< יִרְמְיָהוּ 23 >

ה֣וֹי רֹעִ֗ים מְאַבְּדִ֧ים וּמְפִצִ֛ים אֶת־צֹ֥אן מַרְעִיתִ֖י נְאֻם־יְהוָֽה׃ 1
“उन चरवाहों पर हाय जो मेरी चराई की भेड़-बकरियों को तितर-बितर करते और नाश करते हैं,” यहोवा यह कहता है।
לָ֠כֵן כֹּֽה־אָמַ֨ר יְהוָ֜ה אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל עַֽל־הָרֹעִים֮ הָרֹעִ֣ים אֶת־עַמִּי֒ אַתֶּ֞ם הֲפִצֹתֶ֤ם אֶת־צֹאנִי֙ וַתַּדִּח֔וּם וְלֹ֥א פְקַדְתֶּ֖ם אֹתָ֑ם הִנְנִ֨י פֹקֵ֧ד עֲלֵיכֶ֛ם אֶת־רֹ֥עַ מַעַלְלֵיכֶ֖ם נְאֻם־יְהוָֽה׃ 2
इसलिए इस्राएल का परमेश्वर यहोवा अपनी प्रजा के चरवाहों से यह कहता है, “तुम ने मेरी भेड़-बकरियों की सुधि नहीं ली, वरन् उनको तितर-बितर किया और जबरन निकाल दिया है, इस कारण यहोवा की यह वाणी है कि मैं तुम्हारे बुरे कामों का दण्ड दूँगा।
וַאֲנִ֗י אֲקַבֵּץ֙ אֶת־שְׁאֵרִ֣ית צֹאנִ֔י מִכֹּל֙ הָאֲרָצ֔וֹת אֲשֶׁר־הִדַּ֥חְתִּי אֹתָ֖ם שָׁ֑ם וַהֲשִׁבֹתִ֥י אֶתְהֶ֛ן עַל־נְוֵהֶ֖ן וּפָר֥וּ וְרָבֽוּ׃ 3
तब मेरी भेड़-बकरियाँ जो बची हैं, उनको मैं उन सब देशों में से जिनमें मैंने उन्हें जबरन भेज दिया है, स्वयं ही उन्हें लौटा लाकर उन्हीं की भेड़शाला में इकट्ठा करूँगा, और वे फिर फूलें-फलेंगी।
וַהֲקִמֹתִ֧י עֲלֵיהֶ֛ם רֹעִ֖ים וְרָע֑וּם וְלֹא־יִֽירְא֨וּ ע֧וֹד וְלֹא־יֵחַ֛תּוּ וְלֹ֥א יִפָּקֵ֖דוּ נְאֻם־יְהוָֽה׃ ס 4
मैं उनके लिये ऐसे चरवाहे नियुक्त करूँगा जो उन्हें चराएँगे; और तब वे न तो फिर डरेंगी, न विस्मित होंगी और न उनमें से कोई खो जाएगी, यहोवा की यह वाणी है।
הִנֵּ֨ה יָמִ֤ים בָּאִים֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה וַהֲקִמֹתִ֥י לְדָוִ֖ד צֶ֣מַח צַדִּ֑יק וּמָ֤לַךְ מֶ֙לֶךְ֙ וְהִשְׂכִּ֔יל וְעָשָׂ֛ה מִשְׁפָּ֥ט וּצְדָקָ֖ה בָּאָֽרֶץ׃ 5
“यहोवा की यह भी वाणी है, देख ऐसे दिन आते हैं जब मैं दाऊद के कुल में एक धर्मी अंकुर उगाऊँगा, और वह राजा बनकर बुद्धि से राज्य करेगा, और अपने देश में न्याय और धार्मिकता से प्रभुता करेगा।
בְּיָמָיו֙ תִּוָּשַׁ֣ע יְהוּדָ֔ה וְיִשְׂרָאֵ֖ל יִשְׁכֹּ֣ן לָבֶ֑טַח וְזֶה־שְּׁמ֥וֹ אֲֽשֶׁר־יִקְרְא֖וֹ יְהוָ֥ה ׀ צִדְקֵֽנוּ׃ ס 6
उसके दिनों में यहूदी लोग बचे रहेंगे, और इस्राएली लोग निडर बसे रहेंगे और यहोवा उसका नाम ‘यहोवा हमारी धार्मिकता’ रखेगा।
לָכֵ֛ן הִנֵּֽה־יָמִ֥ים בָּאִ֖ים נְאֻם־יְהוָ֑ה וְלֹא־יֹ֤אמְרוּ עוֹד֙ חַי־יְהוָ֔ה אֲשֶׁ֧ר הֶעֱלָ֛ה אֶת־בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל מֵאֶ֥רֶץ מִצְרָֽיִם׃ 7
“इसलिए देख, यहोवा की यह वाणी है कि ऐसे दिन आएँगे जिनमें लोग फिर न कहेंगे, ‘यहोवा जो हम इस्राएलियों को मिस्र देश से छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्ध,’
כִּ֣י אִם־חַי־יְהוָ֗ה אֲשֶׁ֣ר הֶעֱלָה֩ וַאֲשֶׁ֨ר הֵבִ֜יא אֶת־זֶ֨רַע בֵּ֤ית יִשְׂרָאֵל֙ מֵאֶ֣רֶץ צָפ֔וֹנָה וּמִכֹּל֙ הָֽאֲרָצ֔וֹת אֲשֶׁ֥ר הִדַּחְתִּ֖ים שָׁ֑ם וְיָשְׁב֖וּ עַל־אַדְמָתָֽם׃ ס 8
परन्तु वे यह कहेंगे, ‘यहोवा जो इस्राएल के घराने को उत्तर देश से और उन सब देशों से भी जहाँ उसने हमें जबरन निकाल दिया, छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्ध।’ तब वे अपने ही देश में बसे रहेंगे।”
לַנְּבִאִ֞ים נִשְׁבַּ֧ר לִבִּ֣י בְקִרְבִּ֗י רָֽחֲפוּ֙ כָּל־עַצְמוֹתַ֔י הָיִ֙יתִי֙ כְּאִ֣ישׁ שִׁכּ֔וֹר וּכְגֶ֖בֶר עֲבָ֣רוֹ יָ֑יִן מִפְּנֵ֣י יְהוָ֔ה וּמִפְּנֵ֖י דִּבְרֵ֥י קָדְשֽׁוֹ׃ 9
भविष्यद्वक्ताओं के विषय मेरा हृदय भीतर ही भीतर फटा जाता है, मेरी सब हड्डियाँ थरथराती है; यहोवा ने जो पवित्र वचन कहे हैं, उन्हें सुनकर, मैं ऐसे मनुष्य के समान हो गया हूँ जो दाखमधु के नशे में चूर हो गया हो,
כִּ֤י מְנָֽאֲפִים֙ מָלְאָ֣ה הָאָ֔רֶץ כִּֽי־מִפְּנֵ֤י אָלָה֙ אָבְלָ֣ה הָאָ֔רֶץ יָבְשׁ֖וּ נְא֣וֹת מִדְבָּ֑ר וַתְּהִ֤י מְרֽוּצָתָם֙ רָעָ֔ה וּגְבוּרָתָ֖ם לֹא־כֵֽן׃ 10
१०क्योंकि यह देश व्यभिचारियों से भरा है; इस पर ऐसा श्राप पड़ा है कि यह विलाप कर रहा है; वन की चराइयाँ भी सूख गई। लोग बड़ी दौड़ तो दौड़ते हैं, परन्तु बुराई ही की ओर; और वीरता तो करते हैं, परन्तु अन्याय ही के साथ।
כִּֽי־גַם־נָבִ֥יא גַם־כֹּהֵ֖ן חָנֵ֑פוּ גַּם־בְּבֵיתִ֛י מָצָ֥אתִי רָעָתָ֖ם נְאֻם־יְהוָֽה׃ 11
११“क्योंकि भविष्यद्वक्ता और याजक दोनों भक्तिहीन हो गए हैं; अपने भवन में भी मैंने उनकी बुराई पाई है, यहोवा की यही वाणी है।
לָכֵן֩ יִֽהְיֶ֨ה דַרְכָּ֜ם לָהֶ֗ם כַּחֲלַקְלַקּוֹת֙ בָּֽאֲפֵלָ֔ה יִדַּ֖חוּ וְנָ֣פְלוּ בָ֑הּ כִּֽי־אָבִ֨יא עֲלֵיהֶ֥ם רָעָ֛ה שְׁנַ֥ת פְּקֻדָּתָ֖ם נְאֻם־יְהוָֽה׃ 12
१२इस कारण उनका मार्ग अंधेरा और फिसलन वाला होगा जिसमें वे ढकेलकर गिरा दिए जाएँगे; क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि मैं उनके दण्ड के वर्ष में उन पर विपत्ति डालूँगा!
וּבִנְבִיאֵ֥י שֹׁמְר֖וֹן רָאִ֣יתִי תִפְלָ֑ה הִנַּבְּא֣וּ בַבַּ֔עַל וַיַּתְע֥וּ אֶת־עַמִּ֖י אֶת־יִשְׂרָאֵֽל׃ ס 13
१३सामरिया के भविष्यद्वक्ताओं में मैंने यह मूर्खता देखी थी कि वे बाल के नाम से भविष्यद्वाणी करते और मेरी प्रजा इस्राएल को भटका देते थे।
וּבִנְבִאֵ֨י יְרוּשָׁלִַ֜ם רָאִ֣יתִי שַׁעֲרוּרָ֗ה נָא֞וֹף וְהָלֹ֤ךְ בַּשֶּׁ֙קֶר֙ וְחִזְּקוּ֙ יְדֵ֣י מְרֵעִ֔ים לְבִ֨לְתִּי־שָׁ֔בוּ אִ֖ישׁ מֵרָֽעָת֑וֹ הָֽיוּ־לִ֤י כֻלָּם֙ כִּסְדֹ֔ם וְיֹשְׁבֶ֖יהָ כַּעֲמֹרָֽה׃ ס 14
१४परन्तु यरूशलेम के नबियों में मैंने ऐसे काम देखे हैं, जिनसे रोंगटे खड़े हो जाते हैं, अर्थात् व्यभिचार और पाखण्ड; वे कुकर्मियों को ऐसा हियाव बँधाते हैं कि वे अपनी-अपनी बुराई से पश्चाताप भी नहीं करते; सब निवासी मेरी दृष्टि में सदोमियों और गमोरियों के समान हो गए हैं।”
לָכֵ֞ן כֹּֽה־אָמַ֨ר יְהוָ֤ה צְבָאוֹת֙ עַל־הַנְּבִאִ֔ים הִנְנִ֨י מַאֲכִ֤יל אוֹתָם֙ לַֽעֲנָ֔ה וְהִשְׁקִתִ֖ים מֵי־רֹ֑אשׁ כִּ֗י מֵאֵת֙ נְבִיאֵ֣י יְרוּשָׁלִַ֔ם יָצְאָ֥ה חֲנֻפָּ֖ה לְכָל־הָאָֽרֶץ׃ פ 15
१५इस कारण सेनाओं का यहोवा यरूशलेम के भविष्यद्वक्ताओं के विषय में यह कहता है: “देख, मैं उनको कड़वी वस्तुएँ खिलाऊँगा और विष पिलाऊँगा; क्योंकि उनके कारण सारे देश में भक्तिहीनता फैल गई है।”
כֹּֽה־אָמַ֞ר יְהוָ֣ה צְבָא֗וֹת אַֽל־תִּשְׁמְע֞וּ עַל־דִּבְרֵ֤י הַנְּבִאִים֙ הַנִּבְּאִ֣ים לָכֶ֔ם מַהְבִּלִ֥ים הֵ֖מָּה אֶתְכֶ֑ם חֲז֤וֹן לִבָּם֙ יְדַבֵּ֔רוּ לֹ֖א מִפִּ֥י יְהוָֽה׃ 16
१६सेनाओं के यहोवा ने तुम से यह कहा है: “इन भविष्यद्वक्ताओं की बातों की ओर जो तुम से भविष्यद्वाणी करते हैं कान मत लगाओ, क्योंकि ये तुम को व्यर्थ बातें सिखाते हैं; ये दर्शन का दावा करके यहोवा के मुख की नहीं, अपने ही मन की बातें कहते हैं।
אֹמְרִ֤ים אָמוֹר֙ לִֽמְנַאֲצַ֔י דִּבֶּ֣ר יְהוָ֔ה שָׁל֖וֹם יִֽהְיֶ֣ה לָכֶ֑ם וְ֠כֹל הֹלֵ֞ךְ בִּשְׁרִר֤וּת לִבּוֹ֙ אָֽמְר֔וּ לֹֽא־תָב֥וֹא עֲלֵיכֶ֖ם רָעָֽה׃ 17
१७जो लोग मेरा तिरस्कार करते हैं उनसे ये भविष्यद्वक्ता सदा कहते रहते हैं कि यहोवा कहता है, ‘तुम्हारा कल्याण होगा;’ और जितने लोग अपने हठ ही पर चलते हैं, उनसे ये कहते हैं, ‘तुम पर कोई विपत्ति न पड़ेगी।’”
כִּ֣י מִ֤י עָמַד֙ בְּס֣וֹד יְהוָ֔ה וְיֵ֖רֶא וְיִשְׁמַ֣ע אֶת־דְּבָר֑וֹ מִֽי־הִקְשִׁ֥יב דברי וַיִּשְׁמָֽע׃ ס 18
१८भला कौन यहोवा की गुप्त सभा में खड़ा होकर उसका वचन सुनने और समझने पाया है? या किसने ध्यान देकर मेरा वचन सुना है?
הִנֵּ֣ה ׀ סַעֲרַ֣ת יְהוָ֗ה חֵמָה֙ יָֽצְאָ֔ה וְסַ֖עַר מִתְחוֹלֵ֑ל עַ֛ל רֹ֥אשׁ רְשָׁעִ֖ים יָחֽוּל׃ 19
१९देखो, यहोवा की जलजलाहट का प्रचण्ड बवण्डर और आँधी चलने लगी है; और उसका झोंका दुष्टों के सिर पर जोर से लगेगा।
לֹ֤א יָשׁוּב֙ אַף־יְהוָ֔ה עַד־עֲשֹׂת֥וֹ וְעַד־הֲקִימ֖וֹ מְזִמּ֣וֹת לִבּ֑וֹ בְּאַֽחֲרִית֙ הַיָּמִ֔ים תִּתְבּ֥וֹנְנוּ בָ֖הּ בִּינָֽה׃ 20
२०जब तक यहोवा अपना काम और अपनी युक्तियों को पूरी न कर चुके, तब तक उसका क्रोध शान्त न होगा। अन्त के दिनों में तुम इस बात को भली भाँति समझ सकोगे।
לֹא־שָׁלַ֥חְתִּי אֶת־הַנְּבִאִ֖ים וְהֵ֣ם רָ֑צוּ לֹא־דִבַּ֥רְתִּי אֲלֵיהֶ֖ם וְהֵ֥ם נִבָּֽאוּ׃ 21
२१“ये भविष्यद्वक्ता बिना मेरे भेजे दौड़ जाते और बिना मेरे कुछ कहे भविष्यद्वाणी करने लगते हैं।
וְאִֽם־עָמְד֖וּ בְּסוֹדִ֑י וְיַשְׁמִ֤עוּ דְבָרַי֙ אֶת־עַמִּ֔י וִֽישִׁבוּם֙ מִדַּרְכָּ֣ם הָרָ֔ע וּמֵרֹ֖עַ מַֽעַלְלֵיהֶֽם׃ ס 22
२२यदि ये मेरी शिक्षा में स्थिर रहते, तो मेरी प्रजा के लोगों को मेरे वचन सुनाते; और वे अपनी बुरी चाल और कामों से फिर जाते।
הַאֱלֹהֵ֧י מִקָּרֹ֛ב אָ֖נִי נְאֻם־יְהוָ֑ה וְלֹ֥א אֱלֹהֵ֖י מֵרָחֹֽק׃ 23
२३“यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं ऐसा परमेश्वर हूँ, जो दूर नहीं, निकट ही रहता हूँ?
אִם־יִסָּתֵ֨ר אִ֧ישׁ בַּמִּסְתָּרִ֛ים וַאֲנִ֥י לֹֽא־אֶרְאֶ֖נּוּ נְאֻם־יְהוָ֑ה הֲל֨וֹא אֶת־הַשָּׁמַ֧יִם וְאֶת־הָאָ֛רֶץ אֲנִ֥י מָלֵ֖א נְאֻם־יְהוָֽה׃ 24
२४फिर यहोवा की यह वाणी है, क्या कोई ऐसे गुप्त स्थानों में छिप सकता है, कि मैं उसे न देख सकूँ? क्या स्वर्ग और पृथ्वी दोनों मुझसे परिपूर्ण नहीं हैं?
שָׁמַ֗עְתִּי אֵ֤ת אֲשֶׁר־אָֽמְרוּ֙ הַנְּבִאִ֔ים הַֽנִּבְּאִ֥ים בִּשְׁמִ֛י שֶׁ֖קֶר לֵאמֹ֑ר חָלַ֖מְתִּי חָלָֽמְתִּי׃ 25
२५मैंने इन भविष्यद्वक्ताओं की बातें भी सुनीं हैं जो मेरे नाम से यह कहकर झूठी भविष्यद्वाणी करते हैं, ‘मैंने स्वप्न देखा है, स्वप्न!’
עַד־מָתַ֗י הֲיֵ֛שׁ בְּלֵ֥ב הַנְּבִאִ֖ים נִבְּאֵ֣י הַשָּׁ֑קֶר וּנְבִיאֵ֖י תַּרְמִ֥ת לִבָּֽם׃ 26
२६जो भविष्यद्वक्ता झूठमूठ भविष्यद्वाणी करते और अपने मन ही के छल के भविष्यद्वक्ता हैं, यह बात कब तक उनके मन में समाई रहेगी?
הַחֹשְׁבִ֗ים לְהַשְׁכִּ֤יחַ אֶת־עַמִּי֙ שְׁמִ֔י בַּחֲל֣וֹמֹתָ֔ם אֲשֶׁ֥ר יְסַפְּר֖וּ אִ֣ישׁ לְרֵעֵ֑הוּ כַּאֲשֶׁ֨ר שָׁכְח֧וּ אֲבוֹתָ֛ם אֶת־שְׁמִ֖י בַּבָּֽעַל׃ 27
२७जैसे मेरी प्रजा के लोगों के पुरखा मेरा नाम भूलकर बाल का नाम लेने लगे थे, वैसे ही अब ये भविष्यद्वक्ता उन्हें अपने-अपने स्वप्न बता-बताकर मेरा नाम भुलाना चाहते हैं।
הַנָּבִ֞יא אֲשֶׁר־אִתּ֤וֹ חֲלוֹם֙ יְסַפֵּ֣ר חֲל֔וֹם וַאֲשֶׁ֤ר דְּבָרִי֙ אִתּ֔וֹ יְדַבֵּ֥ר דְּבָרִ֖י אֱמֶ֑ת מַה־לַתֶּ֥בֶן אֶת־הַבָּ֖ר נְאֻם־יְהוָֽה׃ 28
२८यदि किसी भविष्यद्वक्ता ने स्वप्न देखा हो, तो वह उसे बताए, परन्तु जिस किसी ने मेरा वचन सुना हो तो वह मेरा वचन सच्चाई से सुनाए। यहोवा की यह वाणी है, कहाँ भूसा और कहाँ गेहूँ?
הֲל֨וֹא כֹ֧ה דְבָרִ֛י כָּאֵ֖שׁ נְאֻם־יְהוָ֑ה וּכְפַטִּ֖ישׁ יְפֹ֥צֵֽץ סָֽלַע׃ ס 29
२९यहोवा की यह भी वाणी है कि क्या मेरा वचन आग सा नहीं है? फिर क्या वह ऐसा हथौड़ा नहीं जो पत्थर को फोड़ डाले?
לָכֵ֛ן הִנְנִ֥י עַל־הַנְּבִאִ֖ים נְאֻם־יְהוָ֑ה מְגַנְּבֵ֣י דְבָרַ֔י אִ֖ישׁ מֵאֵ֥ת רֵעֵֽהוּ׃ 30
३०यहोवा की यह वाणी है, देखो, जो भविष्यद्वक्ता मेरे वचन दूसरों से चुरा-चुराकर बोलते हैं, मैं उनके विरुद्ध हूँ।
הִנְנִ֥י עַל־הַנְּבִיאִ֖ם נְאֻם־יְהוָ֑ה הַלֹּקְחִ֣ים לְשׁוֹנָ֔ם וַֽיִּנְאֲמ֖וּ נְאֻֽם׃ 31
३१फिर यहोवा की यह भी वाणी है कि जो भविष्यद्वक्ता ‘उसकी यह वाणी है’, ऐसी झूठी वाणी कहकर अपनी-अपनी जीभ हिलाते हैं, मैं उनके भी विरुद्ध हूँ।
הִ֠נְנִי עַֽל־נִבְּאֵ֞י חֲלֹמ֥וֹת שֶׁ֙קֶר֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה וַֽיְסַפְּרוּם֙ וַיַּתְע֣וּ אֶת־עַמִּ֔י בְּשִׁקְרֵיהֶ֖ם וּבְפַחֲזוּתָ֑ם וְאָנֹכִ֨י לֹֽא־שְׁלַחְתִּ֜ים וְלֹ֣א צִוִּיתִ֗ים וְהוֹעֵ֛יל לֹֽא־יוֹעִ֥ילוּ לָֽעָם־הַזֶּ֖ה נְאֻם־יְהוָֽה׃ 32
३२यहोवा की यह भी वाणी है कि जो बिना मेरे भेजे या बिना मेरी आज्ञा पाए स्वप्न देखने का झूठा दावा करके भविष्यद्वाणी करते हैं, और उसका वर्णन करके मेरी प्रजा को झूठे घमण्ड में आकर भरमाते हैं, उनके भी मैं विरुद्ध हूँ; और उनसे मेरी प्रजा के लोगों का कुछ लाभ न होगा।
וְכִי־יִשְׁאָלְךָ֩ הָעָ֨ם הַזֶּ֜ה אֽוֹ־הַנָּבִ֤יא אֽוֹ־כֹהֵן֙ לֵאמֹ֔ר מַה־מַשָּׂ֖א יְהוָ֑ה וְאָמַרְתָּ֤ אֲלֵיהֶם֙ אֶת־מַה־מַשָּׂ֔א וְנָטַשְׁתִּ֥י אֶתְכֶ֖ם נְאֻם־יְהוָֽה׃ 33
३३“यदि साधारण लोगों में से कोई जन या कोई भविष्यद्वक्ता या याजक तुम से पूछे, ‘यहोवा ने क्या प्रभावशाली वचन कहा है?’ तो उससे कहना, ‘क्या प्रभावशाली वचन? यहोवा की यह वाणी है, मैं तुम को त्याग दूँगा।’
וְהַנָּבִ֤יא וְהַכֹּהֵן֙ וְהָעָ֔ם אֲשֶׁ֥ר יֹאמַ֖ר מַשָּׂ֣א יְהוָ֑ה וּפָקַדְתִּ֛י עַל־הָאִ֥ישׁ הַה֖וּא וְעַל־בֵּיתֽוֹ׃ 34
३४और जो भविष्यद्वक्ता या याजक या साधारण मनुष्य ‘यहोवा का कहा हुआ भारी वचन’ ऐसा कहता रहे, उसको घराने समेत मैं दण्ड दूँगा।
כֹּ֥ה תֹאמְר֛וּ אִ֥ישׁ עַל־רֵעֵ֖הוּ וְאִ֣ישׁ אֶל־אָחִ֑יו מֶה־עָנָ֣ה יְהוָ֔ה וּמַה־דִּבֶּ֖ר יְהוָֽה׃ 35
३५तुम लोग एक दूसरे से और अपने-अपने भाई से यह पूछना, ‘यहोवा ने क्या उत्तर दिया?’ या ‘यहोवा ने क्या कहा है?’
וּמַשָּׂ֥א יְהוָ֖ה לֹ֣א תִזְכְּרוּ־ע֑וֹד כִּ֣י הַמַּשָּׂ֗א יִֽהְיֶה֙ לְאִ֣ישׁ דְּבָר֔וֹ וַהֲפַכְתֶּ֗ם אֶת־דִּבְרֵי֙ אֱלֹהִ֣ים חַיִּ֔ים יְהוָ֥ה צְבָא֖וֹת אֱלֹהֵֽינוּ׃ 36
३६‘यहोवा का कहा हुआ भारी वचन’, इस प्रकार तुम भविष्य में न कहना नहीं तो तुम्हारा ऐसा कहना ही दण्ड का कारण हो जाएगा; क्योंकि हमारा परमेश्वर सेनाओं का यहोवा जो जीवित परमेश्वर है, तुम लोगों ने उसके वचन बिगाड़ दिए हैं।
כֹּ֥ה תֹאמַ֖ר אֶל־הַנָּבִ֑יא מֶה־עָנָ֣ךְ יְהוָ֔ה וּמַה־דִּבֶּ֖ר יְהוָֽה׃ 37
३७तू भविष्यद्वक्ता से यह पूछ, ‘यहोवा ने तुझे क्या उत्तर दिया?’
וְאִם־מַשָּׂ֣א יְהוָה֮ תֹּאמֵרוּ֒ לָכֵ֗ן כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה יַ֧עַן אֲמָרְכֶ֛ם אֶת־הַדָּבָ֥ר הַזֶּ֖ה מַשָּׂ֣א יְהוָ֑ה וָאֶשְׁלַ֤ח אֲלֵיכֶם֙ לֵאמֹ֔ר לֹ֥א תֹאמְר֖וּ מַשָּׂ֥א יְהוָֽה׃ 38
३८या ‘यहोवा ने क्या कहा है?’ यदि तुम ‘यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन’ इसी प्रकार कहोगे, तो यहोवा का यह वचन सुनो, ‘मैंने तो तुम्हारे पास सन्देश भेजा है, भविष्य में ऐसा न कहना कि “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन।” परन्तु तुम यह कहते ही रहते हो, “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन।”’
לָכֵ֣ן הִנְנִ֔י וְנָשִׁ֥יתִי אֶתְכֶ֖ם נָשֹׁ֑א וְנָטַשְׁתִּ֣י אֶתְכֶ֗ם וְאֶת־הָעִיר֙ אֲשֶׁ֨ר נָתַ֧תִּי לָכֶ֛ם וְלַאֲבוֹתֵיכֶ֖ם מֵעַ֥ל פָּנָֽי׃ 39
३९इस कारण देखो, मैं तुम को बिलकुल भूल जाऊँगा और तुम को और इस नगर को जिसे मैंने तुम्हारे पुरखाओं को, और तुम को भी दिया है, त्याग कर अपने सामने से दूर कर दूँगा।
וְנָתַתִּ֥י עֲלֵיכֶ֖ם חֶרְפַּ֣ת עוֹלָ֑ם וּכְלִמּ֣וּת עוֹלָ֔ם אֲשֶׁ֖ר לֹ֥א תִשָּׁכֵֽחַ׃ ס 40
४०और मैं ऐसा करूँगा कि तुम्हारी नामधराई और अनादर सदा बना रहेगा; और कभी भूला न जाएगा।”

< יִרְמְיָהוּ 23 >