< رُوما 10 >

أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ، إِنَّ مَسَرَّةَ قَلْبِي وَطَلْبَتِي إِلَى ٱللهِ لِأَجْلِ إِسْرَائِيلَ هِيَ لِلْخَلَاصِ. ١ 1
ऐ भाइयों; मेरे दिल की आरज़ू और उन के लिए ख़ुदा से मेरी दुआ है कि वो नजात पाएँ।
لِأَنِّي أَشْهَدُ لَهُمْ أَنَّ لَهُمْ غَيْرَةً لِلهِ، وَلَكِنْ لَيْسَ حَسَبَ ٱلْمَعْرِفَةِ. ٢ 2
क्यूँकि मैं उनका गवाह हूँ कि वो ख़ुदा के बारे में ग़ैरत तो रखते हैं; मगर समझ के साथ नहीं।
لِأَنَّهُمْ إِذْ كَانُوا يَجْهَلُونَ بِرَّ ٱللهِ، وَيَطْلُبُونَ أَنْ يُثْبِتُوا بِرَّ أَنْفُسِهِمْ لَمْ يُخْضَعُوا لِبِرِّ ٱللهِ. ٣ 3
इसलिए कि वो ख़ुदा की रास्तबाज़ी से नावाक़िफ़ हो कर और अपनी रास्तबाज़ी क़ाईम करने की कोशिश करके ख़ुदा की रास्तबाज़ी के ताबे न हुए।
لِأَنَّ غَايَةَ ٱلنَّامُوسِ هِيَ: ٱلْمَسِيحُ لِلْبِرِّ لِكُلِّ مَنْ يُؤْمِنُ. ٤ 4
क्यूँकि हर एक ईमान लानेवाले की रास्तबाज़ी के लिए मसीह शरी'अत का अंजाम है।
لِأَنَّ مُوسَى يَكْتُبُ فِي ٱلْبِرِّ ٱلَّذِي بِٱلنَّامُوسِ: «إِنَّ ٱلْإِنْسَانَ ٱلَّذِي يَفْعَلُهَا سَيَحْيَا بِهَا». ٥ 5
चुनाँचे मूसा ने ये लिखा है “कि जो शख़्स उस रास्तबाज़ी पर अमल करता है जो शरी'अत से है वो उसी की वजह से ज़िन्दा रहेगा।”
وَأَمَّا ٱلْبِرُّ ٱلَّذِي بِٱلْإِيمَانِ فَيَقُولُ هَكَذَا: «لَا تَقُلْ فِي قَلْبِكَ: مَنْ يَصْعَدُ إِلَى ٱلسَّمَاءِ؟» أَيْ لِيُحْدِرَ ٱلْمَسِيحَ، ٦ 6
अगर जो रास्तबाज़ी ईमान से है वो यूँ कहती है, “तू अपने दिल में ये न कह'कि आसमान पर कौन चढ़ेगा?” या'नी मसीह के उतार लाने को।
«أَوْ: مَنْ يَهْبِطُ إِلَى ٱلْهَاوِيَةِ؟» أَيْ لِيُصْعِدَ ٱلْمَسِيحَ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ. (Abyssos g12) ٧ 7
या “गहराव में कौन उतरेगा?” यानी मसीह को मुर्दों में से जिला कर ऊपर लाने को। (Abyssos g12)
لَكِنْ مَاذَا يَقُولُ؟ «اَلْكَلِمَةُ قَرِيبَةٌ مِنْكَ، فِي فَمِكَ وَفِي قَلْبِكَ» أَيْ كَلِمَةُ ٱلْإِيمَانِ ٱلَّتِي نَكْرِزُ بِهَا: ٨ 8
बल्कि क्या कहती है; ये कि कलाम तेरे नज़दीक है बल्कि तेरे मुँह और तेरे दिल में है कि, ये वही ईमान का कलाम है जिसका हम ऐलान करते हैं।
لِأَنَّكَ إِنِ ٱعْتَرَفْتَ بِفَمِكَ بِٱلرَّبِّ يَسُوعَ، وَآمَنْتَ بِقَلْبِكَ أَنَّ ٱللهَ أَقَامَهُ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ، خَلَصْتَ. ٩ 9
कि अगर तू अपनी ज़बान से ईसा के ख़ुदावन्द होने का इक़रार करे और अपने दिल से ईमान लाए कि ख़ुदा ने उसे मुर्दों में से जिलाया तो नजात पाएगा।
لِأَنَّ ٱلْقَلْبَ يُؤْمَنُ بِهِ لِلْبِرِّ، وَٱلْفَمَ يُعْتَرَفُ بِهِ لِلْخَلَاصِ. ١٠ 10
क्यूँकि रास्तबाज़ी के लिए ईमान लाना दिल से होता है और नजात के लिए इक़रार मुँह से किया जाता है।
لِأَنَّ ٱلْكِتَابَ يَقُولُ: «كُلُّ مَنْ يُؤْمِنُ بِهِ لَا يُخْزَى». ١١ 11
चुनाँचे किताब — ए — मुक़द्दस ये कहती है “जो कोई उस पर ईमान लाएगा वो शर्मिन्दा न होगा।”
لِأَنَّهُ لَا فَرْقَ بَيْنَ ٱلْيَهُودِيِّ وَٱلْيُونَانِيِّ، لِأَنَّ رَبًّا وَاحِدًا لِلْجَمِيعِ، غَنِيًّا لِجَمِيعِ ٱلَّذِينَ يَدْعُونَ بِهِ. ١٢ 12
क्यूँकि यहूदियों और यूनानियों में कुछ फ़र्क़ नहीं इसलिए कि वही सब का ख़ुदावन्द है और अपने सब दुआ करनेवालों के लिए फ़य्याज़ है।
لِأَنَّ «كُلَّ مَنْ يَدْعُو بِٱسْمِ ٱلرَّبِّ يَخْلُصُ». ١٣ 13
क्यूँकि “जो कोई ख़ुदावन्द का नाम लेगा नजात पाएगा।”
فَكَيْفَ يَدْعُونَ بِمَنْ لَمْ يُؤْمِنُوا بِهِ؟ وَكَيْفَ يُؤْمِنُونَ بِمَنْ لَمْ يَسْمَعُوا بِهِ؟ وَكَيْفَ يَسْمَعُونَ بِلَا كَارِزٍ؟ ١٤ 14
मगर जिस पर वो ईमान नहीं लाए उस से क्यूँकर दुआ करें? और जिसका ज़िक्र उन्होंने सुना नहीं उस पर ईमान क्यूँ लाएँ? और बग़ैर ऐलान करने वाले की क्यूँकर सुनें?
وَكَيْفَ يَكْرِزُونَ إِنْ لَمْ يُرْسَلُوا؟ كَمَا هُوَ مَكْتُوبٌ: «مَا أَجْمَلَ أَقْدَامَ ٱلْمُبَشِّرِينَ بِٱلسَّلَامِ، ٱلْمُبَشِّرِينَ بِٱلْخَيْرَاتِ». ١٥ 15
और जब तक वो भेजे न जाएँ ऐलान क्यूँकर करें? चुनाँचे लिखा है “क्या ही ख़ुशनुमा हैं उनके क़दम जो अच्छी चीज़ों की ख़ुशख़बरी देते हैं।”
لَكِنْ لَيْسَ ٱلْجَمِيعُ قَدْ أَطَاعُوا ٱلْإِنْجِيلَ، لِأَنَّ إِشَعْيَاءَ يَقُولُ: «يَارَبُّ، مَنْ صَدَّقَ خَبَرَنَا؟». ١٦ 16
लेकिन सब ने इस ख़ुशख़बरी पर कान न धरा चुनाँचे यसायाह कहता है “ऐ ख़ुदावन्द हमारे पैग़ाम का किसने यक़ीन किया है?”
إِذًا ٱلْإِيمَانُ بِٱلْخَبَرِ، وَٱلْخَبَرُ بِكَلِمَةِ ٱللهِ. ١٧ 17
पस ईमान सुनने से पैदा होता है और सुनना मसीह के कलाम से।
لَكِنَّنِي أَقُولُ: أَلَعَلَّهُمْ لَمْ يَسْمَعُوا؟ بَلَى! «إِلَى جَمِيعِ ٱلْأَرْضِ خَرَجَ صَوْتُهُمْ، وَإِلَى أَقَاصِي ٱلْمَسْكُونَةِ أَقْوَالُهُمْ». ١٨ 18
लेकिन मैं कहता हूँ, क्या उन्होंने नहीं सुना? चुनाँचे लिखा है, “उनकी आवाज़ तमाम रू'ए ज़मीन पर और उनकी बातें दुनिया की इन्तिहा तक पहुँची”।
لَكِنِّي أَقُولُ: أَلَعَلَّ إِسْرَائِيلَ لَمْ يَعْلَمْ؟ أَوَّلًا مُوسَى يَقُولُ: «أَنَا أُغِيرُكُمْ بِمَا لَيْسَ أُمَّةً. بِأُمَّةٍ غَبِيَّةٍ أُغِيظُكُمْ». ١٩ 19
फिर मैं कहता हूँ, क्या इस्राईल वाक़िफ़ न था? पहले तो मूसा कहता है, “उन से तुम को ग़ैरत दिलाऊँगा जो क़ौम ही नहीं एक नादान क़ौम से तुम को ग़ुस्सा दिलाऊँगा।”
ثُمَّ إِشَعْيَاءُ يَتَجَاسَرُ وَيَقُولُ: «وُجِدْتُ مِنَ ٱلَّذِينَ لَمْ يَطْلُبُونِي، وَصِرْتُ ظَاهِرًا لِلَّذِينَ لَمْ يَسْأَلُوا عَنِّي». ٢٠ 20
फिर यसायाह बड़ा दिलेर होकर ये कहता है जिन्होंने मुझे नहीं ढूंडा उन्होंने मुझे पा लिया जिन्होंने मुझ से नहीं पूछा उन पर में ज़ाहिर हो गया।
أَمَّا مِنْ جِهَةِ إِسْرَائِيلَ فَيَقُولُ: «طُولَ ٱلنَّهَارِ بَسَطْتُ يَدَيَّ إِلَى شَعْبٍ مُعَانِدٍ وَمُقَاوِمٍ». ٢١ 21
लेकिन इस्राईल के हक़ में यूँ कहता है “मैं दिन भर एक नाफ़रमान और हुज्जती उम्मत की तरफ़ अपने हाथ बढ़ाए रहा।”

< رُوما 10 >