< 1 Mose 34 >
1 Dina aber, Leas Tochter, die sie Jakob geboren hatte, ging heraus, die Töchter des Landes zu sehen.
और लियाह की बेटी दीना जो या'क़ूब से उसके पैदा हुई थी, उस मुल्क की लड़कियों के देखने को बाहर गई।
2 Da die sah Sichem, Hemors Sohn, des Heviters, der des Landes HERR war, nahm er sie und beschlief sie und schwächte sie.
तब उस मुल्क के अमीर हव्वी हमोर के बेटे सिकम ने उसे देखा, और उसे ले जाकर उसके साथ मुबाश्रत की और उसे ज़लील किया।
3 Und sein Herz hing an ihr und hatte die Dirne lieb und redete freundlich mit ihr.
और उसका दिल या'क़ूब की बेटी दीना से लग गया, और उसने उस लड़की से इश्क में मीठी — मीठी बातें कीं।
4 Und Sichem sprach zu seinem Vater Hemor: Nimm mir das Mägdlein zum Weibe.
और सिकम ने अपने बाप हमोर से कहा कि इस लड़की को मेरे लिए ब्याह ला दे।
5 Und Jakob erfuhr, daß seine Tochter Dina geschändet war; und seine Söhne waren mit dem Vieh auf dem Felde, und Jakob schwieg, bis daß sie kamen.
और या'क़ूब को मा'लूम हुआ कि उसने उसकी बेटी दीना को बे इज़्ज़त किया है। लेकिन उसके बेटे चौपायों के साथ जंगल में थे इसलिए या'क़ूब उनके आने तक चुपका रहा।
6 Da ging Hemor, Sichems Vater, heraus zu Jakob, mit ihm zu reden.
तब सिकम का बाप हमोर निकल कर या'क़ूब से बातचीत करने को उसके पास गया।
7 Indes kamen die Söhne Jakobs vom Felde. Und da sie es höreten, verdroß es die Männer und wurden sehr zornig, daß er eine Narrheit an Israel begangen und Jakobs Tochter beschlafen hatte; denn so sollte es nicht sein.
और या'क़ूब के बेटे यह बात सुनते ही जंगल से आए। यह शख़्स बड़े नाराज़ और ख़ौफ़नाक थे, क्यूँकि उसने जो या'क़ूब की बेटी से मुबाश्रत की तो बनी — इस्राईल में ऐसा मकरूह फ़ेल किया जो हरगिज़ मुनासिब न था।
8 Da redete Hemor mit ihnen und sprach: Meines Sohns Sichems Herz sehnet sich nach eurer Tochter; lieber, gebet sie ihm zum Weibe!
तब हमोर उन से कहने लगा कि मेरा बेटा सिकम तुम्हारी बेटी को दिल से चाहता है, उसे उसके साथ ब्याह दो।
9 Befreundet euch mit uns; gebet uns eure Töchter und nehmet ihr unsere Töchter
हम से समधियाना कर लो; अपनी बेटियाँ हम को दो और हमारी बेटियाँ आप लो।
10 und wohnet bei uns. Das Land soll euch offen sein; wohnet und werbet und gewinnet drinnen.
तो तुम हमारे साथ बसे रहोगे और यह मुल्क तुम्हारे सामने है, इसमें ठहरना और तिजारत करना और अपनी जायदादें खड़ी कर लेना।
11 Und Sichem sprach zu ihrem Vater und Brüdern: Lasset mich Gnade bei euch finden; was ihr mir saget, das will ich geben.
और सिकम ने इस लड़की के बाप और भाइयों से कहा, कि मुझ पर बस तुम्हारे करम की नज़र हो जाए, फिर जो कुछ तुम मुझ से कहोगे मैं दूँगा।
12 Fordert nur getrost von mir Morgengabe und Geschenk, ich will's geben, wie ihr heischet; gebt mir nur die Dirne zum Weibe.
मैं तुम्हारे कहने के मुताबिक़ जितना मेहर और जहेज़ तुम मुझ से तलब करो, दूँगा लेकिन लड़की को मुझ से ब्याह दो।
13 Da antworteten Jakobs Söhne dem Sichem und seinem Vater Hemor betrüglich, darum daß ihre Schwester Dina geschändet war,
तब या'क़ूब के बेटों ने इस वजह से कि उसने उनकी बहन दीना को बे'इज़्ज़त किया था, रिया से सिकम और उसके बाप हमोर को जवाब दिया,
14 und sprachen zu ihnen: Wir können das nicht tun, daß wir unsere Schwester einem unbeschnittenen Mann geben; denn das wäre uns eine Schande.
और कहने लगे, “हम यह नहीं कर सकते कि नामख़्तून आदमी को अपनी बहन दें, क्यूँकि इसमें हमारी बड़ी रुस्वाई है।
15 Doch dann wollen wir euch zu Willen sein, so ihr uns gleich werdet und alles, was männlich unter euch ist, beschnitten werde.
लेकिन जैसे हम हैं अगर तुम वैसे ही हो जाओ, कि तुम्हारे हर आदमियों का ख़तना कर दिया जाए तो हम राज़ी हो जाएँगे।
16 Dann wollen wir unsere Töchter euch geben und eure Töchter uns nehmen und bei euch wohnen und ein Volk sein.
और हम अपनी बेटियाँ तुम्हे देंगे और तुम्हारी बेटियाँ लेंगे और तुम्हारे साथ रहेंगे और हम सब एक क़ौम हो जाएँगे।
17 Wo ihr aber nicht willigen wollet, euch zu beschneiden, so wollen wir unsere Tochter nehmen und davonziehen.
और अगर तुम ख़तना कराने के लिए हमारी बात न मानी तो हम अपनी लड़की लेकर चले जाएँगे।”
18 Die Rede gefiel Hemor und seinem Sohn wohl.
उनकी बातें हमोर और उसके बेटे सिकम को पसन्द आई।
19 Und der Jüngling verzog nicht, solches zu tun; denn er hatte Lust zu der Tochter Jakobs. Und er war herrlich gehalten über alle in seines Vaters Hause.
और उस जवान ने इस काम में ताख़ीर न की क्यूँकि उसे या'क़ूब की बेटी की चाहत थी, और वह अपने बाप के सारे घराने में सबसे ख़ास था।
20 Da kamen sie nun, Hemor und sein Sohn Sichem, unter der Stadt Tor und redeten mit den Bürgern der Stadt und sprachen:
फिर हमोर और उसका बेटा सिकम अपने शहर के फाटक पर गए और अपने शहर के लोगों से यूँ बातें करने लगे कि,
21 Diese Leute sind friedsam bei uns und wollen im Lande wohnen und werben, so ist nun das Land weit genug für sie; wir wollen uns ihre Töchter zu Weibern nehmen und ihnen unsere Töchter geben.
यह लोग हम से मेल जोल रखते हैं; तब वह इस मुल्क में रह कर सौदागरी करें, क्यूँकि इस मुल्क में उनके लिए बहुत गुन्जाइश है, और हम उनकी बेटियाँ ब्याह लें और अपनी बेटियाँ उनकी दें।
22 Aber dann wollen sie uns zu Willen sein, daß sie bei uns wohnen und ein Volk mit uns werden, wo wir alles, was männlich unter uns ist, beschneiden, gleichwie sie beschnitten sind.
और वह भी हमारे साथ रहने और एक क़ौम बन जाने को राज़ी हैं, मगर सिर्फ़ इस शर्त पर कि हम में से हर आदमी का ख़तना किया जाए जैसा उनका हुआ है।
23 Ihr Vieh und Güter und alles, was sie haben wird unser sein, so wir nur ihnen zu Willen werden, daß sie bei uns wohnen.
क्या उनके चौपाए और माल और सब जानवर हमारे न हो जाएँगे? हम सिर्फ़ उनकी मान लें और वह हमारे साथ रहने लगेंगे।
24 Und sie gehorchten dem Hemor und Sichem, seinem Sohn, alle, die zu seiner Stadt Tor aus und ein gingen, und beschnitten alles, was männlich war, das zu seiner Stadt aus und ein ging.
तब उन सभों ने जो उसके शहर के फाटक से आया — जाया करते थे, हमोर और उसके बेटे सिकम की बात मानी और जितने उसके शहर के फाटक से आया — जाया करते थे उनमें से हर आदमी ने ख़तना कराया।
25 Und am dritten Tage, da sie es schmerzete, nahmen die zween Söhne Jakobs, Simeon und Levi, der Dina Brüder, ein jeglicher sein Schwert und gingen in die Stadt türstiglich und erwürgeten alles, was männlich war.
और तीसरे दिन जब वह दर्द में मुब्तिला थे, तो यूँ हुआ कि या'क़ूब के बेटों में से दीना के दो भाई, शमौन और लावी, अपनी अपनी तलवार लेकर अचानक शहर पर आ पड़े और सब आदमियों को क़त्ल किया।
26 Und erwürgeten auch Hemor und seinen Sohn Sichem mit der Schärfe des Schwerts; und nahmen ihre Schwester Dina aus dem Hause Sichems und gingen davon.
और हमोर और उसके बेटे सिकम को भी तलवार से क़त्ल कर डाला और सिकम के घर से दीना को निकाल ले गए।
27 Da kamen die Söhne Jakobs über die Erschlagenen und plünderten die Stadt, darum daß sie hatten ihre Schwester geschändet,
और या'क़ूब के बेटे मक़्तूलों पर आए और शहर को लूटा, इसलिए कि उन्होंने उनकी बहन को बे'इज़्ज़त किया था।
28 und nahmen ihre Schafe, Rinder, Esel und was in der Stadt und auf dem Felde war,
उन्होंने उनकी भेड़ — बकरियाँ और गाय — बैल, गधे और जो कुछ शहर और खेत में था ले लिया।
29 und alle ihre Habe, alle Kinder und Weiber nahmen sie gefangen und plünderten alles, was in den Häusern war.
और उनकी सब दौलत लूटी और उनके बच्चों और बीवियों को क़ब्ज़े में कर लिया, और जो कुछ घर में था सब लूट — घसूट कर ले गए।
30 Und Jakob sprach zu Simeon und Levi: Ihr habt mir Unglück zugerichtet, daß ich stinke vor den Einwohnern dieses Landes, den Kanaanitern und Pheresitern; und ich bin ein geringer Haufe. Wenn sie sich nun versammeln über mich, so werden sie mich schlagen. Also werde ich vertilget samt meinem Hause.
तब या'क़ूब ने शमौन और लावी से कहा, कि तुम ने मुझे कुढ़ाया क्यूँकि तुम ने मुझे इस मुल्क के बाशिन्दों, या'नी कना'नियों और फ़रिज़्ज़ियों में नफ़रतअंगेज बना दिया, क्यूँकि मेरे साथ तो थोड़े ही आदमी हैं; अब वह मिल कर मेरे मुक़ाबिले को आएँगे और मुझे क़त्ल कर देंगे, और मैं अपने घराने समेत बर्बाद हो जाऊँगा।
31 Sie antworteten aber: Sollten sie denn mit unserer Schwester als mit einer Hure handeln?
उन्होंने कहा, “तो क्या उसे मुनासिब था कि वह हमारी बहन के साथ कसबी की तरह बर्ताव करता?”