< صَفَنْيَا 1 >

كَلِمَةُ ٱلرَّبِّ ٱلَّتِي صَارَتْ إِلَى صَفَنْيَا بْنِ كُوشِي بْنِ جَدَلْيَا بْنِ أَمَرِيَا بْنِ حَزَقِيَّا، فِي أَيَّامِ يُوشِيَّا بْنِ آمُونَ مَلِكِ يَهُوذَا: ١ 1
ख़ुदावन्द का कलाम जो यहूदाह बादशाह यूसियाह बिन अमून के दिनों में सफ़नियाह बिन कूशी बिन जदलियाह बिन अमरयाह बिन हिज़क़ियाह पर नाज़िल हुआ।
«نَزْعًا أَنْزَعُ ٱلْكُلَّ عَنْ وَجْهِ ٱلْأَرْضِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٢ 2
ख़ुदावन्द फ़रमाता है, “मैं इस ज़मीन से सब कुछ बिल्कुल हलाक करूँगा।”
أَنْزِعُ ٱلْإِنْسَانَ وَٱلْحَيَوَانَ. أَنْزِعُ طُيُورَ ٱلسَّمَاءِ وَسَمَكَ ٱلْبَحْرِ، وَٱلْمَعَاثِرَ مَعَ ٱلْأَشْرَارِ، وَأَقْطَعُ ٱلْإِنْسَانَ عَنْ وَجْهِ ٱلْأَرْضِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٣ 3
“इंसान और हैवान को हलाक करूँगा; हवा के परिन्दों और समन्दर की मछलियों को और शरीरों और उनके बुतों को हलाक करूँगा, और इंसान को इस ज़मीन से फ़ना करूँगा।” ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
«وَأَمُدُّ يَدِي عَلَى يَهُوذَا وَعَلَى كُلِّ سُكَّانِ أُورُشَلِيمَ، وَأَقْطَعُ مِنْ هَذَا ٱلْمَكَانِ بَقِيَّةَ ٱلْبَعْلِ، ٱسْمَ ٱلْكَمَارِيمِ، مَعَ ٱلْكَهَنَةِ. ٤ 4
“मैं यहूदाह पर और येरूशलेम के सब रहने वालों पर हाथ चलाऊँगा, और इस मकान में से बा'ल के बक़िया को और कमारीम के नाम को पुजारियों के साथ हलाक करूँगा;
وَٱلسَّاجِدِينَ عَلَى ٱلسُّطُوحِ لِجُنْدِ ٱلسَّمَاءِ، وَٱلسَّاجِدِينَ ٱلْحَالِفِينَ بِٱلرَّبِّ، وَٱلْحَالِفِينَ بِمَلْكُومَ، ٥ 5
और उनको भी जी कोठों पर चढ़ कर अज्राम — ए — फ़लक की इबादत करते हैं, और उनको जो ख़ुदावन्द की इबादत का 'अहद करते हैं, लेकिन मिल्कूम की क़सम खाते हैं।
وَٱلْمُرْتَدِّينَ مِنْ وَرَاءِ ٱلرَّبِّ، وَٱلَّذِينَ لَمْ يَطْلُبُوا ٱلرَّبَّ وَلَا سَأَلُوا عَنْهُ. ٦ 6
और उनको भी जो ख़ुदावन्द से नाफ़रमान होकर न उसके तालिब हुए और न उन्होंने उससे मश्वरत ली।”
«اُسْكُتْ قُدَّامَ ٱلسَّيِّدِ ٱلرَّبِّ، لِأَنَّ يَوْمَ ٱلرَّبِّ قَرِيبٌ. لِأَنَّ ٱلرَّبَّ قَدْ أَعَدَّ ذَبِيحَةً. قَدَّسَ مَدْعُوِّيهِ. ٧ 7
तुम ख़ुदावन्द ख़ुदा के सामने ख़ामोश रहो, क्यूँकि ख़ुदावन्द का दिन नज़दीक है; और उसने ज़बीहा तैयार किया है, और अपने मेहमानों को मख़्सूस किया है।
وَيَكُونُ فِي يَوْمِ ذَبِيحَةِ ٱلرَّبِّ أَنِّي أُعَاقِبُ ٱلرُّؤَسَاءَ وَبَنِي ٱلْمَلِكِ وَجَمِيعَ ٱلّلَابِسِينَ لِبَاسًا غَرِيبًا. ٨ 8
और ख़ुदावन्द के ज़बीहे के दिन यूँ होगा, कि “मैं उमरा और शहज़ादों को, और उन सब को जो अजनबियों की पोशाक पहनते हैं, सज़ा दूँगा।
وَفِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ أُعَاقِبُ كُلَّ ٱلَّذِينَ يَقْفِزُونَ مِنْ فَوْقِ ٱلْعَتَبَةِ، ٱلَّذِينَ يَمْلَأُونَ بَيْتَ سَيِّدِهِمْ ظُلْمًا وَغِشًّا. ٩ 9
मैं उसी रोज़ उन सब को, जो लोगों के घरों में घुस कर अपने मालिक के घर को लूट और धोखे से भरते हैं सज़ा दूँगा।”
وَيَكُونُ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، صَوْتُ صُرَاخٍ مِنْ بَابِ ٱلسَّمَكِ، وَوَلْوَلَةٌ مِنَ ٱلْقِسْمِ ٱلثَّانِي وَكَسْرٌ عَظِيمٌ مِنَ ٱلْآكَامِ. ١٠ 10
और ख़ुदावन्द फ़रमाता है, “उसी रोज़ मछली फाटक से रोने की आवाज़, और मिशना से मातम की, और टीलों पर से बड़े शोर की आवाज़ उठेगी।
وَلْوِلُوا يَا سُكَّانَ مَكْتِيشَ، لِأَنَّ كُلَّ شَعْبِ كَنْعَانَ بَادَ. ٱنْقَطَعَ كُلُّ ٱلْحَامِلِينَ ٱلْفِضَّةَ. ١١ 11
ऐ मकतीस के रहने वालो, मातम करो! क्यूँकि सब सौदागर मारे गए। जो चाँदी से लदे थे, सब हलाक हुए।
وَيَكُونُ فِي ذَلِكَ ٱلْوَقْتِ أَنِّي أُفَتِّشُ أُورُشَلِيمَ بِٱلسُّرُجِ، وَأُعَاقِبُ ٱلرِّجَالَ ٱلْجَامِدِينَ عَلَى دُرْدِيِّهِمِ، ٱلْقَائِلِينَ فِي قُلُوبِهِمْ: إِنَّ ٱلرَّبَّ لَا يُحْسِنُ وَلَا يُسِيءُ. ١٢ 12
फिर मैं चराग़ लेकर येरूशलेम में तलाश करूँगा, और जितने अपनी तलछट पर जम गए हैं, और दिल में कहते हैं, 'कि ख़ुदावन्द सज़ा — और — जज़ा न देगा,' उनको सज़ा दूँगा।
فَتَكُونُ ثَرْوَتُهُمْ غَنِيمَةً وَبُيُوتُهُمْ خَرَابًا، وَيَبْنُونَ بُيُوتًا وَلَا يَسْكُنُونَهَا، وَيَغْرِسُونَ كُرُومًا وَلَا يَشْرَبُونَ خَمْرَهَا. ١٣ 13
तब उनका माल लुट जाएगा, और उनके घर उजड़ जाएँगे। वह घर तो बनाएँगे, लेकिन उनमें बूद — ओ — बाश न करेंगे; और बाग़ तो लगाएँगे, लेकिन उनकी मय न पिएँगे।”
«قَرِيبٌ يَوْمُ ٱلرَّبِّ ٱلْعَظِيمِ. قَرِيبٌ وَسَرِيعٌ جِدًّا. صَوْتُ يَوْمِ ٱلرّبِّ. يَصْرُخُ حِينَئِذٍ ٱلْجَبَّارُ مُرًّا. ١٤ 14
ख़ुदावन्द का बड़ा दिन क़रीब है, हाँ, वह नज़दीक आ गया, वह आ पहुँचा; सुनो, ख़ुदावन्द के दिन का शोर; ज़बरदस्त आदमी फूट — फूट कर रोएगा।
ذَلِكَ ٱلْيَوْمُ يَوْمُ سَخَطٍ، يَوْمُ ضِيقٍ وَشِدَّةٍ، يَوْمُ خَرَابٍ وَدَمَارٍ، يَوْمُ ظَلَامٍ وَقَتَامٍ، يَوْمُ سَحَابٍ وَضَبَابٍ. ١٥ 15
वह दिन क़हर का दिन है, दुख और ग़म का दिन, वीरानी और ख़राबी का दिन, तारीकी और उदासी का दिन, बादल और तीरगी का दिन;
يَوْمُ بُوقٍ وَهُتَافٍ علَى ٱلْمُدُنِ ٱلْمُحَصَّنَةِ وَعَلَى ٱلشُّرُفِ ٱلرَّفِيعَةِ. ١٦ 16
हसीन शहरों और ऊँचे बुर्जों के ख़िलाफ़, नरसिंगे और जंगी ललकार का दिन।
وَأُضَايِقُ ٱلنَّاسَ فَيَمْشُونَ كَٱلْعُمْيِ، لِأَنَّهُمْ أَخْطَأُوا إِلَى ٱلرَّبِّ، فَيُسْفَحُ دَمُهُمْ كَٱلتُّرَابِ وَلَحْمُهُمْ كَٱلْجِلَّةِ. ١٧ 17
और मैं बनी आदम पर मुसीबत लाऊँगा, यहाँ तक कि वह अंधों की तरह चलेंगे, क्यूँकि वह ख़ुदावन्द के गुनहगार हुए; उनका खू़न धूल की तरह गिराया जाएगा, और उनका गोश्त नजासत की तरह।
لَا فِضَّتُهُمْ وَلَا ذَهَبُهُمْ يَسْتَطِيعُ إِنْقَاذَهُمْ في يَوْمِ غَضَبِ ٱلرَّبِّ، بَلْ بِنَارِ غَيْرَتِهِ تُؤْكَلُ ٱلْأَرْضُ كُلُّهَا، لِأَنَّهُ يَصْنَعُ فَنَاءً بَاغِتًا لِكُلِّ سُكَّانِ ٱلْأَرْضِ». ١٨ 18
ख़ुदावन्द के क़हर के दिन, उनका सोना चाँदी उनको बचा न सकेगा; बल्कि तमाम मुल्क को उसकी गै़रत की आग खा जाएगी, क्यूँकि वह एक पल में मुल्क के सब बाशिन्दों को तमाम कर डालेगा।

< صَفَنْيَا 1 >