< رُؤيا 5 >

وَرَأَيْتُ عَلَى يَمِينِ ٱلْجَالِسِ عَلَى ٱلْعَرْشِ سِفْرًا مَكْتُوبًا مِنْ دَاخِلٍ وَمِنْ وَرَاءٍ، مَخْتُومًا بِسَبْعَةِ خُتُومٍ. ١ 1
जो सिंहासन पर बैठे थे, उनके दाएं हाथ में मैंने एक पुस्तक देखी, जिसके पृष्ठों पर दोनों ओर लिखा हुआ था, तथा जो सात मोहरों द्वारा बंद की हुई थी.
وَرَأَيْتُ مَلَاكًا قَوِيًّا يُنَادِي بِصَوْتٍ عَظِيمٍ: «مَنْ هُوَ مُسْتَحِقٌّ أَنْ يَفْتَحَ ٱلسِّفْرَ وَيَفُكَّ خُتُومَهُ؟». ٢ 2
तब मैंने एक शक्तिशाली स्वर्गदूत को देखा, जो ऊंचे शब्द में यह घोषणा कर रहा था, “कौन है वह, जिसमें यह योग्यता है कि वह इन मोहरों को तोड़ सके तथा इस पुस्तक को खोल सके?”
فَلَمْ يَسْتَطِعْ أَحَدٌ فِي ٱلسَّمَاءِ وَلَا عَلَى ٱلْأَرْضِ وَلَا تَحْتَ ٱلْأَرْضِ أَنْ يَفْتَحَ ٱلسِّفْرَ وَلَا أَنْ يَنْظُرَ إِلَيْهِ. ٣ 3
न तो स्वर्ग में, न पृथ्वी पर और न ही पृथ्वी के नीचे कोई इस योग्य था कि इस पुस्तक को खोल या पढ़ सके.
فَصِرْتُ أَنَا أَبْكِي كَثِيرًا، لِأَنَّهُ لَمْ يُوجَدْ أَحَدٌ مُسْتَحِقًّا أَنْ يَفْتَحَ ٱلسِّفْرَ وَيَقْرَأَهُ وَلَا أَنْ يَنْظُرَ إِلَيْهِ. ٤ 4
मेरी आंखों से आंसू बहने लगे क्योंकि कोई भी ऐसा योग्य न निकला, जो इस पुस्तक को खोल या पढ़ सके.
فَقَالَ لِي وَاحِدٌ مِنَ ٱلشُّيُوخِ: «لَا تَبْكِ. هُوَذَا قَدْ غَلَبَ ٱلْأَسَدُ ٱلَّذِي مِنْ سِبْطِ يَهُوذَا، أَصْلُ دَاوُدَ، لِيَفْتَحَ ٱلسِّفْرَ وَيَفُكَّ خُتُومَهُ ٱلسَّبْعَةَ». ٥ 5
तब उन पुरनियों में से एक ने मुझसे कहा, “बंद करो यह रोना! देखो, यहूदाह गोत्र का वह सिंह, दावीद वंश का मूल विजयी हुआ है कि वही इन सात मोहरों को तोड़े. वही इस पुस्तक को खोलने में सामर्थ्यी है.”
وَرَأَيْتُ فَإِذَا فِي وَسَطِ ٱلْعَرْشِ وَٱلْحَيَوَانَاتِ ٱلْأَرْبَعَةِ وَفِي وَسَطِ ٱلشُّيُوخِ خَرُوفٌ قَائِمٌ كَأَنَّهُ مَذْبُوحٌ، لَهُ سَبْعَةُ قُرُونٍ وَسَبْعُ أَعْيُنٍ، هِيَ سَبْعَةُ أَرْوَاحِ ٱللهِ ٱلْمُرْسَلَةُ إِلَى كُلِّ ٱلْأَرْضِ. ٦ 6
तब मैंने एक मेमने को, मानो जिसका वध बलि के लिए कर दिया गया हो, सिंहासन, चारों प्राणियों तथा पुरनियों के बीच खड़े हुए देखा, जिसके सात सींग तथा सात आंखें थी, जो सारी पृथ्वी पर भेजे गए परमेश्वर की सात आत्मा हैं.
فَأَتَى وَأَخَذَ ٱلسِّفْرَ مِنْ يَمِينِ ٱلْجَالِسِ عَلَى ٱلْعَرْشِ. ٧ 7
मेमने ने आगे बढ़कर, उनके दाएं हाथ से, जो सिंहासन पर विराजमान थे, इस पुस्तक को ले लिया.
وَلَمَّا أَخَذَ ٱلسِّفْرَ خَرَّتِ ٱلْأَرْبَعَةُ ٱلْحَيَوَانَاتُ وَٱلْأَرْبَعَةُ وَٱلْعِشْرُونَ شَيْخًا أَمَامَ ٱلْخَروفِ، وَلَهُمْ كُلِّ وَاحِدٍ قِيثَارَاتٌ وَجَامَاتٌ مِنْ ذَهَبٍ مَمْلُوَّةٌ بَخُورًا هِيَ صَلَوَاتُ ٱلْقِدِّيسِينَ. ٨ 8
जब उसने पुस्तक ली तो चारों प्राणी तथा चौबीसों प्राचीन उस मेमने के सामने नतमस्तक हो गए. उनमें से प्रत्येक के हाथ में वीणा तथा धूप—पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं—से भरे सोने के बर्तन थे.
وَهُمْ يَتَرَنَّمُونَ تَرْنِيمَةً جَدِيدَةً قَائِلِينَ: «مُسْتَحِقٌّ أَنْتَ أَنْ تَأْخُذَ ٱلسِّفْرَ وَتَفْتَحَ خُتُومَهُ، لِأَنَّكَ ذُبِحْتَ وَٱشْتَرَيْتَنَا لِلهِ بِدَمِكَ مِنْ كُلِّ قَبِيلَةٍ وَلِسَانٍ وَشَعْبٍ وَأُمَّةٍ، ٩ 9
वे यह नया गीत गा रहे थे: “आप ही पुस्तक लेकर इसकी मोहरें खोलने के योग्य हैं. आपका वध बलि के लिए किया गया, तथा आपने अपने लहू द्वारा हर एक गोत्र, भाषा, जन तथा राष्ट्रों से मनुष्यों को परमेश्वर के लिए मोल लिया है.
وَجَعَلْتَنَا لِإِلَهِنَا مُلُوكًا وَكَهَنَةً، فَسَنَمْلِكُ عَلَى ٱلْأَرْضِ». ١٠ 10
आपने उन्हें परमेश्वर की प्रजा बनाया तथा परमेश्वर की सेवा के लिए पुरोहित ठहराया है. वे इस पृथ्वी पर राज्य करेंगे.”
وَنَظَرْتُ وَسَمِعْتُ صَوْتَ مَلَائِكَةٍ كَثِيرِينَ حَوْلَ ٱلْعَرْشِ وَٱلْحَيَوَانَاتِ وَٱلشُّيُوخِ، وَكَانَ عَدَدُهُمْ رَبَوَاتِ رَبَوَاتٍ وَأُلُوفَ أُلُوفٍ، ١١ 11
तब मैंने अनेकों स्वर्गदूतों का शब्द सुना, ये स्वर्गदूत अनगिनत थे—हज़ारों और हज़ारों. ये स्वर्गदूत सिंहासन, चारों प्राणियों तथा पुरनियों के चारों ओर खड़े हुए थे.
قَائِلِينَ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ: «مُسْتَحِقٌّ هُوَ ٱلْخَروُفُ ٱلْمَذْبُوحُ أَنْ يَأْخُذَ ٱلْقُدْرَةَ وَٱلْغِنَى وَٱلْحِكْمَةَ وَٱلْقُوَّةَ وَٱلْكَرَامَةَ وَٱلْمَجْدَ وَٱلْبَرَكَةَ!». ١٢ 12
वे स्वर्गदूत ऊंचे शब्द में यह गा रहे थे: “वह मेमना, जिसका वध किया गया, सामर्थ्य, वैभव, ज्ञान, शक्ति, आदर, महिमा और स्तुति का अधिकारी है.”
وَكُلُّ خَلِيقَةٍ مِمَّا فِي ٱلسَّمَاءِ وَعَلَى ٱلْأَرْضِ وَتَحْتَ ٱلْأَرْضِ، وَمَا عَلَى ٱلْبَحْرِ، كُلُّ مَا فِيهَا، سَمِعْتُهَا قَائِلَةً: «لِلْجَالِسِ عَلَى ٱلْعَرْشِ وَلِلْخَرُوفِ ٱلْبَرَكَةُ وَٱلْكَرَامَةُ وَٱلْمَجْدُ وَٱلسُّلْطَانُ إِلَى أَبَدِ ٱلْآبِدِينَ». (aiōn g165) ١٣ 13
इसी प्रकार मैंने सारी सृष्टि—स्वर्ग में, इस पृथ्वी पर तथा इस पृथ्वी के नीचे, समुद्र तथा उसमें बसी हुई हर एक वस्तु को यह कहते सुना: “मेमने का तथा उनका, जो सिंहासन पर बैठे हैं, स्तुति, आदर, महिमा तथा प्रभुता, (aiōn g165)
وَكَانَتِ ٱلْحَيَوَانَاتُ ٱلْأَرْبَعَةُ تَقُولُ: «آمِينَ». وَٱلشُّيُوخُ ٱلْأَرْبَعَةُ وَٱلْعِشْرُونَ خَرُّوا وَسَجَدُوا لِلْحَيِّ إِلَى أَبَدِ ٱلْآبِدِينَ. ١٤ 14
चारों प्राणियों ने कहा, “आमेन” तथा पुरनियों ने दंडवत होकर आराधना की.

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