< תְהִלִּים 51 >

לַמְנַצֵּ֗חַ מִזְמ֥וֹר לְדָוִֽד׃ בְּֽבוֹא־אֵ֭לָיו נָתָ֣ן הַנָּבִ֑יא כַּֽאֲשֶׁר־בָּ֝֗א אֶל־בַּת־שָֽׁבַע׃ חָנֵּ֣נִי אֱלֹהִ֣ים כְּחַסְדֶּ֑ךָ כְּרֹ֥ב רַ֝חֲמֶ֗יךָ מְחֵ֣ה פְשָׁעָֽי׃ 1
प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन जब नातान नबी उसके पास इसलिए आया कि वह बतशेबा के पास गया था हे परमेश्वर, अपनी करुणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर; अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे।
הרבה כַּבְּסֵ֣נִי מֵעֲוֺנִ֑י וּֽמֵחַטָּאתִ֥י טַהֲרֵֽנִי׃ 2
मुझे भली भाँति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर!
כִּֽי־פְ֭שָׁעַי אֲנִ֣י אֵדָ֑ע וְחַטָּאתִ֖י נֶגְדִּ֣י תָמִֽיד׃ 3
मैं तो अपने अपराधों को जानता हूँ, और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है।
לְךָ֤ לְבַדְּךָ֨ ׀ חָטָאתִי֮ וְהָרַ֥ע בְּעֵינֶ֗יךָ עָ֫שִׂ֥יתִי לְ֭מַעַן תִּצְדַּ֥ק בְּדָבְרֶ֗ךָ תִּזְכֶּ֥ה בְשָׁפְטֶֽךָ׃ 4
मैंने केवल तेरे ही विरुद्ध पाप किया, और जो तेरी दृष्टि में बुरा है, वही किया है, ताकि तू बोलने में धर्मी और न्याय करने में निष्कलंक ठहरे।
הֵן־בְּעָו֥וֹן חוֹלָ֑לְתִּי וּ֝בְחֵ֗טְא יֶֽחֱמַ֥תְנִי אִמִּֽי׃ 5
देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा।
הֵן־אֱ֭מֶת חָפַ֣צְתָּ בַטֻּח֑וֹת וּ֝בְסָתֻ֗ם חָכְמָ֥ה תוֹדִיעֵֽנִי׃ 6
देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है; और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा।
תְּחַטְּאֵ֣נִי בְאֵז֣וֹב וְאֶטְהָ֑ר תְּ֝כַבְּסֵ֗נִי וּמִשֶּׁ֥לֶג אַלְבִּֽין׃ 7
जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊँगा; मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूँगा।
תַּ֭שְׁמִיעֵנִי שָׂשׂ֣וֹן וְשִׂמְחָ֑ה תָּ֝גֵ֗לְנָה עֲצָמ֥וֹת דִּכִּֽיתָ׃ 8
मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिससे जो हड्डियाँ तूने तोड़ डाली हैं, वे मगन हो जाएँ।
הַסְתֵּ֣ר פָּ֭נֶיךָ מֵחֲטָאָ֑י וְֽכָל־עֲוֺ֖נֹתַ֣י מְחֵֽה׃ 9
अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले, और मेरे सारे अधर्म के कामों को मिटा डाल।
לֵ֣ב טָ֭הוֹר בְּרָא־לִ֣י אֱלֹהִ֑ים וְר֥וּחַ נָ֝כ֗וֹן חַדֵּ֥שׁ בְּקִרְבִּֽי׃ 10
१०हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर।
אַל־תַּשְׁלִיכֵ֥נִי מִלְּפָנֶ֑יךָ וְר֥וּחַ קָ֝דְשְׁךָ֗ אַל־תִּקַּ֥ח מִמֶּֽנִּי׃ 11
११मुझे अपने सामने से निकाल न दे, और अपने पवित्र आत्मा को मुझसे अलग न कर।
הָשִׁ֣יבָה לִּ֭י שְׂשׂ֣וֹן יִשְׁעֶ֑ךָ וְר֖וּחַ נְדִיבָ֣ה תִסְמְכֵֽנִי׃ 12
१२अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल।
אֲלַמְּדָ֣ה פֹשְׁעִ֣ים דְּרָכֶ֑יךָ וְ֝חַטָּאִ֗ים אֵלֶ֥יךָ יָשֽׁוּבוּ׃ 13
१३जब मैं अपराधी को तेरा मार्ग सिखाऊँगा, और पापी तेरी ओर फिरेंगे।
הַצִּ֘ילֵ֤נִי מִדָּמִ֨ים ׀ אֱֽלֹהִ֗ים אֱלֹהֵ֥י תְּשׁוּעָתִ֑י תְּרַנֵּ֥ן לְ֝שׁוֹנִ֗י צִדְקָתֶֽךָ׃ 14
१४हे परमेश्वर, हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर, मुझे हत्या के अपराध से छुड़ा ले, तब मैं तेरी धार्मिकता का जयजयकार करने पाऊँगा।
אֲ֭דֹנָי שְׂפָתַ֣י תִּפְתָּ֑ח וּ֝פִ֗י יַגִּ֥יד תְּהִלָּתֶֽךָ׃ 15
१५हे प्रभु, मेरा मुँह खोल दे तब मैं तेरा गुणानुवाद कर सकूँगा।
כִּ֤י ׀ לֹא־תַחְפֹּ֣ץ זֶ֣בַח וְאֶתֵּ֑נָה ע֝וֹלָ֗ה לֹ֣א תִרְצֶֽה׃ 16
१६क्योंकि तू बलि से प्रसन्न नहीं होता, नहीं तो मैं देता; होमबलि से भी तू प्रसन्न नहीं होता।
זִֽבְחֵ֣י אֱלֹהִים֮ ר֪וּחַ נִשְׁבָּ֫רָ֥ה לֵב־נִשְׁבָּ֥ר וְנִדְכֶּ֑ה אֱ֝לֹהִ֗ים לֹ֣א תִבְזֶֽה׃ 17
१७टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता।
הֵיטִ֣יבָה בִ֭רְצוֹנְךָ אֶת־צִיּ֑וֹן תִּ֝בְנֶ֗ה חוֹמ֥וֹת יְרוּשָׁלִָֽם׃ 18
१८प्रसन्न होकर सिय्योन की भलाई कर, यरूशलेम की शहरपनाह को तू बना,
אָ֤ז תַּחְפֹּ֣ץ זִבְחֵי־צֶ֭דֶק עוֹלָ֣ה וְכָלִ֑יל אָ֤ז יַעֲל֖וּ עַל־מִזְבַּחֲךָ֣ פָרִֽים׃ 19
१९तब तू धार्मिकता के बलिदानों से अर्थात् सर्वांग पशुओं के होमबलि से प्रसन्न होगा; तब लोग तेरी वेदी पर पवित्र बलिदान चढ़ाएँगे।

< תְהִלִּים 51 >