< زَكَريَّا 8 >

وَكَانَ كَلَامُ رَبِّ ٱلْجُنُودِ قَائِلًا: ١ 1
फिर ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
«هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: غِرْتُ عَلَى صِهْيَوْنَ غَيْرَةً عَظِيمَةً، وَبِسَخَطٍ عَظِيمٍ غِرْتُ عَلَيْهَا. ٢ 2
कि “रब्ब — उल — अफ़्वाज यूँ फ़रमाता है कि मुझे सिय्यून के लिए बड़ी गै़रत है बल्कि मैं गै़रत से सख़्त ग़ज़बनाक हुआ
هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: قَدْ رَجَعْتُ إِلَى صِهْيَوْنَ وَأَسْكُنُ فِي وَسَطِ أُورُشَلِيمَ، فَتُدْعَى أُورُشَلِيمُ مَدِينَةَ ٱلْحَقِّ، وَجَبَلُ رَبِّ ٱلْجُنُودِ ٱلْجَبَلَ ٱلْمُقَدَّسَ. ٣ 3
ख़ुदावन्द यु फ़रमात है कि मैं सिय्यून में वापस आया हुआ और येरूशलेम में सकूनत करूँगा और येरूशलेम शहर — ए — सिदक़ होगा और रब्ब — उल — अफ़्वाज का पहाड़ कोहे मुक़द्दस कहलाएगा
«هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: سَيَجْلِسُ بَعْدُ ٱلشُّيُوخُ وَٱلشَّيْخَاتُ فِي أَسْوَاقِ أُورُشَلِيمَ، كُلُّ إِنْسَانٍ مِنْهُمْ عَصَاهُ بِيَدِهِ مِنْ كَثْرَةِ ٱلْأَيَّامِ. ٤ 4
रब्बु — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है: कि येरूशलेम के गलियों में उम्र रसीदा मर्द — ओ — ज़न बुढ़ापे की वजह से हाथ में 'असा लिए हुए फिर बैठे होंगे।
وَتَمْتَلِئُ أَسْوَاقُ ٱلْمَدِينَةِ مِنَ ٱلصِّبْيَانِ وَٱلْبَنَاتِ لَاعِبِينَ فِي أَسْوَاقِهَا. ٥ 5
और शहर की गलियों में खेलने वाले लड़के — लड़कियों से मा'मूर होंगे।
«هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: إِنْ يَكُنْ ذَلِكَ عَجِيبًا فِي أَعْيُنِ بَقِيَّةِ هَذَا ٱلشَّعْبِ فِي هَذِهِ ٱلْأَيَّامِ، أَفَيَكُونُ أَيْضًا عَجِيبًا فِي عَيْنَيَّ؟ يَقُولُ رَبُّ ٱلْجُنُودِ. ٦ 6
और रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है कि अगरचे उन दिनों में यह 'अम्र इन लोगों के बक़िये की नज़र में हैरत अफ़ज़ा हो, तोभी क्या मेरी नज़र में हैरत अफ़ज़ा होगा? रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है।
«هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: هَأَنَذَا أُخَلِّصُ شَعْبِي مِنْ أَرْضِ ٱلْمَشْرِقِ وَمِنْ أَرْضِ مَغْرِبِ ٱلشَّمْسِ. ٧ 7
रब्ब उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है: देख, मैं अपने लोगों को पूरबी और पश्चिमी ममालिक से छुड़ा लूगा।
وَآتِي بِهِمْ فَيَسْكُنُونَ فِي وَسَطِ أُورُشَلِيمَ، وَيَكُونُونَ لِي شَعْبًا،وَأَنَا أَكُونُ لَهُمْ إِلَهًا بِٱلْحَقِّ وَٱلْبِرِّ. ٨ 8
और मैं उनको वापस लाऊँगा और वह येरूशलेम में सुकूनत करेंगे, और वह मेरे लोग होंगे और मैं रास्ती — और — सदाक़त से उनका ख़ुदा हूँगा।”
«هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: لِتَتَشَدَّدْ أَيْدِيكُمْ أَيُّهَا ٱلسَّامِعُونَ فِي هَذِهِ ٱلْأَيَّامِ هَذَا ٱلْكَلَامَ مِنْ أَفْوَاهِ ٱلْأَنْبِيَاءِ ٱلَّذِي كَانَ يَوْمَ أُسِّسَ بَيْتُ رَبِّ ٱلْجُنُودِ لِبِنَاءِ ٱلْهَيْكَلِ. ٩ 9
रब्बु — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है: “कि ऐ लोगो, अपने हाथों को मज़बूत करो; तुम जो इस वक़्त यह कलाम सुनते हो, जो रब्ब उल — अफ़वाज के घर या'नी हैकल की ता'मीर के लिए बुन्नियाद डालते वक़्त नबियों के ज़रिए' नाज़िल हुआ।
لِأَنَّهُ قَبْلَ هَذِهِ ٱلْأَيَّامِ لَمْ تَكُنْ لِلْإِنْسَانِ أُجْرَةٌ وَلَا لِلْبَهِيمَةِ أُجْرَةٌ، وَلَا سَلَامٌ لِمَنْ خَرَجَ أَوْ دَخَلَ مِنْ قِبَلِ ٱلضِّيقِ. وَأَطْلَقْتُ كُلَّ إِنْسَانٍ، ٱلرَّجُلَ عَلَى قَرِيبِهِ. ١٠ 10
क्यूँकि उन दिनों से पहले, न इंसान के लिए मज़दूरी थी और न हैवान का किराया था, और दुश्मन की वजह से आने — जाने वाले महफू़ज़ न थे, क्यूँकि मैंने सब लोगों में निफ़ाक डाल दिया।
أَمَّا ٱلْآنَ فَلَا أَكُونُ أَنَا لِبَقِيَّةِ هَذَا ٱلشَّعْبِ كَمَا فِي ٱلْأَيَّامِ ٱلْأُولَى، يَقُولُ رَبُّ ٱلْجُنُودِ. ١١ 11
लेकिन अब मैं इन लोगों के बक़िये के साथ पहले की तरह पेश न आऊँगा, रब्बुल — उल — अफ़वाज फ़रमाता है।
بَلْ زَرْعُ ٱلسَّلَامِ، ٱلْكَرْمُ يُعْطِي ثَمَرَهُ، وَٱلْأَرْضُ تُعْطِي غَلَّتَهَا، وَٱلسَّمَاوَاتُ تُعْطِي نَدَاهَا، وَأُمَلِّكُ بَقِيَّةَ هَذَا ٱلشَّعْبِ هَذِهِ كُلَّهَا. ١٢ 12
बल्कि ज़िरा'अत सलामती से होगी, अपना फल देगी और ज़मीन अपना हासिल और आसमान से ओस पड़ेगी, मैं इन लोगों के बकिये को इन सब बरकतों का वारिस बनाऊँगा।
وَيَكُونُ كَمَا أَنَّكُمْ كُنْتُمْ لَعْنَةً بَيْنَ ٱلْأُمَمِ يَا بَيْتَ يَهُوذَا وَيَا بَيْتَ إِسْرَائِيلَ، كَذَلِكَ أُخَلِّصُكُمْ فَتَكُونُونَ بَرَكَةً فَلَا تَخَافُوا. لِتَتَشَدَّدْ أَيْدِيكُمْ. ١٣ 13
ऐ बनी यहूदाह और ऐ बनी — इस्राईल, तरह तुम दूसरी क़ौमों में ला'नत तरह मैं तुम को छुड़ाऊँगा और तुम बरकत होगे। परेशान न हो, तुम्हारे हाथ मज़बूत हों।”
«لِأَنَّهُ هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: كَمَا أَنِّي فَكَّرْتُ فِي أَنْ أُسِيءَ إِلَيْكُمْ حِينَ أَغْضَبَنِي آبَاؤُكُمْ، قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ، وَلَمْ أَنْدَمْ. ١٤ 14
क्यूँकि रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है: कि “जिस तरह मैंने क़स्द किया था कि तुम पर आफ़त लाऊँ, तुम्हारे बाप — दादा ने मुझे ग़ज़बनाक किया और मैं अपने इरादे से बाज़ न रहा, फ़रमाता है;
هَكَذَا عُدْتُ وَفَكَّرْتُ فِي هَذِهِ ٱلْأَيَّامِ فِي أَنْ أُحْسِنَ إِلَى أُورُشَلِيمَ وَبَيْتِ يَهُوذَا. لَا تَخَافُوا. ١٥ 15
उसी तरह मैंने अब इरादा किया है कि येरूशलेम और यहूदाह के घराने से नेकी करूँ; लेकिन तुम परेशान न हो।
هَذِهِ هِيَ ٱلْأُمُورُ ٱلَّتِي تَفْعَلُونَهَا. لِيُكَلِّمْ كُلُّ إِنْسَانٍ قَرِيبَهُ بِٱلْحَقِّ. ٱقْضُوا بِٱلْحَقِّ وَقَضَاءِ ٱلسَّلَامِ فِي أَبْوَابِكُمْ. ١٦ 16
फ़िर लाज़िम है कि तुम इन बातों पर 'अमल करो। तुम सब अपने पड़ौसियों से सच बोलो, अपने फाटकों में रास्ती से करो ताकि सलामती हो,
وَلَا يُفَكِّرَنَّ أَحَدٌ فِي ٱلسُّوءِ عَلَى قَرِيبِهِ فِي قُلُوبِكُمْ. وَلَا تُحِبُّوا يَمِينَ ٱلزُّورِ. لِأَنَّ هَذِهِ جَمِيعَهَا أَكْرَهُهَا، يَقُولُ ٱلرَّبُّ». ١٧ 17
और तुम में से कोई अपने भाई के ख़िलाफ़ दिल में बुरा मंसूबा न बाँधे, झूटी क़सम को 'अज़ीज़ न रख्खे; मैं इन सब बातों से नफ़रत रखता हूँ ख़ुदावन्द फ़रमाता है।”
وَكَانَ إِلَيَّ كَلَامُ رَبِّ ٱلْجُنُودِ قَائِلًا: ١٨ 18
फिर रब्ब — उल — अफ़वाज का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
«هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: إِنَّ صَوْمَ ٱلشَّهْرِ ٱلرَّابِعِ وَصَوْمَ ٱلْخَامِسِ وَصَوْمَ ٱلسَّابِعِ وَصَوْمَ ٱلْعَاشِرِ يَكُونُ لِبَيْتِ يَهُوذَا ٱبْتِهَاجًا وَفَرَحًا وَأَعْيَادًا طَيِّبَةً. فَأَحِبُّوا ٱلْحَقَّ وَٱلسَّلَامَ. ١٩ 19
कि रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है: कि चौथे और पाँचवें और सातवें और दसवें महीने का रोज़ा, यहूदाह के लिए खुशी और ख़ुर्रमी का दिन और शादमानी की 'ईद होगा; तुम सच्चाई और सलामती को 'अज़ीज़ रक्खो।
هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: سَيَأْتِي شُعُوبٌ بَعْدُ، وَسُكَّانُ مُدُنٍ كَثِيرَةٍ. ٢٠ 20
रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है: कि फिर क़ौम में और बड़े बड़े शहरों के बाशिन्दे आएँगे।
وَسُكَّانُ وَاحِدَةٍ يَسِيرُونَ إِلَى أُخْرَى قَائِلِينَ: لِنَذْهَبْ ذَهَابًا لِنَتَرَضَّى وَجْهَ ٱلرَّبِّ وَنَطْلُبَ رَبَّ ٱلْجُنُودِ. أَنَا أَيْضًا أَذْهَبُ. ٢١ 21
एक शहर के बाशिन्दे दूसरे शहर में जाकर कहेंगे, जल्द ख़ुदावन्द से दरख़्वास्त करें और रब्ब — उल — अफ़वाज के तालिब हों, भी चलता हूँ।
فَتَأْتِي شُعُوبٌ كَثِيرَةٌ وَأُمَمٌ قَوِيَّةٌ لِيَطْلُبُوا رَبَّ ٱلْجُنُودِ فِي أُورُشَلِيمَ، وَلْيَتَرَضَّوْا وَجْهَ ٱلرَّبِّ. ٢٢ 22
बहुत सी उम्मातें और ज़बरदस्त क़ौमें रब्ब — उल — अफ़वाज की तालिब होंगी, ख़ुदावन्द से दरख़्वास्त करने को येरूशलेम में आएँगी।
«هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ يُمْسِكُ عَشَرَةُ رِجَالٍ مِنْ جَمِيعِ أَلْسِنَةِ ٱلْأُمَمِ يَتَمَسَّكُونَ بِذَيْلِ رَجُلٍ يَهُودِيٍّ قَائِلِينَ: نَذْهَبُ مَعَكُمْ لِأَنَّنَا سَمِعْنَا أَنَّ ٱللهَ مَعَكُمْ». ٢٣ 23
रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है: कि उन दिनों में मुख़्तलिफ़ अहल — ए — लुग़त में से दस आदमी हाथ बढ़ाकर एक यहूदी का दामन पकड़ेंगे और कहेंगे कि हम तुम्हारे साथ जायेंगे क्यूँकि हम ने सुना है कि ख़ुदा तुम्हारे साथ है।

< زَكَريَّا 8 >