< رُوما 4 >

فَمَاذَا نَقُولُ إِنَّ أَبَانَا إِبْرَاهِيمَ قَدْ وَجَدَ حَسَبَ ٱلْجَسَدِ؟ ١ 1
पस हम क्या कहें कि हमारे जिस्मानी बाप अब्रहाम को क्या हासिल हुआ?
لِأَنَّهُ إِنْ كَانَ إِبْرَاهِيمُ قَدْ تَبَرَّرَ بِٱلْأَعْمَالِ فَلَهُ فَخْرٌ، وَلَكِنْ لَيْسَ لَدَى ٱللهِ. ٢ 2
क्यूँकि अगर अब्रहाम आमाल से रास्तबाज़ ठहराया जाता तो उसको फ़ख़्र की जगह होती; लेकिन ख़ुदा के नज़दीक नहीं।
لِأَنَّهُ مَاذَا يَقُولُ ٱلْكِتَابُ؟ «فَآمَنَ إِبْرَاهِيمُ بِٱللهِ فَحُسِبَ لَهُ بِرًّا». ٣ 3
किताब ए मुक़द्दस क्या कहती है “ये कि अब्रहाम ख़ुदा पर ईमान लाया। ये उसके लिए रास्तबाज़ी गिना गया।”
أَمَّا ٱلَّذِي يَعْمَلُ فَلَا تُحْسَبُ لَهُ ٱلْأُجْرَةُ عَلَى سَبِيلِ نِعْمَةٍ، بَلْ عَلَى سَبِيلِ دَيْنٍ. ٤ 4
काम करनेवाले की मज़दूरी बख़्शिश नहीं बल्कि हक़ समझी जाती है।
وَأَمَّا ٱلَّذِي لَا يَعْمَلُ، وَلَكِنْ يُؤْمِنُ بِٱلَّذِي يُبَرِّرُ ٱلْفَاجِرَ، فَإِيمَانُهُ يُحْسَبُ لَهُ بِرًّا. ٥ 5
मगर जो शख़्स काम नहीं करता बल्कि बेदीन के रास्तबाज़ ठहराने वाले पर ईमान लाता है उस का ईमान उसके लिए रास्तबाज़ी गिना जाता है।
كَمَا يَقُولُ دَاوُدُ أَيْضًا فِي تَطْوِيبِ ٱلْإِنْسَانِ ٱلَّذِي يَحْسِبُ لَهُ ٱللهُ بِرًّا بِدُونِ أَعْمَالٍ: ٦ 6
चुनाँचे जिस शख़्स के लिए ख़ुदा बग़ैर आमाल के रास्तबाज़ शुमार करता है दाऊद भी उसकी मुबारिक़ हाली इस तरह बयान करता है।
«طُوبَى لِلَّذِينَ غُفِرَتْ آثَامُهُمْ وَسُتِرَتْ خَطَايَاهُمْ. ٧ 7
“मुबारिक़ वो हैं जिनकी बदकारियाँ मुआफ़ हुई और जिनके गुनाह छुपाए गए।
طُوبَى لِلرَّجُلِ ٱلَّذِي لَا يَحْسِبُ لَهُ ٱلرَّبُّ خَطِيَّةً». ٨ 8
मुबारिक़ वो शख़्स है जिसके गुनाह ख़ुदावन्द शुमार न करेगा।”
أَفَهَذَا ٱلتَّطْوِيبُ هُوَ عَلَى ٱلْخِتَانِ فَقَطْ أَمْ عَلَى ٱلْغُرْلَةِ أَيْضًا؟ لِأَنَّنَا نَقُولُ: إِنَّهُ حُسِبَ لِإِبْرَاهِيمَ ٱلْإِيمَانُ بِرًّا. ٩ 9
पस क्या ये मुबारिक़बादी मख़्तूनों ही के लिए है या नामख़्तूनों के लिए भी? क्यूँकि हमारा दावा ये है कि अब्रहाम के लिए उसका ईमान रास्तबाज़ी गिना गया।
فَكَيْفَ حُسِبَ؟ أَوَهُوَ فِي ٱلْخِتَانِ أَمْ فِي ٱلْغُرْلَةِ؟ لَيْسَ فِي ٱلْخِتَانِ، بَلْ فِي ٱلْغُرْلَةِ! ١٠ 10
पस किस हालत में गिना गया? मख़्तूनी में या नामख़्तूनी में? मख़्तूनी में नहीं बल्कि नामख़्तूनी में।
وَأَخَذَ عَلَامَةَ ٱلْخِتَانِ خَتْمًا لِبِرِّ ٱلْإِيمَانِ ٱلَّذِي كَانَ فِي ٱلْغُرْلَةِ، لِيَكُونَ أَبًا لِجَمِيعِ ٱلَّذِينَ يُؤْمِنُونَ وَهُمْ فِي ٱلْغُرْلَةِ، كَيْ يُحْسَبَ لَهُمْ أَيْضًا ٱلْبِرُّ. ١١ 11
और उसने ख़तने का निशान पाया कि उस ईमान की रास्तबाज़ी पर मुहर हो जाए जो उसे नामख़्तूनी की हालत में हासिल था, वो उन सब का बाप ठहरे जो बावजूद नामख़्तून होने के ईमान लाते हैं
وَأَبًا لِلْخِتَانِ لِلَّذِينَ لَيْسُوا مِنَ ٱلْخِتَانِ فَقَطْ، بَلْ أَيْضًا يَسْلُكُونَ فِي خُطُوَاتِ إِيمَانِ أَبِينَا إِبْرَاهِيمَ ٱلَّذِي كَانَ وَهُوَ فِي ٱلْغُرْلَةِ. ١٢ 12
और उन मख़्तूनों का बाप हो जो न सिर्फ़ मख़्तून हैं बल्कि हमारे बाप अब्रहाम के उस ईमान की भी पैरवी करते हैं जो उसे ना मख़्तूनी की हालत में हासिल था।
فَإِنَّهُ لَيْسَ بِٱلنَّامُوسِ كَانَ ٱلْوَعْدُ لِإِبْرَاهِيمَ أَوْ لِنَسْلِهِ أَنْ يَكُونَ وَارِثًا لِلْعَالَمِ، بَلْ بِبِرِّ ٱلْإِيمَانِ. ١٣ 13
क्यूँकि ये वादा किया वो कि दुनिया का वारिस होगा न अब्रहाम से न उसकी नस्ल से शरी'अत के वसीले से किया गया था बल्कि ईमान की रास्तबाज़ी के वसीले से किया गया था।
لِأَنَّهُ إِنْ كَانَ ٱلَّذِينَ مِنَ ٱلنَّامُوسِ هُمْ وَرَثَةً، فَقَدْ تَعَطَّلَ ٱلْإِيمَانُ وَبَطَلَ ٱلْوَعْدُ: ١٤ 14
क्यूँकि अगर शरी'अत वाले ही वारिस हों तो ईमान बेफ़ाइदा रहा और वादा से कुछ हासिल न ठहरेगा।
لِأَنَّ ٱلنَّامُوسَ يُنْشِئُ غَضَبًا، إِذْ حَيْثُ لَيْسَ نَامُوسٌ لَيْسَ أَيْضًا تَعَدٍّ. ١٥ 15
क्यूँकि शरी'अत तो ग़ज़ब पैदा करती है और जहाँ शरी'अत नहीं वहाँ मुख़ालिफ़त — ए — हुक्म भी नहीं।
لِهَذَا هُوَ مِنَ ٱلْإِيمَانِ، كَيْ يَكُونَ عَلَى سَبِيلِ ٱلنِّعْمَةِ، لِيَكُونَ ٱلْوَعْدُ وَطِيدًا لِجَمِيعِ ٱلنَّسْلِ. لَيْسَ لِمَنْ هُوَ مِنَ ٱلنَّامُوسِ فَقَطْ، بَلْ أَيْضًا لِمَنْ هُوَ مِنْ إِيمَانِ إِبْرَاهِيمَ، ٱلَّذِي هُوَ أَبٌ لِجَمِيعِنَا. ١٦ 16
इसी वास्ते वो मीरास ईमान से मिलती है ताकि फ़ज़ल के तौर पर हो; और वो वादा कुल नस्ल के लिए क़ाईम रहे सिर्फ़ उस नस्ल के लिए जो शरी'अत वाली है बल्कि उसके लिए भी जो अब्रहाम की तरह ईमान वाली है वही हम सब का बाप है।
كَمَا هُوَ مَكْتُوبٌ: «إِنِّي قَدْ جَعَلْتُكَ أَبًا لِأُمَمٍ كَثِيرَةٍ». أَمَامَ ٱللهِ ٱلَّذِي آمَنَ بِهِ، ٱلَّذِي يُحْيِي ٱلْمَوْتَى، وَيَدْعُو ٱلْأَشْيَاءَ غَيْرَ ٱلْمَوْجُودَةِ كَأَنَّهَا مَوْجُودَةٌ. ١٧ 17
चुनाँचे लिखा है (“मैंने तुझे बहुत सी क़ौमों का बाप बनाया”) उस ख़ुदा के सामने जिस पर वो ईमान लाया और जो मुर्दों को ज़िन्दा करता है और जो चीज़ें नहीं हैं उन्हें इस तरह से बुला लेता है कि गोया वो हैं।
فَهُوَ عَلَى خِلَافِ ٱلرَّجَاءِ، آمَنَ عَلَى ٱلرَّجَاءِ، لِكَيْ يَصِيرَ أَبًا لِأُمَمٍ كَثِيرَةٍ، كَمَا قِيلَ: «هَكَذَا يَكُونُ نَسْلُكَ». ١٨ 18
वो ना उम्मीदी की हालत में उम्मीद के साथ ईमान लाया ताकि इस क़ौल के मुताबिक़ कि तेरी नस्ल ऐसी ही होगी “वो बहुत सी क़ौमों का बाप हो।”
وَإِذْ لَمْ يَكُنْ ضَعِيفًا فِي ٱلْإِيمَانِ لَمْ يَعْتَبِرْ جَسَدَهُ - وَهُوَ قَدْ صَارَ مُمَاتًا، إِذْ كَانَ ٱبْنَ نَحْوِ مِئَةِ سَنَةٍ - وَلَا مُمَاتِيَّةَ مُسْتَوْدَعِ سَارَةَ. ١٩ 19
और वो जो तक़रीबन सौ बरस का था, बावजूद अपने मुर्दा से बदन और सारह के रहम की मुर्दाहालत पर लिहाज़ करने के ईमान में कमज़ोर न हुआ।
وَلَا بِعَدَمِ إِيمَانٍ ٱرْتَابَ فِي وَعْدِ ٱللهِ، بَلْ تَقَوَّى بِٱلْإِيمَانِ مُعْطِيًا مَجْدًا لِلهِ. ٢٠ 20
और न बे ईमान हो कर ख़ुदा के वादे में शक किया बल्कि ईमान में मज़बूत हो कर ख़ुदा की बड़ाई की।
وَتَيَقَّنَ أَنَّ مَا وَعَدَ بِهِ هُوَ قَادِرٌ أَنْ يَفْعَلَهُ أَيْضًا. ٢١ 21
और उसको कामिल ऐतिक़ाद हुआ कि जो कुछ उसने वादा किया है वो उसे पूरा करने पर भी क़ादिर है।
لِذَلِكَ أَيْضًا: حُسِبَ لَهُ بِرًّا». ٢٢ 22
इसी वजह से ये उसके लिए रास्बाज़ी गिना गया।
وَلَكِنْ لَمْ يُكْتَبْ مِنْ أَجْلِهِ وَحْدَهُ أَنَّهُ حُسِبَ لَهُ، ٢٣ 23
और ये बात कि ईमान उस के लिए रास्तबाज़ी गिना गया; न सिर्फ़ उसके लिए लिखी गई।
بَلْ مِنْ أَجْلِنَا نَحْنُ أَيْضًا، ٱلَّذِينَ سَيُحْسَبُ لَنَا، ٱلَّذِينَ نُؤْمِنُ بِمَنْ أَقَامَ يَسُوعَ رَبَّنَا مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ، ٢٤ 24
बल्कि हमारे लिए भी जिनके लिए ईमान रास्तबाज़ी गिना जाएगा इस वास्ते के हम उस पर ईमान लाए हैं जिस ने हमारे ख़ुदावन्द ईसा को मुर्दों में से जिलाया।
ٱلَّذِي أُسْلِمَ مِنْ أَجْلِ خَطَايَانَا وَأُقِيمَ لِأَجْلِ تَبْرِيرِنَا. ٢٥ 25
वो हमारे गुनाहों के लिए हवाले कर दिया गया और हम को रास्तबाज़ ठहराने के लिए जिलाया गया।

< رُوما 4 >