< کارهای رسولان 7 >

آنگاه رئیس کهنه گفت: «آیا این امور چنین است؟» ۱ 1
ତତଃ ପରଂ ମହାଯାଜକଃ ପୃଷ୍ଟୱାନ୍, ଏଷା କଥାଂ କିଂ ସତ୍ୟା?
او گفت: «ای برادران و پدران، گوش دهید. خدای ذوالجلال بر پدر ما ابراهیم ظاهر شد وقتی که در جزیره بود قبل از توقفش در حران. ۲ 2
ତତଃ ସ ପ୍ରତ୍ୟୱଦତ୍, ହେ ପିତରୋ ହେ ଭ୍ରାତରଃ ସର୍ୱ୍ୱେ ଲାକା ମନାଂସି ନିଧଦ୍ଧ୍ୱଂ| ଅସ୍ମାକଂ ପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷ ଇବ୍ରାହୀମ୍ ହାରଣ୍ନଗରେ ୱାସକରଣାତ୍ ପୂର୍ୱ୍ୱଂ ଯଦା ଅରାମ୍-ନହରଯିମଦେଶେ ଆସୀତ୍ ତଦା ତେଜୋମଯ ଈଶ୍ୱରୋ ଦର୍ଶନଂ ଦତ୍ୱା
و بدوگفت: “از وطن خود و خویشانت بیرون شده، به زمینی که تو را نشان دهم برو.” ۳ 3
ତମୱଦତ୍ ତ୍ୱଂ ସ୍ୱଦେଶଜ୍ଞାତିମିତ୍ରାଣି ପରିତ୍ୟଜ୍ୟ ଯଂ ଦେଶମହଂ ଦର୍ଶଯିଷ୍ୟାମି ତଂ ଦେଶଂ ୱ୍ରଜ|
پس از دیارکلدانیان روانه شده، در حران درنگ نمود؛ و بعداز وفات پدرش، او را کوچ داد به سوی این زمین که شما الان در آن ساکن می‌باشید. ۴ 4
ଅତଃ ସ କସ୍ଦୀଯଦେଶଂ ୱିହାଯ ହାରଣ୍ନଗରେ ନ୍ୟୱସତ୍, ତଦନନ୍ତରଂ ତସ୍ୟ ପିତରି ମୃତେ ଯତ୍ର ଦେଶେ ଯୂଯଂ ନିୱସଥ ସ ଏନଂ ଦେଶମାଗଚ୍ଛତ୍|
و او را در این زمین میراثی، حتی بقدر جای پای خود نداد، لیکن وعده داد که آن را به وی و بعد از او به ذریتش به ملکیت دهد، هنگامی که هنوز اولادی نداشت. ۵ 5
କିନ୍ତ୍ୱୀଶ୍ୱରସ୍ତସ୍ମୈ କମପ୍ୟଧିକାରମ୍ ଅର୍ଥାଦ୍ ଏକପଦପରିମିତାଂ ଭୂମିମପି ନାଦଦାତ୍; ତଦା ତସ୍ୟ କୋପି ସନ୍ତାନୋ ନାସୀତ୍ ତଥାପି ସନ୍ତାନୈଃ ସାର୍ଦ୍ଧମ୍ ଏତସ୍ୟ ଦେଶସ୍ୟାଧିକାରୀ ତ୍ୱଂ ଭୱିଷ୍ୟସୀତି ତମ୍ପ୍ରତ୍ୟଙ୍ଗୀକୃତୱାନ୍|
و خدا گفت که “ذریت تو در ملک بیگانه، غریب خواهند بود و مدت چهار صد سال ایشان را به بندگی کشیده، معذب خواهندداشت.” ۶ 6
ଈଶ୍ୱର ଇତ୍ଥମ୍ ଅପରମପି କଥିତୱାନ୍ ତୱ ସନ୍ତାନାଃ ପରଦେଶେ ନିୱତ୍ସ୍ୟନ୍ତି ତତସ୍ତଦ୍ଦେଶୀଯଲୋକାଶ୍ଚତୁଃଶତୱତ୍ସରାନ୍ ଯାୱତ୍ ତାନ୍ ଦାସତ୍ୱେ ସ୍ଥାପଯିତ୍ୱା ତାନ୍ ପ୍ରତି କୁୱ୍ୟୱହାରଂ କରିଷ୍ୟନ୍ତି|
و خدا گفت: “من بر آن طایفه‌ای که ایشان را مملوک سازند داوری خواهم نمود و بعداز آن بیرون آمده، در این مکان مرا عبادت خواهند نمود.” ۷ 7
ଅପରମ୍ ଈଶ୍ୱର ଏନାଂ କଥାମପି କଥିତୱାନ୍, ଯେ ଲୋକାସ୍ତାନ୍ ଦାସତ୍ୱେ ସ୍ଥାପଯିଷ୍ୟନ୍ତି ତାଲ୍ଲୋକାନ୍ ଅହଂ ଦଣ୍ଡଯିଷ୍ୟାମି, ତତଃ ପରଂ ତେ ବହିର୍ଗତାଃ ସନ୍ତୋ ମାମ୍ ଅତ୍ର ସ୍ଥାନେ ସେୱିଷ୍ୟନ୍ତେ|
و عهد ختنه را به وی داد که بنابراین چون اسحاق را آورد، در روز هشتم او رامختون ساخت و اسحاق یعقوب را و یعقوب دوازده پطریارخ را. ۸ 8
ପଶ୍ଚାତ୍ ସ ତସ୍ମୈ ତ୍ୱକ୍ଛେଦସ୍ୟ ନିଯମଂ ଦତ୍ତୱାନ୍, ଅତ ଇସ୍ହାକନାମ୍ନି ଇବ୍ରାହୀମ ଏକପୁତ୍ରେ ଜାତେ, ଅଷ୍ଟମଦିନେ ତସ୍ୟ ତ୍ୱକ୍ଛେଦମ୍ ଅକରୋତ୍| ତସ୍ୟ ଇସ୍ହାକଃ ପୁତ୍ରୋ ଯାକୂବ୍, ତତସ୍ତସ୍ୟ ଯାକୂବୋଽସ୍ମାକଂ ଦ୍ୱାଦଶ ପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷା ଅଜାଯନ୍ତ|
«و پطریارخان به یوسف حسد برده، او را به مصر فروختند. اما خدا با وی می‌بود ۹ 9
ତେ ପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷା ଈର୍ଷ୍ୟଯା ପରିପୂର୍ଣା ମିସରଦେଶଂ ପ୍ରେଷଯିତୁଂ ଯୂଷଫଂ ୱ୍ୟକ୍ରୀଣନ୍|
و او را ازتمامی زحمت او رستگار نموده، در حضورفرعون، پادشاه مصر توفیق و حکمت عطا فرمودتا او را بر مصر و تمام خاندان خود فرمان فرما قرارداد. ۱۰ 10
କିନ୍ତ୍ୱୀଶ୍ୱରସ୍ତସ୍ୟ ସହାଯୋ ଭୂତ୍ୱା ସର୍ୱ୍ୱସ୍ୟା ଦୁର୍ଗତେ ରକ୍ଷିତ୍ୱା ତସ୍ମୈ ବୁଦ୍ଧିଂ ଦତ୍ତ୍ୱା ମିସରଦେଶସ୍ୟ ରାଜ୍ଞଃ ଫିରୌଣଃ ପ୍ରିଯପାତ୍ରଂ କୃତୱାନ୍ ତତୋ ରାଜା ମିସରଦେଶସ୍ୟ ସ୍ୱୀଯସର୍ୱ୍ୱପରିୱାରସ୍ୟ ଚ ଶାସନପଦଂ ତସ୍ମୈ ଦତ୍ତୱାନ୍|
پس قحطی و ضیقی شدید بر همه ولایت مصر و کنعان رخ نمود، بحدی که اجداد ما قوتی نیافتند. ۱۱ 11
ତସ୍ମିନ୍ ସମଯେ ମିସର-କିନାନଦେଶଯୋ ର୍ଦୁର୍ଭିକ୍ଷହେତୋରତିକ୍ଲିଷ୍ଟତ୍ୱାତ୍ ନଃ ପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷା ଭକ୍ଷ୍ୟଦ୍ରୱ୍ୟଂ ନାଲଭନ୍ତ|
اما چون یعقوب شنید که در مصر غله یافت می‌شود، بار اول اجداد ما را فرستاد. ۱۲ 12
କିନ୍ତୁ ମିସରଦେଶେ ଶସ୍ୟାନି ସନ୍ତି, ଯାକୂବ୍ ଇମାଂ ୱାର୍ତ୍ତାଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ପ୍ରଥମମ୍ ଅସ୍ମାକଂ ପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷାନ୍ ମିସରଂ ପ୍ରେଷିତୱାନ୍|
ودر کرت دوم یوسف خود را به برادران خودشناسانید و قبیله یوسف به نظر فرعون رسیدند. ۱۳ 13
ତତୋ ଦ୍ୱିତୀଯୱାରଗମନେ ଯୂଷଫ୍ ସ୍ୱଭ୍ରାତୃଭିଃ ପରିଚିତୋଽଭୱତ୍; ଯୂଷଫୋ ଭ୍ରାତରଃ ଫିରୌଣ୍ ରାଜେନ ପରିଚିତା ଅଭୱନ୍|
پس یوسف فرستاده، پدر خود یعقوب و سایرعیالش را که هفتاد و پنج نفر بودند، طلبید. ۱۴ 14
ଅନନ୍ତରଂ ଯୂଷଫ୍ ଭ୍ରାତୃଗଣଂ ପ୍ରେଷ୍ୟ ନିଜପିତରଂ ଯାକୂବଂ ନିଜାନ୍ ପଞ୍ଚାଧିକସପ୍ତତିସଂଖ୍ୟକାନ୍ ଜ୍ଞାତିଜନାଂଶ୍ଚ ସମାହୂତୱାନ୍|
پس یعقوب به مصر فرود آمده، او و اجداد ما وفات یافتند. ۱۵ 15
ତସ୍ମାଦ୍ ଯାକୂବ୍ ମିସରଦେଶଂ ଗତ୍ୱା ସ୍ୱଯମ୍ ଅସ୍ମାକଂ ପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷାଶ୍ଚ ତସ୍ମିନ୍ ସ୍ଥାନେଽମ୍ରିଯନ୍ତ|
و ایشان را به شکیم برده، در مقبره‌ای که ابراهیم از بنی حمور، پدر شکیم به مبلغی خریده بود، دفن کردند. ۱۶ 16
ତତସ୍ତେ ଶିଖିମଂ ନୀତା ଯତ୍ ଶ୍ମଶାନମ୍ ଇବ୍ରାହୀମ୍ ମୁଦ୍ରାଦତ୍ୱା ଶିଖିମଃ ପିତୁ ର୍ହମୋରଃ ପୁତ୍ରେଭ୍ୟଃ କ୍ରୀତୱାନ୍ ତତ୍ଶ୍ମଶାନେ ସ୍ଥାପଯାଞ୍ଚକ୍ରିରେ|
«و چون هنگام وعده‌ای که خدا با ابراهیم قسم خورده بود نزدیک شد، قوم در مصر نموکرده، کثیر می‌گشتند. ۱۷ 17
ତତଃ ପରମ୍ ଈଶ୍ୱର ଇବ୍ରାହୀମଃ ସନ୍ନିଧୌ ଶପଥଂ କୃତ୍ୱା ଯାଂ ପ୍ରତିଜ୍ଞାଂ କୃତୱାନ୍ ତସ୍ୟାଃ ପ୍ରତିଜ୍ଞାଯାଃ ଫଲନସମଯେ ନିକଟେ ସତି ଇସ୍ରାଯେଲ୍ଲୋକା ସିମରଦେଶେ ୱର୍ଦ୍ଧମାନା ବହୁସଂଖ୍ୟା ଅଭୱନ୍|
تا وقتی که پادشاه دیگرکه یوسف را نمی شناخت برخاست. ۱۸ 18
ଶେଷେ ଯୂଷଫଂ ଯୋ ନ ପରିଚିନୋତି ତାଦୃଶ ଏକୋ ନରପତିରୁପସ୍ଥାଯ
او با قوم ما حیله نموده، اجداد ما را ذلیل ساخت تا اولادخود را بیرون انداختند تا زیست نکنند. ۱۹ 19
ଅସ୍ମାକଂ ଜ୍ଞାତିଭିଃ ସାର୍ଦ୍ଧଂ ଧୂର୍ତ୍ତତାଂ ୱିଧାଯ ପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷାନ୍ ପ୍ରତି କୁୱ୍ୟୱହରଣପୂର୍ୱ୍ୱକଂ ତେଷାଂ ୱଂଶନାଶନାଯ ତେଷାଂ ନୱଜାତାନ୍ ଶିଶୂନ୍ ବହି ର୍ନିରକ୍ଷେପଯତ୍|
در آن وقت موسی تولد یافت وبغایت جمیل بوده، مدت سه ماه در خانه پدر خود پرورش یافت. ۲۰ 20
ଏତସ୍ମିନ୍ ସମଯେ ମୂସା ଜଜ୍ଞେ, ସ ତୁ ପରମସୁନ୍ଦରୋଽଭୱତ୍ ତଥା ପିତୃଗୃହେ ମାସତ୍ରଯପର୍ୟ୍ୟନ୍ତଂ ପାଲିତୋଽଭୱତ୍|
و چون او را بیرون افکندند، دختر فرعون او رابرداشته، برای خود به فرزندی تربیت نمود. ۲۱ 21
କିନ୍ତୁ ତସ୍ମିନ୍ ବହିର୍ନିକ୍ଷିପ୍ତେ ସତି ଫିରୌଣରାଜସ୍ୟ କନ୍ୟା ତମ୍ ଉତ୍ତୋଲ୍ୟ ନୀତ୍ୱା ଦତ୍ତକପୁତ୍ରଂ କୃତ୍ୱା ପାଲିତୱତୀ|
وموسی در تمامی حکمت اهل مصر تربیت یافته، در قول و فعل قوی گشت. ۲۲ 22
ତସ୍ମାତ୍ ସ ମୂସା ମିସରଦେଶୀଯାଯାଃ ସର୍ୱ୍ୱୱିଦ୍ୟାଯାଃ ପାରଦୃଷ୍ୱା ସନ୍ ୱାକ୍ୟେ କ୍ରିଯାଯାଞ୍ଚ ଶକ୍ତିମାନ୍ ଅଭୱତ୍|
چون چهل سال ازعمر وی سپری گشت، به‌خاطرش رسید که ازبرادران خود، خاندان اسرائیل تفقد نماید. ۲۳ 23
ସ ସମ୍ପୂର୍ଣଚତ୍ୱାରିଂଶଦ୍ୱତ୍ସରୱଯସ୍କୋ ଭୂତ୍ୱା ଇସ୍ରାଯେଲୀଯୱଂଶନିଜଭ୍ରାତୃନ୍ ସାକ୍ଷାତ୍ କର୍ତୁଂ ମତିଂ ଚକ୍ରେ|
وچون یکی را مظلوم دید او را حمایت نمود وانتقام آن عاجز را کشیده، آن مصری را بکشت. ۲۴ 24
ତେଷାଂ ଜନମେକଂ ହିଂସିତଂ ଦୃଷ୍ଟ୍ୱା ତସ୍ୟ ସପକ୍ଷଃ ସନ୍ ହିଂସିତଜନମ୍ ଉପକୃତ୍ୟ ମିସରୀଯଜନଂ ଜଘାନ|
پس گمان برد که بردرانش خواهند فهمید که خدا به‌دست او ایشان را نجات خواهد داد. امانفهمیدند. ۲۵ 25
ତସ୍ୟ ହସ୍ତେନେଶ୍ୱରସ୍ତାନ୍ ଉଦ୍ଧରିଷ୍ୟତି ତସ୍ୟ ଭ୍ରାତୃଗଣ ଇତି ଜ୍ଞାସ୍ୟତି ସ ଇତ୍ୟନୁମାନଂ ଚକାର, କିନ୍ତୁ ତେ ନ ବୁବୁଧିରେ|
و در فردای آن روز خود را به دو نفراز ایشان که منازعه می‌نمودند، ظاهر کرد وخواست مابین ایشان مصالحه دهد. پس گفت: “ای مردان، شما برادر می‌باشید. به یکدیگر چرا ظلم می‌کنید؟” ۲۶ 26
ତତ୍ପରେ ଽହନି ତେଷାମ୍ ଉଭଯୋ ର୍ଜନଯୋ ର୍ୱାକ୍କଲହ ଉପସ୍ଥିତେ ସତି ମୂସାଃ ସମୀପଂ ଗତ୍ୱା ତଯୋ ର୍ମେଲନଂ କର୍ତ୍ତୁଂ ମତିଂ କୃତ୍ୱା କଥଯାମାସ, ହେ ମହାଶଯୌ ଯୁୱାଂ ଭ୍ରାତରୌ ପରସ୍ପରମ୍ ଅନ୍ୟାଯଂ କୁତଃ କୁରୁଥଃ?
آنگاه آنکه بر همسایه خودتعدی می‌نمود، او را رد کرده، گفت: “که تو را بر ماحاکم و داور ساخت؟ ۲۷ 27
ତତଃ ସମୀପୱାସିନଂ ପ୍ରତି ଯୋ ଜନୋଽନ୍ୟାଯଂ ଚକାର ସ ତଂ ଦୂରୀକୃତ୍ୟ କଥଯାମାସ, ଅସ୍ମାକମୁପରି ଶାସ୍ତୃତ୍ୱୱିଚାରଯିତୃତ୍ୱପଦଯୋଃ କସ୍ତ୍ୱାଂ ନିଯୁକ୍ତୱାନ୍?
آیا می‌خواهی مرابکشی چنانکه آن مصری را دیروز کشتی؟” ۲۸ 28
ହ୍ୟୋ ଯଥା ମିସରୀଯଂ ହତୱାନ୍ ତଥା କିଂ ମାମପି ହନିଷ୍ୟସି?
پس موسی از این سخن فرار کرده، در زمین مدیان غربت اختیار کرد و در آنجا دو پسر آورد. ۲۹ 29
ତଦା ମୂସା ଏତାଦୃଶୀଂ କଥାଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ପଲାଯନଂ ଚକ୍ରେ, ତତୋ ମିଦିଯନଦେଶଂ ଗତ୍ୱା ପ୍ରୱାସୀ ସନ୍ ତସ୍ଥୌ, ତତସ୍ତତ୍ର ଦ୍ୱୌ ପୁତ୍ରୌ ଜଜ୍ଞାତେ|
و چون چهل سال گذشت، در بیابان کوه سینا، فرشته خداوند در شعله آتش از بوته به وی ظاهر شد. ۳۰ 30
ଅନନ୍ତରଂ ଚତ୍ୱାରିଂଶଦ୍ୱତ୍ସରେଷୁ ଗତେଷୁ ସୀନଯପର୍ୱ୍ୱତସ୍ୟ ପ୍ରାନ୍ତରେ ପ୍ରଜ୍ୱଲିତସ୍ତମ୍ବସ୍ୟ ୱହ୍ନିଶିଖାଯାଂ ପରମେଶ୍ୱରଦୂତସ୍ତସ୍ମୈ ଦର୍ଶନଂ ଦଦୌ|
موسی چون این را دید از آن رویا درعجب شد و چون نزدیک می‌آمد تا نظر کند، خطاب از خداوند به وی رسید ۳۱ 31
ମୂସାସ୍ତସ୍ମିନ୍ ଦର୍ଶନେ ୱିସ୍ମଯଂ ମତ୍ୱା ୱିଶେଷଂ ଜ୍ଞାତୁଂ ନିକଟଂ ଗଚ୍ଛତି,
که “منم خدای پدرانت، خدای ابراهیم و خدای اسحاق و خدای یعقوب.” آنگاه موسی به لرزه درآمده، جسارت نکرد که نظر کند. ۳۲ 32
ଏତସ୍ମିନ୍ ସମଯେ, ଅହଂ ତୱ ପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷାଣାମ୍ ଈଶ୍ୱରୋଽର୍ଥାଦ୍ ଇବ୍ରାହୀମ ଈଶ୍ୱର ଇସ୍ହାକ ଈଶ୍ୱରୋ ଯାକୂବ ଈଶ୍ୱରଶ୍ଚ, ମୂସାମୁଦ୍ଦିଶ୍ୟ ପରମେଶ୍ୱରସ୍ୟୈତାଦୃଶୀ ୱିହାଯସୀଯା ୱାଣୀ ବଭୂୱ, ତତଃ ସ କମ୍ପାନ୍ୱିତଃ ସନ୍ ପୁନ ର୍ନିରୀକ୍ଷିତୁଂ ପ୍ରଗଲ୍ଭୋ ନ ବଭୂୱ|
خداوند به وی گفت: “نعلین از پایهایت بیرون کن زیرا جایی که در آن ایستاده‌ای، زمین مقدس است. ۳۳ 33
ପରମେଶ୍ୱରସ୍ତଂ ଜଗାଦ, ତୱ ପାଦଯୋଃ ପାଦୁକେ ମୋଚଯ ଯତ୍ର ତିଷ୍ଠସି ସା ପୱିତ୍ରଭୂମିଃ|
همانا مشقت قوم خود را که در مصرند دیدم و ناله ایشان راشنیدم و برای رهانیدن ایشان نزول فرمودم. الحال بیا تا تو را به مصر فرستم.” ۳۴ 34
ଅହଂ ମିସରଦେଶସ୍ଥାନାଂ ନିଜଲୋକାନାଂ ଦୁର୍ଦ୍ଦଶାଂ ନିତାନ୍ତମ୍ ଅପଶ୍ୟଂ, ତେଷାଂ କାତର୍ୟ୍ୟୋକ୍ତିଞ୍ଚ ଶ୍ରୁତୱାନ୍ ତସ୍ମାତ୍ ତାନ୍ ଉଦ୍ଧର୍ତ୍ତୁମ୍ ଅୱରୁହ୍ୟାଗମମ୍; ଇଦାନୀମ୍ ଆଗଚ୍ଛ ମିସରଦେଶଂ ତ୍ୱାଂ ପ୍ରେଷଯାମି|
همان موسی را که رد کرده، گفتند: “که تو را حاکم و داورساخت؟” خدا حاکم و نجات‌دهنده مقرر فرموده، به‌دست فرشته‌ای که در بوته بر وی ظاهر شد، فرستاد. ۳۵ 35
କସ୍ତ୍ୱାଂ ଶାସ୍ତୃତ୍ୱୱିଚାରଯିତୃତ୍ୱପଦଯୋ ର୍ନିଯୁକ୍ତୱାନ୍, ଇତି ୱାକ୍ୟମୁକ୍ତ୍ୱା ତୈ ର୍ୟୋ ମୂସା ଅୱଜ୍ଞାତସ୍ତମେୱ ଈଶ୍ୱରଃ ସ୍ତମ୍ବମଧ୍ୟେ ଦର୍ଶନଦାତ୍ରା ତେନ ଦୂତେନ ଶାସ୍ତାରଂ ମୁକ୍ତିଦାତାରଞ୍ଚ କୃତ୍ୱା ପ୍ରେଷଯାମାସ|
او با معجزات و آیاتی که مدت چهل سال در زمین مصر و بحر قلزم و صحرا به ظهورمی آورد، ایشان را بیرون آورد. ۳۶ 36
ସ ଚ ମିସରଦେଶେ ସୂଫ୍ନାମ୍ନି ସମୁଦ୍ରେ ଚ ପଶ୍ଚାତ୍ ଚତ୍ୱାରିଂଶଦ୍ୱତ୍ସରାନ୍ ଯାୱତ୍ ମହାପ୍ରାନ୍ତରେ ନାନାପ୍ରକାରାଣ୍ୟଦ୍ଭୁତାନି କର୍ମ୍ମାଣି ଲକ୍ଷଣାନି ଚ ଦର୍ଶଯିତ୍ୱା ତାନ୍ ବହିଃ କୃତ୍ୱା ସମାନିନାଯ|
این همان موسی است که به بنی‌اسرائیل گفت: “خدا نبی‌ای را مثل من از میان برادران شما برای شما مبعوث خواهد کرد. سخن او را بشنوید.” ۳۷ 37
ପ୍ରଭୁଃ ପରମେଶ୍ୱରୋ ଯୁଷ୍ମାକଂ ଭ୍ରାତୃଗଣସ୍ୟ ମଧ୍ୟେ ମାଦୃଶମ୍ ଏକଂ ଭୱିଷ୍ୟଦ୍ୱକ୍ତାରମ୍ ଉତ୍ପାଦଯିଷ୍ୟତି ତସ୍ୟ କଥାଯାଂ ଯୂଯଂ ମନୋ ନିଧାସ୍ୟଥ, ଯୋ ଜନ ଇସ୍ରାଯେଲଃ ସନ୍ତାନେଭ୍ୟ ଏନାଂ କଥାଂ କଥଯାମାସ ସ ଏଷ ମୂସାଃ|
همین است آنکه در جماعت در صحرا باآن فرشته‌ای که در کوه سینا بدو سخن می‌گفت وبا پدران ما بود و کلمات زنده را یافت تا به مارساند، ۳۸ 38
ମହାପ୍ରାନ୍ତରସ୍ଥମଣ୍ଡଲୀମଧ୍ୟେଽପି ସ ଏୱ ସୀନଯପର୍ୱ୍ୱତୋପରି ତେନ ସାର୍ଦ୍ଧଂ ସଂଲାପିନୋ ଦୂତସ୍ୟ ଚାସ୍ମତ୍ପିତୃଗଣସ୍ୟ ମଧ୍ୟସ୍ଥଃ ସନ୍ ଅସ୍ମଭ୍ୟଂ ଦାତୱ୍ୟନି ଜୀୱନଦାଯକାନି ୱାକ୍ୟାନି ଲେଭେ|
که پدران ما نخواستند او را مطیع شوندبلکه او را رد کرده، دلهای خود را به سوی مصرگردانیدند، ۳۹ 39
ଅସ୍ମାକଂ ପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷାସ୍ତମ୍ ଅମାନ୍ୟଂ କତ୍ୱା ସ୍ୱେଭ୍ୟୋ ଦୂରୀକୃତ୍ୟ ମିସରଦେଶଂ ପରାୱୃତ୍ୟ ଗନ୍ତୁଂ ମନୋଭିରଭିଲଷ୍ୟ ହାରୋଣଂ ଜଗଦୁଃ,
و به هارون گفتند: “برای ما خدایان ساز که در‌پیش ما بخرامند زیرا این موسی که ما رااز زمین مصر برآورد، نمی دانیم او را چه شده است.” ۴۰ 40
ଅସ୍ମାକମ୍ ଅଗ୍ରେଽଗ୍ରେ ଗନ୍ତୁମ୍ ଅସ୍ମଦର୍ଥଂ ଦେୱଗଣଂ ନିର୍ମ୍ମାହି ଯତୋ ଯୋ ମୂସା ଅସ୍ମାନ୍ ମିସରଦେଶାଦ୍ ବହିଃ କୃତ୍ୱାନୀତୱାନ୍ ତସ୍ୟ କିଂ ଜାତଂ ତଦସ୍ମାଭି ର୍ନ ଜ୍ଞାଯତେ|
پس در آن ایام گوساله‌ای ساختند وبدان بت قربانی گذرانیده به اعمال دستهای خودشادی کردند. ۴۱ 41
ତସ୍ମିନ୍ ସମଯେ ତେ ଗୋୱତ୍ସାକୃତିଂ ପ୍ରତିମାଂ ନିର୍ମ୍ମାଯ ତାମୁଦ୍ଦିଶ୍ୟ ନୈୱେଦ୍ୟମୁତ୍ମୃଜ୍ୟ ସ୍ୱହସ୍ତକୃତୱସ୍ତୁନା ଆନନ୍ଦିତୱନ୍ତଃ|
از این جهت خدا رو گردانیده، ایشان را واگذاشت تا جنود آسمان را پرستش نمایند، چنانکه در صحف انبیا نوشته شده است که “ای خاندان اسرائیل، آیا مدت چهل سال دربیابان برای من قربانی‌ها و هدایا گذرانیدید؟ ۴۲ 42
ତସ୍ମାଦ୍ ଈଶ୍ୱରସ୍ତେଷାଂ ପ୍ରତି ୱିମୁଖଃ ସନ୍ ଆକାଶସ୍ଥଂ ଜ୍ୟୋତିର୍ଗଣଂ ପୂଜଯିତୁଂ ତେଭ୍ୟୋଽନୁମତିଂ ଦଦୌ, ଯାଦୃଶଂ ଭୱିଷ୍ୟଦ୍ୱାଦିନାଂ ଗ୍ରନ୍ଥେଷୁ ଲିଖିତମାସ୍ତେ, ଯଥା, ଇସ୍ରାଯେଲୀଯୱଂଶା ରେ ଚତ୍ୱାରିଂଶତ୍ସମାନ୍ ପୁରା| ମହତି ପ୍ରାନ୍ତରେ ସଂସ୍ଥା ଯୂଯନ୍ତୁ ଯାନି ଚ| ବଲିହୋମାଦିକର୍ମ୍ମାଣି କୃତୱନ୍ତସ୍ତୁ ତାନି କିଂ| ମାଂ ସମୁଦ୍ଦିଶ୍ୟ ଯୁଷ୍ମାଭିଃ ପ୍ରକୃତାନୀତି ନୈୱ ଚ|
وخیمه ملوک و کوکب، خدای خود رمفان رابرداشتید یعنی اصنامی را که ساختید تا آنها راعبادت کنید. پس شما را بدان طرف بابل منتقل سازم.” ۴۳ 43
କିନ୍ତୁ ୱୋ ମୋଲକାଖ୍ୟସ୍ୟ ଦେୱସ୍ୟ ଦୂଷ୍ୟମେୱ ଚ| ଯୁଷ୍ମାକଂ ରିମ୍ଫନାଖ୍ୟାଯା ଦେୱତାଯାଶ୍ଚ ତାରକା| ଏତଯୋରୁଭଯୋ ର୍ମୂର୍ତୀ ଯୁଷ୍ମାଭିଃ ପରିପୂଜିତେ| ଅତୋ ଯୁଷ୍ମାଂସ୍ତୁ ବାବେଲଃ ପାରଂ ନେଷ୍ୟାମି ନିଶ୍ଚିତଂ|
و خیمه شهادت با پدران ما در صحرابود چنانکه امر فرموده، به موسی گفت: “آن رامطابق نمونه‌ای که دیده‌ای بساز.” ۴۴ 44
ଅପରଞ୍ଚ ଯନ୍ନିଦର୍ଶନମ୍ ଅପଶ୍ୟସ୍ତଦନୁସାରେଣ ଦୂଷ୍ୟଂ ନିର୍ମ୍ମାହି ଯସ୍ମିନ୍ ଈଶ୍ୱରୋ ମୂସାମ୍ ଏତଦ୍ୱାକ୍ୟଂ ବଭାଷେ ତତ୍ ତସ୍ୟ ନିରୂପିତଂ ସାକ୍ଷ୍ୟସ୍ୱରୂପଂ ଦୂଷ୍ୟମ୍ ଅସ୍ମାକଂ ପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷୈଃ ସହ ପ୍ରାନ୍ତରେ ତସ୍ଥୌ|
و آن را اجداد ما یافته، همراه یوشع درآوردند به ملک امت هایی که خدا آنها را ازپیش روی پدران ما بیرون افکند تا ایام داود. ۴۵ 45
ପଶ୍ଚାତ୍ ଯିହୋଶୂଯେନ ସହିତୈସ୍ତେଷାଂ ୱଂଶଜାତୈରସ୍ମତ୍ପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷୈଃ ସ୍ୱେଷାଂ ସମ୍ମୁଖାଦ୍ ଈଶ୍ୱରେଣ ଦୂରୀକୃତାନାମ୍ ଅନ୍ୟଦେଶୀଯାନାଂ ଦେଶାଧିକୃତିକାଲେ ସମାନୀତଂ ତଦ୍ ଦୂଷ୍ୟଂ ଦାଯୂଦୋଧିକାରଂ ଯାୱତ୍ ତତ୍ର ସ୍ଥାନ ଆସୀତ୍|
که او در حضور خدا مستفیض گشت و درخواست نمود که خود مسکنی برای خدای یعقوب پیدانماید. ۴۶ 46
ସ ଦାଯୂଦ୍ ପରମେଶ୍ୱରସ୍ୟାନୁଗ୍ରହଂ ପ୍ରାପ୍ୟ ଯାକୂବ୍ ଈଶ୍ୱରାର୍ଥମ୍ ଏକଂ ଦୂଷ୍ୟଂ ନିର୍ମ୍ମାତୁଂ ୱୱାଞ୍ଛ;
اما سلیمان برای او خانه‌ای بساخت. ۴۷ 47
କିନ୍ତୁ ସୁଲେମାନ୍ ତଦର୍ଥଂ ମନ୍ଦିରମ୍ ଏକଂ ନିର୍ମ୍ମିତୱାନ୍|
و لیکن حضرت اعلی در خانه های مصنوع دستها ساکن نمی شود چنانکه نبی گفته است ۴۸ 48
ତଥାପି ଯଃ ସର୍ୱ୍ୱୋପରିସ୍ଥଃ ସ କସ୍ମିଂଶ୍ଚିଦ୍ ହସ୍ତକୃତେ ମନ୍ଦିରେ ନିୱସତୀତି ନହି, ଭୱିଷ୍ୟଦ୍ୱାଦୀ କଥାମେତାଂ କଥଯତି, ଯଥା,
که “خداوند می‌گوید آسمان کرسی من است وزمین پای انداز من. چه خانه‌ای برای من بنامی کنید و محل آرامیدن من کجاست؟ ۴۹ 49
ପରେଶୋ ୱଦତି ସ୍ୱର୍ଗୋ ରାଜସିଂହାସନଂ ମମ| ମଦୀଯଂ ପାଦପୀଠଞ୍ଚ ପୃଥିୱୀ ଭୱତି ଧ୍ରୁୱଂ| ତର୍ହି ଯୂଯଂ କୃତେ ମେ କିଂ ପ୍ରନିର୍ମ୍ମାସ୍ୟଥ ମନ୍ଦିରଂ| ୱିଶ୍ରାମାଯ ମଦୀଯଂ ୱା ସ୍ଥାନଂ କିଂ ୱିଦ୍ୟତେ ତ୍ୱିହ|
مگردست من جمیع این چیزها را نیافرید.” ۵۰ 50
ସର୍ୱ୍ୱାଣ୍ୟେତାନି ୱସ୍ତୂନି କିଂ ମେ ହସ୍ତକୃତାନି ନ||
‌ای گردنکشان که به دل و گوش نامختونید، شما پیوسته با روح‌القدس مقاومت می‌کنید، چنانکه پدران شما همچنین شما. ۵۱ 51
ହେ ଅନାଜ୍ଞାଗ୍ରାହକା ଅନ୍ତଃକରଣେ ଶ୍ରୱଣେ ଚାପୱିତ୍ରଲୋକାଃ ଯୂଯମ୍ ଅନୱରତଂ ପୱିତ୍ରସ୍ୟାତ୍ମନଃ ପ୍ରାତିକୂଲ୍ୟମ୍ ଆଚରଥ, ଯୁଷ୍ମାକଂ ପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷା ଯାଦୃଶା ଯୂଯମପି ତାଦୃଶାଃ|
کیست ازانبیا که پدران شما بدو جفا نکردند؟ و آنانی راکشتند که از آمدن آن عادلی که شما بالفعل تسلیم کنندگان و قاتلان او شدید، پیش اخبارنمودند. ۵۲ 52
ଯୁଷ୍ମାକଂ ପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷାଃ କଂ ଭୱିଷ୍ୟଦ୍ୱାଦିନଂ ନାତାଡଯନ୍? ଯେ ତସ୍ୟ ଧାର୍ମ୍ମିକସ୍ୟ ଜନସ୍ୟାଗମନକଥାଂ କଥିତୱନ୍ତସ୍ତାନ୍ ଅଘ୍ନନ୍ ଯୂଯମ୍ ଅଧୂନା ୱିଶ୍ୱାସଘାତିନୋ ଭୂତ୍ୱା ତଂ ଧାର୍ମ୍ମିକଂ ଜନମ୍ ଅହତ|
شما که به توسط فرشتگان شریعت رایافته، آن را حفظ نکردید!» ۵۳ 53
ଯୂଯଂ ସ୍ୱର୍ଗୀଯଦୂତଗଣେନ ୱ୍ୟୱସ୍ଥାଂ ପ୍ରାପ୍ୟାପି ତାଂ ନାଚରଥ|
چون این را شنیدند دلریش شده، بر وی دندانهای خود را فشردند. ۵۴ 54
ଇମାଂ କଥାଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ତେ ମନଃସୁ ବିଦ୍ଧାଃ ସନ୍ତସ୍ତଂ ପ୍ରତି ଦନ୍ତଘର୍ଷଣମ୍ ଅକୁର୍ୱ୍ୱନ୍|
اما او از روح‌القدس پر بوده، به سوی آسمان نگریست و جلال خدا رادید و عیسی را بدست راست خدا ایستاده وگفت: ۵۵ 55
କିନ୍ତୁ ସ୍ତିଫାନଃ ପୱିତ୍ରେଣାତ୍ମନା ପୂର୍ଣୋ ଭୂତ୍ୱା ଗଗଣଂ ପ୍ରତି ସ୍ଥିରଦୃଷ୍ଟିଂ କୃତ୍ୱା ଈଶ୍ୱରସ୍ୟ ଦକ୍ଷିଣେ ଦଣ୍ଡାଯମାନଂ ଯୀଶୁଞ୍ଚ ୱିଲୋକ୍ୟ କଥିତୱାନ୍;
«اینک آسمان را گشاده، و پسر انسان رابه‌دست راست خدا ایستاده می‌بینم.» ۵۶ 56
ପଶ୍ୟ, ମେଘଦ୍ୱାରଂ ମୁକ୍ତମ୍ ଈଶ୍ୱରସ୍ୟ ଦକ୍ଷିଣେ ସ୍ଥିତଂ ମାନୱସୁତଞ୍ଚ ପଶ୍ୟାମି|
آنگاه به آواز بلند فریاد برکشیدند و گوشهای خود راگرفته، به یکدل بر او حمله کردند، ۵۷ 57
ତଦା ତେ ପ୍ରୋଚ୍ଚୈଃ ଶବ୍ଦଂ କୃତ୍ୱା କର୍ଣେଷ୍ୱଙ୍ଗୁଲୀ ର୍ନିଧାଯ ଏକଚିତ୍ତୀଭୂଯ ତମ୍ ଆକ୍ରମନ୍|
و از شهربیرون کشیده، سنگسارش کردند. و شاهدان، جامه های خود را نزد پایهای جوانی که سولس نام داشت گذاردند. ۵۸ 58
ପଶ୍ଚାତ୍ ତଂ ନଗରାଦ୍ ବହିଃ କୃତ୍ୱା ପ୍ରସ୍ତରୈରାଘ୍ନନ୍ ସାକ୍ଷିଣୋ ଲାକାଃ ଶୌଲନାମ୍ନୋ ଯୂନଶ୍ଚରଣସନ୍ନିଧୌ ନିଜୱସ୍ତ୍ରାଣି ସ୍ଥାପିତୱନ୍ତଃ|
و چون استیفان را سنگسارمی کردند، او دعا نموده، گفت: «ای عیسی خداوند، روح مرا بپذیر.» ۵۹ 59
ଅନନ୍ତରଂ ହେ ପ୍ରଭୋ ଯୀଶେ ମଦୀଯମାତ୍ମାନଂ ଗୃହାଣ ସ୍ତିଫାନସ୍ୟେତି ପ୍ରାର୍ଥନୱାକ୍ୟୱଦନସମଯେ ତେ ତଂ ପ୍ରସ୍ତରୈରାଘ୍ନନ୍|
پس زانو زده، به آوازبلند ندا در‌داد که «خداوندا این گناه را بر اینهامگیر.» این را گفت و خوابید. ۶۰ 60
ତସ୍ମାତ୍ ସ ଜାନୁନୀ ପାତଯିତ୍ୱା ପ୍ରୋଚ୍ଚୈଃ ଶବ୍ଦଂ କୃତ୍ୱା, ହେ ପ୍ରଭେ ପାପମେତଦ୍ ଏତେଷୁ ମା ସ୍ଥାପଯ, ଇତ୍ୟୁକ୍ତ୍ୱା ମହାନିଦ୍ରାଂ ପ୍ରାପ୍ନୋତ୍|

< کارهای رسولان 7 >