< ՅԱՅՏՆՈՒԹԻՒՆ ՅՈՎՀԱՆՆՈՒ 5 >

1 Գահին վրայ բազմողին աջ ձեռքին մէջ տեսայ գիրք մը՝ գրուած ներսէն ու դուրսէն, եւ կնքուած եօթը կնիքով:
जो सिंहासन पर बैठे थे, उनके दाएं हाथ में मैंने एक पुस्तक देखी, जिसके पृष्ठों पर दोनों ओर लिखा हुआ था, तथा जो सात मोहरों द्वारा बंद की हुई थी.
2 Տեսայ նաեւ հզօր հրեշտակ մը, որ բարձրաձայն կը յայտարարէր. «Ո՞վ արժանի է բանալու այդ գիրքը եւ քակելու ատոր կնիքները»:
तब मैंने एक शक्तिशाली स्वर्गदूत को देखा, जो ऊंचे शब्द में यह घोषणा कर रहा था, “कौन है वह, जिसमें यह योग्यता है कि वह इन मोहरों को तोड़ सके तथा इस पुस्तक को खोल सके?”
3 Բայց ո՛չ մէկը, ո՛չ երկինքի մէջ, ո՛չ երկրի վրայ, ո՛չ ալ երկրի ներքեւ՝ կարող էր բանալ այդ գիրքը, ո՛չ ալ նայիլ անոր:
न तो स्वर्ग में, न पृथ्वी पर और न ही पृथ्वी के नीचे कोई इस योग्य था कि इस पुस्तक को खोल या पढ़ सके.
4 Ես ալ սաստիկ կու լայի՝ քանի որ ո՛չ մէկը արժանի գտնուեցաւ բանալու այդ գիրքը, ո՛չ ալ նայելու անոր:
मेरी आंखों से आंसू बहने लगे क्योंकि कोई भी ऐसा योग्य न निकला, जो इस पुस्तक को खोल या पढ़ सके.
5 Իսկ երէցներէն մէկը ըսաւ ինծի. «Մի՛ լար. ահա՛ Յուդայի տոհմէն եղող Առիւծը, Դաւիթի Արմատը, յաղթեց՝ որպէսզի բանայ այդ գիրքը եւ քակէ ատոր եօթը կնիքները:
तब उन पुरनियों में से एक ने मुझसे कहा, “बंद करो यह रोना! देखो, यहूदाह गोत्र का वह सिंह, दावीद वंश का मूल विजयी हुआ है कि वही इन सात मोहरों को तोड़े. वही इस पुस्तक को खोलने में सामर्थ्यी है.”
6 Ու տեսայ թէ գահին եւ չորս էակներուն մէջտեղ, ու երէցներուն մէջտեղ, կայնած էր Գառնուկ մը՝ որպէս թէ մորթուած. ան ունէր եօթը եղջիւր ու եօթը աչք, որոնք Աստուծոյ եօթը Հոգիներն են՝ ղրկուած ամբողջ երկիրը:
तब मैंने एक मेमने को, मानो जिसका वध बलि के लिए कर दिया गया हो, सिंहासन, चारों प्राणियों तथा पुरनियों के बीच खड़े हुए देखा, जिसके सात सींग तथा सात आंखें थी, जो सारी पृथ्वी पर भेजे गए परमेश्वर की सात आत्मा हैं.
7 Ան եկաւ եւ առաւ գիրքը գահին վրայ բազմողին աջ ձեռքէն:
मेमने ने आगे बढ़कर, उनके दाएं हाथ से, जो सिंहासन पर विराजमान थे, इस पुस्तक को ले लिया.
8 Երբ առաւ գիրքը, չորս էակներն ու քսանչորս երէցները ինկան Գառնուկին առջեւ եւ երկրպագեցին. անոնցմէ իւրաքանչիւրը ունէր քնար մը, ու ոսկիէ սկաւառակ մը՝ խունկերով լեցուն, որ սուրբերուն աղօթքներն են:
जब उसने पुस्तक ली तो चारों प्राणी तथा चौबीसों प्राचीन उस मेमने के सामने नतमस्तक हो गए. उनमें से प्रत्येक के हाथ में वीणा तथा धूप—पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं—से भरे सोने के बर्तन थे.
9 Անոնք կ՚երգէին նոր երգ մը՝ ըսելով. «Դուն արժանի ես առնելու այդ գիրքը եւ քակելու ատոր կնիքները. որովհետեւ մորթուեցար, ու քու արիւնովդ գնեցիր մեզ Աստուծոյ համար՝ ամէն տոհմէ, լեզուէ, ժողովուրդէ եւ ազգէ,
वे यह नया गीत गा रहे थे: “आप ही पुस्तक लेकर इसकी मोहरें खोलने के योग्य हैं. आपका वध बलि के लिए किया गया, तथा आपने अपने लहू द्वारा हर एक गोत्र, भाषा, जन तथा राष्ट्रों से मनुष्यों को परमेश्वर के लिए मोल लिया है.
10 թագաւորներ ու քահանաներ ըրիր մեզ մեր Աստուծոյն, եւ երկրի վրայ պիտի թագաւորենք»:
आपने उन्हें परमेश्वर की प्रजा बनाया तथा परमेश्वर की सेवा के लिए पुरोहित ठहराया है. वे इस पृथ्वी पर राज्य करेंगे.”
11 Տեսայ, ու լսեցի ձայնը շատ հրեշտակներու՝ որոնք գահին, էակներուն եւ երէցներուն շուրջն էին. անոնց թիւը բիւրերով բիւր ու հազարներով հազար էր:
तब मैंने अनेकों स्वर्गदूतों का शब्द सुना, ये स्वर्गदूत अनगिनत थे—हज़ारों और हज़ारों. ये स्वर्गदूत सिंहासन, चारों प्राणियों तथा पुरनियों के चारों ओर खड़े हुए थे.
12 Անոնք բարձրաձայն կ՚ըսէին. «Այդ մորթուած Գառնուկը արժանի է ընդունելու զօրութիւն, հարստութիւն, իմաստութիւն, ոյժ, պատիւ, փառք եւ օրհնաբանութիւն»:
वे स्वर्गदूत ऊंचे शब्द में यह गा रहे थे: “वह मेमना, जिसका वध किया गया, सामर्थ्य, वैभव, ज्ञान, शक्ति, आदर, महिमा और स्तुति का अधिकारी है.”
13 Ու լսեցի բոլոր արարածները՝ երկինքի մէջ, երկրի վրայ, երկրի ներքեւ եւ ծովու մէջ եղող, ու ամէն ինչ որ անոնց մէջ կայ, որոնք կ՚ըսէին. «Գահին վրայ բազմողին եւ Գառնուկին՝ օրհնաբանութի՜ւն, պատի՜ւ, փա՜ռք ու զօրութի՜ւն դարէ դար՝՝»: (aiōn g165)
इसी प्रकार मैंने सारी सृष्टि—स्वर्ग में, इस पृथ्वी पर तथा इस पृथ्वी के नीचे, समुद्र तथा उसमें बसी हुई हर एक वस्तु को यह कहते सुना: “मेमने का तथा उनका, जो सिंहासन पर बैठे हैं, स्तुति, आदर, महिमा तथा प्रभुता, (aiōn g165)
14 Եւ չորս էակները կ՚ըսէին. «Ամէն»: Ու երէցները ինկան եւ երկրպագեցին:
चारों प्राणियों ने कहा, “आमेन” तथा पुरनियों ने दंडवत होकर आराधना की.

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