< نَشِيدُ ٱلْأَنْشَادِ 4 >

هَا أَنْتِ جَمِيلَةٌ يَا حَبِيبَتِي، هَا أَنْتِ جَمِيلَةٌ! عَيْنَاكِ حَمَامَتَانِ مِنْ تَحْتِ نَقَابِكِ. شَعْرُكِ كَقَطِيعِ مِعْزٍ رَابِضٍ عَلَى جَبَلِ جِلْعَادَ. ١ 1
देख, तू ख़ूबसूरत है ऐ मेरी प्यारी! देख, तू ख़ूबसूरत है; तेरी आँखें तेरे नक़ाब के नीचे दो कबूतर हैं, तेरे बाल बकरियों के गल्ले की तरह हैं, जो कोह — ए — जिल्'आद पर बैठी हों।
أَسْنَانُكِ كَقَطِيعِ ٱلْجَزَائِزِ ٱلصَّادِرَةِ مِنَ ٱلْغَسْلِ، ٱللَّوَاتِي كُلُّ وَاحِدَةٍ مُتْئِمٌ، وَلَيْسَ فِيهِنَّ عَقِيمٌ. ٢ 2
तेरे दाँत भेड़ों के ग़ल्ले की तरह हैं, जिनके बाल कतरे गए हों और जिनको गु़स्ल दिया गया हो, जिनमें से हर एक ने दो बच्चे दिए हों, और उनमें एक भी बाँझ न हो।
شَفَتَاكِ كَسِلْكَةٍ مِنَ ٱلْقِرْمِزِ، وَفَمُكِ حُلْوٌ. خَدُّكِ كَفِلْقَةِ رُمَّانَةٍ تَحْتَ نَقَابِكِ. ٣ 3
तेरे होंठ किर्मिज़ी डोरे हैं, तेरा मुँह दिल फ़रेब है, तेरी कनपटियाँ तेरे नक़ाब के नीचे अनार के टुकड़ों की तरह हैं।
عُنُقُكِ كَبُرْجِ دَاوُدَ ٱلْمَبْنِيِّ لِلْأَسْلِحَةِ. أَلْفُ مِجَنٍّ عُلِّقَ عَلَيْهِ، كُلُّهَا أَتْرَاسُ ٱلْجَبَابِرَةِ. ٤ 4
तेरी गर्दन दाऊद का बुर्ज है जो सिलाहख़ाने के लिए बना जिस पर हज़ार ढाल लटकाई गई हैं, वह सब की सब पहलवानों की ढालें हैं।
ثَدْيَاكِ كَخِشْفَتَيْ ظَبْيَةٍ، تَوْأَمَيْنِ يَرْعَيَانِ بَيْنَ ٱلسَّوْسَنِ. ٥ 5
तेरी दोनों छातियाँ दो तोअम आहू बच्चे हैं, जो सोसनों में चरते हैं।
إِلَى أَنْ يَفِيحَ ٱلنَّهَارُ وَتَنْهَزِمَ ٱلظِّلَالُ، أَذْهَبُ إِلَى جَبَلِ ٱلْمُرِّ وَإِلَى تَلِّ ٱللُّبَانِ. ٦ 6
जब तक दिन ढले और साया बढ़े, मैं मुर के पहाड़ और लुबान के टीले पर जा रहूँगा।
كُلُّكِ جَمِيلٌ يَا حَبِيبَتِي لَيْسَ فِيكِ عَيْبَةٌ. ٧ 7
ऐ मेरी प्यारी, तू सरापा जमाल है; तुझ में कोई 'ऐब नहीं।
هَلُمِّي مَعِي مِنْ لُبْنَانَ يَا عَرُوسُ، مَعِي مِنْ لُبْنَانَ! ٱنْظُرِي مِنْ رَأْسِ أَمَانَةَ، مِنْ رَأْسِ شَنِيرَ وَحَرْمُونَ، مِنْ خُدُورِ ٱلْأُسُودِ، مِنْ جِبَالِ ٱلنُّمُورِ. ٨ 8
लुबनान से मेरे साथ, ऐ दुल्हन! तू लुबनान से मेरे साथ चली आ। अमाना की चोटी पर से, सनीर और हरमून की चोटी पर से, शेरों की मांदों से, और चीतों के पहाड़ों पर से नज़र दौड़ा।
قَدْ سَبَيْتِ قَلْبِي يَا أُخْتِي ٱلْعَرُوسُ. قَدْ سَبَيْتِ قَلْبِي بِإِحْدَى عَيْنَيْكِ، بِقَلَادَةٍ وَاحِدَةٍ مِنْ عُنُقِكِ. ٩ 9
ऐ मेरी प्यारी, मेरी ज़ोजा, तू ने मेरा दिल लूट लिया। अपनी एक नज़र से, अपनी गर्दन के एक तौक़ से तू ने मेरा दिल ग़ारत कर लिया।
مَا أَحْسَنَ حُبَّكِ يَا أُخْتِي ٱلْعَرُوسُ! كَمْ مَحَبَّتُكِ أَطْيَبُ مِنَ ٱلْخَمْرِ! وَكَمْ رَائِحَةُ أَدْهَانِكِ أَطْيَبُ مِنْ كُلِّ ٱلْأَطْيَابِ! ١٠ 10
ऐ मेरी प्यारी, मेरी ज़ौजा, तेरा 'इश्क क्या ख़ूब है। तेरी मुहब्बत मय से ज़्यादा लज़ीज़ है, और तेरे इत्रों की महक हर तरह की ख़ुश्बू से बढ़कर है।
شَفَتَاكِ يَا عَرُوسُ تَقْطُرَانِ شَهْدًا. تَحْتَ لِسَانِكِ عَسَلٌ وَلَبَنٌ، وَرَائِحَةُ ثِيَابِكِ كَرَائِحَةِ لُبْنَانَ. ١١ 11
ऐ मेरी ज़ोजा, तेरे होटों से शहद टपकता है; शहद — ओ — शीर तेरे ज़बान तले है तेरी पोशाक की खु़श्बू लुबनान की जैसी है।
أُخْتِي ٱلْعَرُوسُ جَنَّةٌ مُغْلَقَةٌ، عَيْنٌ مُقْفَلَةٌ، يَنْبُوعٌ مَخْتُومٌ. ١٢ 12
मेरी प्यारी, मेरी ज़ोजा एक महफ़ूज़ बाग़ीचा है; वह महफ़ूज़ सोता और सर बमुहर चश्मा है।
أَغْرَاسُكِ فِرْدَوْسُ رُمَّانٍ مَعَ أَثْمَارٍ نَفِيسَةٍ، فَاغِيَةٍ وَنَارِدِينٍ. ١٣ 13
तेरे बाग़ के पौधे लज़ीज़ मेवादार अनार हैं, मेहन्दी और सुम्बुल भी हैं।
نَارِدِينٍ وَكُرْكُمٍ. قَصَبِ ٱلذَّرِيرَةِ وَقِرْفَةٍ، مَعَ كُلِّ عُودِ ٱللُّبَانِ. مُرٌّ وَعُودٌ مَعَ كُلِّ أَنْفَسِ ٱلْأَطْيَابِ. ١٤ 14
जटामासी और ज़ा'फ़रान, बेदमुश्क और दारचीनी और लोबान के तमाम दरख़्त, मुर और ऊद और हर तरह की ख़ास खु़श्बू।
يَنْبُوعُ جَنَّاتٍ، بِئْرُ مِيَاهٍ حَيَّةٍ، وَسُيُولٌ مِنْ لُبْنَانَ. ١٥ 15
तू बाग़ों में एक मम्बा', आब — ए — हयात का चश्मा, और लुबनान का झरना है।
اِسْتَيْقِظِي يَا رِيحَ ٱلشَّمَالِ، وَتَعَالَيْ يَا رِيحَ ٱلْجَنُوبِ! هَبِّي عَلَى جَنَّتِي فَتَقْطُرَ أَطْيَابُهَا. لِيَأْتِ حَبِيبِي إِلَى جَنَّتِهِ وَيَأْكُلْ ثَمَرَهُ ٱلنَّفِيسَ. ١٦ 16
ऐ शिमाली हवा बेदार हो, ऐ दख्खिनी हवा चली आ! मेरे बाग़ पर से गुज़र, ताकि उसकी ख़ुशबू फैले। मेरा महबूब अपने बाग़ में आए, और अपने लज़ीज़ मेवे खाए।

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