< جامعه 12 >

پس آفریننده خود را در روزهای جوانی ات بیاد آور قبل از آنکه روزهای بلا برسد و سالها برسد که بگویی مرا از اینهاخوشی نیست. ۱ 1
और अपनी जवानी के दिनों में अपने ख़ालिक़ को याद कर, जब कि बुरे दिन हुनूज़ नहीं आए और वह बरस नज़दीक नहीं हुए, जिनमें तू कहेगा कि इनसे मुझे कुछ ख़ुशी नहीं।
قبل از آنکه آفتاب و نور و ماه وستارگان تاریک شود و ابرها بعد از باران برگردد؛ ۲ 2
जब कि हुनूज़ सूरज और रोशनी चाँद सितारे तारीक नहीं हुए, और बा'दल बारिश के बाद फिर जमा' नहीं हुए;
در روزی که محافظان خانه بلرزند و صاحبان قوت، خویشتن را خم نمایند و دستاس کنندگان چونکه کم‌اند باز ایستند و آنانی که از پنجره هامی نگرند تاریک شوند. ۳ 3
जिस रोज़ घर के निगाहबान थरथराने लगे और ताक़तवर लोग कुबड़े हो जाएँ और पीसने वालियाँ रुक जाएँ इसलिए कि वह थोड़ी सी हैं, और वह जो खिड़कियों से झाँकती हैं धुंदला जाए,
و درها در کوچه بسته شود و آواز آسیاب پست گردد و از صدای گنجشک برخیزد و جمیع مغنیات ذلیل شوند. ۴ 4
और गली के किवाड़े बन्द हो जाएँ, जब चक्की की आवाज़ धीमी हो जाए और इंसान चिड़िया की आवाज़ से चौंक उठे, और नग़मे की सब बेटियाँ ज़ईफ़ हो जाएँ।
واز هر بلندی بترسند و خوفها در راه باشد ودرخت بادام شکوفه آورد و ملخی بار سنگین باشد و اشتها بریده شود. چونکه انسان به خانه جاودانی خود می‌رود و نوحه‌گران در کوچه گردش می‌کنند. ۵ 5
हाँ, जब वह चढ़ाई से भी डर जाए और दहशत राह में हो, और बा'दाम के फूल निकलें और टिड्डी एक बोझ मा'लूम हो, और ख़्वाहिश मिट जाए क्यूँकि इंसान अपने हमेशा के मकान में चला जायेगा और मातम करने वाले गली गली फिरेंगें।
قبل از آنکه مفتول نقره گسیخته شود و کاسه طلا شکسته گردد و سبو نزدچشمه خرد شود و چرخ بر چاه منکسر گردد، ۶ 6
पहले इससे कि चाँदी की डोरी खोली जाए, और सोने की कटोरी तोड़ी जाए और घड़ा चश्मे पर फोड़ा जाए, और हौज़ का चर्ख़ टूट जाए,
وخاک به زمین برگردد به طوری که بود. و روح نزدخدا که آن را بخشیده بود رجوع نماید. ۷ 7
और ख़ाक — ख़ाक से जा मिले जिस तरह आगे मिली हुई थी, और रूह ख़ुदा के पास जिसने उसे दिया था वापस जाए।
باطل اباطیل جامعه می‌گوید همه‌چیز بطالت است. ۸ 8
बेकार ही बेकार वा'इज़ कहता है, सब कुछ बेकार है।
و دیگر چونکه جامعه حکیم بود باز هم معرفت را به قوم تعلیم می‌داد و تفکر نموده، غوررسی می‌کرد و مثل های بسیار تالیف نمود. ۹ 9
ग़रज़ अज़ बस की वा'इज़ 'अक़्लमन्द था, उसने लोगों को तालीम दी; हाँ, उसने बख़ूबी ग़ौर किया और ख़ूब तजवीज़ की और बहुत सी मसलें क़रीने से बयान कीं।
جامعه تفحص نمود تا سخنان مقبول را پیداکند و کلمات راستی را که به استقامت مکتوب باشد. ۱۰ 10
वा'इज़ दिल आवेज़ बातों की तलाश में रहा, उन सच्ची बातों की जो रास्ती से लिखी गई।
سخنان حکیمان مثل سکهای گاورانی است و کلمات ارباب جماعت مانند میخهای محکم شده می‌باشد، که از یک شبان داده شود. ۱۱ 11
'अक़्लमन्द की बातें पैनों की तरह हैं, और उन खूँटियों की तरह जो साहिबान — ए — मजलिस ने लगाई हों, और जो एक ही चरवाहे की तरफ़ से मिली हों।
و علاوه بر اینها، ای پسر من پند بگیر. ساختن کتابهای بسیار انتها ندارد و مطالعه زیاد، تعب بدن است. ۱۲ 12
इसलिए अब ऐ मेरे बेटे, इनसे नसीहत पज़ीर हो, बहुत किताबे बनाने की इन्तिहा नहीं है और बहुत पढ़ना जिस्म को थकाता है।
پس ختم تمام امر را بشنویم. از خدابترس و اوامر او را نگاه دار چونکه تمامی تکلیف انسان این است. ۱۳ 13
अब सब कुछ सुनाया गया; हासिल — ए — कलाम ये है: ख़ुदा से डर और उसके हुक्मों को मान कि इंसान का फ़र्ज़ — ए — कुल्ली यही है।
زیرا خدا هر عمل را با هر کارمخفی خواه نیکو و خواه بد باشد، به محاکمه خواهد آورد. ۱۴ 14
क्यूँकि ख़ुदा हर एक फ़े'ल को हर एक पोशीदा चीज़ के साथ, चाहे भली हो चाहे बुरी, 'अदालत में लाएगा।

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