< نَشِيدُ ٱلْأَنْشَادِ 1 >

نَشِيدُ ٱلْأَنْشَادِ ٱلَّذِي لِسُلَيْمَانَ: ١ 1
श्रेष्ठगीत जो सुलैमान का है। वधू
لِيُقَبِّلْنِي بِقُبْلَاتِ فَمِهِ، لِأَنَّ حُبَّكَ أَطْيَبُ مِنَ ٱلْخَمْرِ. ٢ 2
तू अपने मुँह के चुम्बनों से मुझे चूमे! क्योंकि तेरा प्रेम दाखमधु से उत्तम है,
لِرَائِحَةِ أَدْهَانِكَ ٱلطَّيِّبَةِ. ٱسْمُكَ دُهْنٌ مُهْرَاقٌ، لِذَلِكَ أَحَبَّتْكَ ٱلْعَذَارَى. ٣ 3
तेरे भाँति-भाँति के इत्रों का सुगन्ध उत्तम है, तेरा नाम उण्डेले हुए इत्र के तुल्य है; इसलिए कुमारियाँ तुझ से प्रेम रखती हैं
اُجْذُبْنِي وَرَاءَكَ فَنَجْرِيَ. أَدْخَلَنِي ٱلْمَلِكُ إِلَى حِجَالِهِ. نَبْتَهِجُ وَنَفْرَحُ بِكَ. نَذْكُرُ حُبَّكَ أَكْثَرَ مِنَ ٱلْخَمْرِ. بِٱلْحَقِّ يُحِبُّونَكَ. ٤ 4
मुझे खींच ले; हम तेरे पीछे दौड़ेंगे। राजा मुझे अपने महल में ले आया है। हम तुझ में मगन और आनन्दित होंगे; हम दाखमधु से अधिक तेरे प्रेम की चर्चा करेंगे; वे ठीक ही तुझ से प्रेम रखती हैं।
أَنَا سَوْدَاءُ وَجَمِيلَةٌ يَا بَنَاتِ أُورُشَلِيمَ، كَخِيَامِ قِيدَارَ، كَشُقَقِ سُلَيْمَانَ. ٥ 5
हे यरूशलेम की पुत्रियों, मैं काली तो हूँ परन्तु सुन्दर हूँ, केदार के तम्बुओं के और सुलैमान के पर्दों के तुल्य हूँ।
لَا تَنْظُرْنَ إِلَيَّ لِكَوْنِي سَوْدَاءَ، لِأَنَّ ٱلشَّمْسَ قَدْ لَوَّحَتْنِي. بَنُو أُمِّي غَضِبُوا عَلَيَّ. جَعَلُونِي نَاطُورَةَ ٱلْكُرُومِ. أَمَّا كَرْمِي فَلَمْ أَنْطُرْهُ. ٦ 6
मुझे इसलिए न घूर कि मैं साँवली हूँ, क्योंकि मैं धूप से झुलस गई। मेरी माता के पुत्र मुझसे अप्रसन्न थे, उन्होंने मुझ को दाख की बारियों की रखवालिन बनाया; परन्तु मैंने अपनी निज दाख की बारी की रखवाली नहीं की!
أَخْبِرْنِي يَا مَنْ تُحِبُّهُ نَفْسِي، أَيْنَ تَرْعَى، أَيْنَ تُرْبِضُ عِنْدَ ٱلظَّهِيرَةِ. لِمَاذَا أَنَا أَكُونُ كَمُقَنَّعَةٍ عِنْدَ قُطْعَانِ أَصْحَابِكَ؟ ٧ 7
हे मेरे प्राणप्रिय मुझे बता, तू अपनी भेड़-बकरियाँ कहाँ चराता है, दोपहर को तू उन्हें कहाँ बैठाता है; मैं क्यों तेरे संगियों की भेड़-बकरियों के पास घूँघट काढ़े हुए भटकती फिरूँ? वर
إِنْ لَمْ تَعْرِفِي أَيَّتُهَا ٱلْجَمِيلَةُ بَيْنَ ٱلنِّسَاءِ، فَٱخْرُجِي عَلَى آثَارِ ٱلْغَنَمِ، وَٱرْعَيْ جِدَاءَكِ عِنْدَ مَسَاكِنِ ٱلرُّعَاةِ. ٨ 8
हे स्त्रियों में सुन्दरी, यदि तू यह न जानती हो तो भेड़-बकरियों के खुरों के चिन्हों पर चल और चरावाहों के तम्बुओं के पास, अपनी बकरियों के बच्चों को चरा।
لَقَدْ شَبَّهْتُكِ يَا حَبِيبَتِي بِفَرَسٍ فِي مَرْكَبَاتِ فِرْعَوْنَ. ٩ 9
हे मेरी प्रिय मैंने तेरी तुलना फ़िरौन के रथों में जुती हुई घोड़ी से की है।
مَا أَجْمَلَ خَدَّيْكِ بِسُمُوطٍ، وَعُنُقَكِ بِقَلَائِدَ! ١٠ 10
१०तेरे गाल केशों के लटों के बीच क्या ही सुन्दर हैं, और तेरा कण्ठ हीरों की लड़ियों के बीच। वधू
نَصْنَعُ لَكِ سَلَاسِلَ مِنْ ذَهَبٍ مَعَ جُمَانٍ مِنْ فِضَّةٍ. ١١ 11
११हम तेरे लिये चाँदी के फूलदार सोने के आभूषण बनाएँगे।
مَا دَامَ ٱلْمَلِكُ فِي مَجْلِسِهِ أَفَاحَ نَارِدِينِي رَائِحَتَهُ. ١٢ 12
१२जब राजा अपनी मेज के पास बैठा था मेरी जटामासी की सुगन्ध फैल रही थी।
صُرَّةُ ٱلْمُرِّ حَبِيبِي لِي. بَيْنَ ثَدْيَيَّ يَبِيتُ. ١٣ 13
१३मेरा प्रेमी मेरे लिये लोबान की थैली के समान है जो मेरी छातियों के बीच में पड़ी रहती है।
طَاقَةُ فَاغِيَةٍ حَبِيبِي لِي فِي كُرُومِ عَيْنِ جَدْيٍ. ١٤ 14
१४मेरा प्रेमी मेरे लिये मेंहदी के फूलों के गुच्छे के समान है, जो एनगदी की दाख की बारियों में होता है। वर
هَا أَنْتِ جَمِيلَةٌ يَا حَبِيبَتِي، هَا أَنْتِ جَمِيلَةٌ. عَيْنَاكِ حَمَامَتَانِ. ١٥ 15
१५तू सुन्दरी है, हे मेरी प्रिय, तू सुन्दरी है; तेरी आँखें कबूतरी की सी हैं। वधू
هَا أَنْتَ جَمِيلٌ يَا حَبِيبِي وَحُلْوٌ، وَسَرِيرُنَا أَخْضَرُ. ١٦ 16
१६हे मेरे प्रिय तू सुन्दर और मनभावना है और हमारा बिछौना भी हरा है;
جَوَائِزُ بَيْتِنَا أَرْزٌ، وَرَوَافِدُنَا سَرْوٌ. ١٧ 17
१७हमारे घर के धरन देवदार हैं और हमारी छत की कड़ियाँ सनोवर हैं।

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