< اَلْمَزَامِيرُ 83 >
تَسْبِيحَةٌ. مَزْمُورٌ لِآسَافَ اَللَّهُمَّ، لَا تَصْمُتْ. لَا تَسْكُتْ وَلَا تَهْدَأْ يَاٱللهُ. | ١ 1 |
ऐ ख़ुदा! ख़ामोश न रह; ऐ ख़ुदा! चुपचाप न हो और ख़ामोशी इख़्तियार न कर।
فَهُوَذَا أَعْدَاؤُكَ يَعِجُّونَ، وَمُبْغِضُوكَ قَدْ رَفَعُوا ٱلرَّأْسَ. | ٢ 2 |
क्यूँकि देख तेरे दुश्मन ऊधम मचाते हैं और तुझ से 'अदावत रखने वालों ने सिर उठाया है।
عَلَى شَعْبِكَ مَكَرُوا مُؤَامَرَةً، وَتَشَاوَرُوا عَلَى أَحْمِيَائِكَ. | ٣ 3 |
क्यूँकि वह तेरे लोगों के ख़िलाफ़ मक्कारी से मन्सूबा बाँधते हैं, और उनके ख़िलाफ़ जो तेरी पनाह में हैं मशवरा करते हैं।
قَالُوا: «هَلُمَّ نُبِدْهُمْ مِنْ بَيْنِ ٱلشُّعُوبِ، وَلَا يُذْكَرُ ٱسْمُ إِسْرَائِيلَ بَعْدُ». | ٤ 4 |
उन्होंने कहा, “आओ, हम इनको काट डालें कि उनकी क़ौम ही न रहे; और इस्राईल के नाम का फिर ज़िक्र न हो।”
لِأَنَّهُمْ تَآمَرُوا بِٱلْقَلْبِ مَعًا. عَلَيْكَ تَعَاهَدُوا عَهْدًا. | ٥ 5 |
क्यूँकि उन्होंने एक हो कर के आपस में मश्वरा किया है, वह तेरे ख़िलाफ़ 'अहद बाँधते हैं।
خِيَامُ أَدُومَ وَٱلْإِسْمَاعِيلِيِّينَ، مُوآبُ وَٱلْهَاجَرِيُّونَ. | ٦ 6 |
या'नी अदोम के अहल — ए — ख़ैमा और इस्माईली मोआब और हाजरी,
جِبَالُ وَعَمُّونُ وَعَمَالِيقُ، فَلَسْطِينُ مَعَ سُكَّانِ صُورٍ. | ٧ 7 |
जबल और'अम्मून और 'अमालीक़, फ़िलिस्तीन और सूर के बाशिन्दे,
أَشُّورُ أَيْضًا ٱتَّفَقَ مَعَهُمْ. صَارُوا ذِرَاعًا لِبَنِي لُوطٍ. سِلَاهْ. | ٨ 8 |
असूर भी इनसे मिला हुआ है; उन्होंने बनी लूत की मदद की है।
اِفْعَلْ بِهِمْ كَمَا بِمِدْيَانَ، كَمَا بِسِيسَرَا، كَمَا بِيَابِينَ فِي وَادِي قِيشُونَ. | ٩ 9 |
तू उनसे ऐसा कर जैसा मिदियान से, और जैसा वादी — ए — कैसून में सीसरा और याबीन से किया था।
بَادُوا فِي عَيْنِ دُورٍ. صَارُوا دِمَنًا لِلْأَرْضِ. | ١٠ 10 |
जो 'ऐन दोर में हलाक हुए, वह जैसे ज़मीन की खाद हो गए
ٱجْعَلْهُمْ، شُرَفَاءَهُمْ مِثْلَ غُرَابٍ، وَمِثْلَ ذِئْبٍ. وَمِثْلَ زَبَحَ، وَمِثْلَ صَلْمُنَّاعَ كُلَّ أُمَرَائِهِمْ. | ١١ 11 |
उनके सरदारों को 'ओरेब और ज़ईब की तरह, बल्कि उनके शाहज़ादों को ज़िबह और ज़िलमना' की तरह बना दे;
ٱلَّذِينَ قَالُوا: «لِنَمْتَلِكْ لِأَنْفُسِنَا مَسَاكِنَ ٱللهِ». | ١٢ 12 |
जिन्होंने कहा है, “आओ, हम ख़ुदा की बस्तियों पर कब्ज़ा कर लें।”
يَا إِلَهِي، ٱجْعَلْهُمْ مِثْلَ ٱلْجُلِّ، مِثْلَ ٱلْقَشِّ أَمَامَ ٱلرِّيحِ. | ١٣ 13 |
ऐ मेरे ख़ुदा, उनको बगोले की गर्द की तरह बना दे, और जैसे हवा के आगे डंठल।
كَنَارٍ تَحْرِقُ ٱلْوَعْرَ، كَلَهِيبٍ يُشْعِلُ ٱلْجِبَالَ. | ١٤ 14 |
उस आग की तरह जो जंगल को जला देती है, उस शो'ले की तरह जो पहाड़ों मेंआग लगा देता है;
هَكَذَا ٱطْرُدْهُمْ بِعَاصِفَتِكَ، وَبِزَوْبَعَتِكَ رَوِّعْهُمْ. | ١٥ 15 |
तू इसी तरह अपनी आँधी से उनका पीछा कर, और अपने तूफ़ान से उनको परेशान कर दे।
ٱمْلَأْ وُجُوهَهُمْ خِزْيًا، فَيَطْلُبُوا ٱسْمَكَ يَارَبُّ. | ١٦ 16 |
ऐ ख़ुदावन्द! उनके चेहरों पर रुस्वाई तारी कर, ताकि वह तेरे नाम के तालिब हों।
لِيَخْزَوْا وَيَرْتَاعُوا إِلَى ٱلْأَبَدِ، وَلْيَخْجَلُوا وَيَبِيدُوا، | ١٧ 17 |
वह हमेशा शर्मिन्दा और परेशान रहें, बल्कि वह रुस्वा होकर हलाक हो जाएँ
وَيَعْلَمُوا أَنَّكَ ٱسْمُكَ يَهْوَهُ وَحْدَكَ، ٱلْعَلِيُّ عَلَى كُلِّ ٱلْأَرْضِ. | ١٨ 18 |
ताकि वह जान लें कि तू ही जिसका यहोवा है, ज़मीन पर बुलन्द — ओ — बाला है।