< إرْمِيا 50 >

النُّبُوءَةُ الَّتِي قَضَى بِها الرَّبُّ عَلَى بَابِلَ وَعَلَى بِلادِ الْكَلْدَانِيِّينَ عَلَى لِسَانِ إِرْمِيَا النَّبِيِّ: ١ 1
वह कलाम जो ख़ुदावन्द ने बाबुल और कसदियों के मुल्क के बारे में यरमियाह नबी की ज़रिए' फ़रमाया:
«أَذِيعُوا بَيْنَ الأُمَمِ، وَأَعْلِنُوا. انْصِبُوا الرَّايَةَ وَخَبِّرُوا. لَا تَكْتُمُوا. قُولُوا: قَدْ تَمَّ الاسْتِيْلاءُ عَلَى بَابِلَ وَلَحِقَ بِبِيلَ الْعَارُ وَتَحَطَّمَ مَرُودَخُ. خَرِبَتْ أَصْنَامُهَا وَانْسَحَقَتْ أَوْثَانُهَا. ٢ 2
क़ौमों में 'ऐलान करो, और इश्तिहार दो, और झण्डा खड़ा करो, 'ऐलान करो, पोशीदा न रख्खो; कह दो कि बाबुल ले लिया गया, बेल रुस्वा हुआ, मरोदक सरासीमा हो गया; उसके बुत ख़जिल हुए, उसकी मूरतें तोड़ी गईं।
لأَنَّ أُمَّةً مِنَ الشِّمَالِ قَدْ زَحَفَتْ عَلَيْهَا لِتَجْعَلَ أَرْضَهَا مَهْجُورَةً. شَرَدَ مِنْهَا النَّاسُ وَالْبَهَائِمُ جَمِيعاً. ٣ 3
क्यूँकि उत्तर से एक क़ौम उस पर चढ़ी चली आती है, जो उसकी सरज़मीन को उजाड़ देगी, यहाँ तक कि उसमें कोई न रहेगा, वह भाग निकले, वह चल दिए, क्या इंसान क्या हैवान।
وَفِي تِلْكَ الأَيَّامِ، يَقُولُ الرَّبُّ، يَتَوَافَدُ أَبْنَاءُ إِسْرَائِيلَ وَأَبْنَاءُ يَهُوذَا مَعاً. يَبْكُونَ فِي سَيْرِهِمْ وَيَلْتَمِسُونَ الرَّبَّ إِلَهَهُمْ. ٤ 4
'ख़ुदावन्द फ़रमाता है, उन दिनों में बल्कि उसी वक़्त बनी — इस्राईल आएँगे; वह और बनी यहूदाह इकट्ठे रोते हुए चलेंगे और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के तालिब होंगे।
يَسْأَلُونَ عَنِ الطَّرِيقِ إِلَى صِهْيَوْنَ، وَيَتَوَجَّهُونَ إِلَيْهَا قَائِلِينَ: هَلُمَّ نَنْضَمُّ إِلَى الرَّبِّ بِعَهْدٍ أَبَدِيٍّ لَا يُنْسَى. ٥ 5
वह सिय्यून की तरफ़ मुतवज्जिह होकर उसकी राह पूछेंगे, 'आओ, हम ख़ुदावन्द से मिल कर उससे अबदी 'अहद करें, जो कभी फ़रामोश न हो।
إِنَّ شَعْبِي كَغَنَمٍ ضَالَّةٍ، أَضَلَّهُمْ رُعَاتُهُمْ، وَشَرَّدُوهُمْ عَلَى الْجِبَالِ، فَتَاهُوا مَا بَيْنَ الْجَبَلِ وَالتَّلِّ وَنَسَوْا مَرْبَضِهُمْ. ٦ 6
मेरे लोग भटकी हुई भेड़ों की तरह हैं; उनके चरवाहों ने उनको गुमराह कर दिया, उन्होंने उनको पहाड़ों पर ले जाकर छोड़ दिया; वह पहाड़ों से टीलों पर गए और अपने आराम का मकान भूल गए हैं।
كُلُّ مَنْ وَجَدَهُمُ افْتَرَسَهُمْ، وَقَالَ أَعْدَاؤُهُمْ: لَا ذَنْبَ عَلَيْنَا لأَنَّهُمْ هُمُ الَّذِينَ أَخْطَأُوا فِي حَقِّ الرَّبِّ الَّذِي هُوَ مَلاذُهُمُ الْحَقُّ، وَرَجَاءُ آبَائِهِمْ. ٧ 7
सब जिन्होंने उनको पाया उनको निगल गए, और उनके दुश्मनों ने कहा, हम क़ुसूरवार नहीं हैं क्यूँकि उन्होंने ख़ुदावन्द का गुनाह किया है; वह ख़ुदावन्द जो सदाक़त का मस्कन और उनके बाप — दादा की उम्मीदगाह है।
اهْرُبُوا مِنْ وَسَطِ بَابِلَ وَاخْرُجُوا مِنْ دِيَارِ الْكَلْدَانِيِّينَ وَكُونُوا كَالتُّيُوسِ أَمَامَ قَطِيعِ الْغَنَمِ. ٨ 8
बाबुल में से भागो, और कसदियों की सरज़मीन से निकलो, और उन बकरों की तरह हो जो गल्लों के आगे आगे चलते हैं।
فَهَا أَنَا أُثِيرُ وَأَجْلِبُ عَلَى بَابِلَ حُشُودَ أُمَمٍ عَظِيمَةٍ مِنْ أَرْضِ الشِّمَالِ فَيَصْطَفُّونَ عَلَيْهَا، وَيَسْتَوْلُونَ عَلَيْهَا مِنَ الشِّمَالِ، وَتَكُونُ سِهَامُهُمْ كَجَبَّارٍ مُتَمَرِّسٍ لَا يَرْجِعُ فَارِغاً، ٩ 9
क्यूँकि देख, मैं उत्तर की सरज़मीन से बड़ी क़ौमों के अम्बोह को बर्पा करूँगा और बाबुल पर चढ़ा लाऊँगा, और वह उसके सामने सफ़ — आरा होंगे; वहाँ से उस पर क़ब्ज़ा कर लेंगे उनके तीरकार आज़मूदा बहादुर के से होंगे जो ख़ाली हाथ नहीं लौटता।
فَتُصْبِحُ أَرْضُ الْكَلْدَانِيِّينَ غَنِيمَةً، وَكُلُّ مَنْ يَسْلُبُهَا يُتْخَمُ، يَقُولُ الرَّبُّ. ١٠ 10
कसदिस्तान लूटा जाएगा, उसे लूटने वाले सब आसूदा होंगे, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
لأَنَّكُمْ تَبْتَهِجُونَ وَتَطْفُرُونَ غِبْطَةً يَا نَاهِبِي شَعْبِي، وَتَمْرَحُونَ كَعِجْلَةٍ فَوْقَ الْعُشْبِ وَتَصْهِلُونَ كَالْخَيْلِ. ١١ 11
ऐ मेरी मीरास को लूटनेवालों, चूँकि तुम शादमान और ख़ुश हो और दावने वाली बछिया की तरह कूदते फाँदते और ताक़तवर घोड़ों की तरह हिनहिनाते हो;
فَإِنَّ أُمَّكُمْ قَدْ لَحِقَهَا الْخِزْيُ الشَّدِيدُ وَانْتَابَهَا الْخَجَلُ. هَا هِيَ تُضْحِي أَقَلَّ الشُّعُوبِ، وَأَرْضُهَا تَصِيرُ قَفْراً جَافّاً وَصَحْرَاءَ. ١٢ 12
इसलिए तुम्हारी माँ बहुत शर्मिन्दा होगी, तुम्हारी वालिदा ख़जालत उठाएगी। देखो, वह क़ौमों में सबसे आख़िरी ठहरेगी और वीरान — ओ — ख़ुश्क ज़मीन और रेगिस्तान होगी।
وَتَظَلُّ بِأَسْرِهَا مَهْجُورَةً وَخَرِبَةً، كُلُّ مَنْ يَمُرُّ بِبَابِلَ يُصِيبُهُ الذُّعْرُ وَيَصْفَرُ دَهْشَةً لِمَا ابْتُلِيَتْ بِهِ مِنْ نَكْبَاتٍ، لأَنَّهَا أَثَارَتْ غَضَبَ الرَّبِّ. ١٣ 13
ख़ुदावन्द के क़हर की वजह से वह आबाद न होगी, बल्कि बिल्कुल वीरान हो जाएगी; जो कोई बाबुल से गुज़रेगा हैरान होगा, और उसकी सब आफ़तों के बाइस सुस्कारेगा।
اصْطَفُّوا عَلَى بَابِلَ مِنْ كُلِّ نَاحِيَةٍ يَا جَمِيعَ مُوَتِّرِي الأَقْوَاسِ. ارْمُوا السِّهَامَ وَلا تُبْقُوا مِنْهَا سَهْماً وَاحِداً، لأَنَّهَا قَدْ أَخْطَأَتْ فِي حَقِّ الرَّبِّ. ١٤ 14
ऐ सब तीरअन्दाज़ो, बाबुल को घेर कर उसके ख़िलाफ़ सफ़आराई करो, उस पर तीर चलाओ, तीरों को दरेग़ न करो, क्यूँकि उसने ख़ुदावन्द का गुनाह किया है।
أَطْلِقُوا هُتَافَ الْحَرْبِ عَلَيْهَا مِنْ كُلِّ جَانِبٍ، فَقَدِ اسْتَسْلَمَتْ وَانْهَارَتْ أُسُسُهَا، وَتَقَوَّضَتْ أَسْوَارُهَا، لأَنَّ هَذَا هُوَ انْتِقَامُ الرَّبِّ، فَاثْأَرُوا مِنْهَا، وَعَامِلُوهَا بِمِثْلِ مَا عَامَلَتْكُمْ. ١٥ 15
उसे घेर कर तुम उस पर ललकारो, उसने इता'अत मन्ज़ूर कर ली; उसकी बुनियादें धंस गई, उसकी दीवारें गिर गई। क्यूँकि यह ख़ुदावन्द का इन्तक़ाम है, उससे इन्तक़ाम लो; जैसा उसने किया, वैसा ही तुम उससे करो।
اسْتَأْصِلُوا الزَّارِعَ مِنْ بَابِلَ وَالْحَاصِدَ بِالْمِنْجَلِ فِي مَوْسِمِ الْحَصَادِ إِذْ يَرْجِعُ كُلُّ وَاحِدٍ إِلَى قَوْمِهِ، وَيَهْرُبُ إِلَى أَرْضِهِ فِرَاراً مِنْ سَيْفِ الْعَاتِي. ١٦ 16
बाबुल में हर एक बोनेवाले को और उसे जो दिरौ के वक़्त दरॉती पकड़े, काट डालो; ज़ालिम की तलवार की हैबत से हर एक अपने लोगों में जा मिलेगा, और हर एक अपने वतन को भाग जाएगा।
إِسْرَائِيلُ قَطِيعُ غَنَمٍ مُتَشَتِّتٌ، طَرَدَتْهُ الأُسُودُ. كَانَ مَلِكُ أَشُّورَ أَوَّلَ مَنِ افْتَرَسَهُ، وَنَبُوخَذْنَصَّرُ آخِرَ مَنْ هَشَّمَ عِظَامَهُ. ١٧ 17
इस्राईल तितर — बितर भेड़ों की तरह है, शेरों ने उसे रगेदा है। पहले शाह — ए — असूर ने उसे खा लिया और फिर यह शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र उसकी हड्डियाँ तक चबा गया।
لِذَلِكَ هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: هَا أَنَا أُعَاقِبُ مَلِكَ بَابِلَ وَأَرْضَهُ. كَمَا عَاقَبْتُ مَلِكَ أَشُّورَ مِنْ قَبْلُ. ١٨ 18
इसलिए रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: देख, मैं शाह — ए — बाबुल और उसके मुल्क को सज़ा दूँगा, जिस तरह मैंने शाह — ए — असूर को सज़ा दी है।
وَأَرُدُّ إِسْرَائِيلَ إِلَى مَرْتَعِهِ، فَيَرْعَى فِي الْكَرْمَلِ وَفِي بَاشَانَ، وَتَشْبَعُ نَفْسُهُ فِي جَبَلِ أَفْرَايِمَ وَجِلْعَادَ. ١٩ 19
लेकिन मैं इस्राईल को फिर उसके घर में लाऊँगा, और वह कर्मिल और बसन में चरेगा, और उसकी जान कोह — ए — इफ़्राईम और जिल'आद पर आसूदा होगी।
وَفِي ذَلِكَ الزَّمَانِ وَالأَوَانِ، يَقُولُ الرَّبُّ، يُلْتَمَسُ إِثْمُ إِسْرَائِيلَ فَلا يُوْجَدُ، وَخَطِيئَةُ يَهُوذَا فَلا تَكُونُ، لأَنِّي أَعْفُو عَمَّنْ أَبْقَيْتُهُ مِنْهُمَا. ٢٠ 20
ख़ुदावन्द फ़रमाता है, उन दिनों में और उसी वक़्त इस्राईल की बदकिरदारी ढूँडे न मिलेगी; और यहूदाह के गुनाहों का पता न मिलेगा जिनको मैं बाक़ी रखूँगा उनको मु'आफ़ करूँगा।
ازْحَفْ عَلَى أَرْضِ مِيَراثَايِمَ (وَمَعْنَاهُ: الْمُفْرِطُ فِي التَّمَرُّدِ)، وَعَلَى الْمُقِيمِينَ فِي فَقُودَ (وَمَعْنَاهُ: الْعِقَابُ). خَرِّبْ، وَدَمِّرْ وَرَاءَهُمْ، يَقُولُ الرَّبُّ وَافْعَلْ كُلَّ مَا آمُرُكَ بِهِ. ٢١ 21
मरातायम की सरज़मीन पर और फ़िक़ोद के बाशिन्दों पर चढ़ाई कर। उसे वीरान कर और उनको बिल्कुल नाबूद कर, ख़ुदावन्द फ़रमाता है; और जो कुछ मैंने तुझे फ़रमाया है, उस सब के मुताबिक़ 'अमल कर।
قَدْ عَلَتْ جَلَبَةُ الْقِتَالِ فِي الأَرْضِ. صَوْتُ تَحْطِيمٍ عَظِيمٍ. ٢٢ 22
मुल्क में लड़ाई और बड़ी हलाकत की आवाज़ है।
كَيْفَ تَكَسَّرَتْ وَتَحَطَّمَتْ بَابِلُ، مِطْرَقَةُ الأَرْضِ كُلِّهَا؟ كَيْفَ أَصْبَحَتْ بَابِلُ مَثَارَ دَهْشَةٍ عِنْدَ الأُمَمِ؟ ٢٣ 23
तमाम दुनिया का हथौड़ा, क्यूँकर काटा और तोड़ा गया! बाबुल क़ौमों के बीच कैसा जा — ए — हैरत हुआ!
قَدْ نَصَبْتُ الشَّرَكَ فَوَقَعْتِ فِيهِ، يَا بَابِلُ، مِنْ غَيرِ أَنْ تَشْعُرِي بِهِ. قَدْ وُجِدْتِ وَقُبِضَ عَلَيْكِ، لأَنَّكِ خَاصَمْتِ الرَّبَّ. ٢٤ 24
मैंने तेरे लिए फन्दा लगाया, और ऐ बाबुल, तू पकड़ा गया, और तुझे ख़बर न थी। तेरा पता मिला और तू गिरफ़्तार हो गया, क्यूँकि तूने ख़ुदावन्द से लड़ाई की है।
قَدْ فَتَحَ الرَّبُّ مَخْزَنَ سِلاحِهِ، وَأَخْرَجَ آلاتِ سُخْطِهِ، لأَنَّهُ مَا بَرِحَ لِلسَّيِّدِ الرَّبِّ الْقَدِيرِ عَمَلٌ يُنْجِزُهُ فِي دِيَارِ الْكَلْدَانِيِّينَ. ٢٥ 25
ख़ुदावन्द ने अपना सिलाहख़ाना खोला और अपने क़हर के हथियारों को निकाला है; क्यूँकि कसदियों की सरज़मीन में ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज को कुछ करना है।
ازْحَفُوا عَلَيْهَا مِنْ أَقَاصِي الأَرْضِ، وَافْتَحُوا أَهْرَاءَهَا، وَكَوِّمُوهَا أَعْرَاماً وَاقْضُوا عَلَيْهَا قَاطِبَةً وَلا تَتْرُكُوا مِنْهَا بَقِيَّةً. ٢٦ 26
सिरे से शुरू' करके उस पर चढ़ो, और उसके अम्बारख़ानों को खोलो, उसको खण्डर कर डालो और उसको बर्बाद करो, उसकी कोई चीज़ बाक़ी न छोड़ो।
اذْبَحُوا جَمِيعَ ثِيرَانِهَا، أَحْضِرُوهَا لِلذَّبْحِ. وَيْلٌ لَهُمْ لأَنَّ يَوْمَ مَوْعِدِ عِقَابِهِمْ قَدْ حَانَ. ٢٧ 27
उसके सब बैलों को ज़बह करो, उनको मसलख़ में जाने दो; उन पर अफ़सोस! कि उनका दिन आ गया, उनकी सज़ा का वक़्त आ पहुँचा।
اسْمَعُوا! هَا جَلَبَةُ الْفَارِّينَ النَّاجِينَ مِنْ دِيَارِ بَابِلَ لِكَيْ يُذِيعُوا فِي صِهْيَوْنَ أَنْبَاءَ انْتِقَامِ الرَّبِّ إِلَهِنَا وَالثَّأْرِ لِهَيْكَلِهِ. ٢٨ 28
सरज़मीन — ए — बाबुल से फ़रारियों की आवाज़! वह भागते और सिय्यून में ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के इन्तक़ाम, या'नी उसकी हैकल के इन्तक़ाम का ऐलान करते हैं।
اسْتَدْعُوا إِلَى بَابِلَ رُمَاةَ السِّهَامِ، جَمِيعَ مُوَتِّرِي الْقِسِيِّ. عَسْكِرُوا حَوْلَهَا فَلا يُفْلِتَ مِنْهَا أَحَدٌ. جَازُوهَا بِمُقْتَضَى أَعْمَالِهَا، وَاصْنَعُوا بِها كَمَا صَنَعَتْ بِكُمْ، لأَنَّهَا بَغَتْ عَلَى الرَّبِّ قُدُّوسِ إِسْرَائِيلَ. ٢٩ 29
तीरअन्दाज़ों को बुलाकर इकट्ठा करो कि बाबुल पर जाएँ, सब कमानदारों को हर तरफ़ से उसके सामने ख़ेमाज़न करो। वहाँ से कोई बच न निकले, उसके काम के मुवाफ़िक़ उसको बदला दो। सब कुछ जो उसने किया उसे करों क्यूँकि उसने ख़ुदावन्द इस्राईल के क़ुद्दूस के सामने बहुत तकब्बुर किया।
لِذَلِكَ يُصْرَعُ شُبَّانُهَا فِي سَاحَاتِهَا، وَيَبِيدُ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ جَمِيعُ جُنُودِهَا، يَقُولُ الرَّبُّ. ٣٠ 30
इसलिए उसके जवान बाज़ारों में गिर जाएँगे, और सब जंगी मर्द उस दिन काट डाले जाएँगे, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
هَا أَنَا أُقَاوِمُكِ أَيَّتُهَا الْمُتَغَطْرِسَةُ، يَقُولُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ، لأَنَّ يَوْمَ إِدَانَتِكِ وَتَنْفِيذِ الْعِقَابِ فِيكِ قَدْ حَانَ، ٣١ 31
ऐ मग़रूर, देख, मैं तेरा मुख़ालिफ़ हूँ ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है क्यूँकि तेरा वक़्त आ पहुँचा, हाँ, वह वक़्त जब मैं तुझे सज़ा दूँ।
فَيَتَعَثَّرُ الْمُتَغَطْرِسُ وَيَكْبُو وَلا يُوْجَدُ مَنْ يُنْهِضُهُ، وَأُضْرِمُ نَاراً فِي مُدُنِهِ فَتَلْتَهِمُ مَا حَوْلَهُ». ٣٢ 32
और वह मग़रूर ठोकर खाएगा, वह गिरेगा और कोई उसे न उठाएगा; और मैं उसके शहरों में आग भड़काऊँगा, और वह उसके तमाम 'इलाक़े को भसम कर देगी।
وَهَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ: «قَدْ وَقَعَ الظُّلْمُ عَلَى شَعْبِ إِسْرَائِيلَ وَعَلَى شَعْبِ يَهُوذَا، وَجَمِيعُ الَّذِينَ سَبَوْهُمْ تَشَبَّثُوا بِهِمْ وَأَبَوْا أَنْ يُطْلِقُوهُمْ. ٣٣ 33
'रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है: कि बनी — इस्राईल और बनी यहूदाह दोनों मज़लूम हैं; और उनको ग़ुलाम करने वाले उनको क़ैद में रखते हैं, और छोड़ने से इन्कार करते हैं।
غَيْرَ أَنَّ فَادِيَهُمْ قَوِيٌّ، الرَّبُّ الْقَدِيرُ اسْمُهُ، وَهُوَ حَتْماً يُدَافِعُ عَنْ قَضِيَّتِهِمْ لِكَيْ يُشِيعَ رَاحَةً فِي الأَرْضِ وَيُقْلِقَ أَهْلَ بَابِلَ. ٣٤ 34
उनका छुड़ानेवाला ज़ोरआवर है; रब्ब — उल — अफ़वाज उसका नाम है; वह उनकी पूरी हिमायत करेगा ताकि ज़मीन को राहत बख़्शे, और बाबुल के बाशिन्दों को परेशान करे।
هَا سَيْفٌ عَلَى الْكَلْدَانِيِّينَ»، يَقُولُ الرَّبُّ، «وَعَلَى أَهْلِ بَابِلَ، وَعَلَى أَشْرَافِهَا، وَعَلَى حُكَمَائِهَا. ٣٥ 35
ख़ुदावन्द फ़रमाता है, कि तलवार कसदियों पर और बाबुल के बाशिन्दों पर, और उसके हाकिम और हुक्मा पर है।
هَا سَيْفٌ عَلَى عَرَّافِيهَا، فَيُصْبِحُونَ حَمْقَى. وَهَا سَيْفٌ عَلَى مُحَارِبِيهَا، فَيَمْتَلِئُونَ رُعْباً. ٣٦ 36
लाफ़ज़नों पर तलवार है, वह बेवकूफ़ हो जाएँगे; उसके बहादुरों पर तलवार है, वह डर जाएँगे।
هَا سَيْفٌ عَلَى خَيْلِهَا، وَعَلَى مَرْكَبَاتِهَا، وَعَلَى فِرَقِ مُرْتَزَقَتِهَا، فَيَصِيرُونَ كَالنِّسَاءِ. هَا سَيْفٌ عَلَى كُنُوزِهَا فَتُنْهَبُ. ٣٧ 37
उसके घोड़ों और रथों और सब मिले — जुले लोगों पर जो उसमें हैं, तलवार है, वह 'औरतों की तरह होंगे; उसके ख़ज़ानों पर तलवार है, वह लूटे जाएँगे।
هَا الْحَرُّ عَلَى مِيَاهِهَا فَيُصِيبُهَا الْجَفَافُ لأَنَّهَا أَرْضُ أَصْنَامٍ، وَقَدْ أُولِعَ أَهْلُهَا بِالأَوْثَانِ. ٣٨ 38
उसकी नहरों पर ख़ुश्कसाली है, वह सूख जाएँगी; क्यूँकि वह तराशी हुई मूरतों की ममलुकत है और वह बुतों पर शेफ़्ता हैं।
لِذَلِكَ يَسْكُنُهَا وَحْشُ الْقَفْرِ مَعَ بَنَاتِ آوَى، وَتَأْوِي إِلَيْهَا رِعَالُ النَّعَامِ، وَتَظَلُّ مَهْجُورَةً إِلَى الأَبَدِ، غَيْرَ آهِلَةٍ بِالسُّكَّانِ إِلَى مَدَى الدَّهْرِ. ٣٩ 39
इसलिए दश्ती दरिन्दे गीदड़ों के साथ वहाँ बसेंगे और शुतुरमुर्ग उसमें बसेरा करेंगे, और वह फिर अबद तक आबाद न होगी, नसल — दर — नसल कोई उसमें सुकूनत न करेगा।
وَكَمَا قَلَبَ اللهُ سَدُومَ وَعَمُورَةَ وَمَا جَاوَرَهُمَا، هَكَذَا لَنْ يَسْكُنَ فِيهَا أَحَدٌ أَوْ يُقِيمَ فِيهَا إِنْسَانٌ». ٤٠ 40
जिस तरह ख़ुदा ने सदूम और 'अमूरा और उनके आसपास के शहरों को उलट दिया ख़ुदावन्द फ़रमाता है उसी तरह कोई आदमी वहाँ न बसेगा, न आदमज़ाद उसमें रहेगा।
هَا شَعْبٌ مُقْبِلٌ مِنَ الشِّمَالِ، أُمَّةٌ عَظِيمَةٌ وَلَفِيفٌ مِنَ الْمُلُوكِ قَدْ هَبُّوا مِنْ أَقَاصِي الأَرْضِ. ٤١ 41
देख, उत्तरी मुल्क से एक गिरोह आती है; और इन्तिहा — ए — ज़मीन से एक बड़ी क़ौम और बहुत से बादशाह बरअन्गेख़ता किए जाएँगे।
يُمْسِكُونَ بِالْقِسِيِّ وَيَتَقَلَّدُونَ بِالرِّمَاحِ. قُسَاةٌ لَا يَعْرِفُونَ الرَّحْمَةَ، جَلَبَتُهُمْ كَهَدِيرِ الْبَحْرِ، يَمْتَطُونَ الْخَيْلَ وَقَدِ اصْطَفُّوا كَرَجُلٍ وَاحِدٍ لِمُحَارَبَتِكِ يَا بِنْتَ بَابِلَ. ٤٢ 42
वह तीरअन्दाज़ — ओ — नेज़ा बाज़ हैं, वह संगदिल — ओ — बेरहम हैं, उनके ना'रों की आवाज़ हमेशा समन्दर की जैसी है, वह घोड़ों पर सवार हैं; ऐ दुख़्तर — ए — बाबुल, वह जंगी मर्दों की तरह तेरे सामने सफ़ — आराई करते हैं।
قَدْ بَلَغَ خَبَرُهُمْ مَلِكَ بَابِلَ فَاسْتَرْخَتْ يَدُهُ وَانْتَابَتْهُ الضِّيقَةُ وَوَجَعُ امْرَأَةٍ فِي مَخَاضِهَا. ٤٣ 43
शाह — ए — बाबुल ने उनकी शोहरत सुनी है, उसके हाथ ढीले हो गए, वह ज़च्चा की तरह मुसीबत और दर्द में गिरफ़्तार है।
انْظُرْ، هَا هُوَ يَنْقَضُّ عَلَيْهَا كَمَا يَنْقَضُّ أَسَدٌ مِنْ أَجَمَاتِ نَهْرِ الأُرْدُنِّ، هَكَذَا وَفِي لَحْظَةٍ أَطْرُدُهُمْ مِنْهَا، وَأُوَلِّي عَلَيْهَا مَنْ أَخْتَارُهُ لأَنَّهُ مَنْ هُوَ نَظِيرِي؟ وَمَنْ يُحَاكِمُنِي؟ وَأَيُّ رَاعٍ يَقْوَى عَلَى مُوَاجَهَتِي؟ ٤٤ 44
“देख, वह शेर — ए — बबर की तरह यरदन के जंगल से निकलकर मज़बूत बस्ती पर चढ़ आएगा; लेकिन मैं अचानक उसको वहाँ से भगा दूँगा, और अपने बरगुज़ीदा को उस पर मुक़र्रर करूँगा; क्यूँकि मुझ सा कौन है? कौन है जो मेरे लिए वक़्त मुक़र्रर करे? और वह चरवाहा कौन है जो मेरे सामने खड़ा हो सके?
لِذَلِكَ اسْمَعُوا مَا خَطَّطَهُ الرَّبُّ ضِدَّ بَابِلَ، وَمَا دَبَّرَهُ ضِدَّ دِيَارِ الْكَلْدَانِيِّينَ. هَا صِغَارُهُمْ يُجَرُّونَ جَرّاً، وَيَخْرِبُ مَسَاكِنَهُمْ عَلَيْهِمْ. ٤٥ 45
इसलिए ख़ुदावन्द की मसलहत को जो उसने बाबुल के ख़िलाफ़ ठहराई है, और उसके इरादे को जो उसने कसदियों की सरज़मीन के ख़िलाफ़ किया है, सुनो, यक़ीनन उनके गल्ले के सब से छोटों को भी घसीट ले जाएँगे; यक़ीनन उनका घर भी उनके साथ बर्बाद होगा।
مِنْ دَوِيِّ أَصْدَاءِ سُقُوطِ بَابِلَ تَرْجُفُ الأَرْضُ، وَيَتَرَدَّدُ صُرَاخُهَا بَيْنَ الأُمَمِ. ٤٦ 46
बाबुल की शिकस्त के शोर से ज़मीन काँपती है, और फ़रियाद को क़ौमों ने सुना है।”

< إرْمِيا 50 >