< اول سموئیل 2 >
و حنا دعا نموده، گفت: «دل من در خداوند وجد مینماید. و شاخ من در نزد خداوند برافراشته شده. و دهانم بر دشمنانم وسیع گردیده است. زیرا که در نجات تو شادمان هستم. | ۱ 1 |
और हन्ना ने दुआ की और कहा, मेरा दिल ख़ुदावन्द मैं ख़ुश है: मेरा सींग ख़ुदावन्द के तुफ़ैल से ऊँचा हुआ। मेरा मुँह मेरे दुश्मनों पर खुल गया है क्यूँकि मैं तेरी नजात से ख़ुश हूँ।
مثل یهوه قدوسی نیست. زیرا غیر از تو کسی نیست. و مثل خدای ما صخرهای نیست. | ۲ 2 |
“ख़ुदावन्द की तरह कोई पाक नहीं क्यूँकि तेरे सिवा और कोई है ही नहीं और न कोई चटटान है जो हमारे ख़ुदा की तरह हो
سخنان تکبرآمیز دیگر مگویید. و غرور از دهان شما صادر نشود. زیرا یهوه خدای علام است. وبه او اعمال، سنجیده میشود. | ۳ 3 |
इस क़दर ग़ुरूर से और बातें न करो और बड़ा बोल तुम्हारे मुहँ से न निकले; क्यूँकि ख़ुदावन्द ख़ुदा — ए — 'अलीम है, और 'आमाल का तोलने वाला है।
کمان جباران را شکسته است. و آنانی که میلغزیدند، کمر آنها به قوت بسته شد. | ۴ 4 |
ताक़तवरों की कमाने टूट गईं और जो लड़खड़ाते थे वह ताक़त से कमर बस्ता हुए।
سیرشدگان، خویشتن را برای نان اجیر ساختند. و کسانی که گرسنه بودند، استراحت یافتند. بلکه زن نازا هفت فرزند زاییده است. و آنکه اولادبسیار داشت، زبون گردیده. | ۵ 5 |
वह जो आसूदा थे रोटी की ख़ातिर मज़दूर बनें और जो भूके थे ऐसे न रहे, बल्कि जो बाँझ थी उस के साथ हुए, और जिसके पास बहुत बच्चे हैं वह घुलती जाती है।
خداوند میمیراند و زنده میکند؛ به قبر فرودمی آورد و برمی خیزاند. (Sheol ) | ۶ 6 |
ख़ुदावन्द मारता है और जिलाता है; वही क़ब्र मैं उतारता और उससे निकालता है। (Sheol )
خداوند فقیر میسازد و غنی میگرداند؛ پست میکند و بلند میسازد. | ۷ 7 |
ख़ुदावन्द ग़रीब कर देता और दौलतमंद बनाता है, वही पस्त करता और बुलंद भी करता है।
فقیر را از خاک برمی افرازد. و مسکین را از مزبله برمی دارد تا ایشان را با امیران بنشاند. و ایشان راوارث کرسی جلال گرداند. زیرا که ستونهای زمین از آن خداوند است. و ربع مسکون را بر آنهااستوار نموده است. | ۸ 8 |
वह ग़रीब को ख़ाक पर से उठाता, और कंगाल को घूरे में से निकाल खड़ा करता है ताकि इनको शहज़ादों के साथ बिठाए, और जलाल के तख़्त का वारिस बनाए; क्यूँकि ज़मीन के सुतून ख़ुदावन्द के हैं उसने दुनिया को उन ही पर क़ाईम किया है।
پایهای مقدسین خود را محفوظ میدارد. اماشریران در ظلمت خاموش خواهند شد، زیرا که انسان به قوت خود غالب نخواهد آمد. | ۹ 9 |
वह अपने मुक़द्दसों के पाँव को संभाले रहेगा, लेकिन शरीर अँधेरे मैं ख़ामोश किए जायेंगे क्यूँकि ताक़त ही से कोई फ़तह नहीं पाएगा।
آنانی که با خداوند مخاصمه کنند، شکسته خواهند شد. او بر ایشان از آسمان صاعقه خواهدفرستاد. خداوند، اقصای زمین را داوری خواهدنمود، و به پادشاه خود قوت خواهد بخشید. وشاخ مسیح خود را بلند خواهد گردانید.» | ۱۰ 10 |
जो ख़ुदावन्द से झगड़ते हैं वह टुकड़े टुकड़े कर दिए जाएँगे; वह उन के ख़िलाफ़ आस्मान में गरजेगा ख़ुदावन्द ज़मीन के किनारों का इंसाफ करेगा, वह अपने बादशाह को ताक़त बख़्शेगा, और अपने मम्सूह के सींग को बुलंद करेगा।”
پس القانه به خانه خود به راما رفت و آن پسر به حضور عیلی کاهن، خداوند را خدمت مینمود. | ۱۱ 11 |
तब इल्क़ाना रामा को अपने घर चला गया; और एली काहिन के सामने वह लड़का ख़ुदावन्द की ख़िदमत करने लगा।
و پسران عیلی از بنی بلیعال بودند وخداوند را نشناختند. | ۱۲ 12 |
और एली के बेटे बहुत शरीर थे; उन्होंने ख़ुदावन्द को न पहचाना।
و عادت کاهنان با قوم این بود که چون کسی قربانی میگذرانید هنگامی که گوشت پخته میشد، خادم کاهن با چنگال سه دندانه در دست خود میآمد | ۱۳ 13 |
और काहिनों का दस्तूर लोगों के साथ यह था, कि जब कोई शख़्स क़ुर्बानी करता था तो काहिन का नोंकर गोश्त उबालने के वक़त एक सहशाखा काँटा अपने हाथ मैं लिए हुए आता था;
و آن را به تاوه یامرجل یا دیگ یا پاتیل فرو برده، هرچه چنگال برمی آورد کاهن آن را برای خود میگرفت، وهمچنین با تمامی اسرائیل که در آنجا به شیلوه میآمدند، رفتار مینمودند. | ۱۴ 14 |
और उसको कढ़ाह या दिग्चे या हांडे या हांड़ी में डालता और जितना गोश्त उस काँटे में लग जाता उसे काहिन अपने आप लेता था। यूँ ही वह शीलोह में सब इस्राईलियों से किया करते थे जो वहाँ आते थे
و نیز قبل ازسوزانیدن پیه، خادم کاهن آمده، به کسیکه قربانی میگذرانید، میگفت: «گوشت به جهت کباب برای کاهن بده، زیرا گوشت پخته از تونمی گیرد بلکه خام.» | ۱۵ 15 |
बल्कि चर्बी जलाने से पहले काहिन का नोकर आ मौजूद होता, और उस शख़्स से जो क़ुर्बानी पेश करता यह कहने लगता था, “काहिन के लिए कबाब के वास्ते गोश्त दे, क्यूँकि वह तुझ से उबला हुआ गोश्त नहीं बल्कि कच्चा लेगा।”
و آن مرد به وی میگفت: «پیه را اول بسوزانند و بعد هرچه دلت میخواهدبرای خود بگیر.» او میگفت: «نی، بلکه الان بده، والا به زور میگیرم.» | ۱۶ 16 |
और अगर वह शख़्स यह कहता कि अभी वह चर्बी को ज़रूर जलायेंगे तब जितना तेरा जी चाहे ले लेना “तो वह उसे जवाब देता नहीं तू मुझे अभी दे नही तो मैं छीन कर ले जाऊँगा।”
پس گناهان آن جوانان به حضور خداوند بسیار عظیم بود، زیرا که مردمان هدایای خداوند را مکروه میداشتند. | ۱۷ 17 |
इसलिए उन जवानों का गुनाह ख़ुदावन्द के सामने बहुत बड़ा था क्यूँकि लोग ख़ुदावन्द की क़ुर्बानी से नफ़रत करने लगे थे।
و اما سموئیل به حضور خداوند خدمت می کرد، و او پسر کوچک بود و بر کمرش ایفودکتان بسته بود. | ۱۸ 18 |
लेकिन समुएल जो लड़का था, कतान का अफ़ूद पहने हुए ख़ुदावन्द के सामने ख़िदमत करता था।
و مادرش برای وی جبه کوچک میساخت، و آن را سال به سال همراه خودمی آورد، هنگامی که با شوهر خود برمی آمد تاقربانی سالیانه را بگذرانند. | ۱۹ 19 |
और उस की माँ उस के लिए एक छोटा सा जुब्बा बनाकर साल ब साल लाती जब वह अपने शौहर के साथ सालाना क़ुर्बानी पेश करने आती थी।
و عیلی القانه وزنش را برکت داده، گفت: «خداوند تو را از این زن به عوض عاریتی که به خداوند دادهای، اولادبدهد.» پس به مکان خود رفتند. | ۲۰ 20 |
और एली ने इल्क़ाना और उस की बीवी को दुआ दी और कहा, “ख़ुदावन्द तुझको इस 'औरत से उस क़र्ज़ के बदले में जो ख़ुदावन्द को दिया गया नसल दे।” फिर वह अपने घर गये।
و خداوند از حنا تفقد نمود و او حامله شده، سه پسر و دو دختر زایید، و آن پسر، سموئیل به حضور خداوند نمو میکرد. | ۲۱ 21 |
और ख़ुदावन्द ने हन्ना पर नज़र की और वह हामिला हुई, और उसके तीन बेटे और दो बेटियाँ हुईं, और वह लड़का समुएल ख़ुदावन्द के सामने बढ़ता गया।
و عیلی بسیار سالخورده شده بود، و هرچه پسرانش با تمامی اسرائیل عمل مینمودند، میشنید، و اینکه چگونه با زنانی که نزد در خیمه اجتماع خدمت میکردند، میخوابیدند. | ۲۲ 22 |
एली बहुत बुड्ढा हो गया था, और उसने सब कुछ सुना कि उसके बेटे सारे इस्राईल से क्या किया करते हैं और उन 'औरतों से जो ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर ख़िदमत करती थी हम आग़ोशी करते हैं।
پس به ایشان گفت: «چرا چنین کارها میکنید زیرا که اعمال بد شما را از تمامی این قوم میشنوم. | ۲۳ 23 |
और उस ने उन से कहा, तुम ऐसा क्यूँ करते हो? क्यूँकि मैं तुम्हारी बदज़ातियाँ पूरी क़ौम से सुनता हूँ?
چنین مکنیدای پسرانم زیرا خبری که میشنوم خوب نیست، شما باعث عصیان قوم خداوند میباشید. | ۲۴ 24 |
नहीं मेरे बेटों ये अच्छी बात नहीं जो मैं सुनता हूँ; तुम ख़ुदावन्द के लोगों से नाफ़रमानी कराते हो।
اگر شخصی بر شخصی گناه ورزد خدا او را داوری خواهد کرد اما اگرشخصی بر خداوند گناه ورزد، کیست که برای وی شفاعت نماید؟» اما ایشان سخن پدر خود رانشنیدند، زیرا خداوند خواست که ایشان راهلاک سازد. | ۲۵ 25 |
अगर एक आदमी दूसरे का गुनाह करे तो ख़ुदा उसका इंसाफ करेगा लेकिन अगर आदमी ख़ुदावन्द का गुनाह करे तो उस की शफ़ा'अत क़ौन करेगा? बावजूद इसके उन्होंने अपने बाप का कहना न माना; क्यूँकि ख़ुदावन्द उनको मार डालना चाहता था।
و آن پسر، سموئیل، نمو مییافت و هم نزدخداوند و هم نزد مردمان پسندیده میشد. | ۲۶ 26 |
और वह लड़का समुएल बढ़ता गया और ख़ुदावन्द और इंसान दोनों का मक़बूल था।
و مرد خدایی نزد عیلی آمده، به وی گفت: «خداوند چنین میگوید: آیا خود را بر خاندان پدرت هنگامی که ایشان در مصر در خانه فرعون بودند، ظاهر نساختم؟ | ۲۷ 27 |
तब एक नबी एली के पास आया और उससे कहने लगा, ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है क्या मैं तेरे आबाई ख़ानदान पर जब वह मिस्र में फ़िर'औन के ख़ानदान की ग़ुलामी में था ज़ाहिर नहीं हुआ?
و آیا او را از جمیع اسباط اسرائیل برنگزیدم تا کاهن من بوده، نزدمذبح من بیاید. و بخور بسوزاند و به حضور من ایفود بپوشد، وآیا جمیع هدایای آتشین بنیاسرائیل را به خاندان پدرت نبخشیدم؟ | ۲۸ 28 |
और क्या मैंने उसे बनी इस्राईल के सब क़बीलों में से चुन न लिया, ताकि वह मेरा काहिन हो और मेरे मज़बह के पास जाकर ख़ुशबू जलाये और मेरे सामने अफ़ूद पहने और क्या मैंने सब क़ुर्बानियाँ जो बनी इस्राईल आग से अदा करते है तेरे बाप को न दी?
پس چرا قربانیها و هدایای مرا که در مسکن خود امر فرمودم، پایمال میکنید و پسران خود رازیاده از من محترم میداری، تا خویشتن را ازنیکوترین جمیع هدایای قوم من، اسرائیل فربه سازی. | ۲۹ 29 |
तब तुम क्यूँ मेरे उस क़ुर्बानी और हदिये को जिनका हुक्म मैंने अपने घर में दिया लात मारते हो? और क्यूँ तू अपने बेटों की मुझ से ज़्यादा 'इज़्ज़त करता है, ताकि तुम मेरी क़ौम इस्राईल के अच्छे से अच्छे हदियों को खाकर मोटे बनो।
بنابراین یهوه، خدای اسرائیل میگوید: البته گفتم که خاندان تو و خاندان پدرت به حضور من تا به ابد سلوک خواهند نمود، لیکن الان خداوند میگوید: حاشا از من! زیرا آنانی که مرا تکریم نمایند، تکریم خواهم نمود و کسانی که مرا حقیر شمارند، خوار خواهند شد. | ۳۰ 30 |
इसलिए ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा फ़रमाता है कि मैंने तो कहा, था कि तेरा घराना और तेरे बाप का घराना हमेशा मेरे सामने चलेगा लेकिन अब ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि यह बात अब मुझ से दूर हो, क्यूँकि वह जो मेरी 'इज़्ज़त करते है मैं उन की 'इज़्ज़त करूँगा लेकिन वह जो मेरी हिक़ारत करते है बेक़द्र होंगे
اینک ایامی میآید که بازوی تو را و بازوی خاندان پدرتو را قطع خواهم نمود که مردی پیر در خانه تویافت نشود. | ۳۱ 31 |
देख वह दिन आते हैं कि मैं तेरा बाज़ू और तेरे बाप के घराने का बाज़ू काट डालूँगा, कि तेरे घर में कोई बुड्ढा होने न पाएगा।
و تنگی مسکن مرا خواهی دید، در هر احسانی که به اسرائیل خواهد شد، و مردی پیر در خانه تو ابد نخواهد بود. | ۳۲ 32 |
और तू मेरे घर की मुसीबत देखेगा बावजूद उस सारी दौलत के जो ख़ुदा इस्राईल को देगा और तेरे घर में कभी कोई बुड्ढा होने न पाएगा
و شخصی رااز کسان تو که از مذبح خود قطع نمی نمایم برای کاهیدن چشم تو و رنجانیدن دلت خواهد بود، وجمیع ذریت خانه تو در جوانی خواهند مرد. | ۳۳ 33 |
और तेरे जिस आदमी को मैं अपने मज़बह से काट नहीं डालूँगा वह तेरी आँखों को घुलाने और तेरे दिल को दुख देने के लिए रहेगा और तेरे घर की सब बढ़ती अपनी भरी जवानी में मर मिटेगी।
واین برای تو علامت باشد که بر دو پسرت حفنی وفینحاس واقع میشود که هر دوی ایشان در یک روز خواهند مرد. | ۳۴ 34 |
और जो कुछ तेरे दोनों बेटों हुफ़्नी फ़ीन्हास पर नाज़िल होगा वही तेरे लिए निशान ठहरेगा; वह दोनों एक ही दिन मर जाएँगे।
و کاهن امینی به جهت خودبرپا خواهم داشت که موافق دل و جان من رفتارخواهد نمود، و برای او خانه مستحکمی بنا خواهم کرد، و به حضور مسیح من پیوسته سلوک خواهد نمود. | ۳۵ 35 |
और मैं अपने लिए एक वफ़ादार काहिन पैदा करूँगा जो सब कुछ मेरी मर्ज़ी और मंशा के मुताबिक़ करेगा, और मैं उस के लिए एक पायदार घर बनाऊँगा और वह हमेशा मेरे मम्सूह के आगे आगे चलेगा
و واقع خواهد شد که هرکه درخانه تو باقی ماند، آمده، نزد او به جهت پارهای نقره و قرص نانی تعظیم خواهد نمود و خواهدگفت: تمنا اینکه مرا به یکی از وظایف کهانت بگذار تا لقمهای نان بخورم.» | ۳۶ 36 |
और ऐसा होगा की हर एक शख्स़ जो तेरे घर में बच रहेगा, एक टुकड़े चाँदी और रोटी के एक टुकड़े के लिए उस के सामने आकर सिज्दा करेगा और कहेगा, कि कहानत का कोई काम मुझे दीजिए ताकि मैं रोटी का निवाला खा सकूँ।