< 2 דִּבְרֵי הַיָּמִים 26 >

וַיִּקְח֞וּ כָּל־עַ֤ם יְהוּדָה֙ אֶת־עֻזִּיָּ֔הוּ וְה֕וּא בֶּן־שֵׁ֥שׁ עֶשְׂרֵ֖ה שָׁנָ֑ה וַיַּמְלִ֣יכוּ אֹתֹ֔ו תַּ֖חַת אָבִ֥יו אֲמַצְיָֽהוּ׃ 1
तब यहूदाह के सब लोगों ने 'उज़्ज़ियाह को जो सोलह साल का था, लेकर उसे उसके बाप अमसियाह की जगह बादशाह बनाया।
ה֚וּא בָּנָ֣ה אֶת־אֵילֹ֔ות וַיְשִׁיבֶ֖הָ לִֽיהוּדָ֑ה אַחֲרֵ֥י שְׁכַֽב־הַמֶּ֖לֶךְ עִם־אֲבֹתָֽיו׃ פ 2
उसने बादशाह के अपने बाप — दादा के साथ सो जाने के बाद ऐलोत को ता'मीर किया और उसे फिर यहूदाह में शामिल कर दिया।
בֶּן־שֵׁ֨שׁ עֶשְׂרֵ֤ה שָׁנָה֙ עֻזִּיָּ֣הוּ בְמָלְכֹ֔ו וַחֲמִשִּׁ֤ים וּשְׁתַּ֙יִם֙ שָׁנָ֔ה מָלַ֖ךְ בִּירוּשָׁלָ֑͏ִם וְשֵׁ֣ם אִמֹּ֔ו יְכִילְיָה (יְכָלְיָ֖ה) מִן־יְרוּשָׁלָֽ͏ִם׃ 3
'उज़्ज़ियाह सोलह साल का था जब वह हुकूमत करने लगा, और उसने येरूशलेम में बावन साल हुकूमत की। उसकी माँ का नाम यकूलियाह था, जो येरूशलेम की थी।
וַיַּ֥עַשׂ הַיָּשָׁ֖ר בְּעֵינֵ֣י יְהוָ֑ה כְּכֹ֥ל אֲשֶׁר־עָשָׂ֖ה אֲמַצְיָ֥הוּ אָבִֽיו׃ 4
उसने वही जो ख़ुदावन्द की नज़र में दुरुस्त है, ठीक उसी के मुताबिक़ किया जो उसके बाप अमसियाह ने किया था।
וַיְהִי֙ לִדְרֹ֣שׁ אֱלֹהִ֔ים בִּימֵ֣י זְכַרְיָ֔הוּ הַמֵּבִ֖ין בִּרְאֹ֣ת הָאֱלֹהִ֑ים וּבִימֵי֙ דָּרְשֹׁ֣ו אֶת־יְהוָ֔ה הִצְלִיחֹ֖ו הָאֱלֹהִֽים׃ ס 5
और वह ज़करियाह के दिनों में जो ख़ुदा के ख़्वाबो में माहिर था, ख़ुदा का तालिब रहा और जब तक वह ख़ुदावन्द का तालिब रहा ख़ुदा ने उसे कामयाब रखा।
וַיֵּצֵא֙ וַיִּלָּ֣חֶם בַּפְּלִשְׁתִּ֔ים וַיִּפְרֹ֞ץ אֶת־חֹ֣ומַת גַּ֗ת וְאֵת֙ חֹומַ֣ת יַבְנֵ֔ה וְאֵ֖ת חֹומַ֣ת אַשְׁדֹּ֑וד וַיִּבְנֶ֣ה עָרִ֔ים בְּאַשְׁדֹּ֖וד וּבַפְּלִשְׁתִּֽים׃ 6
और वह निकला और फ़िलिस्तियों से लड़ा, और जात की दीवार को और यबना की दीवार को और अशदूद की दीवार को ढा दिया, और अशदूद के मुल्क में और फ़िलिस्तियों के बीच शहर ता'मीर किए।
וַיַּעְזְרֵ֨הוּ הָֽאֱלֹהִ֜ים עַל־פְּלִשְׁתִּ֧ים וְעַל־הָעַרְבִיִּים (הָֽעַרְבִ֛ים) הַיֹּשְׁבִ֥ים בְּגוּר־בָּ֖עַל וְהַמְּעוּנִֽים׃ 7
और ख़ुदा ने फ़िलिस्तियों और जूरबाल के रहने वाले 'अरबों और मऊनियों के मुक़ाबिले में उसकी मदद की।
וַיִּתְּנ֧וּ הָֽעַמֹּונִ֛ים מִנְחָ֖ה לְעֻזִּיָּ֑הוּ וַיֵּ֤לֶךְ שְׁמֹו֙ עַד־לְבֹ֣וא מִצְרַ֔יִם כִּ֥י הֶחֱזִ֖יק עַד־לְמָֽעְלָה׃ 8
और 'अम्मूनी 'उज़्ज़ियाह को नज़राने देने लगे और उसका नाम मिस्र की सरहद तक फैल गया, क्यूँकि वह बहुत ताक़तवर हो गया था।
וַיִּ֨בֶן עֻזִּיָּ֤הוּ מִגְדָּלִים֙ בִּיר֣וּשָׁלַ֔͏ִם עַל־שַׁ֧עַר הַפִּנָּ֛ה וְעַל־שַׁ֥עַר הַגַּ֖יְא וְעַל־הַמִּקְצֹ֑ועַ וַֽיְחַזְּקֵֽם׃ 9
और उज़्ज़ियाह ने येरूशलेम में कोने के फाटक और वादी के फाटक और दीवार के मोड़ पर बुर्ज बनवाए और उनको मज़बूत किया।
וַיִּ֨בֶן מִגְדָּלִ֜ים בַּמִּדְבָּ֗ר וַיַּחְצֹב֙ בֹּרֹ֣ות רַבִּ֔ים כִּ֤י מִקְנֶה־רַּב֙ הָ֣יָה לֹ֔ו וּבַשְּׁפֵלָ֖ה וּבַמִּישֹׁ֑ור אִכָּרִ֣ים וְכֹֽרְמִ֗ים בֶּהָרִים֙ וּבַכַּרְמֶ֔ל כִּֽי־אֹהֵ֥ב אֲדָמָ֖ה הָיָֽה׃ ס 10
और उसने वीरान में बुर्ज बनवाए और बहुत से हौज़ खुदवाए, क्यूँकि नशेब की ज़मीन में भी और मैदान में उसके बहुत चौपाए थे। और पहाड़ों और ज़रखेज़ खेतों में उसके किसान और ताकिस्तानों के माली थे, क्यूँकि काश्त कारी उसे बहुत पसंद थी।
וַיְהִ֣י לְעֻזִּיָּ֡הוּ חַיִל֩ עֹשֵׂ֨ה מִלְחָמָ֜ה יֹוצְאֵ֧י צָבָ֣א לִגְד֗וּד בְּמִסְפַּר֙ פְּקֻדָּתָ֔ם בְּיַד֙ יְעוּאֵל (יְעִיאֵ֣ל) הַסֹּופֵ֔ר וּמַעֲשֵׂיָ֖הוּ הַשֹּׁוטֵ֑ר עַ֚ל יַד־חֲנַנְיָ֔הוּ מִשָּׂרֵ֖י הַמֶּֽלֶךְ׃ 11
इसके 'अलावा उज़्ज़ियाह के पास जंगी जवानों का लश्कर था जो य'ईएल मुन्शी और मासियाह नाज़िम के शुमार के मुताबिक़, ग़ोल ग़ोल होकर बादशाह के एक सरदार हनानियाह के मातहत लड़ाई पर जाता था।
כֹּ֠ל מִסְפַּ֞ר רָאשֵׁ֤י הָאָבֹות֙ לְגִבֹּ֣ורֵי חָ֔יִל אַלְפַּ֖יִם וְשֵׁ֥שׁ מֵאֹֽות׃ 12
और आबाई ख़ान्दानों के सरदारों या'नी ज़बरदस्त सूर्माओं का कुल शुमार दो हज़ार छ: सौ था।
וְעַל־יָדָם֩ חֵ֨יל צָבָ֜א שְׁלֹ֧שׁ מֵאֹ֣ות אֶ֗לֶף וְשִׁבְעַ֤ת אֲלָפִים֙ וַחֲמֵ֣שׁ מֵאֹ֔ות עֹושֵׂ֥י מִלְחָמָ֖ה בְּכֹ֣חַ חָ֑יִל לַעְזֹ֥ר לַמֶּ֖לֶךְ עַל־הָאֹויֵֽב׃ 13
और उनके मातहत तीन लाख साढ़े सात हज़ार का ज़बरदस्त लश्कर था, जो दुश्मन के मुक़ाबिले में बादशाह की मदद करने को बड़े ज़ोर से लड़ता था।
וַיָּכֶן֩ לָהֶ֨ם עֻזִּיָּ֜הוּ לְכָל־הַצָּבָ֗א מָגִנִּ֤ים וּרְמָחִים֙ וְכֹ֣ובָעִ֔ים וְשִׁרְיֹנֹ֖ות וּקְשָׁתֹ֑ות וּלְאַבְנֵ֖י קְלָעִֽים׃ 14
और उज़्ज़ियाह ने उनके लिए या'नी सारे लश्कर के लिए ढालें और बर्छे और ख़ूद और बकतर और कमानें और फ़लाख़न के लिए पत्थर तैयार किए
וַיַּ֣עַשׂ ׀ בִּירוּשָׁלִַ֨ם חִשְּׁבֹנֹ֜ות מַחֲשֶׁ֣בֶת חֹושֵׁ֗ב לִהְיֹ֤ות עַל־הַמִּגְדָּלִים֙ וְעַל־הַפִּנֹּ֔ות לִירֹוא֙ בַּֽחִצִּ֔ים וּבָאֲבָנִ֖ים גְּדֹלֹ֑ות וַיֵּצֵ֤א שְׁמֹו֙ עַד־לְמֵ֣רָחֹ֔וק כִּֽי־הִפְלִ֥יא לְהֵעָזֵ֖ר עַ֥ד כִּֽי־חָזָֽק׃ 15
और उसने येरूशलेम में हुनरमंद लोगों की ईजाद की हुई कीलें बनवायीं ताकि वह तीर चलाने और बड़े बड़े पत्थर फेंकने के लिए बुर्जों और फ़सीलों पर हों। इसलिए उसका नाम दूर तक फ़ैल गया क्यूँकि उसकी मदद ऐसी 'अजीब तरह से हुई कि वह ताक़तवर हो गया
וּכְחֶזְקָתֹ֗ו גָּבַ֤הּ לִבֹּו֙ עַד־לְהַשְׁחִ֔ית וַיִּמְעַ֖ל בַּיהוָ֣ה אֱלֹהָ֑יו וַיָּבֹא֙ אֶל־הֵיכַ֣ל יְהוָ֔ה לְהַקְטִ֖יר עַל־מִזְבַּ֥ח הַקְּטֹֽרֶת׃ 16
लेकिन जब वह ताक़तवर हो गया, तो उसका दिल इस क़दर फूल गया कि वह ख़राब हो गया और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की नाफ़रमानी करने लगा; चुनाँचे वह ख़ुदावन्द की हैकल में गया ताकि ख़ुशबू की क़ुर्बानगाह पर ख़ुशबू जलाए।
וַיָּבֹ֥א אַחֲרָ֖יו עֲזַרְיָ֣הוּ הַכֹּהֵ֑ן וְעִמֹּ֞ו כֹּהֲנִ֧ים ׀ לַיהוָ֛ה שְׁמֹונִ֖ים בְּנֵי־חָֽיִל׃ 17
तब 'अज़्ज़रियाह काहिन उसके पीछे पीछे गया और उसके साथ ख़ुदावन्द के अस्सी काहिन और थे जो बहादुर आदमी थे,
וַיַּעַמְד֞וּ עַל־עֻזִּיָּ֣הוּ הַמֶּ֗לֶךְ וַיֹּ֤אמְרוּ לֹו֙ לֹא־לְךָ֣ עֻזִּיָּ֗הוּ לְהַקְטִיר֙ לַֽיהוָ֔ה כִּ֣י לַכֹּהֲנִ֧ים בְּנֵי־אַהֲרֹ֛ן הַמְקֻדָּשִׁ֖ים לְהַקְטִ֑יר צֵ֤א מִן־הַמִּקְדָּשׁ֙ כִּ֣י מָעַ֔לְתָּ וְלֹֽא־לְךָ֥ לְכָבֹ֖וד מֵיְהוָ֥ה אֱלֹהִֽים׃ 18
और उन्होंने 'उज़्ज़ियाह बादशाह का सामना किया और उससे कहने लगे, “ऐ 'उज़्ज़ियाह, ख़ुदावन्द के लिए ख़ुशबू जलाना तेरा काम नहीं, बल्कि काहिनों या'नी हारून के बेटों का काम है, जो ख़ुशबू जलाने के लिए पाक किए गए हैं। इसलिए मक़दिस से बाहर जा, क्यूँकि तू ने ख़ता की है, और ख़ुदावन्द ख़ुदा की तरफ़ से यह तेरी 'इज़्ज़त का ज़रिया' न होगा।”
וַיִּזְעַף֙ עֻזִּיָּ֔הוּ וּבְיָדֹ֥ו מִקְטֶ֖רֶת לְהַקְטִ֑יר וּבְזַעְפֹּ֣ו עִם־הַכֹּהֲנִ֗ים וְ֠הַצָּרַעַת זָרְחָ֨ה בְמִצְחֹ֜ו לִפְנֵ֤י הַכֹּֽהֲנִים֙ בְּבֵ֣ית יְהוָ֔ה מֵעַ֖ל לְמִזְבַּ֥ח הַקְּטֹֽרֶת׃ 19
तब 'उज़्ज़ियाह गु़स्सा हुआ, और ख़ुशबू जलाने को बख़ूरदान अपने हाथ में लिए हुए था; और जब वह काहिनों पर झुंझला रहा था, तो काहिनों के सामने ही ख़ुदावन्द के घर के अन्दर ख़ुशबू की कु़र्बानगाह के पास उसकी पेशानी पर कोढ़ फूट निकला।
וַיִּ֣פֶן אֵלָ֡יו עֲזַרְיָהוּ֩ כֹהֵ֨ן הָרֹ֜אשׁ וְכָל־הַכֹּהֲנִ֗ים וְהִנֵּה־ה֤וּא מְצֹרָע֙ בְּמִצְחֹ֔ו וַיַּבְהִל֖וּהוּ מִשָּׁ֑ם וְגַם־הוּא֙ נִדְחַ֣ף לָצֵ֔את כִּ֥י נִגְּעֹ֖ו יְהוָֽה׃ 20
और सरदार काहिन 'अज़रियाह और सब काहिनों ने उस पर नज़र की और क्या देखा कि उसकी पेशानी पर कोढ़ निकला है। इसलिए उन्होंने उसे जल्द वहाँ से निकाला, बल्कि उसने खु़द भी बाहर जाने में जल्दी की क्यूँकि ख़ुदावन्द की मार उस पर पड़ी थी।
וַיְהִי֩ עֻזִּיָּ֨הוּ הַמֶּ֜לֶךְ מְצֹרָ֣ע ׀ עַד־יֹ֣ום מֹותֹ֗ו וַיֵּ֜שֶׁב בֵּ֤ית הַחָפְשׁוּת (הַֽחָפְשִׁית֙) מְצֹרָ֔ע כִּ֥י נִגְזַ֖ר מִבֵּ֣ית יְהוָ֑ה וְיֹותָ֤ם בְּנֹו֙ עַל־בֵּ֣ית הַמֶּ֔לֶךְ שֹׁופֵ֖ט אֶת־עַ֥ם הָאָֽרֶץ׃ 21
चुनाँचे 'उज़्ज़ियाह बादशाह अपने मरने के दिन तक कोढ़ी रहा, और कोढ़ी होने की वजह से एक अलग घर में रहता था; क्यूँकि वह ख़ुदावन्द के घर से काट डाला गया था। और उसका बेटा यूताम बादशाह के घर का मुख़्तार था और मुल्क के लोगों का इन्साफ़ करता था।
וְיֶ֙תֶר֙ דִּבְרֵ֣י עֻזִּיָּ֔הוּ הָרִאשֹׁנִ֖ים וְהָאֲחֲרֹנִ֑ים כָּתַ֛ב יְשַֽׁעְיָ֥הוּ בֶן־אָמֹ֖וץ הַנָּבִֽיא׃ 22
और 'उज़्ज़ियाह के बाक़ी काम शुरू' से आख़िर तक आमूस के बेटे यसायाह नबी ने लिखे।
וַיִּשְׁכַּ֨ב עֻזִּיָּ֜הוּ עִם־אֲבֹתָ֗יו וַיִּקְבְּר֨וּ אֹתֹ֤ו עִם־אֲבֹתָיו֙ בִּשְׂדֵ֤ה הַקְּבוּרָה֙ אֲשֶׁ֣ר לַמְּלָכִ֔ים כִּ֥י אָמְר֖וּ מְצֹורָ֣ע ה֑וּא וַיִּמְלֹ֛ךְ יֹותָ֥ם בְּנֹ֖ו תַּחְתָּֽיו׃ פ 23
इसलिए 'उज़्ज़ियाह अपने बाप — दादा के साथ सो गया; और उन्होंने क़ब्रिस्तान के मैदान में जो बादशाहों का था, उसके बाप — दादा के साथ उसे दफ़न किया क्यूँकि वह कहने लगे, “वह कोढ़ी है।” और उसका बेटा यूताम उसकी जगह बादशाह हुआ।

< 2 דִּבְרֵי הַיָּמִים 26 >