< ᎣᏍᏛ ᎧᏃᎮᏛ ᏣᏂ ᎤᏬᏪᎳᏅᎯ 17 >

1 ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ ᏥᏌ, ᎠᎴ ᏚᏌᎳᏓᏅᎩ ᏗᎦᏙᎵ ᎦᎸᎳᏗ ᏫᏚᎧᎿᎭᏅᎩ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎡᏙᏓ, ᎿᎭᏉ ᎤᏍᏆᎸᎲ; ᎯᎸᏉᏓ ᏤᏥ, ᏤᏥ ᎾᏍᏉ ᏂᎯ ᏣᎸᏉᏙᏗᏱ.
यीशु ने ये बातें कहीं और अपनी आँखें आकाश की ओर उठाकर कहा, “हे पिता, वह घड़ी आ पहुँची, अपने पुत्र की महिमा कर, कि पुत्र भी तेरी महिमा करे,
2 ᎯᏯᎵᏍᎪᎸᏓᏁᎸᏰᏃ ᏂᎦᎥ ᎤᏇᏓᎵ, ᏧᏁᏗᏱ ᎾᎵᏍᏆᏗᏍᎬᎾ ᎬᏂᏛ ᎾᏂᎥ ᏖᎧᏁᎸᎯ ᎨᏒᎢ. (aiōnios g166)
क्योंकि तूने उसको सब प्राणियों पर अधिकार दिया, कि जिन्हें तूने उसको दिया है, उन सब को वह अनन्त जीवन दे। (aiōnios g166)
3 ᎯᎠᏃ ᎾᏍᎩ ᏄᏍᏗ ᎬᏂᏛ ᎾᎵᏍᏆᏗᏍᎬᎾ-ᎾᏍᎩ ᎨᏣᎦᏙᎥᎯᏍᏗᏱ ᏂᎯ ᏨᏒᎯᏳ ᎤᏙᎯᏳᏒ ᏣᏁᎳᏅᎯ, ᎠᎴ ᎤᏂᎦᏙᎥᎯᏍᏗᏱ ᏥᏌ ᎦᎶᏁᏛ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎯᏅᏏᏛ ᏥᎩ. (aiōnios g166)
और अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ एकमात्र सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तूने भेजा है, जानें। (aiōnios g166)
4 ᎬᎸᏉᏔᏅ ᎡᎶᎯ; ᎠᎩᏍᏆᏛ ᏗᎦᎸᏫᏍᏓᏁᏗ ᏍᎩᏁᎸᎯ ᏥᎩ ᏗᎩᎸᏫᏍᏓᏁᏗᏱ.
जो काम तूने मुझे करने को दिया था, उसे पूरा करके मैंने पृथ्वी पर तेरी महिमा की है।
5 ᎿᎭᏉᏃ, ᏂᎯ ᎡᏙᏓ, ᏍᎩᎸᏉᏓ ᏨᏒ ᏗᏦᎸᎢ, ᎾᏍᎩᏯ ᎥᎩᎸᏉᏗᏳ ᏥᎨᏒᎩ ᏗᏦᎸ ᎠᏏᏉ ᏂᎬᎾᏛ ᎾᏓᎴᏂᏍᎬᎾ ᏥᎨᏒᎩ.
और अब, हे पिता, तू अपने साथ मेरी महिमा उस महिमा से कर जो जगत की सृष्टि से पहले, मेरी तेरे साथ थी।
6 ᏕᏣᏙᎥ ᎬᏂᎨᏒ ᏂᎦᏥᏴᏁᎸ ᎠᏂᏍᎦᏯ ᎡᎶᎯ ᏔᏑᏰᏛ ᏗᏍᎩᎧᏁᎸᎯ ᏥᎩ. ᏗᏣᏤᎵᎦ ᎨᏒᎩ, ᎠᎴ ᏕᏍᎩᎧᏁᎸᎩ; ᎠᎴ ᎤᏂᏍᏆᏂᎪᏔᏅ ᎧᏃᎮᏛ ᏣᏤᎵᎦ.
“मैंने तेरा नाम उन मनुष्यों पर प्रगट किया जिन्हें तूने जगत में से मुझे दिया। वे तेरे थे और तूने उन्हें मुझे दिया और उन्होंने तेरे वचन को मान लिया है।
7 ᎿᎭᏉᏃ ᎠᏂᎦᏔᎯᏳ ᏄᎵᏍᏔᏅ, ᏂᎦᎥ ᎪᎱᏍᏗ ᏍᎩᏁᎸᎯ ᏥᎩ, ᏂᎯ ᏅᏓᏳᏓᎴᎲᎯ ᎨᏒᎢ.
अब वे जान गए हैं, कि जो कुछ तूने मुझे दिया है, सब तेरी ओर से है।
8 ᏕᏥᏁᎸᏰᏃ ᎧᏃᎮᏛ ᎾᏍᎩ ᏍᎩᏁᎸᎯ ᏥᎩ; ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏚᎾᏓᏂᎸᏨ, ᎠᎴ ᎤᏂᎦᏙᎥᏒ ᎤᏙᎯᏳᏒ ᏂᎯ ᏖᎲ ᏅᏛᏆᏓᎴᏅᎯ ᎨᏒᎢ; ᎠᎴ ᎤᏃᎯᏳᏅ ᏂᎯ ᏅᏓᏍᎩᏅᏏᏛ ᎨᏒᎢ.
क्योंकि जो बातें तूने मुझे पहुँचा दीं, मैंने उन्हें उनको पहुँचा दिया और उन्होंने उनको ग्रहण किया और सच-सच जान लिया है, कि मैं तेरी ओर से आया हूँ, और यह विश्वास किया है कि तू ही ने मुझे भेजा।
9 ᎾᏍᎩ ᎦᏥᏯᏓᏙᎵᏍᏓᏁᎭ; ᎥᏝ ᎡᎶᎯ ᏱᏥᏯᏓᏙᎵᏍᏓᏁᎭ, ᎾᏍᎩᏉᏍᎩᏂ Ꮎ ᏗᏍᎩᎧᏁᎸᎯ ᏥᎩ; ᏂᎯᏰᏃ ᏗᏣᏤᎵᎦ.
मैं उनके लिये विनती करता हूँ, संसार के लिये विनती नहीं करता हूँ परन्तु उन्हीं के लिये जिन्हें तूने मुझे दिया है, क्योंकि वे तेरे हैं।
10 ᏂᎦᏛᏃ ᎠᏆᏤᎵᎦ ᏂᎯ ᏣᏤᎵᎦ, ᏂᎯᏃ ᏣᏤᎵᎦ ᎠᏴ ᎠᏆᏤᎵᎦ; ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ ᎥᎩᎸᏉᏗᎭ.
१०और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा है; और जो तेरा है वह मेरा है; और इनसे मेरी महिमा प्रगट हुई है।
11 ᎿᎭᏉᏃ ᎠᏴ ᎥᏝ ᎡᎶᎯ ᏱᎨᎠ, ᎯᎠᏍᎩᏂ ᎡᎶᎯ ᎠᏁᎭ, ᎠᏴᏃ ᏗᏦᎸ ᏫᏥᎦᏘ. ᎡᏣᎸᏉᏗᏳ ᎡᏙᏓ, ᏨᏒ ᏕᏣᏙᎥ ᎲᏗᏍᎨᏍᏗ ᏕᎯᏍᏆᏂᎪᏕᏍᏗ ᏗᏍᎩᎧᏁᎸᎯ, ᏌᏉᏉ ᎢᏳᎾᎵᏍᏙᏗᏱ, ᎾᏍᎩᏯ ᏂᎯ ᎠᏴᏃ ᏌᏉᏉ ᏥᎩ.
११मैं आगे को जगत में न रहूँगा, परन्तु ये जगत में रहेंगे, और मैं तेरे पास आता हूँ; हे पवित्र पिता, अपने उस नाम से जो तूने मुझे दिया है, उनकी रक्षा कर, कि वे हमारे समान एक हों।
12 ᎠᏏ ᎡᎶᎯ ᏥᎦᏥᏰᎳᏗᏙᎲᎩ, ᏕᏣᏙᎥ ᏕᏥᏍᏆᏂᎪᏙᏛᎩ; ᎾᏍᎩ ᏗᏍᎩᎧᏁᎸᎯ ᎦᏥᏍᏆᏂᎪᏔᏅ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᎠᏏᏴᏫ ᏳᏲᎱᏒ Ꮎ ᎤᏩᏒ ᎠᏲᎱᎯᏍᏗ ᎤᏪᏥ, ᎤᏙᎯᏳᏗᏱ ᎪᏪᎸᎢ.
१२जब मैं उनके साथ था, तो मैंने तेरे उस नाम से, जो तूने मुझे दिया है, उनकी रक्षा की, मैंने उनकी देख-रेख की और विनाश के पुत्र को छोड़ उनमें से कोई नाश न हुआ, इसलिए कि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो।
13 ᎿᎭᏉᏃ ᏗᏦᎸ ᏫᏥᎦᏘ, ᎾᏍᎩᏃ ᎯᎠ ᏂᏥᏪᎠ ᎠᏂ ᎡᎶᎯ, ᎬᏉᎵᎮᎵᎬ ᎤᏂᎧᎵᎢᏍᏗᏱ ᎤᎾᏓᏅᏛᎢ.
१३परन्तु अब मैं तेरे पास आता हूँ, और ये बातें जगत में कहता हूँ, कि वे मेरा आनन्द अपने में पूरा पाएँ।
14 ᏕᏥᏁᎸ ᎧᏃᎮᏛ ᏣᏤᎵᎦ; ᎡᎶᎯᏃ ᏗᏍᎦᎩᏳ ᏄᎵᏍᏔᏅ, ᎡᎶᎯ ᎠᏁᎯ ᏂᎨᏒᎾ ᎨᏒ ᎢᏳᏍᏗ, ᎾᏍᎩᏯ ᎠᏴ ᎡᎶᎯ ᎨᎢ ᏂᎨᏒᎾ ᏥᎩ.
१४मैंने तेरा वचन उन्हें पहुँचा दिया है, और संसार ने उनसे बैर किया, क्योंकि जैसा मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं।
15 ᎥᏝ ᎡᎶᎯ ᏗᎧᎲᏍᏗᏱ ᏱᏥᏔᏲᎯᎭ, ᏘᏲᏍᏙᏓᏁᏗᏱᏉᏍᎩᏂ ᎤᏲ ᎨᏒᎢ.
१५मैं यह विनती नहीं करता, कि तू उन्हें जगत से उठा ले, परन्तु यह कि तू उन्हें उस दुष्ट से बचाए रख।
16 ᎥᏝ ᎡᎶᎯ ᎠᏁᎯ ᏱᎩ, ᎾᏍᎩᏯ ᎠᏴ ᎡᎶᎯ ᎨᎢ ᏂᎨᏒᎾ ᏥᎩ.
१६जैसे मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं।
17 ᎦᏰᎪᎩ ᏂᎨᏒᎾ ᏣᏤᎵᎦ ᏖᏅᎦᎸᏓ; ᎧᏃᎮᏛ ᏣᏤᎵᎦ ᎾᏍᎩ ᎦᏰᎪᎩ ᏂᎨᏒᎾ.
१७सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है।
18 ᏂᎯ ᎡᎶᎯ ᎠᎩᎷᎯᏍᏗᏱ ᏍᎩᏅᏏᏛ ᏥᎩ, ᎾᏍᎩᏯ ᎾᏍᏉ ᎠᏴ ᎡᎶᎯ ᎦᏥᏅᎵ ᎾᏍᎩ.
१८जैसे तूने जगत में मुझे भेजा, वैसे ही मैंने भी उन्हें जगत में भेजा।
19 ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᎨᏒ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ ᎦᏓᏅᎦᎵᎠ, ᎾᏍᏉ ᎤᏅᏒ ᎦᏰᎪᎩ ᏂᎨᏒᎾ ᎤᎾᎿᎭᏅᎦᎸᏙᏗᏱ.
१९और उनके लिये मैं अपने आपको पवित्र करता हूँ ताकि वे भी सत्य के द्वारा पवित्र किए जाएँ।
20 ᎠᎴ ᎥᏝ ᎯᎠᏉ Ꮎ ᎤᏅᏒ ᏱᎦᏥᏯᏓᏙᎵᏍᏓᏁᎭ, ᎾᏍᏉᏍᎩᏂ Ꮎ ᎠᎾᎵᏥᏙᎲᏍᎬ ᎬᏉᎯᏳᎲᏍᎩ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗ ᏥᎩ ᎦᏥᏯᏓᏙᎵᏍᏓᏁᎭ;
२०“मैं केवल इन्हीं के लिये विनती नहीं करता, परन्तु उनके लिये भी जो इनके वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे,
21 ᎾᏍᎩ ᏂᎦᏛ ᏌᏉᏉ ᎢᏳᎾᎵᏍᏙᏗᏱ, ᎾᏍᎩᏯ ᏂᎯ ᎡᏙᏓ ᏥᏍᎩᏯᎠ, ᎠᎴ ᎠᏴ ᏥᎬᏯᎠ, ᎾᏍᎩ ᎾᏍᏉ ᏌᏉᏉ ᎢᎦᎵᏍᏙᏗᏱ; ᎾᏍᎩᏃ ᎡᎶᎯ ᎤᏬᎯᏳᏗᏱ ᏂᎯ ᏅᏓᏍᎩᏅᏏᏛ ᎨᏒᎢ.
२१कि वे सब एक हों; जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूँ, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिए कि जगत विश्वास करे, कि तू ही ने मुझे भेजा।
22 ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎥᎩᎸᏉᏙᏗ ᎨᏒ ᏂᎯ ᏍᎩᏁᎸᎯ ᏥᎩ, ᎾᏍᎩ ᎦᏥᏁᎸ, ᏌᏉ ᎢᏳᎾᎵᏍᏙᏗᏱ, ᎾᏍᎩᏯ ᏂᎯ ᎠᏴᏃ ᏌᏉᏉ ᏥᎩ;
२२और वह महिमा जो तूने मुझे दी, मैंने उन्हें दी है कि वे वैसे ही एक हों जैसे कि हम एक हैं।
23 ᎠᏴ ᎾᏍᎩ ᎦᏥᏯᎥᎢ, ᎠᎴ ᏂᎯ ᎠᏴ ᏍᎩᏯᎥᎢ, ᎾᏍᎩ ᏧᏳᎪᏗᏯ ᏌᏉᏉ ᎢᏳᎾᎵᏍᏙᏗᏱ, ᎾᏍᎩᏃ ᎡᎶᎯ ᎤᎦᏙᎥᎯᏍᏗᏱ ᏅᏓᏍᎩᏅᏏᏛ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏘᎨᏳᎯᏳ ᎨᏒᎢ, ᎾᏍᎩᏯ ᏍᎩᎨᏳᎢᏳ ᏥᎩ.
२३मैं उनमें और तू मुझ में कि वे सिद्ध होकर एक हो जाएँ, और जगत जाने कि तू ही ने मुझे भेजा, और जैसा तूने मुझसे प्रेम रखा, वैसा ही उनसे प्रेम रखा।
24 ᎡᏙᏓ, ᎠᏆᏚᎵ ᎾᏍᏉ ᏗᏍᎩᎧᏁᎸᎯ ᎠᏴ ᎨᎥᎢ ᎾᏍᎩ ᎢᏧᎳᎭ ᎣᎦᏕᏗᏱ, — ᎾᏍᎩᏃ ᎤᏂᎪᏩᏛᏗᏱ ᎥᎩᎸᏉᏛᎢ, ᎾᏍᎩ ᏍᎩᏁᎸᎯ ᏥᎩ; ᏍᎩᎨᏳᎯᏳᏰᏃ ᎨᏒᎩ ᎠᏏ ᎡᎶᎯ ᎾᏓᎴᏂᏍᎬᎾ ᏥᎨᏒᎩ.
२४हे पिता, मैं चाहता हूँ कि जिन्हें तूने मुझे दिया है, जहाँ मैं हूँ, वहाँ वे भी मेरे साथ हों कि वे मेरी उस महिमा को देखें जो तूने मुझे दी है, क्योंकि तूने जगत की उत्पत्ति से पहले मुझसे प्रेम रखा।
25 ᏣᏓᏅᏘ ᎡᏙᏓ, ᎡᎶᎯ ᎥᏝ ᏣᎦᏔᎯ ᏱᎩ, ᎠᏴᏍᎩᏂ ᎬᏩᏔᎯᏳ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᎠᏂᎦᏔᎯᏳ ᏍᎩᏅᏏᏛ ᎨᏒᎢ.
२५हे धार्मिक पिता, संसार ने मुझे नहीं जाना, परन्तु मैंने तुझे जाना और इन्होंने भी जाना कि तू ही ने मुझे भेजा।
26 ᎠᏴᏃ ᏕᏣᏙᎥ ᎦᏥᎾᏄᎪᏫᏎᎸ, ᎠᎴ ᎠᏎ ᏓᎦᏥᎾᏄᎪᏫᏎᎵ, ᎤᏁᎳᏗᏍᏙᏗᏱ ᎠᏴ ᏍᎩᎨᏳᎯᏳ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎠᏴ ᎾᏍᎩ ᎦᏥᏯᎢ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗᏱ.
२६और मैंने तेरा नाम उनको बताया और बताता रहूँगा कि जो प्रेम तुझको मुझसे था, वह उनमें रहे और मैं उनमें रहूँ।”

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