< إرْمِيا 26 >

وَفِي بِدَايَةِ حُكْمِ يَهُويَاقِيمَ بْنِ يُوشِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا، أَوْحَى الرَّبُّ بِهَذَا الْكَلاَمِ قَائِلاً: ١ 1
शाह — ए — यहूदाह यहूयक़ीम — बिन — यूसियाह की बादशाही के शुरू' में यह कलाम ख़ुदावन्द की तरफ़ से नाज़िल हुआ,
هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ: «قِفْ فِي سَاحَةِ هَيْكَلِ الرَّبِّ، وَبَلِّغْ كُلَّ أَهْلِ مُدُنِ يَهُوذَا الْقَادِمِينَ لِلْعِبَادَةِ فِي هَيْكَلِ الرَّبِّ بِجَمِيعِ الْكَلاَمِ الَّذِي أَمَرْتُكَ أَنْ تُخَاطِبَهُمْ بِهِ. وَإِيَّاكَ أَنْ تَحْذِفَ كَلِمَةً. ٢ 2
कि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: तू ख़ुदावन्द के घर के सहन में खड़ा हो, और यहूदाह के सब शहरों के लोगों से जो ख़ुदावन्द के घर में सिज्दा करने को आते हैं, वह सब बातें जिनका मैंने तुझे हुक्म दिया है कि उनसे कहे, कह दे; एक लफ़्ज़ भी कम न कर।
لَعَلَّهُمْ يَسْمَعُونَ وَيَرْجِعُ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْهُمْ عَنْ طَرِيقِهِ الأَثِيمِ، فَأَمْتَنِعَ عَنِ الشَّرِّ الَّذِي نَوَيْتُ أَنْ أُوْقِعَهُ بِهِمْ لِسُوءِ أَعْمَالِهِمْ». ٣ 3
शायद वह सुने और हर एक अपने बुरे चाल चलन से बाज़ आए, और मैं भी उस 'ऐज़ाब को जो उनकी बद'आमाली की वजह से उन पर लाना चाहता हूँ, बाज़ रखूँ।
خَاطِبْهُمْ قَائِلاً: «هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ: إِنْ لَمْ تُطِيعُونِي فَتَسْلُكُوا فِي شَرِيعَتِي الَّتِي جَعَلْتُهَا أَمَامَكُمْ، ٤ 4
और तू उनसे कहना, 'ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है: अगर तुम मेरी न सुनोगे कि मेरी शरी'अत पर, जो मैंने तुम्हारे सामने रखी 'अमल करो,
وَإِنْ لَمْ تَسْمِعُوا لِتَحْذِيرَاتِ عَبِيدِي الأَنْبِياءِ الَّذِينَ أَرْسَلْتُهُمْ مُنْذُ الْبِدَايَةِ إِلَيْكُمْ، وَلَمْ تُصْغُوا إِلَيْهِمْ، ٥ 5
और मेरे ख़िदमतगुज़ार नबियों की बातें सुनो जिनको मैंने तुम्हारे पास भेजा मैंने उनको सही वक़्त पर “भेजा, लेकिन तुम ने न सुना;
فَإِنِّي أَجْعَلُ هَذَا الْهَيْكَلَ نَظِيرَ شِيلُوهَ، وَهَذِهِ الْمَدِينَةَ لَعْنَةً لِجَمِيعِ أُمَمِ الأَرْضِ». ٦ 6
तो मैं इस घर को शीलोह कि तरह कर डालूँगा, और इस शहर को ज़मीन की सब क़ौमों के नज़दीक ला'नत का ज़रिया' ठहराऊँगा।”
فَسَمِعَ الْكَهَنَةُ وَالأَنْبِياءُ وَسَائِرُ الشَّعْبِ إِرْمِيَا يُرَدِّدُ هَذَا الْكَلاَمَ فِي هَيْكَلِ الرَّبِّ. ٧ 7
चुनाँचे काहिनों और नबियों और सब लोगों ने यरमियाह को ख़ुदावन्द के घर में यह बातें कहते सुना।
فَلَمَّا فَرَغَ إِرْمِيَا مِنَ الإِدْلاَءِ بِكُلِّ مَا أَمَرَهُ الرَّبُّ أَنْ يُخَاطِبَ بِهِ الشَّعْبَ، قَبَضَ الْكَهَنَةُ وَالأَنْبِيَاءُ وَسَائِرُ الشَّعْبَ عَلَيْهِ قَائِلِينَ: «لاَبُدَّ أَنْ تَمُوتَ. ٨ 8
और यूँ हुआ कि जब यरमियाह वह सब बातें कह चुका जो ख़ुदावन्द ने उसे हुक्म दिया था कि सब लोगों से कहे, तो काहिनों और नबियों और सब लोगों ने उसे पकड़ा और कहा कि तू यक़ीनन क़त्ल किया जाएगा!
لِمَاذَا تَنَبَّأْتَ بِاسْمِ الرَّبِّ قَائِلاً: إِنَّ مَصِيرَ هَذَا الْهَيْكَلِ سَيَكُونُ كَمَصِيرِ شِيلُوهَ، وَهَذِهِ الْمَدِينَةُ تَصِيرُ خِرَباً مَهْجُورَةً؟». وَأَحَاطَ الشَّعْبُ كُلُّهُ بِإِرْمِيَا فِي بَيْتِ الرَّبِّ. ٩ 9
तू ने क्यूँ ख़ुदावन्द का नाम लेकर नबुव्वत की और कहा, 'यह घर शीलोह की तरह होगा, और यह शहर वीरान और ग़ैरआबाद होगा'? और सब लोग ख़ुदावन्द के घर में यरमियाह के पास जमा' हुए।
وَعِنْدَمَا سَمِعَ بِذَلِكَ رُؤَسَاءُ يَهُوذَا، أَقْبَلُوا مِنْ قَصْرِ الْمَلِكِ إِلَى هَيْكَلِ الرَّبِّ وَجَلَسُوا فِي مَدْخَلِ بَوَّابَةِ هَيْكَلِ الرَّبِّ الْجَدِيدَةِ، ١٠ 10
और यहूदाह के हाकिम यह बातें सुनकर बादशाह के घर से ख़ुदावन्द के घर में आए, और ख़ुदावन्द के घर के नये फाटक के मदख़ल पर बैठे।
ثُمَّ خَاطَبَ الْكَهَنَةُ وَالأَنْبِيَاءُ رُؤَسَاءَ يَهُوذَا وَسَائِرَ الشَّعْبِ قَائِلِينَ: «هَذَا الرَّجُلُ يَسْتَحِقُّ حُكْمَ الْمَوْتِ. لأَنَّهُ تَنَبَّأَ عَلَى هَذِهِ الْمَدِينَةِ بِالدَّمَارِ كَمَا سَمِعْتُمْ بِآذَانِكُمْ». ١١ 11
और काहिनों और नबियों ने हाकिम से और सब लोगों से मुख़ातिब होकर कहा कि यह शख़्स वाजिब — उल — क़त्ल है क्यूँकि इसने इस शहर के ख़िलाफ़ नबुव्वत की है, जैसा कि तुम ने अपने कानों से सुना।
فَقَالَ إِرْمِيَا لِجَمِيعِ الرُّؤَسَاءِ وَكُلِّ الشَّعْبِ: «الرَّبُّ قَدْ بَعَثَنِي لأَتَنَبَّأَ عَلَى هَذَا الْهَيْكَلِ وَعَلَى هَذِهِ الْمَدِينَةِ بِكُلِّ الْقَضَاءِ الَّذِي سَمِعْتُمُوهُ. ١٢ 12
तब यरमियाह ने सब हाकिम और तमाम लोगों से मुख़ातिब होकर कहा कि “ख़ुदावन्द ने मुझे भेजा कि इस घर और इस शहर के ख़िलाफ़ वह सब बातें जो तुम ने सुनी हैं, नबुव्वत से कहूँ।
فَالآنَ قَوِّمُوا طُرُقَكُمْ وَأَعْمَالَكُمْ، وَأَطِيعُوا صَوْتَ الرَّبِّ إِلَهِكُمْ، فَيَمْتَنِعَ عَنِ الشَّرِّ الَّذِي قَضَى بِهِ عَلَيْكُمْ. ١٣ 13
इसलिए अब तुम अपने चाल चलन और अपने आ'माल को दुरूस्त करो, और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की आवाज़ को सुनो, ताकि ख़ुदावन्द उस 'ऐज़ाब से जिसका तुम्हारे ख़िलाफ़ 'ऐलान किया है बाज़ रहे।
أَمَّا أَنَا فَإِنِّي فِي أَيْدِيكُمْ. اصْنَعُوا بِي مَا يَحْلُو لَكُمْ. ١٤ 14
और देखो, मैं तो तुम्हारे क़ाबू में हूँ जो कुछ तुम्हारी नज़र में ख़ूब — ओ — रास्त हो मुझसे करो।
وَلَكِنْ تَيَقَّنُوا أَنَّكُمْ إِنْ قَتَلْتُمُونِي فَإِنَّكُمْ تَجْلِبُونَ دَماً بَرِيئاً عَلَى أَنْفُسِكُمْ وَعَلَى هَذِهِ الْمَدِينَةِ وَعَلَى أَهْلِهَا، لأَنَّ الرَّبَّ قَدْ بَعَثَنِي حَقّاً لأُعْلِنَ قَضَاءَهُ فِي مَسَامِعِكُمْ». ١٥ 15
लेकिन यक़ीन जानो कि अगर तुम मुझे क़त्ल करोगे, तो बेगुनाह का ख़ून अपने आप पर और इस शहर पर और इसके बाशिन्दों पर लाओगे; क्यूँकि हक़ीक़त में ख़ुदावन्द ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है कि तुम्हारे कानों में ये सब बातें कहूँ।”
عِنْدَئِذٍ قَالَ الرُّؤَسَاءُ وَكُلُّ الشَّعْبِ لِلْكَهَنَةِ وَالأَنْبِيَاءِ: «هَذَا الرَّجُلُ لاَ يَسْتَحِقُّ حُكْمَ الْمَوْتِ لأَنَّهُ خَاطَبَنَا بِاسْمِ الرَّبِّ إِلَهِنَا». ١٦ 16
तब हाकिम और सब लोगों ने काहिनों और नबियों से कहा, यह शख़्स वाजिब — उल — क़त्ल नहीं क्यूँकि उसने ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के नाम से हम से कलाम किया।
ثُمَّ قَامَ رِجَالٌ مِنْ شُيُوخِ الْبِلاَدِ وَقَالُوا لِجَمَاعَةِ الشَّعْبِ: ١٧ 17
तब मुल्क के चंद बुज़ुर्ग उठे और कुल जमा'अत से मुख़ातिब होकर कहने लगे,
«إِنَّ مِيخَا الْمُورَشْتِيَّ تَنَبَّأَ فِي عَهْدِ حَزَقِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا، وَخَاطَبَ كُلَّ شَعْبِ يَهُوذَا قَائِلاً هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ: إِنَّ صِهْيَوْنَ سَتُحْرَثُ كَحَقْلٍ وَتَصِيرُ أُورُشَلِيمُ كَوْمَةً مِنَ الْخَرَائِبِ، وَجَبَلُ الْهَيْكَلِ مُرْتَفَعاً تَنْمُو عَلَيْهِ أَشْجَارُ الْغَابِ. ١٨ 18
कि “मीकाह मोरश्ती ने शाह — ए — यहूदाह हिज़क़ियाह के दिनों में नबुव्वत की, और यहूदाह के सब लोगों से मुख़ातिब होकर यूँ कहा, 'रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है कि: सिय्यून खेत की तरह जोता जाएगा और येरूशलेम खण्डर हो जाएगा, और इस घर का पहाड़ जंगल की ऊँची जगहों की तरह होगा।
فَهَلْ قَتَلَهُ حَزَقِيَّا مَلِكُ يَهُوذَا وَكُلُّ شَعْبِ يَهُوذَا؟ أَمَا اتَّقَى الرَّبَّ وَاسْتَعْطَفَهُ، فَامْتَنَعَ الرَّبُّ عَنِ الشَّرِّ الَّذِي قَضَى بِهِ عَلَيْهِمْ؟ إِنَّنَا نَكَادُ نَجْلِبُ بَلاَءً عَظِيماً عَلَى أَنْفُسِنَا». ١٩ 19
क्या शाह — ए — यहूदाह हिज़क़ियाह और तमाम यहूदाह ने उसको क़त्ल किया? क्या वह ख़ुदावन्द से न डरा, और ख़ुदावन्द से मुनाजात न की? और ख़ुदावन्द ने उस 'ऐज़ाब को जिसका उनके ख़िलाफ़ 'ऐलान किया था, बाज़ न रख्खा? तब यूँ हम अपनी जानों पर बड़ी आफ़त लाएँगे।”
وَكَانَ هُنَاكَ أَيْضاً رَجُلٌ آخَرُ يُدْعَى أُورِيَّا بْنَ شِمْعِيَا مِنْ قَرْيَةِ يَعَارِيمَ يَتَنَبَّأُ بِاسْمِ الرَّبِّ، فَتَنَبَّأَ عَلَى هَذِهِ الْمَدِينَةِ وَعَلَى هَذِهِ الأَرْضِ بِمِثْلِ نُبُؤَةِ إِرْمِيَا. ٢٠ 20
फिर एक और शख़्स ने ख़ुदावन्द के नाम से नबुवत की, या'नी ऊरिय्याह — बिनसमा'याह ने जो करयत या'रीम का था; उसने इस शहर और मुल्क के ख़िलाफ़ यरमियाह की सब बातों के मुताबिक़ नबुव्वत की;
فَبَلَغَ كَلاَمُهُ مَسَامِعَ الْمَلِكِ يَهُويَاقِيمَ وَجَمِيعِ مُحَارِبِيهِ الأَشِدَّاءِ وَسَائِرِ الرُّؤَسَاءِ، فَطَلَبَ الْمَلِكُ قَتْلَهُ، فَلَمَّا سَمِعَ أُورِيَّا بِذَلِكَ خَافَ وَهَرَبَ إِلَى مِصْرَ. ٢١ 21
और जब यहूयक़ीम बादशाह और उसके सब जंगी मर्दों और हाकिम ने उसकी बातें सुनीं, तो बादशाह ने उसे क़त्ल करना चाहा; लेकिन ऊरिय्याह यह सुनकर डरा और मिस्र को भाग गया।
فَبَعَثَ الْمَلِكُ يَهُويَاقِيمُ رِجَالاً إِلَى مِصْرَ، مِنْهُمْ أَلْنَاثَانُ بْنُ عَكْبُورَ يَصْحَبُهُ نَفَرٌ مِنَ الْمُرَافِقِينَ، ٢٢ 22
और यहूयक़ीम बादशाह ने चंद आदमियों या'नी इलनातन — बिन — अकबूर और उसके साथ कुछ और आदमियों को मिस्र में भेजा:
فَأَخْرَجُوا أُورِيَّا مِنْ مِصْرَ وَأَتَوْا بِهِ إِلَى الْمَلِكِ يَهُويَاقِيمَ فَقَتَلَهُ بِالسَّيْفِ، وَطَرَحَ جُثَّتَهُ فِي مَقَابِرِ عَامَّةِ النَّاسِ. ٢٣ 23
और वह ऊरिय्याह को मिस्र से निकाल लाए, और उसे यहूयक़ीम बादशाह के पास पहुँचाया; और उसने उसको तलवार से क़त्ल किया और उसकी लाश को 'अवाम के क़ब्रिस्तान में फिकवा दिया।
أَمَّا إِرْمِيَا فَقَدْ حَظِيَ بِحِمَايَةِ أَخِيقَامَ بِنْ شَافَانَ فَلَمْ يُسَلَّمْ لأَيْدِي الشَّعْبِ لِيَقْتُلُوهُ. ٢٤ 24
लेकिन अख़ीक़ाम — बिन — साफ़न यरमियाह का दस्तगीर था, ताकि वह क़त्ल होने के लिए लोगों के हवाले न किया जाए।

< إرْمِيا 26 >