< إشَعْياء 60 >

قُومِي اسْتَضِيئِي، فَإِنَّ نُورَكِ قَدْ جَاءَ، وَمَجْدَ الرَّبِّ أَشْرَقَ عَلَيْكِ. ١ 1
उठ मुनव्वर हो क्यूँकि तेरा नूर आगया और ख़ुदावन्द का जलाल तुझ पर ज़ाहिर हुआ।
هَا إِنَّ الظُّلْمَةَ تَغْمُرُ الأَرْضَ، وَاللَّيْلَ الدَّامِسَ يَكْتَنِفُ الشُّعُوبَ، وَلَكِنَّ الرَّبَّ يُشْرِقُ عَلَيْكِ، وَيَتَجَلَّى مَجْدُهُ حَوْلَكِ، ٢ 2
क्यूँकि देख, तारीकी ज़मीन पर छा जाएगी और तीरगी उम्मतों पर; लेकिन ख़ुदावन्द तुझ पर ताले' होगा और उसका जलाल तुझ पर नुमायाँ होगा।
فَتُقْبِلُ الأُمَمُ إِلَى نُورِكِ، وَتَتَوَافَدُ الْمُلُوكُ إِلَى إِشْرَاقِ ضِيَائِكِ. ٣ 3
और क़ौमें तेरी रोशनी की तरफ़ आयेंगी और सलातीन तेरे तुलू की तजल्ली में चलेंगे।
تَأَمَّلِي حَوْلَكِ وَانْظُرِي، فَهَا هُمْ جَمِيعاً قَدِ اجْتَمَعُوا، وَأَتَوْا إِلَيْكِ. يَجِيءُ أَبْنَاؤُكِ مِنْ مَكَانٍ بَعِيدٍ، وَتُحْمَلُ بَنَاتُكِ عَلَى الأَذْرُعِ. ٤ 4
अपनी आँखें उठाकर चारों तरफ़ देख, वह सब के सब इकट्ठे होते हैं और तेरे पास आते हैं; तेरे बेटे दूर से आएँगे और तेरी बेटियों को गोद में उठाकर लाएँगे।
عِنْدَئِذٍ تَنْظُرِينَ وَتَتَهَلَّلِينَ، وَتَطْغَى الإِثَارَةُ عَلَى قَلْبِكِ، وَتَمْتَلِئِينَ فَرَحاً لأَنَّ ثَرْوَاتِ الْبَحْرِ تَتَحَوَّلُ إِلَيْكِ وَغِنَى الأُمَمِ يَتَدَفَّقُ عَلَيْكِ. ٥ 5
तब तू देखेगी और मुनव्वर होगी; हाँ, तेरा दिल उछलेगा और कुशादा होगा क्यूँकि समन्दर की फ़िरावानी तेरी तरफ फिरेगी और क़ौमों की दौलत तेरे पास फ़राहम होगी।
تَكْتَظُّ أَرْضُكِ بِكَثْرَةِ الإِبِلِ. مِنْ أَرْضِ مِدْيَانَ وَعِيفَةَ تَغْشَاكِ بَوَاكِيرُ، تَتَقَاطَرُ إِلَيْكِ مِنْ شَبَا مُحَمَّلَةً بِالذَّهَبِ وَاللُّبَانِ وَتُذِيعُ تَسْبِيحَ الرَّبِّ. ٦ 6
ऊँटों की कतारें और मिदयान और 'ऐफ़ा की सांडनियाँ आकर तेरे गिर्द बेशुमार होंगी; वह सब सबा से आएँगे, और सोना और लुबान लायेंगे और ख़ुदावन्द की हम्द का 'ऐलान करेंगे।
جَمِيعُ قُطْعَانِ قِيدَارَ تَجْتَمِعُ إِلَيْكِ، وَكِبَاشُ نَبَايُوتَ تَخْدُمُكِ، تُقَدِّمُ قَرَابِينَ مَقْبُولَةً عَلَى مَذْبَحِي، وَأُمَجِّدُ بَيْتِي الْبَهِيَّ. ٧ 7
क़ीदार की सब भेड़ें तेरे पास जमा' होंगी, नबायोत के मेंढे तेरी ख़िदमत में हाज़िर होंगे; वह मेरे मज़बह पर मक़बूल होंगे और मैं अपनी शौकत के घर को जलाल बख़्शूँगा।
مَنْ هُؤُلاءِ الطَّائِرُونَ كَالسَّحَابِ وَكَالْحَمَامِ إِلَى أَعْشَاشِهَا؟ ٨ 8
ये कौन हैं जो बादल की तरह उड़े चले आते हैं, और जैसे कबूतर अपनी काबुक की तरफ़?
فَالْجَزَائِرُ تَنْتَظِرُنِي، وَفِي الطَّلِيعَةِ سُفُنُ تَرْشِيشَ حَامِلَةٌ أَبْنَاءَكِ لِتَأْتِيَ بِهِمْ مِنْ أَرْضٍ بَعِيدَةٍ، وَمَعَهُمْ فِضَّتُهُمْ وَذَهَبُهُمْ، تَكْرِيماً لاسْمِ الرَّبِّ إِلَهِكِ وَلِقُدُّوسِ إِسْرَائِيلَ لأَنَّهُ قَدْ مَجَّدَكِ. ٩ 9
यक़ीनन जज़ीरे मेरी राह देखेंगे, और तरसीस के जहाज़ पहले आएँगे कि तेरे बेटों को उनकी चाँदी और उनके सोने के साथ दूर से ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा और इस्राईल के क़ुददूस के नाम के लिए लाएँ; क्यूँकि उसने तुझे बुज़ुर्गी बख़्शी है।
يُعَمِّرُ الْغُرَبَاءُ أَسْوَارَكِ، وَيَخْدُمُكِ مُلُوكُهُمْ، لأَنِّي فِي غَضَبِي عَاقَبْتُكِ، وَفِي رِضَايَ رَحَمْتُكِ. ١٠ 10
और बेगानों के बेटे तेरी दीवारें बनाएँगे और उनके बादशाह तेरी ख़िदमत गुज़ारी करेंगे अगरचे मैंने अपने क़हर से तुझे मारा पर अपनी महरबानी से मैं तुझ पर रहम करूँगा।
تَنْفَتِحُ أَبْوَابُكِ دَائِماً وَلا تُوْصَدُ لَيْلَ نَهَارَ، لِيَحْمِلَ إِلَيْكِ النَّاسُ ثَرْوَةَ الأُمَمِ، وَفِي مَوْكِبٍ يُسَاقُ إِلَيْكِ مُلُوكُهُمْ، ١١ 11
और तेरे फाटक हमेशा खुले रहेंगे, वह दिन रात कभी बन्द न होंगे; ताकि क़ौमों की दौलत और उनके बादशाहों को तेरे पास लाएँ।
لأَنَّ الأُمَّةَ وَالْمَمْلَكَةَ الَّتِي لَا تَخْضَعُ لَكِ تَهْلِكُ، وَهَذِهِ الشُّعُوبُ تَتَعَرَّضُ لِلْخَرَابِ السَّاحِقِ. ١٢ 12
क्यूँकि वह क़ौम और वह ममलुकत जो तेरी ख़िदमत गुज़ारी न करेगी, बर्बाद हो जाएगी; हाँ, वह क़ौमें बिल्कुल हलाक की जाएँगी।
يَأْتِي إِلَيْكِ مَجْدُ لُبْنَانَ بِسَرْوِهِ وَسِنْدِيَانِهِ وَشِرْبِينِهِ لِتَزْيِينِ مَوْضِعِ مَقْدِسِي، فَأَجْعَلُ مَوْطِئَ قَدَمَيَّ مَجِيداً. ١٣ 13
लुबनान का जलाल तेरे पास आएगा, सरौ और सनौबर और देवदार सब आएँगे ताकि मेरे घर को आरास्ता करें; और मैं अपने पाँव की कुर्सी को रौनक़ बख़्शूँगा।
وَيُقْبِلُ إِلَيْكِ أَبْنَاءُ مُضَايِقِيكِ خَاضِعِينَ، وَكُلُّ الَّذِينَ احْتَقَرُوكِ يَنْحَنُونَ عِنْدَ قَدَمَيْكِ، وَيَدْعُونَكِ مَدِينَةَ الرَّبِّ، صِهْيَوْنَ قُدُّوسِ إِسْرَائِيلَ. ١٤ 14
और तेरे ग़ारत गरों के बेटे तेरे सामने झुकते हुए आयेंगे और तेरी तहक़ीर करने वाले सब तेरे कदमों पर गिरेंगे; और वह तेरा नाम ख़ुदावन्द का शहर, इस्राईल के क़ुददूस का सिय्यून रखेंगे।
وَبَعْدَ أَنْ كُنْتِ مَهْجُورَةً مَمْقُوتَةً لَا يَعْبُرُ بِكِ أَحَدٌ، سَأَجْعَلُكِ بَهِيَّةً إِلَى الأَبَدِ، وَفَرَحَ كُلِّ الأَجْيَالِ، ١٥ 15
इसलिए कि तू तर्क की गई और तुझसे नफ़रत हुई ऐसा कि किसी आदमी ने तेरी तरफ़ गुज़र भी न किया मैं तुझे हमेशा की फ़ज़ीलत और नसल दर नसल की ख़ुशी का ज़रिया' बनाऊंगा।
وَتَشْرَبِينَ لَبَنَ الأُمَمِ، وَتَرْضَعِينَ ثُدِيَّ الْمُلُوكِ، وَتُدْرِكِينَ أَنِّي أَنَا الرَّبُّ مُخَلِّصُكِ وَفَادِيكِ عَزِيزُ يَعْقُوبَ. ١٦ 16
तू क़ौमों का दूध भी पी लेगी; हाँ बादशाहों की छाती चूसेगी और तू जानेगी कि मैं ख़ुदावन्द तेरा नजात देनेवाला और या'क़ूब का क़ादिर तेरा फ़िदिया देने वाला हूँ।
وَعِوَضاً عَنِ النُّحَاسِ أَجْلِبُ لَكِ الذَّهَبَ، وَبَدَلَ الْحَدِيدِ آتِي لَكِ بِالْفِضَّةِ، وَعِوَضَ الْخَشَبِ نُحَاساً، وَبَدَلَ الْحِجَارَةِ حَدِيداً، وَأَجْعَلُ وُلاتَكِ مَصْدَرَ سَلامٍ، وَمُسَخِّرِيكِ يَعَامِلُونَكِ بِالْعَدْلِ. ١٧ 17
मैं पीतल के बदले सोना लाऊँगा, और लोहे के बदले चाँदी और लकड़ी के बदले पीतल और पत्थरों के बदले लोहा; और मैं तेरे हाकिमों को सलामती, और तेरे 'आमिलों को सदाक़त बनाऊँगा
وَلا يُسْمَعُ بِظُلْمٍ فِي أَرْضِكِ، وَلا بِدَمَارٍ أَوْ خَرَابٍ دَاخِلَ تُخُومِكِ، وَتَدْعِينَ أَسْوَارَكِ خَلاصاً، وَبَوَّابَاتِكِ تَسَابِيحَ. ١٨ 18
फिर कभी तेरे मुल्क में ज़ुल्म का ज़िक्र न होगा, और न तेरी हदों के अन्दर ख़राबी या बर्बादी का; बल्कि तू अपनी दीवारों का नाम नजात और अपने फाटकों का हम्द रख्खेगी।
وَلا تَعُودُ الشَّمْسُ نُوراً لَكِ فِي النَّهَارِ وَلا يُشْرِقُ ضَوْءُ الْقَمَرِ عَلَيْكِ لأَنَّ الرَّبَّ يَكُونُ نُورَكِ الأَبَدِيَّ، وَإِلَهُكِ يَكُونُ مَجْدَكِ. ١٩ 19
फिर तेरी रोशनी न दिन को सूरज से होगी न चाँद के चमकने से, बल्कि ख़ुदावन्द तेरा हमेशा का नूर और तेरा ख़ुदा तेरा जलाल होगा।
وَلا تَغْرُبُ شَمْسُكِ مِنْ بَعْدُ، وَلا يَتَضَاءَلُ قَمَرُكِ، لأَنَّ الرَّبَّ يَكُونُ نُورَكِ الأَبَدِيَّ، وَتَنْقَضِي أَيَّامُ مَنَاحَتِكِ. ٢٠ 20
तेरा सूरज फिर कभी न ढलेगा और तेरे चाँद को ज़वाल न होगा, क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरा हमेशा का नूर होगा और तेरे मातम के दिन ख़त्म हो जाएँगे।
وَيَكُونُ شَعْبُكِ جَمِيعاً أَبْرَاراً وَيَرِثُونَ الأَرْضَ إِلَى الأَبَدِ، فَهُمْ غُصْنُ غَرْسِي وَعَمَلُ يَدَيَّ لأَتَمَجَّدَ. ٢١ 21
और तेरे लोग सब के सब रास्तबाज़ होंगे; वह हमेशा तक मुल्क के वारिस होंगे, या'नी मेरी लगाई हुई शाख़ और मेरी दस्तकारी ठहरेंगे ताकि मेरा जलाल ज़ाहिर हो।
وَيَضْحَى أَقَلُّهُمْ أَلْفاً، وَأَصْغَرُهُمْ أُمَّةً قَوِيَّةً، أَنَا الرَّبُّ أُسْرِعُ فِي تَحْقِيقِ ذَلِكَ فِي حِينِهِ. ٢٢ 22
सबसे छोटा एक हज़ार हो जाएगा और सबसे हक़ीर एक ज़बरदस्त क़ौम। मैं ख़ुदावन्द ठीक वक़्त पर ये सब कुछ जल्द करूँगा।

< إشَعْياء 60 >