< اَلْمَزَامِيرُ 92 >

مَزْمُورُ تَسْبِيحَةٍ. لِيَوْمِ ٱلسَّبْتِ حَسَنٌ هُوَ ٱلْحَمْدُ لِلرَّبِّ وَٱلتَّرَنُّمُ لِٱسْمِكَ أَيُّهَا ٱلْعَلِيُّ. ١ 1
एक स्तोत्र. एक गीत. शब्बाथ दिन के लिए निर्धारित. भला है याहवेह के प्रति धन्यवाद, सर्वोच्च परमेश्वर, आपकी महिमा का गुणगान करना उपयुक्त है.
أَنْ يُخْبَرَ بِرَحْمَتِكَ فِي ٱلْغَدَاةِ، وَأَمَانَتِكَ كُلَّ لَيْلَةٍ، ٢ 2
दस तारों के आसोर, नेबेल तथा किन्‍नोर की संगत पर प्रातःकाल ही आपके करुणा-प्रेम की उद्घोषणा करना तथा रात्रि में आपकी सच्चाई का वर्णन करना अच्छा है.
عَلَى ذَاتِ عَشَرَةِ أَوْتَارٍ وَعَلَى ٱلرَّبَابِ، عَلَى عَزْفِ ٱلْعُودِ. ٣ 3
لِأَنَّكَ فَرَّحْتَنِي يَارَبُّ بِصَنَائِعِكَ. بِأَعْمَالِ يَدَيْكَ أَبْتَهِجُ. ٤ 4
याहवेह, आपने मुझे अपने कार्यों के उल्लास से तृप्‍त कर दिया है; आपके कार्यों के लिए मैं हर्षोल्लास के गीत गाता हूं.
مَا أَعْظَمَ أَعْمَالَكَ يَارَبُّ! وَأَعْمَقَ جِدًّا أَفْكَارَكَ! ٥ 5
याहवेह, कैसे अद्भुत हैं, आपके द्वारा निष्पन्‍न कार्य! गहन हैं आपके विचार!
ٱلرَّجُلُ ٱلْبَلِيدُ لَا يَعْرِفُ، وَٱلْجَاهِلُ لَا يَفْهَمُ هَذَا. ٦ 6
अज्ञानी के लिए असंभव है इनका अनुभव करना, निर्बुद्धि के लिए ये बातें निरर्थक हैं.
إِذَا زَهَا ٱلْأَشْرَارُ كَٱلْعُشْبِ، وَأَزْهَرَ كُلُّ فَاعِلِي ٱلْإِثْمِ، فَلِكَيْ يُبَادُوا إِلَى ٱلدَّهْرِ. ٧ 7
यद्यपि दुष्ट घास के समान अंकुरित तो होते हैं और समस्त दुष्ट उन्‍नति भी करते हैं, किंतु उनकी नियति अनंत विनाश ही है.
أَمَّا أَنْتَ يَارَبُّ فَمُتَعَالٍ إِلَى ٱلْأَبَدِ. ٨ 8
किंतु, याहवेह, आप सदा-सर्वदा सर्वोच्च ही हैं.
لِأَنَّهُ هُوَذَا أَعْدَاؤُكَ يَارَبُّ، لِأَنَّهُ هُوَذَا أَعْدَاؤُكَ يَبِيدُونَ. يَتَبَدَّدُ كُلُّ فَاعِلِي ٱلْإِثْمِ. ٩ 9
निश्चयतः आपके शत्रु, याहवेह, आपके शत्रु नाश हो जाएंगे; समस्त दुष्ट बिखरा दिए जाएंगे.
وَتَنْصِبُ مِثْلَ ٱلْبَقَرِ ٱلْوَحْشِيِّ قَرْنِي. تَدَهَّنْتُ بِزَيْتٍ طَرِيٍّ. ١٠ 10
किंतु मेरी शक्ति को आपने वन्य सांड़ समान ऊंचा कर दिया है; आपने मुझ पर नया नया तेल उंडेल दिया है.
وَتُبْصِرُ عَيْنِي بِمُرَاقِبِيَّ، وَبِٱلْقَائِمِينَ عَلَيَّ بِٱلشَّرِّ تَسْمَعُ أُذُنَايَ. ١١ 11
स्वयं मैंने अपनी ही आंखों से अपने शत्रुओं का पतन देखा है; स्वयं मैंने अपने कानों से अपने दुष्ट शत्रुओं के कोलाहल को सुना है.
اَلصِّدِّيقُ كَٱلنَّخْلَةِ يَزْهُو، كَٱلْأَرْزِ فِي لُبْنَانَ يَنْمُو. ١٢ 12
धर्मी खजूर वृक्ष समान फलते जाएंगे, उनका विकास लबानोन के देवदार के समान होगा;
مَغْرُوسِينَ فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ، فِي دِيَارِ إِلَهِنَا يُزْهِرُونَ. ١٣ 13
याहवेह के आवास में लगाए वे परमेश्वर के आंगन में समृद्ध होते जाएंगे!
أَيْضًا يُثْمِرُونَ فِي ٱلشَّيْبَةِ. يَكُونُونَ دِسَامًا وَخُضْرًا، ١٤ 14
वृद्धावस्था में भी वे फलदार बने रहेंगे, उनकी नवीनता और उनकी कान्ति वैसी ही बनी रहेगी,
لِيُخْبِرُوا بِأَنَّ ٱلرَّبَّ مُسْتَقِيمٌ. صَخْرَتِي هُوَ وَلَا ظُلْمَ فِيهِ. ١٥ 15
कि वे यह घोषणा कर सकें कि, “याहवेह सीधे हैं; वह मेरे लिए चट्टान हैं, उनमें कहीं भी, किसी भी दुष्टता की छाया तक नहीं है.”

< اَلْمَزَامِيرُ 92 >