< تِيطُس 3 >

ذَكِّرْهُمْ أَنْ يَخْضَعُوا لِلرِّيَاسَاتِ وَٱلسَّلَاطِينِ، وَيُطِيعُوا، وَيَكُونُوا مُسْتَعِدِّينَ لِكُلِّ عَمَلٍ صَالِحٍ، ١ 1
उनको याद दिला कि हाकिमों और इख़्तियारवालों के ताबे रहें और उनका हुक्म मानें, और हर नेक काम के लिए मुस्त'इद रहें,
وَلَا يَطْعَنُوا فِي أَحَدٍ، وَيَكُونُوا غَيْرَ مُخَاصِمِينَ، حُلَمَاءَ، مُظْهِرِينَ كُلَّ وَدَاعَةٍ لِجَمِيعِ ٱلنَّاسِ. ٢ 2
किसी की बुराई न करें तकरारी न हों; बल्कि नर्म मिज़ाज हों और सब आदमियों के साथ कमाल हलीमी से पेश आएँ।
لِأَنَّنَا كُنَّا نَحْنُ أَيْضًا قَبْلًا أَغْبِيَاءَ، غَيْرَ طَائِعِينَ، ضَالِّينَ، مُسْتَعْبَدِينَ لِشَهَوَاتٍ وَلَذَّاتٍ مُخْتَلِفَةٍ، عَائِشِينَ فِي ٱلْخُبْثِ وَٱلْحَسَدِ، مَمْقُوتِينَ، مُبْغِضِينَ بَعْضُنَا بَعْضًا. ٣ 3
क्यूँकि हम भी पहले नादान नाफ़रमान फ़रेब खाने वाले रंग बिरंग की ख़्वाहिशों और ऐश — ओ — अशरत के बन्दे थे, और बदख़्वाही और हसद में ज़िन्दगी गुज़ारते थे, नफ़रत के लायक़ थे और आपस में जलन रखते थे।
وَلَكِنْ حِينَ ظَهَرَ لُطْفُ مُخَلِّصِنَا ٱللهِ وَإِحْسَانُهُ - ٤ 4
मगर जब हमारे मुन्जी ख़ुदा की मेहरबानी और इंसान के साथ उसकी उल्फ़त ज़ाहिर हुई।
لَا بِأَعْمَالٍ فِي بِرٍّ عَمِلْنَاهَا نَحْنُ، بَلْ بِمُقْتَضَى رَحْمَتِهِ - خَلَّصَنَا بِغُسْلِ ٱلْمِيلَادِ ٱلثَّانِي وَتَجْدِيدِ ٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ، ٥ 5
तो उस ने हम को नजात दी; मगर रास्तबाज़ी के कामों के ज़रिए से नहीं जो हम ने ख़ुद किए, बल्कि अपनी रहमत के मुताबिक़ पैदाइश के ग़ुस्ल और रूह — उल — क़ुद्दूस के हमें नया बनाने के वसीले से।
ٱلَّذِي سَكَبَهُ بِغِنًى عَلَيْنَا بِيَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ مُخَلِّصِنَا. ٦ 6
जिसे उस ने हमारे मुन्जी 'ईसा मसीह के ज़रिए हम पर इफ़रात से नाज़िल किया,
حَتَّى إِذَا تَبَرَّرْنَا بِنِعْمَتِهِ، نَصِيرُ وَرَثَةً حَسَبَ رَجَاءِ ٱلْحَيَاةِ ٱلْأَبَدِيَّةِ. (aiōnios g166) ٧ 7
ताकि हम उसके फ़ज़ल से रास्तबाज़ ठहर कर हमेशा की ज़िन्दगी की उम्मीद के मुताबिक़ वारिस बनें। (aiōnios g166)
صَادِقَةٌ هِيَ ٱلْكَلِمَةُ. وَأُرِيدُ أَنْ تُقَرِّرَ هَذِهِ ٱلْأُمُورَ، لِكَيْ يَهْتَمَّ ٱلَّذِينَ آمَنُوا بِٱللهِ أَنْ يُمَارِسُوا أَعْمَالًا حَسَنَةً. فَإِنَّ هَذِهِ ٱلْأُمُورَ هِيَ ٱلْحَسَنَةُ وَٱلنَّافِعَةُ لِلنَّاسِ. ٨ 8
ये बात सच है, और मैं चाहता हूँ, कि तू इन बातों का याक़ीनी तौर से दावा कर ताकि जिन्होंने ख़ुदा का यक़ीन किया है, वो अच्छे कामों में लगे रहने का ख़याल रख्खें ये बातें भली और आदमियों के लिए फ़ाइदामन्द हैं।
وَأَمَّا ٱلْمُبَاحَثَاتُ ٱلْغَبِيَّةُ، وَٱلْأَنْسَابُ، وَٱلْخُصُومَاتُ، وَٱلْمُنَازَعَاتُ ٱلنَّامُوسِيةُ فَٱجْتَنِبْهَا، لِأَنَّهَا غَيْرُ نَافِعَةٍ، وَبَاطِلَةٌ. ٩ 9
मगर बेवक़ूफ़ी की हुज्जतों और नसबनामों और झगड़ों और उन लड़ाइयों से जो शरी'अत के बारे में हों परहेज़ करे इसलिए कि ये ला हासिल और बेफ़ाइदा हैं।
اَلرَّجُلُ ٱلْمُبْتَدِعُ بَعْدَ ٱلْإِنْذَارِ مَرَّةً وَمَرَّتَيْنِ، أَعْرِضْ عَنْهُ. ١٠ 10
एक दो बार नसीहत करके झूठी ता'लीम देने वाले शख़्स से किनारा कर,
عَالِمًا أَنَّ مِثْلَ هَذَا قَدِ ٱنْحَرَفَ، وَهُوَ يُخْطِئُ مَحْكُومًا عَلَيْهِ مِنْ نَفْسِهِ. ١١ 11
ये जान कर कि ऐसा शख़्स मुड़ गया है और अपने आपको मुजरिम ठहरा कर गुनाह करता रहता है।
حِينَمَا أُرْسِلُ إِلَيْكَ أَرْتِيمَاسَ أَوْ تِيخِيكُسَ، بَادِرْ أَنْ تَأْتِيَ إِلَيَّ إِلَى نِيكُوبُولِيسَ، لِأَنِّي عَزَمْتُ أَنْ أُشَتِّيَ هُنَاكَ. ١٢ 12
जब मैं तेरे पास अरतिमास या तुख़िकुस को भेजूँ तो मेरे पास नीकुपुलिस शहर आने की कोशीश करना कयूँकि मैंने वहीं जाड़ा काटने का इरादा कर लिया है।
جَهِّزْ زِينَاسَ ٱلنَّامُوسِيَّ وَأَبُلُّوسَ بِٱجْتِهَادٍ لِلسَّفَرِ حَتَّى لَا يُعْوِزَهُمَا شَيْءٌ. ١٣ 13
ज़ेनास आलिम — ए — शरा और अपुल्लोस को कोशिश करके रवाना कर दे इस तौर पर कि उन को किसी चीज़ की कमी न रही।
وَلْيَتَعَلَّمْ مَنْ لَنَا أَيْضًا أَنْ يُمَارِسُوا أَعْمَالًا حَسَنَةً لِلْحَاجَاتِ ٱلضَّرُورِيَّةِ، حَتَّى لَا يَكُونُوا بِلَا ثَمَرٍ. ١٤ 14
और हमारे लोग भी ज़रूरतों को रफ़ा करने के लिए अच्छे कामों में लगे रहना सीखें ताकि बेफल न रहें।
يُسَلِّمُ عَلَيْكَ ٱلَّذِينَ مَعِي جَمِيعًا. سَلِّمْ عَلَى ٱلَّذِينَ يُحِبُّونَنَا فِي ٱلْإِيمَانِ. اَلنِّعْمَةُ مَعَ جَمِيعِكُمْ. آمِينَ. ١٥ 15
मेरे सब साथी तुझे सलाम कहते हैं। जो ईमान के रूह से हमें 'अज़ीज़ रखते हैं उन से सलाम कह। तुम सब पर फ़ज़ल होता रहे।

< تِيطُس 3 >