< الأمثال 28 >

يَهْرُبُ الشِّرِّيرُ مَعَ أَنَّ لَا مُطَارِدَ لَهُ، أَمَّا الصِّدِّيقُونَ فَشَجَاعَتُهُمْ كَشَجَاعَةِ الشِّبْلِ. ١ 1
दुष्ट लोग जब कोई पीछा नहीं करता तब भी भागते हैं, परन्तु धर्मी लोग जवान सिंहों के समान निडर रहते हैं।
عِنْدَمَا يَتَمَرَّدُ أَهْلُ أَرْضٍ يَكْثُرُ رُؤَسَاؤُهُمْ وَتَعُمُّ الْفَوْضَى، وَلَكِنَّهَا تَدُومُ إِنْ حَكَمَهَا ذُو فَهْمٍ وَمَعْرِفَةٍ. ٢ 2
देश में पाप होने के कारण उसके हाकिम बदलते जाते हैं; परन्तु समझदार और ज्ञानी मनुष्य के द्वारा सुप्रबन्ध बहुत दिन के लिये बना रहेगा।
الْفَقِيرُ الْجَائِرُ عَلَى الْمُعْوَزِ، كَمَطَرٍ جَارِفٍ لَا يُبْقِي عَلَى طَعَامٍ. ٣ 3
जो निर्धन पुरुष कंगालों पर अंधेर करता है, वह ऐसी भारी वर्षा के समान है जो कुछ भोजनवस्तु नहीं छोड़ती।
مَنْ يُهْمِلِ الشَّرِيعَةَ يَحْمَدِ الشِّرِّيرَ، وَالَّذِي يُحَافِظُ عَلَيْهَا يُخَاصِمُهُ. ٤ 4
जो लोग व्यवस्था को छोड़ देते हैं, वे दुष्ट की प्रशंसा करते हैं, परन्तु व्यवस्था पर चलनेवाले उनका विरोध करते हैं।
لَا يَفْهَمُ الأَشْرَارُ الْعَدْلَ، أَمَّا مُلْتَمِسُو الرَّبِّ فَيُدْرِكُونَهُ تَمَاماً. ٥ 5
बुरे लोग न्याय को नहीं समझ सकते, परन्तु यहोवा को ढूँढ़नेवाले सब कुछ समझते हैं।
الرَّجُلُ الْفَقِيرُ السَّالِكُ بِكَمَالِهِ، خَيْرٌ مِنَ الْغَنِيِّ المُنْحَرِفِ فِي طُرُقِهِ. ٦ 6
टेढ़ी चाल चलनेवाले धनी मनुष्य से खराई से चलनेवाला निर्धन पुरुष ही उत्तम है।
مَنْ يُحَافِظُ عَلَى الشَّرِيعَةِ هُوَ ابْنٌ حَكِيمٌ، أَمَّا عَشِيرُ الْجَشِعِينَ فَيُخْجِلُ أَبَاهُ. ٧ 7
जो व्यवस्था का पालन करता वह समझदार सुपूत होता है, परन्तु उड़ाऊ का संगी अपने पिता का मुँह काला करता है।
الْمُكْثِرُ مَالَهُ بِالرِّبَا وَالاسْتِغْلالِ، إِنَّمَا يَجْمَعُهُ لِمَنْ هُوَ رَحِيمٌ بِالْفُقَرَاءِ. ٨ 8
जो अपना धन ब्याज से बढ़ाता है, वह उसके लिये बटोरता है जो कंगालों पर अनुग्रह करता है।
مَنْ يَصْرِفُ أُذُنَهُ عَنِ الاسْتِمَاعِ إِلَى الشَّرِيعَةِ، تَصِيرُ حَتَّى صَلاتُهُ رَجَاسَةً. ٩ 9
जो अपना कान व्यवस्था सुनने से मोड़ लेता है, उसकी प्रार्थना घृणित ठहरती है।
مَنْ يُضِلُّ الْمُسْتَقِيمِينَ لِيَسْلُكُوا فِي سَبِيلِ الشَّرِّ، يَسْقُطُ فِي حُفْرَتِهِ، أَمَّا الْكَامِلُونَ فَيَنَالُونَ مِيرَاثَ خَيْرٍ. ١٠ 10
१०जो सीधे लोगों को भटकाकर कुमार्ग में ले जाता है वह अपने खोदे हुए गड्ढे में आप ही गिरता है; परन्तु खरे लोग कल्याण के भागी होते हैं।
الْغَنِيُّ حَكِيمٌ فِي عَيْنَيْ نَفْسِهِ، لَكِنَّ الْفَقِيرَ الْبَصِيرَ يَكْتَشِفُ حَقِيقَتَهُ. ١١ 11
११धनी पुरुष अपनी दृष्टि में बुद्धिमान होता है, परन्तु समझदार कंगाल उसका मर्म समझ लेता है।
عِنْدَمَا يَظْفَرُ الصِّدِّيقُ يَشِيعُ الْفَخْرُ الْعَظِيمُ، لَكِنْ حِينَ يَتَسَلَّطُ الأَشْرَارُ يَتَوَارَى النَّاسُ. ١٢ 12
१२जब धर्मी लोग जयवन्त होते हैं, तब बड़ी शोभा होती है; परन्तु जब दुष्ट लोग प्रबल होते हैं, तब मनुष्य अपने आपको छिपाता है।
مَنْ يَكْتُمُ آثَامَهُ لَا يُفْلِحُ، وَمَنْ يَعْتَرِفُ بِها وَيُقْلِعُ عَنْهَا يَحْظَى بِالرَّحْمَةِ. ١٣ 13
१३जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सफल नहीं होता, परन्तु जो उनको मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जाएगी।
طُوبَى لِلإِنْسَانِ الَّذِي يَتَّقِي الرَّبَّ دَائِماً، أَمَّا مَنْ يُقَسِّي قَلْبَهُ فَيَسْقُطُ فِي الْبَلِيَّةِ. ١٤ 14
१४जो मनुष्य निरन्तर प्रभु का भय मानता रहता है वह धन्य है; परन्तु जो अपना मन कठोर कर लेता है वह विपत्ति में पड़ता है।
الْحَاكِمُ الْعَاتِي الْمُتَسَلِّطُ عَلَى الضُّعَفَاءِ، مِثْلُ أَسَدٍ زَائِرٍ أَوْ دُبٍّ ثَائِرٍ. ١٥ 15
१५कंगाल प्रजा पर प्रभुता करनेवाला दुष्ट, गरजनेवाले सिंह और घूमनेवाले रीछ के समान है।
الْحَاكِمُ الْمُفْتَقِرُ إِلَى الْفِطْنَةِ، هُوَ مُتَسَلِّطٌ جَائِرٌ. وَمَنْ يَمْقُتُ الرِّبْحَ الْحَرَامَ يَتَمَتَّعُ بِعُمْرٍ مَدِيدٍ. ١٦ 16
१६वह शासक जिसमें समझ की कमी हो, वह बहुत अंधेर करता है; और जो लालच का बैरी होता है वह दीर्घायु होता है।
مَنْ هُوَ مُثَقَّلٌ بِارْتِكَابِ سَفْكِ دَمٍ، يَظَلُّ طَرِيداً حَتَّى وَفَاتِهِ، وَلا يُعِينُهُ أَحَدٌ. ١٧ 17
१७जो किसी प्राणी की हत्या का अपराधी हो, वह भागकर गड्ढे में गिरेगा; कोई उसको न रोकेगा।
مَنْ يَسْلُكْ بِالْكَمَالِ يَنْجُ، أَمَّا الْمُنْحَرِفُ إِلَى سَبِيلَيْنِ فَيَسْقُطُ فِي أَحَدِهِمَا. ١٨ 18
१८जो सिधाई से चलता है वह बचाया जाता है, परन्तु जो टेढ़ी चाल चलता है वह अचानक गिर पड़ता है।
مَنْ يَفْلَحْ أَرْضَهُ يَكْثُرْ طَعَامُهُ، أَمَّا مَنْ يَتْبَعْ أَوْهَاماً بَاطِلَةً فَيَشْتَدّ فَقْرُهُ. ١٩ 19
१९जो अपनी भूमि को जोता-बोया करता है, उसका तो पेट भरता है, परन्तु जो निकम्मे लोगों की संगति करता है वह कंगालपन से घिरा रहता है।
الرَّجُلُ الأَمِينُ يَحْظَى بِبَرَكَاتٍ غَزِيرَةٍ، وَالْمُتَعَجِّلُ إِلَى الثَّرَاءِ لَا يَكُونُ بَرِيئاً. ٢٠ 20
२०सच्चे मनुष्य पर बहुत आशीर्वाद होते रहते हैं, परन्तु जो धनी होने में उतावली करता है, वह निर्दोष नहीं ठहरता।
الْمُحَابَاةُ نَقِيصَةٌ، وَمِنْ أَجْلِ كِسْرَةِ خُبْزٍ يَرْتَكِبُ الإِنْسَانُ الإِسَاءَةَ. ٢١ 21
२१पक्षपात करना अच्छा नहीं; और यह भी अच्छा नहीं कि रोटी के एक टुकड़े के लिए मनुष्य अपराध करे।
ذُو الْعَيْنِ الشِّرِّيرَةِ يَسْعَى مُسْرِعاً وَرَاءَ الْغِنَى، وَلا يُدْرِكُ أَنَّ الْفَقْرَ مُطْبِقٌ عَلَيْهِ. ٢٢ 22
२२लोभी जन धन प्राप्त करने में उतावली करता है, और नहीं जानता कि वह घटी में पड़ेगा।
مَنْ يُوَبِّخْ إِنْسَاناً يَحْظَ مِنْ بَعْدُ بِرِضَاهُ أَكْثَرَ مِمَّنْ يَتَمَلَّقُ بِلِسَانِهِ. ٢٣ 23
२३जो किसी मनुष्य को डाँटता है वह अन्त में चापलूसी करनेवाले से अधिक प्यारा हो जाता है।
مَنْ يَسْلُبُ أَبَاهُ وَأُمَّهُ قَائِلاً: لَيْسَ فِي هَذَا إِثْمٌ، هُوَ شَرِيكُ الْهَادِمِ. ٢٤ 24
२४जो अपने माँ-बाप को लूटकर कहता है कि कुछ अपराध नहीं, वह नाश करनेवाले का संगी ठहरता है।
الإِنْسَانُ الْجَشِعُ يُثِيرُ النِّزَاعَ، وَالْمُتَوَكِّلُ عَلَى الرَّبِّ يُغْنَى. ٢٥ 25
२५लालची मनुष्य झगड़ा मचाता है, और जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह हष्ट-पुष्ट हो जाता है।
الْمُتَّكِلُ عَلَى رَأْيِهِ أَحْمَقُ، أَمَّا السَّالِكُ فِي الْحِكْمَةِ فَيَنْجُو. ٢٦ 26
२६जो अपने ऊपर भरोसा रखता है, वह मूर्ख है; और जो बुद्धि से चलता है, वह बचता है।
مَنْ يُحْسِنْ إِلَى الْفَقِيرِ لَا يُدْرِكْهُ عَوَزٌ وَمَنْ يَحْجِبُ عَيْنَيْهِ عَنْهُ تَنْصَبُّ عَلَيْهِ لَعْنَاتٌ كَثِيرَةٌ. ٢٧ 27
२७जो निर्धन को दान देता है उसे घटी नहीं होती, परन्तु जो उससे दृष्टि फेर लेता है वह श्राप पर श्राप पाता है।
عِنْدَمَا يَتَسَلَّطُ الأَشْرَارُ يَتَوَارَى النَّاسُ، وَعِنْدَمَا يَبِيدُونَ يَكْثُرُ الأَبْرَارُ. ٢٨ 28
२८जब दुष्ट लोग प्रबल होते हैं तब तो मनुष्य ढूँढ़े नहीं मिलते, परन्तु जब वे नाश हो जाते हैं, तब धर्मी उन्नति करते हैं।

< الأمثال 28 >