< 1 राजा 2 >

1 जब दावीद की मृत्यु का समय निकट आया, उन्होंने अपने पुत्र शलोमोन को ये आदेश दिए:
וַיִּקְרְב֥וּ יְמֵֽי־דָוִ֖ד לָמ֑וּת וַיְצַ֛ו אֶת־שְׁלֹמֹ֥ה בְנ֖וֹ לֵאמֹֽר׃
2 “संसार की रीति के अनुसार मैं जा रहा हूं, तुम्हें मजबूत होना होगा और तुम्हें पुरुषार्थ दिखाना होगा.
אָנֹכִ֣י הֹלֵ֔ךְ בְּדֶ֖רֶךְ כָּל־הָאָ֑רֶץ וְחָזַקְתָּ֖ וְהָיִ֥יתָֽ לְאִֽישׁ׃
3 परमेश्वर के नियमों के पालन की जो जवाबदारी याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें सौंपी है—उनके नियमों का पालन करने का, उनकी विधियों का पालन करने का, उनकी आज्ञा, चितौनियों और गवाहियों का पालन करने का, जैसा कि मोशेह की व्यवस्था में लिखा है; कि तुम्हारा हर एक काम जिसमें तुम लगे होते हो, चाहे वह कैसा भी काम हो; करते हो, समृद्ध हो जाओ;
וְשָׁמַרְתָּ֞ אֶת־מִשְׁמֶ֣רֶת ׀ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֗יךָ לָלֶ֤כֶת בִּדְרָכָיו֙ לִשְׁמֹ֨ר חֻקֹּתָ֤יו מִצְוֺתָיו֙ וּמִשְׁפָּטָ֣יו וְעֵדְוֺתָ֔יו כַּכָּת֖וּב בְּתוֹרַ֣ת מֹשֶׁ֑ה לְמַ֣עַן תַּשְׂכִּ֗יל אֵ֚ת כָּל־אֲשֶׁ֣ר תַּֽעֲשֶׂ֔ה וְאֵ֛ת כָּל־אֲשֶׁ֥ר תִּפְנֶ֖ה שָֽׁם׃
4 जिससे याहवेह मेरे बारे में ली गई अपनी इस शपथ को पूरा कर सकें: ‘यदि तुम्हारे पुत्रों का व्यवहार मेरे सामने उनके पूरे हृदय और प्राण से सच्चा रहेगा, इस्राएल के सिंहासन पर बैठने के लिए तुम्हें कभी कमी न होगी.’
לְמַעַן֩ יָקִ֨ים יְהוָ֜ה אֶת־דְּבָר֗וֹ אֲשֶׁ֨ר דִּבֶּ֣ר עָלַי֮ לֵאמֹר֒ אִם־יִשְׁמְר֨וּ בָנֶ֜יךָ אֶת־דַּרְכָּ֗ם לָלֶ֤כֶת לְפָנַי֙ בֶּאֱמֶ֔ת בְּכָל־לְבָבָ֖ם וּבְכָל־נַפְשָׁ֑ם לֵאמֹ֕ר לֹֽא־יִכָּרֵ֤ת לְךָ֙ אִ֔ישׁ מֵעַ֖ל כִּסֵּ֥א יִשְׂרָאֵֽל׃
5 “इसके अलावा तुम्हें यह भी मालूम है कि ज़ेरुइयाह के पुत्र योआब ने मेरे साथ कैसा गलत व्यवहार किया था—उसने इस्राएल की सेना के दो सेनापतियों—नेर के पुत्र अबनेर और येथेर के पुत्र अमासा की किस प्रकार हत्या की थी. उसने मेल के समय में भी युद्ध के समान लहू बहाया था. ऐसा करके उसने अपने कमरबंध को और अपने जूतों को लहू से भिगो दिया.
וְגַ֣ם אַתָּ֣ה יָדַ֡עְתָּ אֵת֩ אֲשֶׁר־עָ֨שָׂה לִ֜י יוֹאָ֣ב בֶּן־צְרוּיָ֗ה אֲשֶׁ֣ר עָשָׂ֣ה לִשְׁנֵֽי־שָׂרֵ֣י צִבְא֣וֹת יִ֠שְׂרָאֵל לְאַבְנֵ֨ר בֶּן־נֵ֜ר וְלַעֲמָשָׂ֤א בֶן־יֶ֙תֶר֙ וַיַּ֣הַרְגֵ֔ם וַיָּ֥שֶׂם דְּמֵֽי־מִלְחָמָ֖ה בְּשָׁלֹ֑ם וַיִּתֵּ֞ן דְּמֵ֣י מִלְחָמָ֗ה בַּחֲגֹֽרָתוֹ֙ אֲשֶׁ֣ר בְּמָתְנָ֔יו וּֽבְנַעֲל֖וֹ אֲשֶׁ֥ר בְּרַגְלָֽיו׃
6 अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल करो और ध्यान रहे कि उसके लिए वह इस बुढ़ापे में पहुंचकर शांति से अधोलोक में प्रवेश न कर सके. (Sheol h7585)
וְעָשִׂ֖יתָ כְּחָכְמָתֶ֑ךָ וְלֹֽא־תוֹרֵ֧ד שֵׂיבָת֛וֹ בְּשָׁלֹ֖ם שְׁאֹֽל׃ ס (Sheol h7585)
7 “मगर गिलआदवासी बारज़िल्लई की संतान पर विशेष दया दिखाते रहना. ऐसा करना कि वे भोजन के लिए तुम्हारे साथ बैठा करें; क्योंकि जब मैं तुम्हारे भाई अबशालोम से छिपता हुआ भाग रहा था, उन्होंने मेरी बड़ी सहायता की थी.
וְלִבְנֵ֨י בַרְזִלַּ֤י הַגִּלְעָדִי֙ תַּֽעֲשֶׂה־חֶ֔סֶד וְהָי֖וּ בְּאֹכְלֵ֣י שֻׁלְחָנֶ֑ךָ כִּי־כֵן֙ קָרְב֣וּ אֵלַ֔י בְּבָרְחִ֕י מִפְּנֵ֖י אַבְשָׁל֥וֹם אָחִֽיךָ׃
8 “यह न भूलना कि इस समय तुम्हें बहुरीम के रहनेवाले बिन्यामिन वंशज गेरा के पुत्र शिमेई के बारे में भी निर्णय लेना है. जब मैं माहानाईम की ओर बढ़ रहा था, उसने मुझे कड़े शाप दिए थे. मगर जब मैं लौट रहा था, वह मुझसे मिलने यरदन नदी के किनारे तक आया था. मैंने जीवित याहवेह की शपथ लेकर उसे आश्वासन दिया, ‘मेरी तलवार उस पर कभी न उठेगी.’
וְהִנֵּ֣ה עִ֠מְּךָ שִֽׁמְעִ֨י בֶן־גֵּרָ֥א בֶן־הַיְמִינִי֮ מִבַּחֻרִים֒ וְה֤וּא קִֽלְלַ֙נִי֙ קְלָלָ֣ה נִמְרֶ֔צֶת בְּי֖וֹם לֶכְתִּ֣י מַחֲנָ֑יִם וְהֽוּא־יָרַ֤ד לִקְרָאתִי֙ הַיַּרְדֵּ֔ן וָאֶשָּׁ֨בַֽע ל֤וֹ בַֽיהוָה֙ לֵאמֹ֔ר אִם־אֲמִֽיתְךָ֖ בֶּחָֽרֶב׃
9 अब उसे दंड देने में ढिलाई न करना. तुम बुद्धिमान व्यक्ति हो, तुम्हें पता है कि सही क्या होगा. उसके बूढ़े शरीर को बिना लहू बहाए अधोलोक में उतरने न देना.” (Sheol h7585)
וְעַתָּה֙ אַל־תְּנַקֵּ֔הוּ כִּ֛י אִ֥ישׁ חָכָ֖ם אָ֑תָּה וְיָֽדַעְתָּ֙ אֵ֣ת אֲשֶׁ֣ר תַּֽעֲשֶׂה־לּ֔וֹ וְהוֹרַדְתָּ֧ אֶת־שֵׂיבָת֛וֹ בְּדָ֖ם שְׁאֽוֹל׃ (Sheol h7585)
10 इसके बाद दावीद अपने पूर्वजों में जा मिले. उन्हें उन्हीं के नगर की कब्र में रख दिया गया.
וַיִּשְׁכַּ֥ב דָּוִ֖ד עִם־אֲבֹתָ֑יו וַיִּקָּבֵ֖ר בְּעִ֥יר דָּוִֽד׃ פ
11 इस्राएल पर दावीद के शासन की अवधि चालीस साल थी. उन्होंने हेब्रोन में सात साल और येरूशलेम में तैंतीस साल शासन किया.
וְהַיָּמִ֗ים אֲשֶׁ֨ר מָלַ֤ךְ דָּוִד֙ עַל־יִשְׂרָאֵ֔ל אַרְבָּעִ֖ים שָׁנָ֑ה בְּחֶבְר֤וֹן מָלַךְ֙ שֶׁ֣בַע שָׁנִ֔ים וּבִירוּשָׁלִַ֣ם מָלַ֔ךְ שְׁלֹשִׁ֥ים וְשָׁלֹ֖שׁ שָׁנִֽים׃
12 शलोमोन अपने पिता दावीद के राज सिंहासन पर बैठे. उनका शासन इस समय बहुत बढ़िया तरीके से दृढ़ हो चुका था.
וּשְׁלֹמֹ֕ה יָשַׁ֕ב עַל־כִּסֵּ֖א דָּוִ֣ד אָבִ֑יו וַתִּכֹּ֥ן מַלְכֻת֖וֹ מְאֹֽד׃
13 एक दिन हेग्गीथ का पुत्र अदोनियाह शलोमोन की माता बैथशेबा से मिलने आया. बथशेबा ने उससे पूछा, “सब कुशल तो है न?” “जी हां, जी हां, सब कुशल है.” उसने उत्तर दिया.
וַיָּבֹ֞א אֲדֹנִיָּ֣הוּ בֶן־חַגֵּ֗ית אֶל־בַּת־שֶׁ֙בַע֙ אֵם־שְׁלֹמֹ֔ה וַתֹּ֖אמֶר הֲשָׁל֣וֹם בֹּאֶ֑ךָ וַיֹּ֖אמֶר שָׁלֽוֹם׃
14 उसने आगे कहना शुरू किया, “मुझे आपसे एक विनती करनी है.” बैथशेबा ने उत्तर दिया, “हां, कहो.”
וַיֹּ֕אמֶר דָּבָ֥ר לִ֖י אֵלָ֑יִךְ וַתֹּ֖אמֶר דַּבֵּֽר׃
15 तब उसने कहा, “आपको तो इस बात का पता है ही कि वास्तव में यह राज्य मेरा था—पूरे इस्राएल की उम्मीद मुझसे ही थी. फिर पासा पलट गया और राज्य मेरे भाई का हो गया; क्योंकि यह याहवेह द्वारा उसी के लिए पहले से तय किया गया था.
וַיֹּ֗אמֶר אַ֤תְּ יָדַ֙עַתְּ֙ כִּי־לִי֙ הָיְתָ֣ה הַמְּלוּכָ֔ה וְעָלַ֞י שָׂ֧מוּ כָֽל־יִשְׂרָאֵ֛ל פְּנֵיהֶ֖ם לִמְלֹ֑ךְ וַתִּסֹּ֤ב הַמְּלוּכָה֙ וַתְּהִ֣י לְאָחִ֔י כִּ֥י מֵיְהוָ֖ה הָ֥יְתָה לּֽוֹ׃
16 अब मैं आपसे सिर्फ एक विनती कर रहा हूं: कृपया मना न कीजिएगा.” बैथशेबा ने उससे कहा, “हां, कहो.”
וְעַתָּ֗ה שְׁאֵלָ֤ה אַחַת֙ אָֽנֹכִי֙ שֹׁאֵ֣ל מֵֽאִתָּ֔ךְ אַל־תָּשִׁ֖בִי אֶת־פָּנָ֑י וַתֹּ֥אמֶר אֵלָ֖יו דַּבֵּֽר׃
17 अदोनियाह ने कहना शुरू किया, “आप कृपया राजा शलोमोन से विनती करें कि वह मुझे शूनामी अबीशाग से विवाह करने की अनुमति दे दें; वह आपका कहना नहीं टालेंगे.”
וַיֹּ֗אמֶר אִמְרִי־נָא֙ לִשְׁלֹמֹ֣ה הַמֶּ֔לֶךְ כִּ֥י לֹֽא־יָשִׁ֖יב אֶת־פָּנָ֑יִךְ וְיִתֶּן־לִ֛י אֶת־אֲבִישַׁ֥ג הַשּׁוּנַמִּ֖ית לְאִשָּֽׁה׃
18 “ठीक है!” बैथशेबा ने उत्तर दिया, “तुम्हारी यह विनती मैं महाराज तक ज़रूर पहुंचा दूंगी.”
וַתֹּ֥אמֶר בַּת־שֶׁ֖בַע ט֑וֹב אָנֹכִ֕י אֲדַבֵּ֥ר עָלֶ֖יךָ אֶל־הַמֶּֽלֶךְ׃
19 तब बैथशेबा अदोनियाह के इस विषय को लेकर राजा शलोमोन के सामने गई. उन्हें देखकर राजा उठ खड़े हुए, और उनसे मिलने के पहले झुककर उन्हें नमस्कार किया. फिर वह अपने सिंहासन पर बैठ गए, उन्होंने आदेश दिया कि एक आसन उनकी माता के लिए लाया जाए. बैथशेबा उनके दाईं ओर उस आसन पर बैठ गईं.
וַתָּבֹ֤א בַת־שֶׁ֙בַע֙ אֶל־הַמֶּ֣לֶךְ שְׁלֹמֹ֔ה לְדַבֶּר־ל֖וֹ עַל־אֲדֹנִיָּ֑הוּ וַיָּקָם֩ הַמֶּ֨לֶךְ לִקְרָאתָ֜הּ וַיִּשְׁתַּ֣חוּ לָ֗הּ וַיֵּ֙שֶׁב֙ עַל־כִּסְא֔וֹ וַיָּ֤שֶׂם כִּסֵּא֙ לְאֵ֣ם הַמֶּ֔לֶךְ וַתֵּ֖שֶׁב לִֽימִינֽוֹ׃
20 बैथशेबा ने अपनी बात कहनी शुरू की, “मैं तुमसे एक छोटी सी विनती कर रही हूं; कृपया मना न करना.” “मेरी माता, आप कहिए तो! मैं मना नहीं करूंगा.” राजा ने उन्हें आश्वासन दिया.
וַתֹּ֗אמֶר שְׁאֵלָ֨ה אַחַ֤ת קְטַנָּה֙ אָֽנֹכִי֙ שֹׁאֶ֣לֶת מֵֽאִתָּ֔ךְ אַל־תָּ֖שֶׁב אֶת־פָּנָ֑י וַיֹּֽאמֶר־לָ֤הּ הַמֶּ֙לֶךְ֙ שַׁאֲלִ֣י אִמִּ֔י כִּ֥י לֹֽא־אָשִׁ֖יב אֶת־פָּנָֽיִךְ׃
21 तब बैथशेबा ने आगे कहा, “अपने भाई अदोनियाह को शूनामी अबीशाग से विवाह करने की अनुमति दे दो.”
וַתֹּ֕אמֶר יֻתַּ֖ן אֶת־אֲבִישַׁ֣ג הַשֻּׁנַמִּ֑ית לַאֲדֹנִיָּ֥הוּ אָחִ֖יךָ לְאִשָּֽׁה׃
22 राजा शलोमोन ने अपनी माता को उत्तर दिया, “मां, आप अदोनियाह के लिए सिर्फ शूनामी अबीशाग की ही विनती क्यों कर रही हैं? आप तो उसके लिए पूरा राज्य ही मांग सकती थी; वह तो मेरा बड़ा भाई है. ऐसी ही विनती आप पुरोहित अबीयाथर और ज़ेरुइयाह के पुत्र योआब के लिए भी कर सकती हैं!”
וַיַּעַן֩ הַמֶּ֨לֶךְ שְׁלֹמֹ֜ה וַיֹּ֣אמֶר לְאִמּ֗וֹ וְלָמָה֩ אַ֨תְּ שֹׁאֶ֜לֶת אֶת־אֲבִישַׁ֤ג הַשֻּׁנַמִּית֙ לַאֲדֹ֣נִיָּ֔הוּ וְשַֽׁאֲלִי־לוֹ֙ אֶת־הַמְּלוּכָ֔ה כִּ֛י ה֥וּא אָחִ֖י הַגָּד֣וֹל מִמֶּ֑נִּי וְלוֹ֙ וּלְאֶבְיָתָ֣ר הַכֹּהֵ֔ן וּלְיוֹאָ֖ב בֶּן־צְרוּיָֽה׃ פ
23 तब राजा शलोमोन ने याहवेह की शपथ लेते हुए कहा, “परमेश्वर मेरे साथ ऐसा ही, बल्कि इससे भी कहीं अधिक करें, यदि अदोनियाह अपनी इस बात का मूल्य अपने प्राणों से न चुकाए.
וַיִּשָּׁבַע֙ הַמֶּ֣לֶךְ שְׁלֹמֹ֔ה בַּֽיהוָ֖ה לֵאמֹ֑ר כֹּ֣ה יַֽעֲשֶׂה־לִּ֤י אֱלֹהִים֙ וְכֹ֣ה יוֹסִ֔יף כִּ֣י בְנַפְשׁ֔וֹ דִּבֶּר֙ אֲדֹ֣נִיָּ֔הוּ אֶת־הַדָּבָ֖ר הַזֶּֽה׃
24 क्योंकि जीवित याहवेह ने ही मुझे मेरे पिता दावीद के सिंहासन पर बैठाया है, उन्हीं ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार मुझे राजवंश दिया है. यह तय है कि आज ही अदोनियाह को प्राण-दंड दिया जाएगा.”
וְעַתָּ֗ה חַי־יְהוָה֙ אֲשֶׁ֣ר הֱכִינַ֗נִי ויושיביני עַל־כִּסֵּא֙ דָּוִ֣ד אָבִ֔י וַאֲשֶׁ֧ר עָֽשָׂה־לִ֛י בַּ֖יִת כַּאֲשֶׁ֣ר דִּבֵּ֑ר כִּ֣י הַיּ֔וֹם יוּמַ֖ת אֲדֹנִיָּֽהוּ׃
25 राजा शलोमोन ने यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह को यह जवाबदारी सौंपी, और उसके वार से अदोनियाह की मृत्यु हो गई.
וַיִּשְׁלַח֙ הַמֶּ֣לֶךְ שְׁלֹמֹ֔ה בְּיַ֖ד בְּנָיָ֣הוּ בֶן־יְהוֹיָדָ֑ע וַיִּפְגַּע־בּ֖וֹ וַיָּמֹֽת׃ ס
26 इसके बाद राजा ने पुरोहित अबीयाथर से कहा, “आप अनाथोथ चले जाइए, जहां आपकी पैतृक संपत्ति है. सही तो यह था कि आपको मृत्यु दंड दिया जाता, मगर इस समय मैं आपकी हत्या नहीं करूंगा, क्योंकि आपने मेरे पिता दावीद के सामने प्रभु याहवेह की वाचा के संदूक को उठाया था, साथ ही आप मेरे पिता के बुरे समय में उनके साथ बने रहे.”
וּלְאֶבְיָתָ֨ר הַכֹּהֵ֜ן אָמַ֣ר הַמֶּ֗לֶךְ עֲנָתֹת֙ לֵ֣ךְ עַל־שָׂדֶ֔יךָ כִּ֛י אִ֥ישׁ מָ֖וֶת אָ֑תָּה וּבַיּ֨וֹם הַזֶּ֜ה לֹ֣א אֲמִיתֶ֗ךָ כִּֽי־נָשָׂ֜אתָ אֶת־אֲר֨וֹן אֲדֹנָ֤י יְהֹוִה֙ לִפְנֵי֙ דָּוִ֣ד אָבִ֔י וְכִ֣י הִתְעַנִּ֔יתָ בְּכֹ֥ל אֲשֶֽׁר־הִתְעַנָּ֖ה אָבִֽי׃
27 यह कहते हुए शलोमोन ने अबीयाथर को याहवेह के पुरोहित के पद से हटा दिया, कि याहवेह का वह कहा हुआ वचन पूरा हो जाए, जो उन्होंने शीलो में एली के वंश के संबंध में कहा था.
וַיְגָ֤רֶשׁ שְׁלֹמֹה֙ אֶת־אֶבְיָתָ֔ר מִהְי֥וֹת כֹּהֵ֖ן לַֽיהוָ֑ה לְמַלֵּא֙ אֶת־דְּבַ֣ר יְהוָ֔ה אֲשֶׁ֥ר דִּבֶּ֛ר עַל־בֵּ֥ית עֵלִ֖י בְּשִׁלֹֽה׃ פ
28 जब योआब को इसकी ख़बर मिली, वह दौड़कर याहवेह के मिलनवाले तंबू में जा पहुंचा, और उसने जाकर वेदी के सींग पकड़ लिए. ज़ाहिर है कि योआब अदोनियाह के पक्ष में था; हालांकि अबशालोम के पक्ष में नहीं.
וְהַשְּׁמֻעָה֙ בָּ֣אָה עַד־יוֹאָ֔ב כִּ֣י יוֹאָ֗ב נָטָה֙ אַחֲרֵ֣י אֲדֹנִיָּ֔ה וְאַחֲרֵ֥י אַבְשָׁל֖וֹם לֹ֣א נָטָ֑ה וַיָּ֤נָס יוֹאָב֙ אֶל־אֹ֣הֶל יְהוָ֔ה וַֽיַּחֲזֵ֖ק בְּקַרְנ֥וֹת הַמִּזְבֵּֽחַ׃
29 जब राजा शलोमोन को यह बताया गया, योआब याहवेह के मिलनवाले तंबू को भाग गया है, और वह इस समय वेदी पर है, तो शलोमोन ने यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह को आदेश दिया, “जाओ, उसे वहीं खत्म कर दो!”
וַיֻּגַּ֞ד לַמֶּ֣לֶךְ שְׁלֹמֹ֗ה כִּ֣י נָ֤ס יוֹאָב֙ אֶל־אֹ֣הֶל יְהוָ֔ה וְהִנֵּ֖ה אֵ֣צֶל הַמִּזְבֵּ֑חַ וַיִּשְׁלַ֨ח שְׁלֹמֹ֜ה אֶת־בְּנָיָ֧הוּ בֶן־יְהוֹיָדָ֛ע לֵאמֹ֖ר לֵ֥ךְ פְּגַע־בּֽוֹ׃
30 बेनाइयाह ने याहवेह के मिलनवाले तंबू के पास जाकर योआब से कहा, “यह महाराज का आदेश है, ‘आप मिलनवाले तंबू से बाहर आइए!’” किंतु योआब ने उत्तर दिया, “नहीं, मैं यहीं अपने प्राण दे दूंगा.” बेनायाह ने इसकी सूचना राजा को दे दी, “योआब ऐसा कर रहे हैं, और उन्होंने मुझे यह उत्तर दिया है.”
וַיָּבֹ֨א בְנָיָ֜הוּ אֶל־אֹ֣הֶל יְהוָ֗ה וַיֹּ֨אמֶר אֵלָ֜יו כֹּֽה־אָמַ֤ר הַמֶּ֙לֶךְ֙ צֵ֔א וַיֹּ֥אמֶר ׀ לֹ֖א כִּ֣י פֹ֣ה אָמ֑וּת וַיָּ֨שֶׁב בְּנָיָ֤הוּ אֶת־הַמֶּ֙לֶךְ֙ דָּבָ֣ר לֵאמֹ֔ר כֹּֽה־דִבֶּ֥ר יוֹאָ֖ב וְכֹ֥ה עָנָֽנִי׃
31 राजा ने बेनायाह को उत्तर दिया, “वही करो, जैसा वह चाह रहा है. उसे खत्म करो, और उसका अंतिम संस्कार भी कर देना. यह करने के द्वारा तुम मेरे पिता के वंश और मुझ पर उस सारे बहाए गए लहू का दोष दूर कर दोगे, जो योआब द्वारा बेकार ही बहाया गया था.
וַיֹּ֧אמֶר ל֣וֹ הַמֶּ֗לֶךְ עֲשֵׂה֙ כַּאֲשֶׁ֣ר דִּבֶּ֔ר וּפְגַע־בּ֖וֹ וּקְבַרְתּ֑וֹ וַהֲסִירֹ֣תָ ׀ דְּמֵ֣י חִנָּ֗ם אֲשֶׁר֙ שָׁפַ֣ךְ יוֹאָ֔ב מֵעָלַ֕י וּמֵעַ֖ל בֵּ֥ית אָבִֽי׃
32 याहवेह ही उन सभी कुकर्मों को उसके सिर पर ला छोड़ेंगे; क्योंकि उसने बिना मेरे पिता के जाने, अपने से कहीं अधिक भले और सुयोग्य व्यक्तियों की तलवार से हत्या की, नेर के पुत्र अबनेर की, जो इस्राएल की सेना के सेनापति थे, और येथेर के पुत्र अमासा की, जो यहूदिया की सेना के सेनापति थे.
וְהֵשִׁיב֩ יְהוָ֨ה אֶת־דָּמ֜וֹ עַל־רֹאשׁ֗וֹ אֲשֶׁ֣ר פָּגַ֣ע בִּשְׁנֵֽי־אֲ֠נָשִׁים צַדִּקִ֨ים וְטֹבִ֤ים מִמֶּ֙נּוּ֙ וַיַּהַרְגֵ֣ם בַּחֶ֔רֶב וְאָבִ֥י דָוִ֖ד לֹ֣א יָדָ֑ע אֶת־אַבְנֵ֤ר בֶּן־נֵר֙ שַׂר־צְבָ֣א יִשְׂרָאֵ֔ל וְאֶת־עֲמָשָׂ֥א בֶן־יֶ֖תֶר שַׂר־צְבָ֥א יְהוּדָֽה׃
33 तब उन दोनों की हत्या का दोष लौटकर योआब और उनके वंशजों पर हमेशा के लिए आता रहेगा; मगर दावीद, उनके वंशजों, उनके परिवार और सिंहासन पर याहवेह के द्वारा दी गई शांति हमेशा बनी रहे.”
וְשָׁ֤בוּ דְמֵיהֶם֙ בְּרֹ֣אשׁ יוֹאָ֔ב וּבְרֹ֥אשׁ זַרְע֖וֹ לְעֹלָ֑ם וּלְדָוִ֡ד וּ֠לְזַרְעוֹ וּלְבֵית֨וֹ וּלְכִסְא֜וֹ יִהְיֶ֥ה שָׁל֛וֹם עַד־עוֹלָ֖ם מֵעִ֥ם יְהוָֽה׃
34 तब यहोयादा का पुत्र बेनाइयाह भीतर गया, और योआब पर वार कर उसका वध कर दिया, और उसे बंजर भूमि के पास उसके घर पर उसका अंतिम संस्कार कर दिया.
וַיַּ֗עַל בְּנָיָ֙הוּ֙ בֶּן־יְה֣וֹיָדָ֔ע וַיִּפְגַּע־בּ֖וֹ וַיְמִתֵ֑הוּ וַיִּקָּבֵ֥ר בְּבֵית֖וֹ בַּמִּדְבָּֽר׃
35 राजा ने यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह को योआब की जगह पर सेनापति और अबीयाथर के स्थान पर सादोक को पुरोहित बना दिया.
וַיִּתֵּ֨ן הַמֶּ֜לֶךְ אֶת־בְּנָיָ֧הוּ בֶן־יְהוֹיָדָ֛ע תַּחְתָּ֖יו עַל־הַצָּבָ֑א וְאֶת־צָד֤וֹק הַכֹּהֵן֙ נָתַ֣ן הַמֶּ֔לֶךְ תַּ֖חַת אֶבְיָתָֽר׃
36 इसके बाद राजा ने शिमेई को बुलवाया और उसे आदेश दिया, “येरूशलेम में अपने लिए घर बनाइए और उसी में रहिए. ध्यान रहे कि आप यहां से और कहीं न जाएं,
וַיִּשְׁלַ֤ח הַמֶּ֙לֶךְ֙ וַיִּקְרָ֣א לְשִׁמְעִ֔י וַיֹּ֣אמֶר ל֗וֹ בְּֽנֵה־לְךָ֥ בַ֙יִת֙ בִּיר֣וּשָׁלִַ֔ם וְיָשַׁבְתָּ֖ שָׁ֑ם וְלֹֽא־תֵצֵ֥א מִשָּׁ֖ם אָ֥נֶה וָאָֽנָה׃
37 क्योंकि जिस दिन आप बाहर निकलेंगे, और किद्रोन घाटी पार करेंगे यह समझ लीजिए कि उस दिन आपकी मृत्यु तय होगी, और इसका दोष आपके ही सिर पर होगा.”
וְהָיָ֣ה ׀ בְּי֣וֹם צֵאתְךָ֗ וְעָֽבַרְתָּ֙ אֶת־נַ֣חַל קִדְר֔וֹן יָדֹ֥עַ תֵּדַ֖ע כִּ֣י מ֣וֹת תָּמ֑וּת דָּמְךָ֖ יִהְיֶ֥ה בְרֹאשֶֽׁךָ׃
38 शिमेई ने राजा को उत्तर दिया, “महाराज, मेरे स्वामी द्वारा दिए गए निर्देश सही ही हैं. जो कुछ महाराज, मेरे स्वामी ने कहा है, आपका सेवक उसका पालन ज़रूर करेगा.” तब शिमेई येरूशलेम में लंबे समय तक रहता रहा.
וַיֹּ֨אמֶר שִׁמְעִ֤י לַמֶּ֙לֶךְ֙ ט֣וֹב הַדָּבָ֔ר כַּאֲשֶׁ֤ר דִּבֶּר֙ אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֔לֶךְ כֵּ֖ן יַעֲשֶׂ֣ה עַבְדֶּ֑ךָ וַיֵּ֧שֶׁב שִׁמְעִ֛י בִּירוּשָׁלִַ֖ם יָמִ֥ים רַבִּֽים׃ ס
39 तीन साल खत्म होते-होते शिमेई के दो सेवक भागकर गाथ के राजा माकाह के पुत्र आकीश के पास चले गए. शिमेई को यह सूचना दी गई: “सुनिए, आपके सेवक इस समय गाथ में हैं.”
וַיְהִ֗י מִקֵּץ֙ שָׁלֹ֣שׁ שָׁנִ֔ים וַיִּבְרְח֤וּ שְׁנֵֽי־עֲבָדִים֙ לְשִׁמְעִ֔י אֶל־אָכִ֥ישׁ בֶּֽן־מַעֲכָ֖ה מֶ֣לֶךְ גַּ֑ת וַיַּגִּ֤ידוּ לְשִׁמְעִי֙ לֵאמֹ֔ר הִנֵּ֥ה עֲבָדֶ֖יךָ בְּגַֽת׃
40 यह सुन शिमेई ने अपने गधे पर काठी कसी और गाथ के लिए निकल गया, कि आकीश के यहां जाकर अपने सेवकों को खोज सके. शिमेई वहां से अपने सेवकों को लेकर येरूशलेम लौट आया.
וַיָּ֣קָם שִׁמְעִ֗י וַֽיַּחֲבֹשׁ֙ אֶת־חֲמֹר֔וֹ וַיֵּ֤לֶךְ גַּ֙תָה֙ אֶל־אָכִ֔ישׁ לְבַקֵּ֖שׁ אֶת־עֲבָדָ֑יו וַיֵּ֣לֶךְ שִׁמְעִ֔י וַיָּבֵ֥א אֶת־עֲבָדָ֖יו מִגַּֽת׃
41 शलोमोन को इस बात की सूचना दे दी गई कि शिमेई येरूशलेम से गाथ गया था और अब वह लौट चुका है.
וַיֻּגַּ֖ד לִשְׁלֹמֹ֑ה כִּי־הָלַ֨ךְ שִׁמְעִ֧י מִירוּשָׁלִַ֛ם גַּ֖ת וַיָּשֹֽׁב׃
42 यह सुनकर राजा शिमेई को बुलाने का आदेश दिया. राजा ने शिमेई से प्रश्न किया, “क्या मैंने बड़ी गंभीरता से आपसे याहवेह की शपथ लेकर यह चेतावनी न दी थी, ‘जिस दिन आप येरूशलेम से बाहर निकलें, यह समझ लीजिए कि आपकी मृत्यु तय होगी’? जिसके उत्तर में आपने ही कहा था, ‘महाराज, मेरे स्वामी द्वारा दिए गए निर्देश सही ही हैं.’
וַיִּשְׁלַ֨ח הַמֶּ֜לֶךְ וַיִּקְרָ֣א לְשִׁמְעִ֗י וַיֹּ֨אמֶר אֵלָ֜יו הֲל֧וֹא הִשְׁבַּעְתִּ֣יךָ בַֽיהוָ֗ה וָאָעִ֤ד בְּךָ֙ לֵאמֹ֔ר בְּי֣וֹם צֵאתְךָ֗ וְהָֽלַכְתָּ֙ אָ֣נֶה וָאָ֔נָה יָדֹ֥עַ תֵּדַ֖ע כִּ֣י מ֣וֹת תָּמ֑וּת וַתֹּ֧אמֶר אֵלַ֛י ט֥וֹב הַדָּבָ֖ר שָׁמָֽעְתִּי׃
43 इतना होने पर भी आपने याहवेह के सामने ली गई शपथ का सम्मान और मेरे आदेश का पालन क्यों नहीं किया?”
וּמַדּ֕וּעַ לֹ֣א שָׁמַ֔רְתָּ אֵ֖ת שְׁבֻעַ֣ת יְהוָ֑ה וְאֶת־הַמִּצְוָ֖ה אֲשֶׁר־צִוִּ֥יתִי עָלֶֽיךָ׃
44 राजा ने शिमेई से यह भी कहा, “आपको उन सारे बुरे व्यवहारों और गलतियों का अहसास है, जो आपने मेरे पिता दावीद के साथ की थी; इसलिये याहवेह आपके द्वारा किए गए इन दुरव्यवहारों को आपके ही ऊपर लौटा ले आएंगे.
וַיֹּ֨אמֶר הַמֶּ֜לֶךְ אֶל־שִׁמְעִ֗י אַתָּ֤ה יָדַ֙עְתָּ֙ אֵ֣ת כָּל־הָרָעָ֗ה אֲשֶׁ֤ר יָדַע֙ לְבָ֣בְךָ֔ אֲשֶׁ֥ר עָשִׂ֖יתָ לְדָוִ֣ד אָבִ֑י וְהֵשִׁ֧יב יְהוָ֛ה אֶת־רָעָתְךָ֖ בְּרֹאשֶֽׁךָ׃
45 मगर राजा शलोमोन धन्य रहेंगे और दावीद का सिंहासन याहवेह के सामने हमेशा के लिए बना रहेगा.”
וְהַמֶּ֥לֶךְ שְׁלֹמֹ֖ה בָּר֑וּךְ וְכִסֵּ֣א דָוִ֗ד יִהְיֶ֥ה נָכ֛וֹן לִפְנֵ֥י יְהוָ֖ה עַד־עוֹלָֽם׃
46 राजा ने यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह को आदेश दिया, और उसने बाहर जाकर शिमाई पर ऐसा वार किया कि उसके प्राणपखेरु उड़ गए. इस प्रकार शलोमोन के हाथों में आया राज्य दृढ़ हो गया.
וַיְצַ֣ו הַמֶּ֗לֶךְ אֶת־בְּנָיָ֙הוּ֙ בֶּן־יְה֣וֹיָדָ֔ע וַיֵּצֵ֕א וַיִּפְגַּע־בּ֖וֹ וַיָּמֹ֑ת וְהַמַּמְלָכָ֥ה נָכ֖וֹנָה בְּיַד־שְׁלֹמֹֽה׃

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