< الجامِعَة 11 >

اطْرَحْ خُبْزَكَ عَلَى وَجْهِ الْمِيَاهِ، فَإِنَّكَ تَجِدُهُ بَعْدَ أَيَّامٍ كَثِيرَةٍ. ١ 1
अपनी रोटी जल के ऊपर डाल दे, क्योंकि बहुत दिन के बाद तू उसे फिर पाएगा।
وَزِّعْ أَنْصِبَةً عَلَى سَبْعَةٍ بَلْ عَلَى ثَمَانِيَةٍ، لأَنَّكَ لاَ تَدْرِي أَيَّةَ بَلِيَّةٍ تَحُلُّ عَلَى الأَرْضِ. ٢ 2
सात वरन् आठ जनों को भी भाग दे, क्योंकि तू नहीं जानता कि पृथ्वी पर क्या विपत्ति आ पड़ेगी।
إِذَا كَانَتِ السُّحُبُ مُثْقَلَةً بِالْمِيَاهِ فَإِنَّهَا تَصُبُّ الْمَطَرَ عَلَى الأَرْضِ، وَإِنْ سَقَطَتْ شَجَرَةٌ بِاتِّجَاهِ الشَّمَالِ أَوِ الْجَنُوبِ فَإِنَّهَا تَظَلُّ مُسْتَقِرَّةً حَيْثُ سَقَطَتْ. ٣ 3
यदि बादल जलभरे हैं, तब उसको भूमि पर उण्डेल देते हैं; और वृक्ष चाहे दक्षिण की ओर गिरे या उत्तर की ओर, तो भी जिस स्थान पर वृक्ष गिरेगा, वहीं पड़ा रहेगा।
مَنْ يَرْصُدِ الرِّيحَ لاَ يَزْرَعْ، وَمَنْ يُرَاقِبِ السُّحُبَ لاَ يَحْصُدْ. ٤ 4
जो वायु को ताकता रहेगा वह बीज बोने न पाएगा; और जो बादलों को देखता रहेगा वह लवने न पाएगा।
كَمَا تَجْهَلُ اتِّجَاهَ مَسَارِ الرِّيحِ، أَوْ كَيْفَ تَتَكَوَّنُ عِظَامُ الْجَنِينِ فِي رَحِمِ الأُمِّ، كَذَلِكَ لاَ تُدْرِكُ أَعْمَالَ اللهِ الَّتِي يُجْرِيهَا كُلَّهَا. ٥ 5
जैसे तू वायु के चलने का मार्ग नहीं जानता और किस रीति से गर्भवती के पेट में हड्डियाँ बढ़ती हैं, वैसे ही तू परमेश्वर का काम नहीं जानता जो सब कुछ करता है।
ازْرَعْ زَرْعَكَ فِي الصَّبَاحِ، وَلاَ تَكُفَّ يَدَكَ عَنِ الْعَمَلِ فِي الْمَسَاءِ، لأَنَّكَ لاَ تَدْرِي أَيُّهُمَا يُفْلِحُ: أَهَذَا الْمَزْرُوعُ فِي الصَّبَاحِ أَمْ ذَاكَ الَّذِي فِي الْمَسَاءِ، أَمْ كِلاهُمَا عَلَى حَدٍّ سَوَاءٍ؟ ٦ 6
भोर को अपना बीज बो, और साँझ को भी अपना हाथ न रोक; क्योंकि तू नहीं जानता कि कौन सफल होगा, यह या वह या दोनों के दोनों अच्छे निकलेंगे।
النُّورُ مُبْهِجٌ، وَكَمْ يَلَذُّ لِلْعَيْنَيْنِ أَنْ تَرَيَا الشَّمْسَ. ٧ 7
उजियाला मनभावना होता है, और धूप के देखने से आँखों को सुख होता है।
إِنْ عَاشَ الإِنْسَانُ سِنِينَ كَثِيرَةً وَتَمَتَّعَ فِيهَا جَمِيعاً، فَلْيَتَذَكَّرِ الأَيَّامَ السَّوْدَاءَ، لأَنَّهَا سَتَكُونُ عَدِيدَةً. وَبَاطِلٌ كُلُّ مَا هُوَ آتٍ! ٨ 8
यदि मनुष्य बहुत वर्ष जीवित रहे, तो उन सभी में आनन्दित रहे; परन्तु यह स्मरण रखे कि अंधियारे के दिन भी बहुत होंगे। जो कुछ होता है वह व्यर्थ है।
افْرَحْ أَيُّهَا الشَّابُّ فِي حَدَاثَتِكَ، وَلْيُمَتِّعْكَ قَلْبُكَ فِي أَيَّامِ شَبَابِكَ، وَاتْبَعْ أَهْوَاءَ قَلْبِكَ، وَكُلَّ مَا تَشْهَدُهُ عَيْنَاكَ. وَلَكِنِ اعْلَمْ أَنَّهُ بِسَبَبِ هَذِهِ الأُمُورِ كُلِّهَا يَأْتِي اللهُ بِكَ إِلَى كُرْسِيِّ الْقَضَاءِ. ٩ 9
हे जवान, अपनी जवानी में आनन्द कर, और अपनी जवानी के दिनों में मगन रह; अपनी मनमानी कर और अपनी आँखों की दृष्टि के अनुसार चल। परन्तु यह जान रख कि इन सब बातों के विषय में परमेश्वर तेरा न्याय करेगा।
فَأَزِلِ الْغَمَّ مِنْ صَدْرِكَ، وَاقْصِ الشَّرَّ عَنْ جَسَدِكَ، لأَنَّ الْحَدَاثَةَ وَالشَّبَابَ بَاطِلاَنِ. ١٠ 10
१०अपने मन से खेद और अपनी देह से दुःख दूर कर, क्योंकि लड़कपन और जवानी दोनों व्यर्थ हैं।

< الجامِعَة 11 >