुएं के पास पहुंचा, तो मैंने यह प्रार्थना की, ‘याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, मैं जिस उद्देश्य से यहां आया हूं, वह काम पूरा हो जाये.
اینک من بهسر این چشمه آب ایستادهام. پس چنین بشودکه آن دختری که برای کشیدن آب بیرون آید، وبه وی گویم: “مرا از سبوی خود جرعهای آب بنوشان “، | ۴۳ 43 |
देखिये, मैं इस कुएं के किनारे खड़ा हूं. यदि कोई कन्या निकलकर पानी भरने के लिये आती है और मैं उससे कहता हूं, “कृपा करके मुझे अपने घड़े से थोड़ा पानी पिला दे,”
و به من گوید: “بیاشام، و برای شترانت نیز آب میکشم “، او همان زن باشد که خداوند، نصیب آقازاده من کرده است. | ۴۴ 44 |
और यदि वह मुझसे कहती है, “पीजिये, और मैं आपके ऊंटों के लिये भी पानी लेकर आती हूं,” तो वह वही कन्या हो, जिसे याहवेह ने मेरे मालिक के बेटे के लिये चुना है.’
و من هنوز از گفتن این، در دل خود فارغ نشده بودم، که ناگاه، رفقه با سبویی بر کتف خود بیرون آمد، و به چشمه پایین رفت، تا آب بکشد. و به وی گفتم: “جرعهای آب به من بنوشان.” | ۴۵ 45 |
“इसके पहले कि मैं अपने मन में यह प्रार्थना खत्म करता, रेबेकाह अपने कंधे पर घड़ा लिये निकलकर आई. वह नीचे सोते के पास जाकर पानी भरने लगी, और मैंने उससे कहा, ‘कृपया मुझे थोड़ा पानी पिला दो.’
پس سبوی خودرا بزودی از کتف خود فروآورده، گفت: “بیاشام، و شترانت را نیز آب میدهم.” پس نوشیدم وشتران را نیز آب داد. | ۴۶ 46 |
“तब उसने तुरंत अपने कंधे में से घड़े को झुकाकर कहा, ‘पी लीजिये, और फिर मैं आपके ऊंटों को भी पानी पिला दूंगी.’ तब मैंने पानी पिया, और उसने ऊंटों को भी पानी पिलाया.
و از او پرسیده، گفتم: “تودختر کیستی؟” گفت: “دختر بتوئیل بن ناحور که ملکه، او را برای او زایید.” پس حلقه را در بینی او، و ابرنجینها را بر دستهایش گذاشتم. | ۴۷ 47 |
“तब मैंने उससे पूछा, ‘तुम किसकी बेटी हो?’ “उसने कहा, ‘मैं बेथुएल की बेटी हूं, जो नाहोर तथा मिलकाह के पुत्र है.’ “तब मैंने उसके नाक में नथ तथा उसके हाथों में कंगन पहना दिए,
آنگاه سجده کرده، خداوند را پرستش نمودم. و یهوه، خدای آقای خود ابراهیم را، متبارک خواندم، که مرا به راه راست هدایت فرمود، تا دختر برادرآقای خود را، برای پسرش بگیرم. | ۴۸ 48 |
और मैंने झुककर याहवेह की आराधना की. मैंने याहवेह, अपने मालिक अब्राहाम के परमेश्वर की महिमा की, जिन्होंने मुझे सही मार्ग में अगुवाई की, ताकि मैं अपने मालिक के भाई की नतनिन को अपने मालिक के बेटे के लिये पत्नी के रूप में ले जा सकूं.
اکنون اگربخواهید با آقایم احسان و صداقت کنید، پس مراخبر دهید. و اگر نه مرا خبر دهید، تا بطرف راست یا چپ ره سپر شوم.» | ۴۹ 49 |
इसलिये अब, यदि आप मेरे मालिक के प्रति दया और सच्चाई दिखाना चाहते हैं, तो मुझे बताईये; और यदि नहीं, तो वह भी बताईये, कि किस रास्ते पर मुड़ना है.”
لابان و بتوئیل در جواب گفتند: «این امر ازخداوند صادر شده است، با تو نیک یا بدنمی توانیم گفت. | ۵۰ 50 |
यह सब सुनकर लाबान एवं बेथुएल ने कहा, “यह सब याहवेह की ओर से हुआ है; हम तुमसे अच्छा या बुरा कुछ नहीं कह सकते.
اینک رفقه حاضر است، او رابرداشته، روانه شو تا زن پسر آقایت باشد، چنانکه خداوند گفته است.» | ۵۱ 51 |
रेबेकाह तुम्हारे सामने है; इसे अपने साथ ले जाओ, ताकि वह तुम्हारे स्वामी के पुत्र की पत्नी हो जाए, जैसा कि याहवेह ने निर्देश दिया है.”
و واقع شد که چون خادم ابراهیم سخن ایشان را شنید، خداوند را به زمین سجده کرد. | ۵۲ 52 |
उनकी बातों को सुनकर अब्राहाम के सेवक ने भूमि पर झुककर याहवेह को दंडवत किया.
و خادم، آلات نقره و آلات طلا و رختها رابیرون آورده، پیشکش رفقه کرد، و برادر و مادر اورا چیزهای نفیسه داد. | ۵۳ 53 |
तब सेवक ने सोने और चांदी के गहने तथा वस्त्र निकालकर रेबेकाह को दिए; उसने रेबेकाह के भाई और उसकी माता को भी बहुमूल्य वस्तुएं दी.
و او و رفقایش خوردندو آشامیدند و شب را بسر بردند. و بامدادان برخاسته، گفت: «مرا به سوی آقایم روانه نمایید.» | ۵۴ 54 |
फिर उसने तथा उसके साथ के लोगों ने खाया पिया और वहां रात बिताई. अगले दिन सुबह जब वे सोकर उठे तो सेवक ने कहा, “मुझे अपने स्वामी के पास वापस जाने के लिए विदा कीजिये.”
برادر و مادر او گفتند: «دختر با ما ده روزی بماند و بعد از آن روانه شود.» | ۵۵ 55 |
पर रेबेकाह के भाई और उसकी मां ने कहा, “कन्या को हमारे साथ कुछ दिन अर्थात् कम से कम दस दिन रहने दो; तब उसे ले जाना.”
بدیشان گفت: «مرا معطل مسازید، خداوند سفر مرا کامیاب گردانیده است، پس مرا روانه نمایید تا بنزد آقای خود بروم.» | ۵۶ 56 |
पर सेवक ने उनसे कहा, “मुझे मत रोकिए; क्योंकि याहवेह ने मेरी इस यात्रा को सफल किया है. मुझे अपने स्वामी के पास लौट जाने के लिये विदा कीजिए.”
گفتند: «دختر را بخوانیم و اززبانش بپرسیم.» | ۵۷ 57 |
तब उन्होंने कहा, “हम रेबेकाह को बुलाकर इसके बारे में उससे पूछते हैं.”
پس رفقه را خواندند و به وی گفتند: «با این مرد خواهی رفت؟» گفت: «میروم.» | ۵۸ 58 |
तब उन्होंने रेबेकाह को बुलाकर उससे पूछा, “क्या तुम इस व्यक्ति के साथ जाओगी?” उसने कहा, “हां, मैं जाऊंगी.”
آنگاه خواهر خود رفقه، و دایهاش را، با خادم ابراهیم و رفقایش روانه کردند. | ۵۹ 59 |
इसलिये उन्होंने अपनी बहन रेबेकाह को उसकी परिचारिका और अब्राहाम के सेवक और उसके लोगों के साथ विदा किया.
ورفقه را برکت داده به وی گفتند: «تو خواهر ماهستی، مادر هزار کرورها باش، و ذریت تو، دروازه دشمنان خود را متصرف شوند.» | ۶۰ 60 |
और उन्होंने रेबेकाह को आशीर्वाद देते हुए कहा, “हे हमारी बहन, तुम्हारा वंश हजारों हजार की संख्या में बढ़े; तुम्हारा वंश अपने शत्रुओं के नगर पर अधिकार करने पाये.”
پس رفقه با کنیزانش برخاسته، بر شتران سوار شدند، و از عقب آن مرد روانه گردیدند. وخادم، رفقه را برداشته، برفت. | ۶۱ 61 |
तब रेबेकाह और उसकी परिचारिकाएं तैयार हुईं और ऊंटों पर चढ़कर उस व्यक्ति के साथ गईं और वह सेवक रेबेकाह को लेकर रवाना हो गया.
و اسحاق از راه بئرلحی رئی میآمد، زیرا که او در ارض جنوب ساکن بود. | ۶۲ 62 |
यित्सहाक बएर-लहाई-रोई से आकर अब नेगेव में निवास कर रहे थे.
و هنگام شام، اسحاق برای تفکر به صحرا بیرون رفت، و چون نظر بالا کرد، دید که شتران میآیند. | ۶۳ 63 |
एक शाम जब वे चिंतन करने मैदान में गये थे, तब उन्होंने ऊंटों को आते हुए देखा.
و رفقه چشمان خود را بلندکرده، اسحاق را دید، و از شتر خود فرود آمد، | ۶۴ 64 |
रेबेकाह ने भी आंख उठाकर यित्सहाक को देखा और वह अपने ऊंट पर से नीचे उतरी
زیرا که از خادم پرسید: «این مرد کیست که درصحرا به استقبال ما میآید؟» و خادم گفت: «آقای من است.» پس برقع خود را گرفته، خود راپوشانید. | ۶۵ 65 |
और सेवक से पूछा, “मैदान में वह कौन व्यक्ति है, जो हमसे मिलने आ रहे हैं?” सेवक ने उत्तर दिया, “वे मेरे स्वामी हैं.” यह सुनकर रेबेकाह ने अपना घूंघट लिया और अपने आपको ढांप लिया.
و خادم، همه کارهایی را که کرده بود، به اسحاق بازگفت. | ۶۶ 66 |
तब सेवक ने यित्सहाक को वे सब बातें बताई, जो उसने किया था.
و اسحاق، رفقه را به خیمه مادر خود، ساره، آورد، و او را به زنی خود گرفته، دل در او بست. و اسحاق بعد از وفات مادر خود، تسلی پذیرفت. | ۶۷ 67 |
तब यित्सहाक रेबेकाह को अपनी मां साराह के तंबू में ले आया, और उसने रेबेकाह से शादी की. वह उसकी पत्नी हो गई, और उसने उससे प्रेम किया; इस प्रकार यित्सहाक को उसकी माता की मृत्यु के बाद सांत्वना मिली.